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Hin Dict_K34 - हिंदी शब्दकोश - क34

कर्मवीर (सं.) [वि.] 1. कर्मशील; कर्मवान; मेहनती; परिश्रमी 2. लोकहित में कर्म करने में निपुण 3. विघ्न-बाधाओं को नष्ट करते हुए कर्तव्य-पालन करने वाला; कर्मठ; पुरुषार्थी 4. जिसने स्तुत्य कार्य किए हों 5. काम करने में बहादुर।
कर्मशाला (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्थान जहाँ कारीगर या शिल्पी किसी वस्तु का निर्माण करते हैं; कारख़ाना; (वर्कशॉप)।
कर्मशील (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जो फल की अभिलाषा छोड़कर स्वाभाविक रूप से कार्य करे; कर्मवान 2. सदैव अच्छे कामों में लगा रहने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. परिश्रमी 2. उद्योगी।
कर्मशूर (सं.) [वि.] वह जो साहस और दृढ़ता के साथ कर्म करने में प्रवृत्त हो; उद्योगी; कर्मवीर।
कर्मसाक्षी (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) वे देवता जो प्राणियों के कर्मों को देखते रहते हैं और उनके साक्षी रहते हैं 2. चश्मदीद गवाह। [वि.] कर्मों को देखने वाला।
कर्महीन (सं.) [वि.] 1. जिससे कोई अच्छा कार्य न हो या न कर सकता हो 2. अभागा; हतभाग्य; भाग्यहीन।
कर्मांत (सं.) [सं-पु.] 1. कार्य का अंत; काम की समाप्ति 2. जोती हुई धरती 3. अन्न भंडार।
कर्मा (सं.) [वि.] यौगिक शब्दों के अंत में जुड़कर 'करने वाला' अर्थ देता है, जैसे- पुण्यकर्मा, विश्वकर्मा।
कर्मार (सं.) [सं-पु.] 1. कारीगर 2. कर्मकार; लुहार 3 कमरख 4. एक प्रकार का बाँस।
कर्मिष्ठ (सं.) [वि.] 1. कार्य करने में निपुण; कर्मकुशल 2. कर्मनिष्ठ।
कर्मी (सं.) [वि.] 1. कर्म करने वाला 2. क्रियाशील; सक्रिय 3. यज्ञादि कर्म करने वाला। [सं-पु.] 1. कारीगर 2. मज़दूर।

कर्मीर (सं.) [सं-पु.] 1. नारंगी रंग; किर्मीर 2. चितकबरा रंग।
कर्मेंद्रिय (सं.) [सं-स्त्री.] शरीर के वे अंग जिनसे कोई कार्य किया जाता है- हाथ, पैर, वाणी, गुदा और उपस्थ।
कर्वट (सं.) [सं-पु.] 1. बाज़ार; मंडी; पैठ 2. जिले का मुख्य स्थान 3. नगर; गाँव 4. पहाड़ की ढाल।
कर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. खींचना 2. जोतना 3. लकीर खींचना 4. मनमुटाव 5. रोष; क्रोध 6. सोलह माशे की एक प्राचीन तौल 7. एक प्राचीन सिक्का।
कर्षक (सं.) [सं-पु.] किसान; खेतिहर। [वि.] 1. खींचने वाला 2. घसीटने वाला 3. हल जोतने वाला।
कर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु को घसीटने, खींचने की क्रिया या भाव 2. खिंचाई 3. खरोंचकर लकीर बनाना 4. हल जोतना; जुताई 5. खेती-किसानी का काम; कृषि कर्म।
कर्षफल (सं.) [सं-पु.] 1. बहेड़ा; विभीतक 2. आँवला।
कर्षिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खिरनी का पेड़; क्षीरिणी वृक्ष 2. घोड़े की लगाम।
कर्षित (सं.) [वि.] 1. खींचा हुआ; आकृष्ट किया हुआ 2. सताया हुआ; पीड़ित 3. क्षीण किया हुआ 4. जोता हुआ।
कर्षी (सं.) [सं-पु.] 1. किसान 2 हल चलाने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. खींचने वाला; कर्षक 2. खेत जोतने वाला।
कलंक (सं.) [सं-पु.] 1. लांछन; अपयश; बदनामी 2. धब्बा; दाग 3. त्रुटि; दोष 4. ऐसा कार्य जिससे मर्यादा, प्रतिष्ठा या ख्याति धूमिल हो। [मु.] -धोना/धो डालना : अपयश का कुप्रभाव दूर करना।
कलंकित (सं.) [वि.] 1. जिसपर कलंक लगा हो 2. अपयशी; कुख्यात 3. बदनाम 4. कलंकी।

