उपांत (सं.) [सं-पु.] 1. अंतिम से ठीक पहले का हिस्सा; अंत का भाग; आख़िरी हिस्सा 2. अंत के आस-पास का भाग या स्थान, जैसे- शहर का उपांत 3. सीमा; हद 4. नदी का तट या किनारा 5. कपड़े का आँचल 6. कागज़ पर कुछ लिखते समय दाहिनी या बाईं ओर छोड़ी गई जगह; हाशिया; (मार्जिन)।
उपांतसाक्षी (सं.) [सं-पु.] वह साक्षी या गवाह जिसने किसी दस्तावेज़ के उपांत या हाशिये पर हस्ताक्षर किया हो या अँगूठे का निशान लगाया हो।
उपांतस्थ (सं.) [वि.] 1. उपांत पर रहने या होने वाला 2. कागज़ के हाशिए पर लिखा हुआ; उपांतिक।
उपांतिक (सं.) [वि.] 1. पास या समीप का 2. पड़ोस में रहने वाला; समीपवर्ती।
उपांत्य (सं.) [वि.] 1. अंत के पास का 2. अंतिम से पहले का।
उपाकरण (सं.) [सं-पु.] 1. उपक्रम; कार्यारंभ की तैयारी 2. बलिप्रदान।
उपाकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. विधि या संस्कारपूर्वक वेदों का अध्ययन आरंभ करना 2. उपक्रम; आरंभ 3. यज्ञोपवीत संस्कार।
उपाख्यान (सं.) [सं-पु.] 1. कोई पौराणिक कथा; पुरानी कथा या वृत्तांत 2. किसी बड़ी कथा के बीच आने वाली छोटी कथा; उपकथा 3. हाल; वृत्तांत।
उपागत (सं.) [वि.] 1. आया हुआ, पास आया हुआ 2. जो घटित हुआ हो 3. वादा किया हुआ।
उपागम (सं.) [सं-पु.] 1. निकट आना; समीप आना 2. घटना 3. वादा 4. कष्ट की अनुभूति।
उपाचार (सं.) [सं-पु.] परंपरा से चले आते हुए आचार संबंधी गौण नियम या प्रथाएँ।
उपाचार्य (सं.) [सं-पु.] किसी विश्वविद्यालय आदि में आचार्य (प्रोफ़ेसर) से नीचे का पद; (रीडर)।
उपात्यय (सं.) [सं-पु.] 1. विधि-विधान या परंपरा का परित्याग या उल्लंघन 2. किसी प्रथा या रीति-रिवाज का विरोध या परंपरा विरुद्ध आचरण।
उपादान (सं.) [सं-पु.] 1. प्राप्ति; ग्रहण 2. वह सामग्री जिससे कोई अन्य वस्तु तैयार हो, जैसे- दूध खोए का उपादान है 3. कारण; साधन 4. प्रयोग 5. ज्ञान; बोध 6. वैराग्य; भोग-विलास से विरक्ति।
उपादेय (सं.) [वि.] 1. लाभदायक; उपयोगी; काम आने योग्य 2. जिसे लिया जा सकता हो; ग्रहण करने योग्य 3. बहुत अच्छा; उत्तम; उत्कृष्ट।
उपाधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किए गए श्रेष्ठ कार्य के लिए सम्मान के रूप में दिया जाने वाला लिखित अलंकरण; ख़िताब; (टाइटिल), जैसे- (अँग्रेज़ों के समय में) रायबहादुर की उपाधि 2. प्रमाणपत्र; डिग्री, जैसे- स्नातक की उपाधि 3. कुलनाम; उपनाम; सरनेम।
उपाधि-पत्र (सं.) [सं-पु.] ऐसा पत्र जिसमें उपाधि का लिखित उल्लेख हो, उपाधि-पत्रक; (सर्टिफ़िकेट)।
उपाध्यक्ष (सं.) [सं-पु.] 1. किसी संस्था, सभा आदि के अध्यक्ष के ठीक बाद वाले पद का अधिकारी 2. अध्यक्ष का सहयोगी जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसके कार्यों का निर्वहन करता है; (वाइस चेयरमैन)।
उपाध्याय (सं.) [सं-पु.] 1. वेद, वेदांग पढ़ाने वाला पंडित; शास्त्रज्ञ विद्वान 2. शिक्षक; अध्यापक; गुरु 3. ब्राह्मण समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
उपानह (सं.) [सं-पु.] 1. खड़ाऊँ 2. जूता।
उपापचय (सं.) [सं-पु.] जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा हेतु जीवों के शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाएँ जिनसे पदार्थ बनते और टूटते हैं; (मेटाबॉलिज़म)।
उपाय (सं.) [सं-पु.] 1. युक्ति; तरकीब; साधन 2. युद्ध-विजय हेतु व्यूह रचना 3. चिकित्सा 4. शासन-प्रबंध 5. वांछित फल-प्राप्ति के लिए प्रयत्न।
उपायन (सं.) [सं-पु.] 1. प्राचीन काल में किसी राजा द्वारा किसी अन्य राजा को दी जाने वाली भेंट 2. मित्रों आदि को दिया जाने वाला कुछ विलक्षण या सुंदर उपहार; सौगात 3. निकट जाना 4. शिष्य बनना; शिष्यत्व स्वीकार करना।
