Hin Dict_u1 - हिंदी शब्दकोश - उ1

हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह निम्नतर-उच्च, पश्च, गोलित, हृस्व स्वर है।
उँगनी [सं-स्त्री.] गाड़ियों के पहियों में तेल डालने की क्रिया या भाव।
उँगलाना [क्रि-स.] तंग करना; परेशान करना; किसी कार्य के ठीक तरह से पूर्ण होने में बाधा उत्पन्न करना।
उँगली (सं.) [सं-स्त्री.] हाथ के आगे निकले हुए सामान्यतया पाँच अवयव जिन्हें क्रमशः अँगूठा, तर्जनी, मध्यमा, अनामिका तथा कनिष्ठा कहते हैं; अँगुली। [मु.]-उठाना : लांछन लगाना, दोषी ठहराना। -पकड़कर पहुँचा पकड़ना : हलका सहारा पाकर विशेष प्राप्ति के लिए अनुचित प्रयास करना। उँगलियों पर नचाना : अपनी इच्छानुसार चलाना। पाँचों उँगलियाँ घी में होना : सब प्रकार से लाभ होना।
उँघाई [सं-स्त्री.] 1. ऊँघने की क्रिया या भाव 2. झपकी 3. हलकी नींद में होने की अवस्था; ऊँघ।
उँदरी (सं.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें सिर के बाल झड़ जाते हैं।
उँदरू (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की काँटेदार झाड़ी या बेल 2. उक्त बेल का परवल के समान खट्टा फल; कुंदरू।
उँह [अव्य.] 1. अस्वीकार, असहमति या उदासीनता का सूचक शब्द 2. घृणा आदि का सूचक शब्द 3. कष्ट या वेदना में कराहने का शब्द।
उँहूँ [अव्य.] 1. असहमति और अस्वीकार का सूचक शब्द 2. नहीं।
उंचन [सं-स्त्री.] 1. एक पतली रस्सी 2. पतली रस्सी जो चारपाई के पैताने में बुनावट कसने के लिए लगाई जाती है।
उंचना [क्रि-स.] चारपाई की उनचन ढीली हो जाने पर उसे कसना।
उंछ (सं.) [सं-पु.] फ़सल कट जाने के बाद खेत में गिरे हुए दाने को जीविका के लिए बीनने की क्रिया।
उंछवृति (सं.) [सं-स्त्री.] खेतों में गिरे हुए अनाज को बीनकर जीवन निर्वाह करना।
उंछशील (सं.) [वि.] उंछवृति से जीवन निर्वाह करने वाला।
उंडक (सं.) [सं-पु.] एक तरह का कुष्ठ रोग।
उंदुर (सं.) [सं-पु.] चूहा; मूसक।
उई [अव्य.] कष्ट या पीड़ासूचक शब्द।
उऋण (सं.) [वि.] 1. जिसने ऋण चुका दिया हो 2. ऋण-मुक्त 3. जो अपने कर्तव्यों आदि से मुक्त हो गया हो।
उकटना [क्रि-स.] 1. गुप्त बातों का भेद खोलना; प्रकट करना 2. किसी के दोषों और स्वयं के उपकारों का उल्लेख करते हुए भला-बुरा कहना; उघटना।
उकठना [क्रि-अ.] 1. सूखकर लकड़ी की तरह कड़ा होना 2. ऐंठना 3. उखड़ना 4. शुष्क होना, जैसे- वर्षा के न होने पर खेतों का उकठना।
उकठा (सं.) [वि.] 1. जो लकड़ी की तरह सूखकर ऐंठ गया हो 2. सूखा; शुष्क।
उकड़ू (सं.) [सं-पु.] दे. उकड़ूँ।

