Hin Dict_E2 - हिंदी शब्दकोश - ए2

एकत्व (सं.) [सं-पु.] एकता; एक होने का भाव।
एकत्ववाद [सं-पु.] (समाजशास्त्र) मानव और प्रकृति के संबंध के विषय में एक सिद्धांत।
एकदंडिन (सं.) [सं-पु.] हाथ में एक डंडा या लाठी धारण करने वाले संन्यासियों या भिक्षुकों का एक समुदाय; 'हंस' पदवीधारी संन्यासी।
एकदंडी (सं.) [सं-पु.] शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संन्यासियों में से प्रथम तीन (तीर्थ, आश्रम एवं सरस्वती)।
एकदंत (सं.) [सं-पु.] वह जिसके केवल एक दाँत हो; गणेश (पुराण के अनुसार परशुराम द्वारा फेंके गए परशु से गणेश का एक दाँत टूट गया, उसी समय से गणेश जी एकदंत कहलाए)।
एकदंता (सं.) [वि.] एक दाँतवाला। [सं-पु.] एक दाँत वाला हाथी।
एकदम [क्रि.वि.] 1. नितांत; बिलकुल; पूरी तरह, जैसे- एकदम तैयार 2. अचानक; अकस्मात; अभी; एकबारगी, जैसे- वह एकदम आ पहुँचा 3. तत्काल; तुरंत, जैसे- एकदम चल दो।
एकदरा (हिं.+फ़ा.) [वि.] जो एक ही दर अर्थात द्वारवाला हो; एक ही दरवाज़ेवाला (दालान, कमरा या बैठक)।
एकदलीय [वि.] एक ही दल का; सामान्यतः संख्या की दृष्टि से एक राजनीतिक दल के संदर्भ में प्रयुक्त, जैसे- एकदलीय सरकार; 'बहुदलीय' का विलोम।
एकदस्ती (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] कुश्ती का एक दाँव (पेंच) जिसमें बाएँ हाथ से विरोधी पहलवान का एक हाथ कलाई के पास से पकड़ कर दाहिने हाथ से उसे ज़मीन पर गिराया जाता है।

एकदा (सं.) [अव्य.] 1. एक बार; एक समय 2. कभी; किसी समय 2. किसी बीते हुए समय में कभी।
एकदिल (हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. अभिन्न; एक जैसे विचारवाला 2. वे पदार्थ जो एक दूसरे में मिलकर बिलकुल एक जैसे हो गए हों; एकरूप 3. एकचित्त 4. अंतरंग।
एकदिली (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अभिन्नता; अंतरंगता 2. एकरूपता 3. एकदिल होने की अवस्था या भाव; एका।
एकदिश (सं.) [वि.] 1. एक दिशा में होने वाला 2. एक ही दिशा से संबंधित 3. रैखिक।
एकदृक (सं.) [वि.] 1. एक आँखवाला; काना 2. समदर्शी। [सं-पु.] 1. कौआ 2. (पुराण) शिव 3. {व्यं-अ.} दार्शनिक।
एकदृष्टि (सं.) [वि.] 1. एक आँखवाला; काना; एकदृक; एकदृश 2. समदर्शी [सं-पु.] 1. कौआ 2. (पुराण) शिव 3. {व्यं-अ.} दार्शनिक।
एकदेशीय (सं.) [वि.] 1. जिसका संबंध किसी एक देश अर्थात क्षेत्र या विभाग से हो 2. वह नियम या सिद्धांत जिसका प्रयोग किसी विशेष क्षेत्र या पक्ष में ही होता है, जैसे- व्याकरण आदि के नियम।
एकदेशीय समास (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) षष्ठी तत्पुरुष समास का एक भेद।
एकदेह [सं-पु.] 1. (पुराण) चंद्रमा का पुत्र बुध 2. कुल; वंश; गोत्र 3. विवाहित युगल; दंपती।
एकधर्मा (सं.) [वि.] समान धर्म, गुण या स्वभाव वाला, जैसे- (नायिका का) मुख और चाँद एकधर्मा हैं।
एकधर्मी (सं.) [वि.] एकधर्मा।
एकनयन [वि.] 1. एक आँखवाला; काना; एकाक्ष 2. सबसे समान व्यवहार करने वाला। [सं-पु.] 1. (पुराण) शिव 2. कुबेर 3. कौआ 4. शुक्र ग्रह।

एकनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. एक के ही ऊपर श्रद्धा या अनुराग रखने वाला; अनन्योपासक 2. किसी एक ही कार्य को पूरी लगन से करने वाला, जैसे- एकनिष्ठ संगीत साधक 3. अटल; अडिग 4. दृढ़; कटिबद्ध।
एकनेत्र (सं.) [वि.] एक आँखवाला; काना। [सं-पु.] शिव।
एकपक्षी (सं.) [वि.] किसी एक ही पक्ष से संबंध रखने वाला (कार्य, फ़ैसला आदि); एकांगी; एकतरफ़ा; (युनिलेटरल)।
एकपक्षीय (सं.) [वि.] एकपक्षी; एकतरफ़ा; केवल एक तरफ़ से होने या किया जाने वाला।
एकपद (सं.) [सं-पु.] 1. (वृहत्संहिता) एक प्राचीन देश 2. कैलास 3. मोक्ष लोक; वैकुंठ 4. कामशास्त्र में उल्लिखित एक बंध विशेष। [वि.] एक पैर से पंगु; लँगड़ा।
एकपदी [वि.] एक पदवाला; एक चरण वाला (छंद या पद्य)।
एकपर्णा (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) भोजन के रूप में एक ही पत्ते पर निर्वाह करने वाली; दुर्गा; एकपर्णी; पार्वती।
एकपाटला (सं.) [सं-स्त्री.] दुर्गा का एक नाम; पाटलावती।
एकपाद (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; महादेव 2. विष्णु। [वि.] 1. लँगड़ा 2. एक टाँग वाली (वस्तु)।
एकपार्श्विक (सं.) [वि.] 1. एक ओर का 2. एक पक्ष का 3. एक पहलू का।
एकपुष्पी (सं.) [वि.] (वनस्पतिविज्ञान) एक बीज या कोशवाला, जैसे- मक्का का पौधा जिसमें एक ही पुष्प में नर-मादा दोनों होते हैं।
एकप्राण (सं.) [वि.] 1. एकाकार; एकदिल 2. जो मिलकर एक हो गए हों 3. घनिष्ठ; अंतरंग; अभिन्नहृदय।
एकफ़सला (फ़ा.) [वि.] वह (खेत या भूमि) जिसमें वर्ष भर में एक ही फ़सल होती है; एकफ़सली।

एकबाँझ (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसके एक ही बच्चा पैदा हुआ हो; काकवंध्या।
एकबारगी (फ़ा.) [अव्य.] 1. एकाएक; अकस्मात; अचानक 2. बिलकुल; निरा; पूरी तरह से 3. एक ही साथ; एक ही समय में।
एकभुक्त (सं.) [वि.] 1. एक के द्वारा भोग किया जाने वाला 2. दिन-रात में एक ही बार भोजन करने वाला; एकाहारी। [सं-पु.] एक बार भोजन करने का व्रत।
एकमंज़िला (हिं.+फ़ा.) [वि.] जिस (मकान) में एक ही तल या मंज़िल हो; एकतल्ला।
एकमत (सं.) [वि.] किसी विषय पर एक राय रखने वाले; समान विचार वाले; सहमत।
एकमात्र (सं.) [वि.] 1. केवल; सिर्फ़ 2. इकलौता; अकेला 3. अद्वितीय।
एकमात्रिक (सं.) [वि.] 1. (काव्यशास्त्र) जिस (छंद) में एक ही मात्रा हो; एक मात्रावाला 2. ह्रस्व।
एकमुखी (सं.) [वि.] एक मुखवाला, जैसे- एकमुखी रुद्राक्ष।
एकमुश्त (फ़ा.) [अव्य.] इकट्ठा; सारा का सारा; एक साथ; जो किस्तों में न हो।
एकमेक (सं.) [वि.] 1. जो किसी से मिलकर उसके जैसा हो गया हो; एकाकार; एकरस; अद्वैत 2. मिश्रित।
एकमेव (सं.) [क्रि.वि.] एक ही; एकमात्र।
एकरंग (सं.) [वि.] 1. एक ही रंग का; जिसमें सब जगह एक ही रंग हो 2. एक समान; एक सा; जिसमें वैविध्य न हो 3. {ला-अ.} सच्चा; निष्कपट।

एकरस (सं.) [वि.] 1. जो सदा एक सा रहे; जो कभी बदले नहीं; सदा एक ही रूप का 2. जो घुल-मिलकर एक हो गया हो; एकदिल 3. नीरस; उबाने वाला; बोर करने वाला।
एकरसता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एकरस होने का भाव या अवस्था 2. सामंजस्य 3. ऊब।
एकराय [वि.] सर्वसहमत; एकमत।
एकरूप (सं.) [वि.] 1. जहाँ एक से अधिक वस्तुएँ रूप, रंग, आकार, प्रकार आदि में बिलकुल मिलती-जुलती या एक जैसी हों 2. हर स्थिति में समान रहने वाला; जिसमें कोई विकार या परिवर्तन न आए।
एकरूपता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एकरूप होने की अवस्था या भाव 2. सादृश्य; समानता 3. ऐसी स्थिति जिसमें कोई परिवर्तन न हो।

एकरेखीय (सं.) [वि.] 1. सरल रेखा में होने वाला; एक ही रेखा में होने वाला 2. जो निरंतर उन्नति की ओर हो।