आषाढ़ीय (सं.) [वि.] 1. आषाढ़ मास से संबंधित 2. आषाढ़ नक्षत्र में उत्पन्न।
आसंग (सं.) [सं-पु.] 1. आसक्त होने की क्रिया, अवस्था या भाव; लिप्सा; आसक्ति; (अटैचमेंट) 2. संग रहने की क्रिया; संगति; संसर्ग; सोहबत 3. दो वस्तुओं में किसी प्रकार का संपर्क बतलाने वाला तत्व; लगाव; अनुबंध 4. स्वकर्तृत्व का अभिमान 5. संलग्नता; संदर्भ। [वि.] अविच्छिन्न; अबाधित। [अव्य.] लगातार; बराबर।
आसंजन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के साथ अच्छी-तरह जोड़ना या बाँधना 2. उलझ या फँस जाना 3. किसी अपराधी या ऋणी की संपत्ति पर न्यायालय की आज्ञा से होने वाला वह अधिकार जो अर्थदंड चुकाने के लिए होता है; कुर्की; (अटैचमेंट) 4. किसी सतह से चिपक जाना।
आसंजित (सं.) [वि.] जिसका आसंजन हुआ हो; कुर्क किया हुआ (संपत्ति); (अटैच्ड)।
आसंदी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बैठने का कुछ ऊँचा छोटा आसन 2. खटोला; मचिया 3. आराम-कुरसी 4. वेदी 5. आशा; उम्मीद 6. सहारा; आधार 7. लालसा; कामना।
आस (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशा; भरोसा 2. कामना 3. सहारा। [मु.] -टूटना : निराश होना। -तकना : प्रतीक्षा करना। -बाँधना : उम्मीद करना।
आसक्त (सं.) [वि.] 1. अनुरक्त 2. किसी पर बहुत अधिक अनुराग करने वाला; मोहित 3. किसी में लीन; लिप्त (विषयासक्त)।
आसक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसक्त होने की अवस्था या भाव 2. अनुरक्ति; अनुराग; लगन; लिप्तता; (अटैचमेंट)।
आसत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामीप्य; निकटता 3. वाक्य में संबद्ध पदों की निकटता 4. मेल 5. प्राप्ति।
आसन (सं.) [सं-पु.] 1. मूँज, कुश, ऊन आदि से निर्मित छोटी चटाई 2. योगासनादि में बैठने की मुद्रा 3. कामशास्त्र में वर्णित काम की चौरासी मुद्राएँ 4. साधु-संतों के रहने तथा ठहरने का स्थान 5. छह प्रकार की परराष्ट्र नीति में से एक 'उपेक्षा की नीति'। [मु.] -उखड़ना : अपने स्थान से हिल जाना।-जमना : एक ही स्थान पर देर तक बैठना। -जमाना : अडिग भाव से जमकर बैठना। -देना : आदर-सत्कार करना। -डोलना : किसी कारणवश मन का विचलित होना।
आसनी (सं.) [सं-स्त्री.] कुश या कपड़े का बना छोटा आसन; बैठने की छोटी चटाई।
आसन्न (सं.) [वि.] 1. निकट या नज़दीक आया हुआ; समीपस्थ 2. उपस्थित।
आसपास (सं.) [अव्य.] 1. निकट; नज़दीक; करीब 2. अगल-बगल; करीब; पास में 3. चारों ओर।
आसमाँ (फ़ा.) [सं-पु.] दे. आसमान।
आसमान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. आकाश; आसमाँ 2. स्वर्ग। [मु.] -के तारे तोड़ना : असंभव काम करना। -पर चढ़ना : स्वयं को बहुत ऊँचा या बड़ा समझना। -पर चढ़ाना : किसी की बहुत प्रशंसा कर अभिमानी बनाना। -से बात करना : बहुत अधिक ऊँचा होना।
आसमानी (फ़ा.) [वि.] 1. आसमान जैसा हलका नीला 2. आकाशीय; आसमान का। [सं-पु.] हलका नीला रंग। [सं-स्त्री.] ताड़ी।
आसरा [सं-पु.] 1. उम्मीद; आस; आशा 2. सहारा; अवलंब 3. शरण 4. सहायक 5. आश्रय; आधार।
आसव (सं.) [सं-पु.] 1. रस 2. अर्क 3. शराब; मदिरा 4. (आयुर्वेद) जड़ी-बूटियों से तैयार औषधीय मद्य, जैसे- कनकासव; द्राक्षासव।