उकडूँ (सं.) [सं-पु.] घुटने मोड़ कर तथा शरीर को समेट कर बैठने की अवस्था; पैर के तलवे और नितंब के बल बैठने की वह मुद्रा जिसमें घुटने, छाती (वक्ष) से लगे रहते हैं।
उकताना (सं.) [क्रि-अ.] 1. अनचाहे कार्य से ऊबना; बोर होना 2. अधीर होना 3. जल्दी मचाना 4. परेशान हो जाना।
उकताहट (सं.) [सं-स्त्री.] उकताने का भाव; जल्दबाज़ी; अधीरता; उकता जाना; ऊबन।
उकलना (सं.) [क्रि-अ.] 1. कपड़े आदि की तह या लपेट खुलना 2. उधड़ना।
उकवत (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का चर्मरोग 2. त्वचा में खुजली और दाने पड़ने वाला एक रोग।
उकसना (सं.) [क्रि-अ.] 1. उभरना 2. नीचे से ऊपर को आना 3. निकलना 4. कसमसाना 5. शरीर के अग्रभाग को ऊपर उठाना 4. उगना; अंकुरित होना।
उकसाना [ क्रि-स.] भड़काना; उत्तेजित करना; उभारना; (दीपक की बत्ती को) आगे सरकाना।
उकसाव [सं-पु.] किसी बात के लिए उकसाने या प्रेरित करने की क्रिया या भाव।
उकसावा [सं-पु.] उत्प्रेरणा के द्वारा उत्तेजित होने की स्थिति; उत्तेजित होने हेतु प्रेरित करना।
उकाब (अ.) [सं-पु.] 1. गिद्ध; गिद्ध जाति का एक बड़ा पक्षी 2. गरुड़।
उकारांत (सं.) [वि.] 1. वह शब्द जिसके अंत में उकार या '' स्वर हो, जैसे- मधु और लघु।
उकीरना [क्रि-स.] खोदकर उखाड़ना या निकालना।
उकेरना (सं.) [क्रि-स.] 1. लकड़ी, पत्थर आदि कड़ी चीज़ों पर किसी नुकीले औज़ार से नक्काशी करना 2. चित्र बनाना 3. बेलबूटे आदि बनाना 4. उत्कीर्ण करना।

उकेरी [सं-स्त्री.] 1. उकेरने या खोदकर बेलबूटे बनाने का कार्य 2. नक्काशी करने की क्रिया; (एनग्रेविंग)। 
उकेलना [क्रि-स.] 1. लिपटी हुई चीज़ को छुड़ाना या अलग करना 2. तह या परत अलग करना; खोलना; उधेड़ना।
उक्त (सं.) [वि.] पहले कही गई; कहा गया; कथित; उल्लिखित; उपर्युक्त; ऊपर कहा गया।
उक्त-प्रयुक्त (सं.) [सं-पु.] 1. बातचीत; कथोपकथन 2. (नृत्य) लास्य के दस अंगों में से एक।
उक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कवित्वमय कथन; वचन; वाक्य 2. अनोखा व चमत्कारपूर्ण वाक्य 3. महत्वपूर्ण कथन 4. किसी की कही हुई बात।
उक्ति-युक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] किसी समस्या को सुलझाने के लिए बताई जाने वाली तरकीब।
उक्थ (सं.) [सं-पु.] 1. कथन; उक्ति 2. स्तोत्र; सूक्ति 3. साम-विशेष 4. प्राण 5. ऋषभक नाम की औषधि।
उक्थी (सं.) [वि.] स्तोत्रों का पाठ करने वाला।
उक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. जल छिड़कने की क्रिया या भाव 2. सींचना।
उक्षाल (सं.) [वि.] 1. बड़ा 2. उत्तम 3. भयंकर 4. तीव्र गति।
उखटना (सं.) [क्रि-अ.] 1. चलने में इधर-उधर पैर रखना; लड़खड़ाना 2. लड़खड़ाकर गिरना 3. कुतरना; खोंटना।
उखड़ना (सं.) [क्रि-अ.] 1. आधार या जड़ से अलग होना; जड़ से (समूल) निकल जाना 2. आधार पर जमी या टिकी हुई वस्तुओं का आधार से अलग होना 3. धरती के अंदर की चीज़ का ऊपर आ जाना 4. जोड़ से हट जाना, जैसे- अँगूठी का नग उखड़ना 5. {ला-अ.} भड़क जाना, जैसे- तुम तो ज़रा-सी बात पर उखड़ गए 6. अलग होना; हटना 8. टूटना (दम, साँस); उपटना (हड्डी आदि का)। [मु.] उखड़ी-उखड़ी बातें करना : अन्यमनस्क या उदासीन होकर बातें करना।