कलंकुर (सं.) [सं-पु.] पानी का भँवर।
कलंदर (अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमान साधुओं की एक जमात या उस जमात का कोई सदस्य 2. मस्त; फ़क्कड़; आज़ाद-तबियत व्यक्ति 3. रीछ, बंदर नचाने वाला मदारी।
कलंदरी (अ.) [वि.] कलंदर से संबंधित; कलंदर का।
कलंब (सं.) [सं-पु.] 1. कदंब का पेड़ 2. सरपत 3. साग का डंठल।
कल (सं.) [सं-पु.] 1. आने वाला दिन 2. बीता हुआ दिन 3. [पूर्वप्रत्य.] जब सामासिक शब्द के प्रत्यय के रूप में आता है, तो इसका अर्थ 'यंत्र', 'मशीन' आदि होता है, जैसे- कलपुरज़ा, कल-कारख़ाना।
कलई (अ.) [सं-स्त्री.] 1. राँगा 2. राँगे का वह लेप जो ताँबा-पीतल आदि से निर्मित वस्तुओं-बरतनों पर लगाया जाता है 3. मुलम्मा 4. लेप 5. छत, दीवार आदि पर होने वाली चूने की पुताई 6. {ला-अ.} वास्तविक तथ्य को छिपाने के लिए उस पर चढ़ाया हुआ आकर्षक मिथ्यावरण; दिखावटी आवरण। [मु.] -खुलना : भेद खुलना।
कलईगर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. पीतल आदि की वस्तुओं पर कलई करने वाला कारीगर 2. जो राँगे का लेप या मुलम्मा चढ़ाता हो।
कलईदार (अ.+ फ़ा.) [वि.] जिसपर कलई की गई हो।
कलकंठ (सं.) [सं-पु.] 1. कोयल 2. कबूतर 3. हंस। [वि.] 1. जिसका गला सुंदर हो 2. जिसका स्वर मधुर हो।
कलक (अ.) [सं-पु.] 1. दुख; तकलीफ़ 2. अफ़सोस 3. घबराहट।
कल-कल (सं.) [सं-पु.] 1. नदी या झरने के प्रवाह की कोमल और मधुर ध्वनि 2. मृदुल और मिठासभरी ध्वनि या आवाज़।

कलकलाना [क्रि-अ.] 1. कलकल की आवाज़ होना 2. शरीर में गरमी की अनुभूति होना 3. कुलबुलाना (शरीर का)।

