आरंभक (सं.) [सं-पु.] आरंभकर्ता; शुरू करने वाला।
आरंभकाल (सं.) [सं-पु.] शुरुआत का समय; प्रारंभिक काल।
आरंभिक (सं.) [वि.] शुरुआती; शुरू का; आरंभ का; प्रारंभिक।
आरक्त (सं.) [वि.] हलका लाल; लाल; सुर्ख। [सं-पु.] रक्त (लाल) चंदन।
आरक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. पहरेदार; प्रहरी; रखवाला 2. आरक्षी; (पुलिस)। [वि.] रक्षा करने या बचाने वाला।
आरक्षण (सं.) [सं-पु.] सुरक्षित किया हुआ स्थान; विशेष व्यक्ति या कार्य हेतु पहले से निर्धारित किया हुआ पद, स्थान, सीट या कक्ष आदि; (रिज़र्वेशन), जैसे- रेल टिकट का आरक्षण।
आरक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसका आरक्षण हुआ हो 2. रक्षा किया हुआ; रक्षित; भंडारित 3. पालित-पोषित 4. नामांकित 5. सुरक्षित; निश्चित; (रिज़र्व)।
आरक्षी (सं.) [सं-पु.] आरक्षक; (पुलिस)। [वि.] रक्षा करने वाला।
आरज़ू (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. चाहत; इच्छा; वांछा 2. विनती; अनुनय-विनय।
आरज़ूमंद (फ़ा.) [वि.] आरज़ू, इच्छा या कामना रखने वाला।
आरण्य (सं.) [वि.] जंगली; बनैला; आरण्यक। [सं-पु.] 1. जंगल 2. जंगली पशु 3. बिना बोए पैदा होने वाला अन्न।
आरण्यक (सं.) [वि.] 1. जंगली; बनैला; जंगल में उत्पन्न 2. अरण्य संबंधी, अरण्य का। [सं-पु.] 1. वनवासी 2. जंगल के प्राणी 3. वेदों का एक भाग जिसमें वानप्रस्थों के कृत्यों का विवरण है।
आरत (सं.) [वि.] 1. शांत 2. सौम्य 3. रुका हुआ।
आरती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आदर या मंगल के निमित्त किसी (देवता, व्यक्ति आदि) के सम्मुख चारों ओर प्रज्वलित कपूर तथा दीपक घुमाना 2. आरती के समय गाया जाने वाला स्तोत्र 3. दीपक में कपूर जला कर आरती करने वाला पात्र।
आर-पार [अव्य.] इस छोर से उस छोर तक; इस पार से उस पार तक।
आरब्ध (सं.) [सं-पु.] आरंभ। [वि.] आरंभ किया हुआ; शुरू किया हुआ।
आरभटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध आदि उग्र भावों का आवेग 2. साहस और शक्ति के सांसारिक कर्म 3. नृत्य की एक शैली 4. एक नाट्यवृति।
आरसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दर्पण; आईना; शीशा 2. एक प्रकार की अँगूठी जैसा गहना जिसमें दर्पण जड़ा रहता है।
आरा1 (सं.) [सं-पु.] 1. लकड़ी चीरने वाला एक दाँतेदार औज़ार 2. चमड़ा सीने का सूजा 3. घोड़िया बैठाने हेतु दीवार पर रखी जाने वाली लकड़ी या पत्थर की पटरी 4. बैलगाड़ी आदि के पहिए की गरारी और पुट्ठी के बीच की पटरी।
आरा2 (फ़ा) [पर-प्रत्य.] 1. (शब्द) यौगिक शब्दों के अंत में लगने वाला, जैसे- रौशनआरा 2. सजाने वाला; ख़ूबसूरती बढ़ाने वाला।
आराज़ी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. भूमि; ज़मीन 2. खेती करने लायक ज़मीन।
आराधक (सं.) [वि.] आराधना करने वाला; भक्ति करने वाला; पूजा करने वाला।
आराधन (सं.) [सं-पु.] आराधना करना; पूजन; अर्चन।
आराधना (सं.) [सं-स्त्री.] पूजा; सेवा; उपासना। [क्रि-स.] उपासना या आराधन करना।
आराधनीय (सं.) [वि.] 1. आराधना या अर्चना करने योग्य; पूज्य; उपास्य 2. प्रसन्न करने के योग्य।
आराध्य (सं.) [वि.] आराधना के योग्य; पूजनीय।
आराध्यदेव (सं.) [सं-पु.] इष्ट; आराधना के योग्य भगवान; इष्टदेव।
आराम (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आसानी का भाव; बिना किसी असुविधा की स्थिति 2. सुख, शांति की अवस्था, जैसे- मैं यहाँ आराम से हूँ 3. विश्राम 4. आरोग्य।
आरामकुरसी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आराम करने के लिए लंबी कुरसी जिसपर अधलेटे झपकी भी ली जा सकती है।
