Hin Dict_E3 - हिंदी शब्दकोश - ए3

एकल (सं.) [वि.] 1. अकेला; जिसके साथ कोई दूसरा न हो; एकाकी 2. अनुपम; अद्वितीय; बेजोड़ 3. किसी खेल (टेनिस आदि) या कला (गायन, वादन, नृत्य, चित्रकला आदि) का वह प्रदर्शन जिसमें केवल एक व्यक्ति भाग लेता है, जैसे- महिला एकल मैच।
एकलव्य (सं.) [सं-पु.] भील जाति का एक कुमार जिसने द्रोणाचार्य को गुरु मानकर धनुष चलाने में निपुणता प्राप्त की थी और बाद में द्रोणाचार्य द्वारा गुरुदक्षिणा में दाहिने हाथ का अँगूठा माँगने पर उन्हें अपना अँगूठा काट कर समर्पित कर दिया था।
एकलाई [सं-स्त्री.] एक तरह का दुपट्टा; ऐसी सादा साड़ी जिसकी किनारी में बेलबूटे बने हों; इकलाई।
एकलिंग (सं.) [सं-पु.] 1. शिव के अनेक नामों में से एक नाम; मेवाड़ के राजवंश के कुलदेवता के रूप में शिव इसी नाम से पूजे जाते हैं 2. शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक 3. (पुराण) आगम के अनुसार वह स्थान जहाँ पाँच कोस के भीतर केवल एक ही शिवलिंग हो। [वि.] वह जो सदा एक ही लिंग में प्रयुक्त होता है जैसे- अविकारी शब्द (अतः, किंतु, परंतु आदि)।
एकलिंगी (सं.) [वि.] (वनस्पतिविज्ञान) वह फूल या वनस्पति जिसमें दूसरा लिंग न हो अथवा अक्रिय और दबा हुआ हो।

एकवचन (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) वह शब्द या पद जिससे केवल एक व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है; (सिंग्युलर)।
एकवर्ण (सं.) [वि.] 1. एक रंगवाला 2. एक जातिवाला; जाति-भेद रहित।
एकवर्षी (सं.) [वि.] मात्र एक वर्ष तक ही जीवित रहने वाला (पौधा); अपने जीवन काल में मात्र एक ही बार फूलने तथा फलने वाला (पौधा)।
एकवाक्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लोगों का किसी विषय पर एक मत हो जाना; एकमत; मतैक्य 2. (मीमांसा दर्शन) एकार्थता; विधि वाक्य तथा अर्थ वाक्य का एक ही अर्थ प्रकट करना।
एकवेणी (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जो अपने केशों का शृंगार न करके उन्हें एक ही वेणी में बाँधकर रखती है।
एकशासन (सं.) [सं-पु.] एक व्यक्ति का शासन; एकतंत्र।
एकशेष (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) द्वंद्व समास का एक भेद, जहाँ दो में से एक ही शेष रह जाता है, जैसे- पितरौ शब्द में माता और पिता दोनों का समावेश है।
एकश्रुत (सं.) [वि.] एक ही बार सुना गया।
एकश्रुतधर (सं.) [वि.] जिसे कुछ भी एक ही बार सुन कर पूरी तरह से याद हो जाता हो।
एकश्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] वेद पाठ का वह क्रम जिसमें स्वरों के उतार-चढ़ाव तथा उच्चारण प्रक्रिया आदि का विचार नहीं किया जाता।

एकसत्ताक (सं.) [वि.] एकतंत्र, जिसमें सारी सत्ता एक ही व्यक्ति के हाथ में हो; तानाशाही, जैसे- किसी व्यक्ति या दल की एकसत्ताक प्रकृति।
एकसत्तावाद (सं.) [सं-पु.] (दर्शनशास्त्र) वह सिद्धांत जिसके अनुसार समस्त सृष्टि में मात्र एक ही परम तत्व की सत्ता अर्थात अस्तित्व है; अद्वैतवाद जो ब्रह्म या आत्म तथा भौतिक जगत की अभिन्नता या एकता का प्रतिपादन करता है; (मॉनिज़म) 2. (राजनीतिशास्त्र) वह शासन तंत्र जिसमें राजसंचालन की संपूर्ण सत्ता एक ही व्यक्ति के हाथों में केंद्रित होती है; एकतंत्र; अधिनायकवाद; तानाशाही।
एकसदनात्मक (सं.) [वि.] जिस विधान मंडल में एक ही सदन (मात्र विधान सभा) हो; (यूनिकैमरल)।
एकसर (फ़ा.) [वि.] जिसके साथ कोई और न हो; अकेला। [क्रि.वि.] 1. एक सिरे से दूसरे सिरे तक 2. लगातार 3. बिलकुल; निरा।
एक-सा [वि.] 1. समान; सदृश 2. पर्यायवाची 3. अपरिवर्तित।
एकसाँ (फ़ा.) [वि.] 1. किसी के तुल्य; समान या बराबर 2. समतल; हमवार; यकसाँ।
एकसार (सं.) [वि.] 1. एक समान 2. एक ही प्रकार का 3. समतल।
एकसाला [वि.] एक वर्ष का; एक वर्षी; जिसकी अवधि या व्याप्ति एक साल ही हो, जैसे-एकसाला पौधा।
एकसुरा [वि.] सदा एक ही तरह का स्वर उत्पन्न करने वाला; एक ही तरह की बात करने वाला; जिसकी बातों में वैविध्य न हो; (मॉनोटोनस)।
एकसूत्र (सं.) [वि.] जो एक ही सूत्र से जुड़ा हुआ हो; एक साथ एक रूप, विचारधारा, उद्देश्य या कार्य में परस्पर संबद्ध; एक्यबद्ध।
एकसूत्रता (सं.) [सं-स्त्री.] एक रूप, विचारधारा, उद्देश्य या कार्य में परस्पर संबद्ध होने की अवस्था या भाव; एकबद्धता।

