ऋतंभरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सत्य को धारण और पुष्ट करने वाली एक चित्तवृत्ति 2. सदा एक समान रहने वाली सात्विक और निर्मल बुद्धि। [वि.] सत्य को धारण या पोषण करने वाली।
ऋत (सं.) [सं-पु.] 1. सत्य; सृष्टि का आदि तत्व 2. मोक्ष; मुक्ति 3. यज्ञ 4. कर्मों का फल 5. उंच्छवृत्ति अर्थात अनाज की कटाई के बाद जो दाने खेतों में गिरे रह जाते हैं उन्हें एकत्र करके जीविका निर्वाह करना। [वि.] 1. सत्य; सच्चा 2. नैतिक; उचित 3. प्रकाशित; दीप्त।
ऋति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समृद्धि; मंगल; कल्याण 2. अभ्युदय 3. अपवाद; निंदा; बदनामी 4. स्पर्धा।
ऋतु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मौसम; प्राकृतिक अवस्थाओं के अनुसार वातावरण में होने वाले परिवर्तन 2. वातावरण के अनुसार वर्ष के छह परिवर्तन- ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर, बसंत 3. रजोदर्शन के अनुसार वह समय जिसमें स्त्रियाँ गर्भधारण के योग्य होती हैं।
ऋतुकर (सं.) [सं-पु.] वृक्ष; वन जो पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखकर ऋतुचक्र को व्यवस्थित करते हैं।
ऋतुकाल (सं.) [सं-पु.] रजोदर्शन या मासिक धर्म के पश्चात सोलह दिन का वह समय जो स्त्रियों के गर्भ धारण करने योग्य माना जाता है।
ऋतुचर्या (सं.) [सं-स्त्री.] ऋतु के अनुसार आहार-विहार का पालन; गरमी, वर्षा आदि ऋतुओं के अनुसार अनुकूल आहार-विहार।
ऋतुदान (सं.) [सं-पु.] 1. गर्भाधान 2. ऋतुकाल बीतने पर संतान की इच्छा से किया जाने वाला संभोग।
ऋतुनाथ (सं.) [सं-पु.] ऋतुओं का नाथ (स्वामी) अर्थात बसंत; ऋतुपति; ऋतुराज; मधुमास।
ऋतुपति (सं.) [सं-पु.] ऋतुओं का स्वामी बसंत; ऋतुराज; मधुमास।
ऋतुप्राप्त (सं.) [वि.] 1. जो ऋतु को प्राप्त हो, रजोदर्शनवाली (स्त्री) 2. फल देने के योग्य वृक्ष।
ऋतुफल (सं.) [सं-पु.] 1. विशिष्ट मौसम में उत्पन्न या होने वाला फल, जैसे- ककड़ी, आम आदि 2. मौसमी फल।
ऋतुमती (सं.) [वि.] 1. रजस्वला; पुष्पवती; जिस स्त्री का मासिकधर्म आरंभ हो गया हो 2. गर्भधारण के योग्य।
ऋतुराज (सं.) [सं-पु.] 1. वसंत ऋतु; मधुमास 2. ऋतुओं में सबसे सुखद ऋतु।
ऋतुवती (सं.) [वि.] दे. ऋतुमती।
ऋतुविज्ञान (सं.) [सं-पु.] वह विज्ञान जिसमें वायुमंडल में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर मौसम में परिवर्तनों का अनुमान किया जाता है; (मीटिअरॉलजी)।
ऋतुविपर्यय (सं.) [सं-पु.] ऋतु विशिष्ट के विपरीत लक्षण का दिखाई देना; ऋतु के विपरीत घटना, जैसे-जाड़े में लू चलना।
ऋतुवेला (सं.) [सं-स्त्री.] ऋतुकाल।
ऋतुसंधि (सं.) [सं-स्त्री.] दो ऋतुओं का मिलन; वह समय जब एक ऋतु समाप्त और अगली ऋतु आरंभ होती है।
ऋतुस्नाता (सं.) [सं-स्त्री.] मध्यकालीन प्रथा के अनुसार माहवारी के चौथे दिन स्नान करके शुद्ध हो जाने वाली स्त्री।