आरामगाह (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आराम फ़रमाने की जगह; विश्रांति-गृह; शयनागार।
आरामघर (फ़ा.+हिं.) [सं-पु.] 1. आराम करने का स्थान; विश्रामालय 2. सोने का कमरा; शयनागार।
आरामतलब (फ़ा.+अ.) [वि.] 1. हर तरह के सुख-आराम की चाहत रखने वाला; काहिल 2. विलासी 3. निकम्मा; निठल्ला।
आरामतलबी (फ़ा.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. सुख-आराम की तलब करना; पड़े-पड़े खाना; काम से जी चुराना 2. आलस्य।
आरामदायक (फ़ा.+सं.) [वि.] 1. आराम और सुकून देने वाला 2. जहाँ झंझट या दिक्कत न हो; सहूलियत भरा।
आरामदेह (फ़ा.) [वि.] आराम और सुकून देने वाला; आरामदायक।
आरामपसंद (फ़ा.) [वि.] काम करने की चाहत न रखने वाला; आरामतलब।
आरामशीन (सं.+इं.) [सं-स्त्री.] बड़े पैमाने पर लकड़ी चीरने वाली मशीन।
आरास्ता (फ़ा.) [वि.] सजा या सजाया हुआ; सुसज्जित।
आरिफ़ (अ.) [सं-पु.] संत-महात्मा; साधु; ब्रह्मज्ञानी। [वि.] 1. जानने-पहचानने वाला 2. सब्र करने वाला; संतोषी 3. ब्रह्मज्ञानी; सूफ़ी।
आरी [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या लोहे आदि से बना एक दाँतेदार औज़ार; छोटा आरा 2. पैने की नोक में लगी लोहे की कील 3. जालवर्वुरक 4. सुतारी।
आरु (सं.) [सं-पु.] 1. केकड़ा 2. शूकर; सुअर 3. घड़ा 4. एक वृक्ष।
आरुक (सं.) [सं-पु.] 1. आलूबुखारा 2. हिमालय में पाई जाने वाली एक जड़ी।
आरुणि (सं.) [सं-पु.] 1. अरुण के वंशज 2. उद्दालक ऋषि 3. सूर्य के यम आदि पुत्र।
आरूढ़ (सं.) [वि.] 1. चढ़ा हुआ; सवार 2. पदस्थ; आसीन 3. जम कर बैठा हुआ 4. दृढ़।
आरूप (सं.) [सं-पु.] 1. बाह्य रूप 2. किसी पत्र-पत्रिका या पुस्तक का आकार; रूप और शैली; (फ़ॉरमेट)।
आरेख (सं.) [सं-पु.] 1. ख़ाका; नक्शा; (डायग्राम) 2. किशोरों की हलकी उगती मूँछ।
आरेचन (सं.) [सं-पु.] 1. संकुचन 2. खाली करना या कराना 3. साँस को बाहर निकालना।
आरोग्य (सं.) [सं-पु.] 1. रोग से मुक्ति; स्वास्थ्य-लाभ 3. स्वास्थ्य; तंदुरुस्ती।
आरोग्यधाम (सं.) [सं-पु.] चिकित्सालय; आरोग्य-आश्रम।
आरोचन (सं.) [सं-पु.] चमकदार बनाना; चमकाना; माँजना। [वि.] चमकीला; चमकदार।
आरोध (सं.) [सं-पु.] अवरोध; घेरा।
आरोप (सं.) [सं-पु.] 1. अपराध सिद्ध होने से पूर्व, किसी पर अपराध या दोष लगाने की स्थिति; आक्षेप 2. एक पदार्थ में दूसरे पदार्थ के गुण-धर्म की कल्पना करना।
आरोपक (सं.) [वि.] 1. आरोपण करने वाला 2. जो आरोप या दोष लगाए।
आरोपण (सं.) [सं-पु.] 1. रोपना; लगाना 2. मढ़ना 3. ऊपर चढ़ाना 4. मिथ्या कल्पना 5. भ्रम 6. एक वस्तु में दूसरी के गुण-धर्म की कल्पना 7. कमान की डोरी चढ़ाना 8. आरोप लगाना।
आरोपपत्र (सं.) [सं-पु.] ऐसा पत्र जिसमें आरोपों का विवरण लिखा हो; (चार्जशीट)।
आरोप-फलक (सं.) [सं-पु.] न्यायालय द्वारा प्रस्तुत किया गया वह पत्र जिसमें किसी पर लगाए हुए आरोपों का विवरण होता है।
आरोपित (सं.) [वि.] रोपा हुआ; स्थापित; आक्षेपित।
आरोपी (सं.) [वि.] जिसपर दोष लगाया गया हो; अभियुक्त।
आरोह (सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ाई; उठान 2. संगीत में स्वरों का चढ़ाव 3. ऊँचाई 4. घमंड।
आरोहक (सं.) [वि.] आरोहण करने वाला।
आरोहण (सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ना; ऊपर को जाना 2. सवार होना 3. नृत्य, अभिनय आदि के लिए बना हुआ मंच 4. अँखुआ फूटना।
आरोही (सं.) [सं-पु.] 1. चढ़ाई करने वाला 2. सवार 3. ऊपर उठने वाले सुरों का क्रम, जैसे- सा, रे, ग, म, प, ध, नि, सा। [वि.] 1. चढ़ने वाला 2. ऊपर उठने वाला।