कचोट [सं-स्त्री.] 1. कचोटने का भाव 2. रह-रह कर मन में दुख का अनुभव होना; टीस पहुँचना। [मु.] -उठना : व्यथित हो उठना।
कचोटना [क्रि-अ.] 1. चुभना; पीड़ा देना; गड़ना 2. किसी दुखद घटना का बार-बार स्मरण होना 3. टीस उठना 4. किसी की याद में तड़पना।
कचोना [क्रि-स.] 1. चुभाना 2. गड़ाना 3. धँसाना।
कचौड़ी [सं-स्त्री.] मसालेदार आलू, बेसन या उड़द दाल की पीठी भरकर बनाई गई पूड़ी; आटे या मैदे की छोटी-छोटी लोई के अंदर विभिन्न मसालों को भरकर बनाई गई पूड़ी जैसी खाद्य वस्तु ; कचौरी।
कच्चर (सं.) [वि.] 1. बुरी प्रकृति का इंसान; दुष्ट 2. मैला-कुचैला; गंदा।
कच्चा (सं.) [वि.] 1. जो पका न हो; अधपका, हरा (फल) 2. जो आँच पर पूरी तरह पका या पकाया न गया हो 3. प्राकृतिक या मूल रूपवाला 4. अपरिपक्व; अनुभवहीन; अर्धविकसित; अनाड़ी 5. जिसमें धैर्य, दृढ़ता, साहस आदि का अभाव हो 6. असुरक्षित; अस्थिर 7. अप्रशिक्षित। [मु.] -चिट्ठा खोलना : असलियत प्रकट करना या खोलना। -होना : किसी विद्या, हुनर आदि में निपुण न होना।
कच्चा कागज़ (हिं.+अ.) [सं-पु.] 1. वह लेख या दस्तावेज़ जिसका पंजीकरण (रजिस्ट्री) न हुआ हो; मसौदा; प्रालेख 2. तेल आदि तरल पदार्थ छानने का कागज़।
कच्चा काम [सं-पु.] 1. किसी चीज़ या काम हेतु खड़ा किया हुआ आरंभिक ढाँचा 2. कच्चे गोटे या कलाबत्तू (रेशम पर सुनहले तार लपेटकर बनाया हुआ डोरा या फ़ीता) इत्यादि का काम।
कच्चा घड़ा [सं-पु.] 1. मिट्टी का घड़ा जो आँवें पर पका न हो, केवल धूप में सुखाया गया हो 2. {ला-अ.} नौसिखिया; जिसे अनुभव न हो; अकुशल 3. {ला-अ.} संस्कार लेने वाला बालक। [मु.] कच्चे घड़े में पानी भरना : श्रम और अर्थ दोनों व्यर्थ जाना, दोहरी हानि होना।
कच्चा चिट्ठा [सं-पु.] 1. वह विवरण या वृत्तांत जिसमें किसी के बारे में गोपनीय तथ्य या किसी कमज़ोरी का पता चलता हो; किसी के दोषों का उद्घाटन 2. वह ब्योरा जिसमें सब कुछ ज्यों-का-त्यों कह दिया जाए; संपूर्ण विवरण; सत्य-कथा 3. किसी संस्थान के आय-व्यय का बिना सत्यापित किया हुआ लेखा।
कच्चा टाँका [सं-पु.] 1. राँगे या मुलायम धातु का जोड़; कच्चा जोड़ 2. धागे से हाथ द्वारा की गई सिलाई।
कच्चा तागा [सं-पु.] 1. वह धागा जो बटा न हो 2. {ला-अ.} कमज़ोर या नाज़ुक चीज़।
कच्चा-पक्का [वि.] 1. जल्दबाज़ी में किया गया काम 2. सिझा-अनसिझा (अन्न, सब्ज़ी आदि) 3. आधा-अधूरा (कार्य)।