आसवन (सं.) [सं-पु.] 1. द्रव को वाष्प में और वाष्प को फिर से द्रव में परिवर्तन की क्रिया 2. अर्क, शराब आदि चुआने या टपकाने की क्रिया; (डिस्टिलेशन)।
आसवनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसवन करने का उपकरण या पात्र 2. आसवन का स्थान।
आसा (अ.) [सं-पु.] बरात और जुलूस के आगे चोबदार द्वारा लेकर चला जाने वाला सोने या चाँदी का डंडा।
आसान (फ़ा.) [वि.] सरल; जो कठिन न हो; सहज।
आसानी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सरलता; सुगमता।
आसाम (सं.) [सं-पु.] प्राचीन कामरूप देश; असम राज्य।
आसामी [सं-पु.] 1. काश्तकार 2. कर्ज़दार 3. मुलज़िम 4. आसाम का निवासी; आसामवासी। [सं-स्त्री.] आसाम की भाषा (असमिया)। [वि.] आसाम संबंधी; आसाम का।
आसार1 (सं.) [सं-पु.] 1. संभावना; उम्मीद 2. मूसलाधार वृष्टि 3. आक्रमण; शत्रु को घेर लेना 4. राजकीय सेना 5. रसद 6. मित्र।
आसार2 (अ.) [सं-पु.] 1. लक्षण; चिह्न 2. खंडहर 3. नींव; दीवार की चौड़ाई 4. 'असर' का बहुवचन 5. पदचिह्न।
आसावरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रातःकाल गाई जाने वाली श्रीराग की एक रागिनी 2. एक ख़ास तरह का सूती कपड़ा। [सं-पु.] कबूतर की एक जाति।
आसित (सं.) [वि.] 1. आराम से बैठा हुआ 2. सुखासीन। [सं-पु.] आसन।
आसीन (सं.) [वि.] आरूढ़; बैठा हुआ।
आसुत (सं.) [वि.] आसवन किया हुआ; आसवित; चुआया हुआ।
आसुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसवन करने की क्रिया 2. काढ़ा 3. प्रसव।
आसुर (सं.) [वि.] 1. असुर संबंधी 2. असुरों की तरह का; यज्ञ न करने वाला। [सं-पु.] 1. राक्षस 2. रक्त 3. काला नमक।
आसुर विवाह (सं.) [सं-पु.] आठ प्रकार के विवाहों में से एक जिसमें वर कन्या के माता-पिता को धन देकर कन्या को ख़रीदता है।
आसुरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राक्षसी; दानवी 2. राई; काली सरसों। [वि.] असुरों जैसी, जैसे- आसुरी शक्ति।
आसूदगी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. सुख-शांति 2. संपन्नता 3. तुष्टि।
आसूदा (फ़ा.) [वि.] 1. बेफ़िक्र; निश्चिंत 2. संतुष्ट; तृप्त।
आसेचन (सं.) [सं-पु.] 1. तर करना; भिगोना 2. सींचना; सिंचाई।
आसेचनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आसेचन करने का उपकरण या पात्र 2. छोटा पात्र।
आसेध्य (सं.) [वि.] 1. रोकने या प्रतिबंधित करने योग्य 2. राजकीय प्रतिबंध के योग्य।
आसेब (फ़ा.) [सं-पु.] 1. भूतबाधा 2. चोट; कष्ट।
आसेवन (सं.) [सं-पु.] 1. सतत सेवन 2. बार-बार होने का भाव 3. संपर्क।
आसेवित (सं.) [वि.] 1. आसेवन किया हुआ 2. बार-बार किया हुआ 3. संपर्क में आया हुआ।
आसेव्य (सं.) [वि.] 1. सेवन के योग्य 2. बार-बार जाकर देखने योग्य।
आसोज (अ.) [सं-पु.] क्वार का महीना; अश्विन मास।
आस्कंद (सं.) [सं-पु.] 1. आक्रमण 2. नाश 3. युद्ध 4. आरोहण 5. घोड़े की सरपट चाल 6. रौंदना 7. तिरस्कार; गाली।
आस्कंदी (सं.) [वि.] 1. आक्रमणकारी; आक्रांता 2. नष्ट करने वाला 3. गाली देने वाला।
आस्तर (सं.) [सं-पु.] 1. आच्छादन; आवरण 2. बिछाने की कोई चीज़, जैसे- गद्दा, चटाई 3. कालीन; गलीचा 4. हाथी की झूल।
