Hin Dict_Ru1 - हिंदी शब्दकोश - ऋ1

हिंदी वर्णमाला का एक वर्ण। संस्कृत में यह स्वर माना गया है। हिंदी में इसका ध्वनिगत मूल्य [रि] है। लेकिन यह एक विशिष्ट वर्ण है, क्योंकि '' की मात्रा भी होती है और मात्रा केवल स्वर की होती है। इसलिए इसको स्वर वर्ण तो कहा जा सकता है जबकि इसका ध्वनिगत मूल्य [व्यंजन+स्वर] है।
ऋकार (सं.) [सं-पु.] '' अक्षर और उसकी ध्वनि।
ऋक् (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्तुति 2. वेद की ऋचा या मंत्र; ऋग्वेद का मंत्र। [सं-पु.] ऋग्वेद।
ऋक्-तंत्र (सं.) [सं-पु.] सामवेद का परिशिष्ट।
ऋक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. रीछ; भालू 2. एक तारा-पुंज 3. नक्षत्र; राशि 4. कृतिका मंडल के वे सात तारे जिन्हें सप्तर्षि कहा जाता है।
ऋक्षपति (सं.) [सं-पु.] 1. रीछों के राजा जांबवान; ऋक्षनाथ; ऋक्षराज 2. चंद्रमा।
ऋक्षराज (सं.) [सं-पु.] ऋक्षपति; जांबवान।
ऋक्षवान (सं.) [सं-पु.] एक पर्वत; रैवतक नामक पर्वत का वह अंश जो नर्मदा नदी के किनारे-किनारे गुजरात तक चला गया है।
ऋक्-संहिता (सं.) [सं-स्त्री.] ऋग्वेद के मंत्रों का समुच्चय या संग्रह।
ऋग्वेद (सं.) [सं-पु.] चारों वेदों में प्रथम वेद; सबसे प्राचीन और पद्यमय वेद।
ऋग्वेदीय (सं.) [वि.] ऋग्वेद से संबद्ध।

ऋचा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पद्यमय अथवा गेय वेद-मंत्र 2. स्तोत्र।
ऋचीक (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) भृगुवंश में जन्मे एक ऋषि; जमदग्नि के पिता 2. एक प्राचीन देश का नाम।
ऋच्छ (सं.) [सं-पु.] रीछ; भालू।
ऋजिमा (सं.) [सं-स्त्री.] सरलता; सीधापन।
ऋजु (सं.) [वि.] 1. सीधा; सरल 2. {ला-अ.} सरलहृदय; कुटिलता से रहित।
ऋजुकाय (सं.) [सं-पु.] 1. सीधी और सतर कायावाला; जिसका शरीर सीधा हो 2. सीधे खड़े होकर तपस्या करने वाले ऋषि-मुनियों के लिए प्रयुक्त शब्द 3. (पुराण) कश्यप ऋषि।
ऋजुकोण (सं.) [सं-पु.] (ज्यामिति) 180 अंश का कोण अर्थात वह कोण जो दो समकोण के बराबर हो 2. सरल रेखा।
ऋजुक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] कई सीधी रेखाओं से घिरा क्षेत्र।
ऋजुता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सरलता; सीधापन 2. छल-कपटहीन प्रवृत्ति।
ऋजुरेखीय (सं.) [वि.] सीधा; सरल; ऋजु।
ऋण (सं.) [सं-पु.] 1. कर्ज़; उधार; उधारी; देनदारी 2. किसी से ब्याज पर लिया गया धन 3. कृतज्ञता; अहसान या उपकार 4. देय 5. गणित में घटाने का चिह्न (-)। [वि.] खाते, गणित आदि में जो ऋण के रूप में हो। -उतारना : कर्ज़ चुकाना।
ऋणग्रस्त (सं.) [वि.] जिसे ऋण चुकाना हो; ऋणग्राही; देनदार; मकरूज़; कर्ज़ में डूबा हुआ।
ऋण-त्रय (सं.) [सं-पु.] तीन प्रकार के ऋणों का समूह- देवऋण, ऋषिऋण तथा पितृऋण।

ऋणदाता (सं.) [वि.] ऋण देने वाला; जिसने किसी को कर्ज़ दिया हो।
ऋणदास (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसका ऋण चुकाकर उसे बदले में अपना दास बना लिया गया हो।
ऋणदासता (सं.) [सं-स्त्री.] उधार या ऋण चुकाने के लिए ऋणदाता के यहाँ दास के रूप में काम करने की प्रथा।
ऋणपक्ष (सं.) [सं-पु.] बही खाते आदि में वह कॉलम या स्तंभ जिसमें किसी को दी हुई वस्तु का मूल्य, तिथि, विवरण आदि अंकित किया जाता है।
ऋणपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. ऋण स्वीकृति का पत्र; ऋण ग्रहण सूचक-पत्र 2. रुक्का; (बॉन्ड)।
ऋणपरिसमापन (सं.) [सं-पु.] 1. पूरा ऋण चुकता कर देने की अवस्था 2. {ला-अ.} किसी की चुभती हुई बात का तपाकसे ऐसा उत्तर देना कि वह अवाक हो जाए।
ऋणमुक्त (सं.) [वि.] जिसने ऋण चुका दिया हो; उऋण।
ऋणमुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऋण से छुटकारा; कर्ज़ मुक्ति 2. उऋण होने का भाव।
ऋणमोक्ष (सं.) [सं-पु.] कर्ज़ से मुक्त होना; ऋण का चुकाया जाना।
ऋणविद्युत (सं.) [सं-पु.] 1. (भौतिकी) विकर्षण उत्पन्न करने वाली बिजली; विकर्षक विद्युत; (नेगटिव चार्ज) 2. ऋण आवेश।
ऋणशोधन (सं.) [सं-पु.] ऋण वापस (अदा) करना; ऋण अदायगी।
ऋण-स्थगन (सं.) [सं-पु.] राज्य प्रशासन या न्यायालय के आदेश से बैंक आदि वित्तीय संस्थाओं द्वारा लोगों के ऋण या कर्ज़ की अदायगी अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाना; (मॉरटॉरिअम)।

ऋणात्मक (सं.) [वि.] 1. नकारात्मक; अभावात्मक; (नेगटिव)।

ऋणी (सं.) [वि.] 1. जिसने ऋण या कर्ज़ लिया हो; देनदार 2. {ला-अ.} जिसपर किसी का उपकार हो; उपकृत; अनुगृहीत। [मु.] -होना : किसी के उपकार या अहसान को मानना।