कंस (सं.) [सं-पु.] 1. काँसा 2. कटोरा 3. प्राचीन भारत में आढ़क नामक तौल या माप 4. सुराही 5. मँजीरा; झाँझ 6. (पुराण) प्राचीन काल में मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र, जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था।
कंसक (सं.) [सं-पु.] 1. काँसा 2. काँसे का बरतन।
कंस-ताल (सं.) [सं-पु.] मँजीरा; झाँझ।
कंसर्ट (इं.) [सं-पु.] 1. किसी कार्यक्रम आदि में वाद्य यंत्रों की एक साथ होने वाली संगत; सांगीतिक प्रस्तुति 2. समूह वादन 3. गाने और बजाने वालों के सुर-ताल का साम्य 4. संगीत समारोह 5. साथी; संगी।
कंसल्ट (इं.) [सं-पु.] 1. परामर्श; मंत्रणा 2. हिदायत। -करना [क्रि-अ.] चिंतन करना; ध्यान करना।
कंसल्टेंट (इं.) [सं-पु.] सलाहकार; परामर्शदाता, जैसे- चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सक, विधि एवं कानून के क्षेत्र में वकील।
कंसिक (सं.) [सं-पु.] काँसे का पात्र। [वि.] काँसे से संबंधित; काँसे का।
कंसेशन (इं.) [सं-पु.] रियायत; अनुमोचन; छूट; सुविधा।
कई [वि.] 1. एक से अधिक 2. अनेक; कुछ 3. अनिश्चित किंतु अल्प मात्रा या छोटी संख्या का सूचक।
ककड़ी [सं-स्त्री.] 1. ग्रीष्म ऋतु में ज़मीन पर फैलने वाली एक बेल जिसपर खीरे की प्रजाति का एक लंबा फल लगता है 2. उक्त बेल का फल।
ककराली [सं-स्त्री.] कँखौरी; काँख में होने वाली फुंसी या फोड़ा।
ककरेजा [सं-पु.] 1. काकरेज रंग का कपड़ा 2. गहरे काले रंग में नीला रंग मिला हुआ; ककरेजी रंग।
ककरौल [सं-पु.] एक प्रकार की सब्ज़ी; ककोड़ा; खेखसा।
ककहरा [सं-पु.] 1. हिंदी वर्णमाला में 'क' से 'ह' तक के वर्णों का समूह 2. बारहखड़ी 3. वर्णमाला 4. किसी विषय का आरंभिक या ज़रूरी ज्ञान।
ककाटिका (सं.) [सं-स्त्री.] सिर का पिछला हिस्सा।
ककुंजल (सं.) [सं-पु.] चातक पक्षी; पपीहा; सारंग (ऐसी किंवदंती प्रचलित है कि चातक केवल स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा का ही जल ग्रहण करता है।
ककुंदर (सं.) [सं-पु.] नितंबों का गड्ढा; जघन-कूप।
ककुद (सं.) [सं-पु.] 1. पर्वत शिखर; पर्वत की चोटी 2. साँड़ या बैल के कंधे का डिल्ला; कूबड़ 3. राज-चिह्न। [वि.] 1. श्रेष्ठ; सर्वोत्तम 2. मुख्य; प्रधान।
ककुद्मान (सं.) [वि.] कूबड़वाला। [सं-पु.] 1. बैल 2. ऋषभ नामक दवा 3. एक प्राचीन पर्वत।
ककूना [सं-पु.] कीटों द्वारा सुरक्षा के लिए बनाया गया महीन धागों का खोल या कोया जिसमें रेशम कीट बंद रहता है; कृमि कोश।
ककेरुक (सं.) [सं-पु.] आमाशय-कृमि; उदर-कृमि।
ककैया [सं-स्त्री.] लखौरिया ईंट। [वि.] कंघी के आकार की प्राचीन ईंट।
ककोड़ा [सं-पु.] 1. एक प्रकार की लता एवं उस पर लगने वाली तरकारी या फल 2. ककोड़ा की सब्ज़ी 3. ककेड़ा; खेखसा।
ककोरा [सं-पु.] दे. ककोड़ा।
कक्कड़ [सं-पु.] 1. सुखाई गई सुरती या तंबाकू का चूरा, जिसे चिलम में सुलगाकर पिया जाता है 2. पंजाबी समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
कक्का [सं-पु.] 1. कश्मीर राज्य में स्थित प्राचीन केकय प्रदेश, जिसके निवासी कक्कड़ कहलाते हैं 2. सिख जो पाँच ककार- कंघा, कृपाण, केश, कड़ा और कच्छ (जाँघिया) रखते हैं।
कक्कुल (सं.) [सं-पु.] बकुल वृक्ष; मौलसिरी वृक्ष।
कक्कोल (सं.) [सं-पु.] कनखजूरा। [सं-स्त्री.] एक फलदार पेड़; कक्कोली।
कक्खट (सं.) [वि.] 1. ठोस; कठोर 2. जटिल; मुश्किल; कठिन।
कक्खटी (सं.) [सं-स्त्री.] खड़िया मिट्टी; सफ़ेद एवं मुलायम मिट्टी जिसका प्रयोग लिखने के लिए किया जाता है।
कक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी इमारत का भीतरी कमरा; घर; कोठरी 2. रनिवास; अंतःपुर 3. जंगल का अंदरूनी भाग 4. सूखी घास 5. नाव का एक भाग 6. काँख; काँछ 7. कखौरी 8. तराज़ू का पलड़ा 9. पाप; दोष 10. धोती, चादर, दुपट्टा आदि का आँचल 11. दलदली ज़मीन 12. कमरबंद 13. काछ; कछोटा; लाँग 14. कछार।
कक्षपट (सं.) [सं-पु.] 1. कौपीन 2. कमर में पहनने का वस्त्र 3. लाँग।
कक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिधि; घेरा; दायरा 2. अंतरिक्ष में ग्रहों के परिभ्रमण का गोलाकार पथ; (ऑरबिट) 3. विद्यार्थियों का वर्ग या श्रेणी जिसमें एक साथ बैठाकर शिक्षा दी जाती है; दर्जा 4. घर की दहलीज़ 5. नाभिक की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉन का परिभ्रमण मार्ग।