कच्चा माल [सं-पु.] वे कृषि उत्पाद या खनिज पदार्थ जो अपने आरंभिक या प्राकृतिक रूप में हों और जिनसे मशीनी या औद्योगिक प्रक्रिया के पश्चात कोई उत्पाद बनाया जाता हो।
कच्चा लोहा [सं-पु.] 1. वह लोहा जिससे अन्य वस्तुएँ बनाई जाती हैं 2. वह अपरिष्कृत लोहा जिससे इस्पात और पिटवाँ लोहा बनाया जाता है।
कच्चा हाथ [सं-पु.] अप्रशिक्षित या अनभ्यस्त व्यक्ति।
कच्ची कली [सं-स्त्री.] 1. अनखिली कली 2. वह स्त्री जो पूर्णरूप से युवा न हुई हो; किशोरी।
कच्ची कुर्की (हिं.+तु.) [सं-स्त्री.] किसी मुकदमे का फ़ैसला होने से पहले की जाने वाली कुर्की (कब्ज़ा) ताकि प्रतिवादी अपना सामान हटा न ले।
कच्ची गोटी [सं-स्त्री.] चौसर के खेल में वह गोटी जिसने अभी आधा रास्ता पार न किया हो; कच्ची गोली। [मु.] -खेलना : गैर समझदारी से किया गया काम जिसमें आगे चलकर धोखा खाना पड़े।
कच्ची चीनी [सं-स्त्री.] गन्ने के रस या राब (गाढ़ी चाशनी) से बनाई जाने वाली चीनी; थोड़े गहरे रंग की चीनी; अशुद्ध शक्कर; खाँड़।
कच्ची नकल [सं-स्त्री.] किसी कार्यालय या विभाग के किसी दस्तावेज़ की वह प्रतिलिपि जो अनाधिकारिक या व्यक्तिगत तौर पर ली गई हो तथा जिसपर सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर या मुहर इत्यादि न लगे हों।
कच्ची पेशी [सं-स्त्री.] किसी अभियोग की वह पहली पेशी जिसमें निर्णय नहीं होता।
कच्ची बही [सं-स्त्री.] 1. वह बही जिसमें कच्चा हिसाब लिखा जाता है 2. याददाश्त के लिए लिख कर रखा गया हिसाब।
कच्ची रसोई [सं-स्त्री.] केवल पानी में पका हुआ भोजन; वह व्यंजन जो दूध, घी, तेल आदि में न पकाया गया हो।
कच्ची सड़क [सं-स्त्री.] 1. वह सड़क जो कंकड़-पत्थर, गिट्टी आदि से बनी हुई न हो; ऊबड़-खाबड़ सड़क 2. निर्माणाधीन मार्ग।
कच्ची सिलाई [सं-स्त्री.] 1. बखिया करने से पहले के अस्थायी टाँके जो कपड़े के जोड़ के लिए लगाए जाते हैं और बाद में खोल दिए जाते हैं 2. पुस्तकों की जिल्दसाज़ी के पहले की गई सिलाई।
कच्छ (सं.) [सं-पु.] 1. कछार; बड़े जलस्रोत के किनारे की ज़मीन; दलदल ज़मीन 2. भारत के गुजरात प्रदेश का प्रसिद्ध अंतरीप अर्थात भूमि का सँकरा विस्तार जो समुद्र में दूर तक गया हो 3. तुन का पेड़ जिसकी लकड़ी शीघ्रता से जलती है।
कच्छप (सं.) [सं-पु.] 1. कछुआ 2. (पुराण) विष्णु के दस अवतारों में से एक 3. कुबेर की नौ निधियों में से एक 4. वह भबका अर्थात अर्क खींचने का यंत्र जिससे शराब बनाई जाती है 5. छंद का एक भेद जिसमें आठ गुरु और बत्तीस लघु होते हैं 6. एक रोग जिसमें तालु में गाँठ निकल आती है; बतौड़ी।