उपायुक्त (सं.) [सं-पु.] भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी; आयुक्त से नीचे का पद; (डेप्युटी कमिश्नर)।
उपार्जक (सं.) [वि.] 1. कमाने वाला; उपार्जन करने वाला 2. पैदा करने वाला।
उपार्जन (सं.) [सं-पु.] परिश्रम और प्रयत्न से संग्रह अथवा अर्जन; कमाना; हासिल करना; पैदा करना।
उपार्जित (सं.) [वि.] 1. कमाया हुआ 2. पैदा किया हुआ।
उपार्जितगुण (सं.) [सं-पु.] व्यक्ति का ऐसा गुण जो उसका स्वयं का न होकर उसने किसी अन्य स्रोत से विकसित किया हो; अनुसरित गुण।
उपालंभ (सं.) [सं-पु.] किसी से उसके द्वारा किए गए किसी कार्य या व्यवहार की शिकायत; उलाहना।
उपाश्रय (सं.) [सं-पु.] 1. लघु आश्रय; हलका-सा सहारा 2. ऐसा भवन, कमरा या स्थान जहाँ जैन लोग स्वाध्याय, उपासना या धर्मोपदेश श्रवण के लिए जाते हैं।
उपाश्रित (सं.) [वि.] 1. जो किसी दूसरे पर आश्रित हो 2. ऐसे कानून जो किन्हीं अन्य नियम-कानूनों के अधीन या आश्रित हों।
उपासंग (सं.) [सं-पु.] 1. नज़दीकी; नैकट्य; सामीप्य 2. तरकश; निषंग।
उपासक (सं.) [वि.] उपासना करने वाला; आराधक; अनुयायी; भक्त। [सं-पु.] बुद्ध का पूजक गृहस्थ।
उपासना (सं.) [सं-स्त्री.] आराधना; प्रार्थना; अर्चना; सेवा; भक्ति। [क्रि-स.] पूजा-सेवा करना; आराधना करना।
उपासनीय (सं.) [वि.] 1. जो उपासना के योग्य हो 2. पूजनीय; पूज्य।
उपासा (सं.) [वि.] 1. जिसने उपवास कर रखा हो 2. जिसने कुछ भी न खाया हो 3. भोजन न मिलने के कारण जो भूखा हो।
उपासिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपासना या पूजा करने वाली स्त्री 2. बौद्ध धर्म की अनुयायी गृहस्थ स्त्री।
उपासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जिस स्त्री ने उपवास कर रखा हो 2. जिस स्त्री ने कुछ भी न खाया हो, जैसे- पति के भोजन करने की प्रतीक्षा में वह उपासी बैठी है।
उपास्थि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कोमल हड्डी; (कार्टिलेज) 2. एक नीले-सफ़ेद अथवा भूरे रंग का अर्धपारदर्शक तंतुमय संयोजी ऊतक।
उपास्य (सं.) [वि.] जिसकी पूजा की जाती हो; उपासना या आराधना करने योग्य; आराध्य; पूज्य।
उपाहार (सं.) [सं-पु.] हलका और थोड़ा भोजन; नाश्ता; जलपान; अल्पाहार।
उपेंद्र (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्र के छोटे भाई का नाम 2. विष्णु 3. कृष्ण।
उपेक्षक (सं.) [वि.] 1. उपेक्षा करने वाला; अवहेलना करने वाला 2. विरक्त; अनुरागरहित; उदासीन।
उपेक्षणीय (सं.) [वि.] उपेक्षा के योग्य; उपेक्षा का पात्र; उपेक्ष्य।
उपेक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी की इस प्रकार अवहेलना करना कि वह अपमानजनक प्रतीत हो; तिरस्कार; अनादर, जैसे- आलोचकों की उपेक्षा से दुखी साहित्यकार 2. जहाँ ध्यान देने की आवश्यकता हो, वहाँ ध्यान न देना; उदासीनता; लापरवाही, जैसे-स्वास्थ्य के नियमों की उपेक्षा।
उपेक्षित (सं.) [वि.] 1. उपेक्षा का शिकार; जिसकी उपेक्षा की गई हो; तिरस्कृत 2. जिसका समुचित आदर सम्मान न किया गया हो।
उपेक्ष्य (सं.) [वि.] उपेक्षणीय; उपेक्षा के योग्य।
उपोत्पाद (सं.) [सं-पु.] किसी पदार्थ के उत्पादन के क्रम में प्राप्त होने वाला अन्य उत्पादन; गौण उपज; उत्पाद से बचा उत्पाद; (बाइ-प्रॉडक्ट), जैसे- गन्ने को पेरकर रस निकालने की प्रक्रिया में निकले सूखे छिलके आदि जिनका उपयोग ईंधन के तौर पर होता है।
उपोद्घात (सं.) [सं-पु.] 1. पुस्तक के आरंभ का वक्तव्य; भूमिका; प्रस्तावना 2. (नव्य न्याय दर्शन) छह संगतियों में से एक।
उपोसथ (सं.) [सं-पु.] 1. निराहार व्रत या उपवास 2. वह व्रत जिसमें भोजन नहीं किया जाता मुख्यतः बौद्ध तथा जैन मतों में उपवास के लिए प्रयुक्त शब्द।