Hin Dict_K33 - हिंदी शब्दकोश - क33

कर्पर (सं.) [सं-पु.] 1. खोपड़ी; कपाल 2. कछुए की खोपड़ी 3. खप्पर 4. गूलर 5. कड़ाह; कड़ाही 6. ठीकरा 7. प्राचीन कालीन एक हथियार।
कर्पूर (सं.) [सं-पु.] 1. कपूर; काफ़ूर 2. एक सुगंधित पदार्थ जो जलने के बाद वायु में विलीन हो जाता है।
कर्फर (सं.) [सं-पु.] दर्पण; आरसी; शीशा; आईना।
कर्फ़्यू (इं.) [सं-पु.] 1. ऐसा राजकीय आदेश, जिसके अंतर्गत जनता को घर से बाहर निकलने आदि की मनाही होती है; घरबंदी 2. निषेधाज्ञा 3. धार्मिक या सांप्रदायिक दंगों के समय शहर में पुलिस या प्रशासन के द्वारा लगाया जाने वाला प्रतिबंध जिसमें लोग घर के बाहर नहीं निकल सकते।
कर्बुर (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. धतूरा 3. जल 4. पाप 5. राक्षस 6. कचूर। [वि.] जो कई रंग से रँगा हो; रंग-बिरंगा; चितकबरा।
कर्म (सं.) [सं-पु.] 1. कार्य; काम 2. आचरण 3. भाग्य 4. ऐसे धार्मिक कार्य जिन्हें करने का शास्त्रीय विधान हो 5. मृतात्मा की शांति हेतु किया गया कार्य। [मु.] -ठोंकना : भाग्य को कोसना। -फूटना : भाग्य का साथ न देना।
कर्मकांड (सं.) [सं-पु.] 1. शास्त्रविहित धार्मिक कर्म 2. वेद का वह भाग जिसमें नित्य-नैमित्तिक आदि कर्मों का विधान है 3. वह शास्त्र जिसमें यज्ञ, संस्कार आदि कर्मों का विधान हो 4. उक्त विधानों के अनुरूप होने वाला धार्मिक कृत्य।
कर्मकांडी (सं.) [सं-पु.] 1. कर्मकांड का विद्वान 2. यज्ञ, पूजा आदि धार्मिक कृत्य संपन्न करने वाला; पुरोहित 3. कर्मकांड के अनुसार पूजा आदि कराने वाला ब्राह्मण।
कर्मकार (सं.) [सं-पु.] 1. कारीगर 2. जिससे बलपूर्वक और बिना पारिश्रमिक दिए काम कराया जाए; बेगार 3. सेवक; नौकर 4. लुहार।

कर्मक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] 1. कार्य करने का स्थान; कार्य-क्षेत्र 2. कर्मभूमि 3. ऐसा स्थान जहाँ कर्म किया जाए।
कर्मगुण (सं.) [सं-पु.] 1. कौटिल्य मत से काम की अच्छाई-बुराई 2. कार्यक्षमता।
कर्मचारी (सं.) [सं-पु.] 1. किसी काम के लिए नियमित वेतन या मज़दूरी पर नियुक्त व्यक्ति 2. कार्य संपादन के लिए नियुक्त व्यक्ति; कार्यकर्ता 3. काम करने वाला।
कर्मजन्य (सं.) [सं-पु.] कर्मफल; अच्छा या बुरा फल। [वि.] कर्म से उत्पन्न।
कर्मठ (सं.) [वि.] 1. कुशलतापूर्वक काम करने वाला; कर्मनिष्ठ 2. शास्त्रविहित कर्मों को ठीक प्रकार से करने वाला 3. जिसने कई प्रशंसनीय और स्तुत्य कार्य किए हों।
कर्मणि प्रयोग (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वह अवस्था जिसमें किसी वाक्य में क्रियापद कर्म के लिंग-वचन के अनुसार निर्धारित होता है।
कर्मणि-वाच्य (सं.) [वि.] (व्याकरण) वह कार्य जो कर्म से संबंधित हो।
कर्मधारय (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) समास का एक भेद जिसके दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है।
कर्मनाशा (सं.) [सं-स्त्री.] उत्तर भारत की एक नदी का नाम।
कर्मनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. कर्तव्यपालन में लगा रहने वाला; कर्तव्य का पालन करने वाला 2. कर्म में आस्था रखने वाला 3. सक्रिय; कर्मशील।
कर्मप्रधान (सं.) [वि.] 1. जिसमें कर्म की प्रधानता हो 2. भौतिक पदार्थों, उनके कार्यों तथा उनसे होने वाली अनुभूतियों से संबंध रखने वाला।