आस्तरण (सं.) [सं-पु.] 1. बिछाने, फैलाने या ढकने की क्रिया या भाव 2. दरी; गद्दा; गलीचा 3. यज्ञ की वेदी पर फैलाए हुए कुश 4. हाथी की पीठ पर बिछाया जाने वाला चादर; झूल।
आस्तिक (सं.) [वि.] ईश्वर तथा परलोक के अस्तित्व में विश्वास करने वाला।
आस्तिकता (सं.) [सं-स्त्री.] ईश्वर, परलोक और पुनर्जन्म में विश्वास करने का भाव।
आस्तीक (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) एक ऋषि जिन्होंने जनमेजय के नागयज्ञ में तक्षक नामक सर्प को भस्म होने से बचाया था।
आस्तीन (फ़ा.) [सं-स्त्री.] कुर्ते, ब्लाउज़ आदि की बाँह। [मु.] -चढ़ाना : लड़ने को तैयार रहना। -का साँप : अपने या निकट व्यक्ति द्वारा धोखा देना।
आस्थगन (सं.) [सं-पु.] 1. सभा की बैठक, सुनवाई या अन्य किसी काम को किसी दूसरे समय या दूसरी जगह के लिए रोक देने की क्रिया या भाव; स्थगन 2. लागू होने के बाद कुछ समय के लिए रोक देना; कुछ समय का स्थगन; (अबेयंस)।
आस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. धार्मिक विश्वास 2. निष्ठा; धारणा; आलंबन 3. श्रद्धा; मूल्य 4. आशा 5. सभा 6. वचन 7. प्रयत्न।
आस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. स्थान; जगह 2. दरबार; सभा 3. सभागृह; मनोरंजनगृह।
आस्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी तरह से स्थापित करने की क्रिया 2. बलदायक औषधि 3. स्नेहवस्ति।
आस्थावाद (सं.) [सं-पु.] 1. वह सिद्धांत या मत जिसमें ज्ञान के प्रत्येक रूप को आस्था या श्रद्धा की मान्यताओं पर निर्भर या आधारित मान लिया जाता है; श्रद्धावाद।
आस्थावादी (सं.) [वि.] आस्थावाद का समर्थक और अनुयायी।
आस्थावान (सं.) [वि.] आस्था रखने वाला; आस्था से युक्त।
आस्पद (सं.) [सं-पु.] 1. पात्र 2. आधार 3. आवास; जगह; स्थान 4. जन्मकुंडली में लग्न से दसवाँ स्थान।
आस्फालन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को पीछे हटाने के लिए ढकेलना, दबाना या रगड़ना 2. संघर्ष 3. आत्मश्लाघा; डींग 4. अहंकार; घमंड 5. हाथी द्वारा कानों का फड़फड़ाना 6. धीरे-धीरे चलाने या हिलाने की क्रिया।
आस्फोट (सं.) [सं-पु.] 1. ताल ठोकने या ताली बजाने की आवाज़ 2. अस्त्र-शस्त्रों की खड़खड़ाहट या झंकार 3. धक्का; रगड़ 4. काँपना; हिलना 5. अखरोट।
आस्फोटक (सं.) [वि.] 1. आस्फोट करने वाला 2. ताल ठोकने या ताली बजाने वाला।
आस्फोटन (सं.) [सं-पु.] 1. ताल ठोकना 2. प्रकट या व्यक्त करने की क्रिया 3. हिलाना-डुलाना 4. फैलना; फूलना 5. विकास।
आस्माँ (फ़ा.) [सं-पु.] आसमान।
आस्रव (सं.) [सं-पु.] 1. वह बड़ी नाली जिससे वर्षा का पानी या मैला पानी आदि बहता है 2. पकते चावल के ऊपर का झाग या फेन 3. (जैन धर्म) आत्मा की शुभ और अशुभ गतियाँ 4. मन में उत्पन्न होने वाला विकार 5. मन की वह अप्रिय और कष्ट देने वाली अवस्था या बात जिससे छुटकारा पाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
आस्वाद (सं.) [सं-पु.] खाने-पीने की चीज़ मुँह में पड़ने पर उससे जीभ को होने वाला अनुभव; स्वाद; ज़ायका; लज़्ज़त।
आस्वादन (सं.) [सं-पु.] 1. स्वाद; स्वाद लेना 2. रस 3. मज़ा 4. चखना 5. रसानुभव।
आस्वादित (सं.) [वि.] 1. स्वाद लिया हुआ; जिसका आस्वादन हुआ हो 2. चखा हुआ।