आशिक-मिज़ाज (अ.) [वि.] जिसके मन-मिज़ाज में आशिकी भरी हो; हमेशा प्रेम या इश्क फ़रमाने वाला; विलासी; प्रेमप्रवण।
आशिकाना (अ.+फ़ा.) [वि.] आशिकों जैसा अंदाज़ या व्यवहार; प्रेमिल स्वभाव; अनुरागमय।
आशिकी (अ.) [सं-स्त्री.] आशिक होने की क्रिया या भाव; प्रेमासक्ति।
आशियाना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. पक्षी का घोंसला 2. {ला-अ.} प्यार और शौक से बनाया गया रहने का ठिकाना; बसेरा; घर।
आशिर (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; सूरज; प्रभाकर 2. अग्नि 3. राक्षस।
आशिष (सं.) [सं-स्त्री.] दे. आशीष।
आशी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. साँप का विषैला दाँत 2. सर्प विष 3. असीस। [वि.] जिसके दाँत में विष हो।
आशीर्वचन (सं.) [सं-पु.] किसी की मंगल कामना के लिए कहे गए शुभ वचन; आशीर्वाद; आशीष; मंगल कामना।
आशीर्वाद (सं.) [सं-पु.] आशीष; बड़ों का छोटों के लिए शुभ उद्गार; कल्याण एवं मंगलकामना; दुआ।
आशीष (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी के कल्याण, सफलता आदि के लिए कामना करना; आशीर्वाद; मंगल कामना 2. (काव्यशास्त्र) एक अलंकार जिसमें आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना होती है।
आशु (सं.) [वि.] तेज़; त्वरित; क्षिप्र। [क्रि.वि.] 1. तेज़ी से; त्वरित गति से; क्षिप्रता से 2. जल्द; शीघ्र; तुरंत। [सं-पु.] 1. घोड़ा 2. भादो माह में पकने वाला धान।
आशुकवि (सं.) [सं-पु.] झटपट कविता करने वाला; तत्काल कविता बना कर पाठ करने वाला कवि।
आशुकविता (सं.) [सं-स्त्री.] तुरंत बनाई जाने वाली कविता।
आशुटंकक (सं.) [सं-पु.] आशुलिपि से टंकण करने वाला व्यक्ति; शॉर्ट हैंड टंकक; (स्टेनोग्राफ़र)।
आशुतोष (सं.) [सं-पु.] शिव; शंकर; महादेव। [वि.] 1. शीघ्र संतुष्ट होने वाला 2. जो जल्दी प्रसन्न हो जाए।
आशुलिपि (सं.) [सं-स्त्री.] सुनी हुई बात को शीघ्रता से लिख लेने में सहायक संकेत लिपि; शीघ्रलिपि; (शॉर्टहैंड)।
आशुलिपिक (सं.) [सं-पु.] आशुलिपि की सहायता से सुनी हुई बात को तुरंत लिख लेने वाला व्यक्ति; (स्टेनोग्राफ़र)।
आश्चर्य (सं.) [सं-पु.] 1. विस्मय 2. अद्भुत रस का स्थायी भाव 3. अचरज; अचंभा 4. हैरानी।
आश्चर्यचकित (सं.) [वि.] विस्मित; अचंभित; हैरान।
आश्चर्यजनक (सं.) [वि.] अचंभा पैदा करने वाला; आश्चर्य का द्योतन करने वाला; अचरज में डालने वाला।
आश्मिक (सं.) [वि.] 1. पत्थर से संबद्ध; पाषाण निर्मित 2. पत्थर ढोने वाला।
आश्रम (सं.) [सं-पु.] 1. ऋषियों-मुनियों के रहने का स्थान; जहाँ जीवन पद्धति में श्रम की प्रधानता हो; साधु संतों की कुटी; मठ; तपोवन 2. जीवन जीने की विभिन्न अवस्थाएँ (ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ एवं सन्यास) 3. विद्यालय।