कर्मफल (सं.) [सं-पु.] 1. किए हुए कर्मों का फल 2. पूर्वजन्म में किए हुए कर्मों का फल; दुख-सुख आदि।
कर्मबंध (सं.) [सं-पु.] अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार जन्म और मृत्यु का बंधन या चक्र।
कर्मभूमि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कर्म करने का स्थान; कर्म-क्षेत्र 2. कर्मों या कृत्यों के लिए उपयुक्त भूमि।
कर्मभोग (सं.) [सं-पु.] किए हुए कर्मों का फल; कर्मफल; प्रारब्ध।
कर्ममार्ग (सं.) [सं-पु.] विहित कर्मों द्वारा मोक्षप्राप्ति का मार्ग।
कर्ममास (सं.) [सं-पु.] वर्षा ऋतु का श्रावण मास जो तीस दिनों का होता है; सावन मास।
कर्मयुग (सं.) [सं-पु.] चार युगों में से अंतिम और वर्तमान युग जिसमें पाप और अनीति की प्रधानता मानी जाती है; तिष्य; कलियुग।
कर्मयोग (सं.) [सं-पु.] 1. फलाफल का विचार किए बिना अपने कर्तव्य-पालन में सदैव लगे रहने का नियम अथवा व्रत 2. चित्त शुद्ध करने वाला शास्त्रविहित कर्म 3. कर्म-पथ की साधना।
कर्मयोगी (सं.) [सं-पु.] 1. कर्म मार्ग की साधना करने वाला व्यक्ति 2. निष्काम भाव से कर्म करने वाला व्यक्ति।
कर्मरेख (सं.) [सं-स्त्री.] कर्म या भाग्य की रेखा; कर्मलेख; तकदीर; किस्मत।
कर्मवाच्य (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) क्रिया की दृष्टि से वाक्य का वह रूप जिसमें कर्म की प्रधानता हो।
कर्मवाद (सं.) [सं-पु.] (मीमांसा दर्शन) ऐसा सिद्धांत जिसमें कर्म ही प्रधान माना गया है।

कर्मवान (सं.) [वि.] 1. अच्छा या प्रशंसनीय कार्य करने वाला 2. शास्त्रविहित कर्मों में निष्ठा रखने वाला; संध्या, अग्निहोत्र आदि करने वाला; कर्मनिष्ठ।

Hin Dict_K32 - हिंदी शब्दकोश - क32

कर्णमृदंग (सं.) [सं-पु.] कान के भीतर की चमड़े की वह झिल्ली जो मृदंग के चमड़े की तरह हड्डियों पर कसी रहती है; कान का परदा; कर्णपटह।
कर्णलता (सं.) [सं-स्त्री.] कान के नीचे का लटकता हुआ भाग; कर्णपाली; कर्णलतिका।
कर्णवेध (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में प्रचलित सोलह संस्कारों में से एक; कान में आभूषण पहनने तथा स्वास्थ्य रक्षा के लिए किया जाने वाला एक संस्कार जिसमें कान छेदा जाता है; कर्णछेदन।
कर्णहीन (सं.) [वि.] जो बिना कानों का हो; कर्णरहित। [सं-पु.] साँप।
कर्णातीत (सं.) [वि.] जिसे सुना न जा सके।
कर्णाभूषण (सं.) [सं-पु.] कान में पहना जाने वाला आभूषण; कुंडल।
कर्णावर्त (सं.) [सं-पु.] कान के अंदर का एक अंग जो सर्पाकार होता है।
कर्णिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कान में पहनने का एक आभूषण; कर्णफूल 2. हाथ के बीच की उँगली 3. कमल का छत्ता 4. लेखनी; कलम 5. अरनी का पेड़ 6. सफ़ेद गुलाब; सेवती 7. हाथी की सूँड़ की नोक 8. एक प्रकार का योनि रोग।
कर्णिकार (सं.) [सं-पु.] 1. कनकचंपा का पेड़ और फूल 2. एक तरह का अमलतास।
कर्णी (सं.) [सं-स्त्री.] फल वाला बाण या तीर। [वि.] 1. कान वाला 2. बड़े-बड़े कान वाला 3. जिसमें पतवार लगी हो।
कर्णेजप (सं.) [सं-पु.] 1. चुगली करने वाला व्यक्ति; चुगलख़ोर 2. भेद बताने वाला।