ऋतुस्नान (सं.) [सं-पु.] मध्यकालीन प्रथा के अनुसार माहवारी के पश्चात प्रायः चौथे दिन स्त्रियों द्वारा किया जाने वाला स्नान।
ऋद्ध (सं.) [वि.] 1. सुखी; संपन्न 2. जिसकी वृद्धि हो रही हो; वर्धमान।
ऋद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समृद्धि; संपन्नता 2. विभूति 3. गणेश की एक परिचारिका 4. दवा हेतु प्रयुक्त एक लता का नाम; प्राणदा।
ऋद्धि-सिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) गणेश की दो परिचारिकाएँ 2. समस्त प्रकार का वैभव।
ऋभु (सं.) [वि.] 1. देवता 2. समूह में विचरण करने वाले गणदेवताओं में से एक।
ऋषभ (सं.) [सं-पु.] 1. वृषभ; बैल 2. श्रेष्ठ व्यक्ति; महापुरुष 3. भारतीय संगीत के सात स्वरों में दूसरा स्वर- 'रे' 4. विष्णु का एक अवतार। [वि.] उत्तम; श्रेष्ठ।
ऋषभकूट (सं.) [सं-पु.] दक्षिण भारत में स्थित एक पर्वत।
ऋषभदेव (सं.) [सं-पु.] 1. जैन धर्म के आदि तीर्थंकर 2. राजा नाभि के पुत्र जो विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक माने जाते हैं।
ऋषभध्वज (सं.) [सं-पु.] शिव, जिनकी ध्वजा में ऋषभ (बैल) का चिह्न रहता है।
ऋषि (सं.) [सं-पु.] 1. वेद-मंत्रों का ज्ञाता तथा द्रष्टा; मंत्रद्रष्टा 2. आध्यात्मिक और भौतिक तत्वों का ज्ञाता 3. तपस्वी; मनस्वी; ज्ञानी; मुनि 4. सच्चरित्र और त्यागी 5. {ला-अ.} प्रकाश की किरण।
ऋषिऋण (सं.) [सं-पु.] (हिंदू धर्म) तीन प्रकार के ऋणों (देवऋण, ऋषिऋण तथा पितृऋण) में से एक, जिससे मुक्त होने के लिए शिक्षित और विद्वान होना अनिवार्य माना गया है।
ऋषिकल्प (सं.) [वि.] ऋषि के समान गुणोंवाला; ऋषि-तुल्य।
ऋषिकुल (सं.) [सं-पु.] ऋषि का आश्रम; गुरु-कुल; वह स्थान या आश्रम जहाँ ब्रह्मचारी विद्या अर्जन करते हैं।
ऋषिकेश (सं.) [सं-पु.] भारत के उत्तराखंड राज्य का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल; एक प्राचीन पर्वतीय स्थल जहाँ ऋषि, मुनि आदि तपस्या किया करते थे; हृषीकेश।
ऋषिपंचमी (सं.) [सं-स्त्री.] भादों महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को स्त्रियों द्वारा रखा जाने वाला एक धार्मिक व्रत।
ऋषिपत्तन (सं.) [सं-पु.] वाराणसी के पास स्थित एक प्राचीन उपवन; वर्तमान सारनाथ।
ऋषीक (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्राचीन पवित्र देश 2. ऋषीक देश के निवासी 3. ऋषिपुत्र 4. एक प्रकार का तृण या घास।
ऋष्यक (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का मृग; चित्तीदार सफ़ेद पैरों वाला बारहसिंघा।
ऋष्यमूक (सं.) [सं-पु.] (रामायण) वर्तमान कर्नाटक राज्य में स्थित एक पर्वत; राम ने वनवास में सुग्रीव के साथ इस पर्वत पर कुछ दिन बिताए थे।
ऋष्यशृंग (सं.) [सं-पु.] (रामायण) एक मुनि जिनसे अयोध्या के सूर्यवंशी राजा दशरथ की कन्या शांता ब्याही गई थी; विभांडक ऋषि के पुत्र; शृंगी ऋषि।