एकसूत्री (सं.) [वि.] 1. जो एकसूत्र में परस्पर संबद्ध हों 2. एक ही कार्य या वस्तु से संबंधित, जैसे- एकसूत्री कार्यक्रम।
एकस्व (सं.) [सं-पु.] पंजीयन या निबंधन का वह प्रकार जिसमें किसी नई रचना, युक्ति, आविष्कार आदि पर उसके रचयिता या आविष्कर्ता को पूर्ण एकाधिकार प्राप्त हो जाता है और उसकी अनुमति के बिना कोई भी उसका किसी प्रकार उपयोग या अनुकरण नहीं कर सकता; एकाधिकार; (पेटेंट)।
एकहत्था [वि.] 1. जिसका एक ही हाथ हो; लूला 2. एक ही व्यक्ति या संस्था के हाथ या नियंत्रण में रहने वाला; जिसपर किसी का एकाधिकार हो, जैसे- एकहत्था व्यवसाय।
एकहत्थी [सं-स्त्री.] मालखंभ पर होने वाली एक कसरत।
एकांक (सं.) [वि.] जिसमें एक ही अंक हो (नाटक या रूपक); एकांकी।
एकांकी (सं.) [वि.] एक ही अंक में पूरा होने वाला (दृश्य काव्य या नाटक)। [सं-पु.] 1. दस प्रकार के रूपकों- नाटक, प्रकरण, प्रहसन आदि में से एक 2. छोटा नाटक जिसमें एक ही अंक हो; (वन ऐक्ट प्ले)।
एकांग (सं.) [वि.] 1. केवल एक अंगवाला 2. विकलांग। [सं-पु.] बुध ग्रह।
एकांगघात (सं.) [सं-पु.] अंगघात या लकवा रोग का एक प्रकार जिसमें कोई एक हाथ या पैर शून्य एवं क्रियाहीन हो जाता है; (मॉनो-प्लेगिया)।
एकांगवध (सं.) [सं-पु.] प्राचीन भारत में दिया जाने वाला एक दंड जिसमें अपराधी का एक अंग काट लिया जाता था।
एकांगी (सं.) [वि.] 1. एकपक्षीय; सीमित, जैसे- एकांगी दृष्टि 2. एकांग; जिसका केवल एक ही अंग हो।

एकांत (सं.) [सं-पु.] निर्जन स्थान; सूना स्थान; शांत या शोरगुल रहित ऐसा स्थान जहाँ कोई न हो; तनहाई। [वि.] 1. जो (स्थान) निर्जन या सूना हो 2. एक को छोड़ किसी और की तरफ़ ध्यान न देने वाला; एकनिष्ठ, जैसे- एकांत समर्पण, एकांत भक्ति।
एकांतप्रिय (सं.) [वि.] जिसे एकांत में रहना प्रिय हो।
एकांतर (सं.) [वि.] एक का अंतर देकर होने वाला या पड़ने वाला, जैसे- 2, 4, 6, 8 सब एकांतर संख्याएँ हैं।
एकांतवास (सं.) [सं-पु.] निर्जन स्थान में रहना; अकेले में रहना।
एकांतवासी (सं.) [वि.] निर्जन स्थान में रहने वाला; एकांतवास करने वाला।
एकांतिक (सं.) [वि.] 1. ऐसा नियम जो किसी विशेष अवसर या स्थान के लिए ही हो, सब जगह लागू न होता हो 2. पक्का; अवश्यंभावी 3. निश्चिंत।
एकांश (सं.) [सं-पु.] छोटी इकाई; किसी बड़े संस्थान का एक विभाग।
एका (सं.) [सं-पु.] एकता; मेल; संधि।
एकाएक [क्रि.वि.] अकस्मात; सहसा; अचानक; यकायक; एकदम।
एकाकार (सं.) [वि.] जो मिलजुल कर एक हो गया हो; एकरूप, जैसे- नीर और क्षीर का एकाकार होना।
एकाकी (सं.) [वि.] अकेला; जिसके साथ और कोई न हो।
एकाकीपन [सं-पु.] अकेला होने की अवस्था या भाव; विभिन्न परिस्थितियों में सब कुछ होते हुए भी संबंधों से विच्छिन्न या अकेला अनुभव करने की दशा।

एकाक्ष (सं.) [वि.] 1. एक आँखवाला 2. जिसकी एक ही आँख शेष हो; काना 3. एक ही अक्ष या धुरी पर घूमने वाला [सं-पु.] 1. शुक्राचार्य 2. कौआ 3. शिव।
एकाक्षरी (सं.) [वि.] जिसमें एक ही अक्षर हो, जैसे- एकाक्षरी मंत्र- ॐ।
एकाक्षरी-कोश (सं.) [सं-पु.] वह कोश जिसमें प्रविष्टि में केवल अक्षर हों और प्रत्येक अक्षर के अलग अलग अर्थ दिए गए हों, जैसे- '' अर्थात ब्रह्मा; विष्णु; कामदेव; अग्नि; वायु आदि।

एकाक्षी (सं.) [वि.] एकाक्ष।