कर्तक (सं.) [सं-पु.] किसी चीज़ को काटने का उपकरण। [वि.] काटने या कतरने वाला।
कर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. काटने या कतरने की क्रिया या भाव; काटना या कतरना 2. सूत कातना 3. किसी समाचार को आवश्यकतानुरूप काटना अथवा छोटा करना; (क्लिप)।
कर्तनी (सं.) [सं-स्त्री.] काटने या कतरने का उपकरण; कतरनी; कैंची।
कर्तरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कतरनी; कैंची 2. छुरी 3. कटार 4. नृत्य का एक प्रकार 5. ताल देने का एक प्रकार का पुराना वाद्य यंत्र 6. (ज्योतिष) एक प्रकार का योग 7. बाण का वह भाग जहाँ पंख लगाया जाता है।
कर्तव्य (सं.) [सं-पु.] 1. वह कार्य जो किया जाना चाहिए; करने योग्य कार्य 2. कार्य जो नैतिक और धार्मिक रूप से आवश्यक हो 3. कानून या विधि की दृष्टि से आवश्यक कार्य 4. उचित कर्म; फ़र्ज़।
कर्तव्यच्युत (सं.) [वि.] 1. कर्तव्य नहीं करने वाला 2. जो अपने कर्तव्य से हट चुका हो।
कर्तव्यनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. कर्तव्य करने में निपुण 2. कर्तव्य निभाने की निष्ठावाला।
कर्तव्यपरायण (सं.) [वि.] कर्तव्य के प्रति आदर-भाव।
कर्तव्यपालन (सं.) [सं-पु.] 1. ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना 2. कर्तव्य पूरा करना।
कर्तव्यविमूढ़ (सं.) [वि.] 1. जिसे अपने कर्तव्य का ज्ञान न हो 2. जो घबराहट या उलझन के कारण अपना कर्तव्य निश्चित न कर पा रहा हो।

कर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. काम करने वाला 2. सब कुछ रचने वाला 3. ईश्वर; विधाता। [वि.] 1. करने या बनाने वाला 2. क्रिया करने वाला; जिससे क्रिया का संबंध हो।
कर्ताधर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. सब कुछ करने-धरने वाला व्यक्ति 2. सब कुछ करने के लिए अधिकार प्राप्त व्यक्ति 3. किसी कार्य का पूर्ण ज़िम्मेदारी से संचालन करने वाला व्यक्ति।
कर्तार (सं.) [सं-पु.] 1. कर्ता 2. ईश्वर; विधाता 3. करतार।
कर्तित (सं.) [वि.] 1. कटा हुआ 2. विसंयुक्त; वियुत 3. वियोजित 4. संक्षिप्त।
कर्तृक (सं.) [सं-पु.] कर्मचारियों या कार्यकर्ताओं का समूह; (स्टाफ़)। [वि.] 1. निर्मित किया हुआ 2. पूर्ण या संपादित किया हुआ।
कर्तृत्व (सं.) [सं-पु.] 1. कर्ता होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव 2. कार्य 3. क्रिया।
कर्तृवाचक (सं.) [वि.] (व्याकरण) कर्ता का बोध कराने वाला (शब्द या पद)।
कर्तृवाच्य (सं.) [सं-पु.] व्याकरण में क्रिया के विचार से वाच्य के तीन रूपों में से एक जो इस बात का सूचक है कि जो कुछ कहा गया है, वह कर्ता की प्रधानता के विचार से है; (ऐक्टिव वॉयस), जैसे- राम पुस्तक पढ़ता है।
कर्दम (सं.) [सं-पु.] 1. कीच; कीचड़ 2. मैल; कूड़ा 3. {ला-अ.} पाप 4. छाया।
कर्दमित (सं.) [वि.] कीचड़युक्त; कीचड़ से लथपथ।
कर्नल (इं.) [सं-पु.] 1. सेना का एक बड़ा अफ़सर 2. सैनिक अधिकारी का एक पद।
कर्पट (सं.) [सं-पु.] 1. पुराना, चिथड़ा या फटा हुआ कपड़ा 2. कपड़े का टुकड़ा या पट्टी 3. मटीला या लाल रंग का परिधान 4. (पुराण) एक पर्वत।

कर्पटी (सं.) [सं-पु.] 1. जो फटे-चिथड़े कपड़े पहनता हो 2. भिखारी।