उखड़वाना [क्रि-स.] 1. उखाड़ने का काम किसी से कराना 2. किसी को उखाड़ने में प्रवृत्त करना।
उखम [सं-पु.] तपन; उष्णता; गरमी।
उखाड़ [सं-पु.] 1. उच्छेदन; उखाड़ने की क्रिया या भाव 2. कुश्ती में विरोधी पहलवान के दाँव को विफल करने वाला दाँव या पेंच 3. तर्क की काट।
उखाड़ना [क्रि-स.] 1. किसी गड़ी, जमी, बैठी वस्तु को आधार से अलग करना; नष्ट करना 2. उन्मूलन 3. शरीर के किसी अंग को उसके स्थान से अलग करना 4. {ला-अ.} भड़काना; बिचकाना; तितर-बितर कर देना 5. टालना; हटाना 6. ध्वस्त या नष्ट करना 7. किसी समूह को छिन्न-भिन्न कर देना 8. किसी का रंग या प्रभाव न जमने देना। [मु.] जड़ से- : इस प्रकार दूर या नष्ट करना कि फिर अपने स्थान पर आकर ठहर या पनप न सके।
उखाड़-पछाड़ [सं-स्त्री.] किसी कार्य या वस्तु को अस्त-व्यस्त या उलट-पुलट करने की क्रिया या भाव।
उखाड़ू [वि.] 1. प्रायः उखाड़ने का काम करते रहने वाला 2. {ला-अ.} काम बिगाड़ने वाला।
उखालिया (सं.) [सं-पु.] व्रत आरंभ करने से पहले किया जाने वाला भोजन जो कि रात के अंतिम पहर में किया जाता है; सरगही।
उखेड़ना [क्रि-स.] 1. पहले से गड़ी, जमी या बैठाई हुई चीज़ को उस स्थान से अलग करना 2. हटाना 3. नष्ट करना 4. किसी स्थान पर टिके या ठहरे व्यक्ति को उस स्थान से भगाना; खदेड़ना आदि।
उगना [क्रि-अ.] 1. पैदा हो जाना; अंकुरण या जम जाना; उदय होना 2. अँखुआ निकलना।
उगलना [क्रि-स.] 1. अपच या कड़वाहट की अवस्था में खाद्य वस्तु को मुँह से बाहर निकालना; बाहर निकालना, जैसे- सूर्य की तपन से धरती आग उगल रही थी 2. रहस्य प्रकट करना, जैसे- पुलिस के डर से उसने सारा भेद उगल दिया।

उगलवाना [क्रि-स.] किसी को उगलने में प्रवृत्त करना; उगलाना।
उगाना [क्रि-स.] 1. उत्पन्न या अंकुरित करना 2. किसी बीज, पौधे या लता को पैदा करना 3. उगने में प्रवृत्त करना।
उगाल (सं.) [सं-पु.] 1. उगालने की क्रिया या भाव 2. उगली हुई चीज़; पीक; थूक; खखार।
उगालदान [सं-पु.] काँसे, पीतल आदि का एक प्रकार का पात्र जिसमें खखार, थूक आदि गिराया जाता है; पीकदान।
उगाला [सं-पु.] 1. एक प्रकार का कीड़ा जो फ़सल में लगता है 2. सदा पानी में तर रहने वाली भूमि; पनमार।
उगाहना (सं.) [क्रि-स.] 1. बकाया या ऋण वसूल करना; लोगों से निश्चित रकम वसूल करना, जैसे- चंदा इकट्ठा करना 2. प्रयत्नपूर्वक कुछ प्राप्त करना।
उगाही [सं-स्त्री.] 1. उगाहने की क्रिया या भाव 2. धन वसूलने का काम; वसूली 3. वसूली के रूप में प्राप्त धन; चंदा; दान 4. कर; लगान (भूमि) 5. सरकार द्वारा उत्पादकों से उत्पादित वस्तु के एक नियत अंश की वसूली।
उग्गाहा (सं.) [सं-पु.] आर्या छंद का एक भेद जिसके सम चरणों में अठारह और विषम चरणों में बारह मात्राएँ होती हैं।
उग्र (सं.) [वि.] 1. भयानक 2. निष्ठुर 3. क्रूर 4. क्रोधी 5. जो शांत न हो 6. प्रचंड 7. उत्कट 8. तेज़; तीव्र 9. असह्य। [सं-पु.] 1. रुद्र; शिव 2. रौद्र रस 3. वत्सनाभ नामक विष।
उग्रगंधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक तीखा खाद्य पदार्थ; अजवायन 2. एक जड़ी बूटी; बच 3. अजमोदा (अजवायन का एक प्रकार) 4. नकछिकनी।
उग्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ी; प्रचंडता; उग्र होने की अवस्था या भाव 2. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव जिसके कारण मन में स्नेह दया की भावना दब जाती है और क्रोध प्रबल हो जाता है।

उग्रधन्वा (सं.) [सं-पु.] 1. शिव; शंकर 2. इंद्र। [वि.] 1. बड़े धनुषवाला 2. बड़ा धनुर्धर।
उग्रपंथी (सं.) [वि.] उग्रवादी।
उग्रवाद (सं.) [सं-पु.] 1. उग्र विचारों और उग्र कार्यों की उपयोगिता मानने वाला सिद्धांत 2. उग्र मत का सिद्धांत।
उग्रवादी (सं.) [वि.] 1. उग्रवाद का समर्थक 2. उग्रवाद का अनुयायी या मानने वाला 3. क्रांतिकारी विचारोंवाला 3. उग्रपंथी; अतिवादी।
उग्रशेखरा (सं.) [सं-स्त्री.] शिव के मस्तक पर रहने वाली गंगा।
उग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. बंधन से मुक्ति 2. सूर्य, चंद्र का ग्रहण से मुक्त होने की अवस्था या भाव 3. मोक्ष।

उग्रहना (सं.) [क्रि-स.] 1. त्यागना; छोड़ना 2. उगलना।