आश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. सहारा; शरण 2. वह वस्तु जिसके सहारे दूसरी वस्तु हो; आधार वस्तु; आधार 3. संरक्षण 4. रहने, ठहरने या विश्राम आदि करने का सुरक्षित स्थान; ठिकाना 5. सानिध्य 6. बौद्ध धर्म में पाँच ज्ञानेंद्रियाँ और मन जिनमें सुख-दुख तथा उनके आधारों की अनुभूति होती है।
आश्रयण (सं.) [सं-पु.] किसी का आश्रय या सहारा लेने अथवा किसी को आश्रय या सहारा देने की क्रिया या भाव।
आश्रयदाता (सं.) [वि.] 1. आश्रय या सहारा देने वाला 2. प्रश्रय देने वाला; आधार या आसरा देने वाला 3. देखरेख करने वाला; संरक्षक।
आश्रयहीन (सं.) [वि.] बेसहारा। [सं-पु.] बेसहारा व्यक्ति।
आश्रयी (सं.) [वि.] 1. आश्रय लेने वाला; आश्रित होने वाला 2. किसी के सहारे ठहरा या टिका हुआ 3. अवलंबी।
आश्रव (सं.) [सं-पु.] 1. प्रतिज्ञा; वचन 2. धारा; प्रवाह 3. सरिता; नदी 4. कसूर; अपराध; दोष 5. (बौद्ध धर्म) वह जो किसी के बंधन का कारण हो 6. (जैन धर्म) मन, वचन और शरीर से किए हुए कर्म का संस्कार 7. उबलते हुए चावल का फेन।
आश्रित (सं.) [वि.] 1. आश्रय में आया हुआ; सहारा लिया हुआ 2. किसी के आश्रय या सहारे टिका या ठहरा हुआ; अवलंबित 3. निर्भर; किसी के अधीन या भरोसे पर रहने वाला।
आश्रुत (सं.) [वि.] 1. जो सुना हुआ हो; आकर्णित 2. जिसके संबंध में कोई प्रतिज्ञा की गई हो या वचन दिया गया हो; प्रतिज्ञात 3. अंगीकार किया हुआ; अंगीकृत; स्वीकृत; गृहीत।
आश्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिज्ञा करने या वचन देने की क्रिया 2. सुनने की क्रिया या भाव 3. किसी से कुछ लेने की क्रिया; ग्रहण; आदान; अंगीकार करने की क्रिया।
आश्लिष्ट (सं.) [वि.] 1. जो जुड़ा, सटा या लगा हुआ हो; संयुक्त; संबद्ध 2. आलिंगन किया हुआ; आलिंगित।
आश्लेष (सं.) [सं-पु.] 1. लगाव 2. संबंध 3. आलिंगन।
आश्लेषण (सं.) [सं-पु.] 1. मेल; संयोग 2. आलिंगन 2. अवलंबन।
आश्लेषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्ताईस नक्षत्रों में से नवाँ नक्षत्र 2. वह समय जब चंद्रमा अश्लेषा नक्षत्र में होता है।
आश्व (सं.) [वि.] अश्व संबंधी; घोड़े से संबंध रखने वाला घोड़ों द्वारा खींचा जाने वाला।
आश्वस्त (सं.) [वि.] 1. जिसे आश्वासन या तसल्ली दी गई हो 2. जिसे प्रोत्साहन मिला हो 3. जिसकी बैचनी या घबराहट दूर हो गई हो 4. उत्साहित।
आश्वस्तता (सं.) [सं-स्त्री.] निश्चिंतता; आश्वस्त होने की स्थिति या भाव; सांत्वना; तसल्ली का भाव।
आश्वस्ति (सं.) [सं-स्त्री.] आश्वस्त होने की क्रिया; सांत्वना; तसल्ली का भाव।
आश्वासन (सं.) [सं-पु.] दिलासा; सांत्वना; सहयोग हेतु वचन देना; भय निवारण।
आश्विन (सं.) [सं-पु.] दे. अश्विन।