उपसंपदा (सं.) [सं-स्त्री.] घर-गृहस्थी छोड़कर (बौद्ध) भिक्षु बनना; (बौद्ध धर्म) भिक्षु के रूप में दीक्षा ग्रहण करना।
उपसंपादक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पत्र-पत्रिका के संपादक का सहयोगी जो उसके अधीन काम करता है; सहायक संपादक; (सब-एडिटर) 2. किसी अन्य कार्य को भी उसके मुख्य कर्ता के सहायक के रूप में संपादित करने वाला व्यक्ति।
उपसंविदा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बड़े ठेके के अंतर्गत किया गया छोटा ठेका; उप-ठेका 2. किसी संविदा के अंतर्गत किसी दूसरे व्यक्ति से किया गया आंशिक अनुबंध।
उपसंहार (सं.) [सं-पु.] 1. समापन; अंत पर आकर सारे कार्य को समेटना 2. अंत; समाप्ति 3. किसी कृति का अंतिम निष्कर्ष; सारांश; सार।
उपसचिव (सं.) [सं-पु.] किसी सचिव के बाद काम करने वाला सहयोगी सचिव; (डेप्युटी सेक्रेटरी)।
उपसभापति (सं.) [सं-पु.] किसी संस्था का वह अधिकारी जिसका पद सभापति के बाद आता है, और सभापति की अनुपस्थिति में जो उसका काम करता है; (वाइस प्रेसिडेंट)।
उपसमिति (सं.) [सं-स्त्री.] किसी बड़ी समिति या सभा के अंतर्गत किसी कार्य विशेष को निपटाने के लिए बनाई गई छोटी समिति; (सब-कमेटी)।
उपसरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी की ओर आना, जाना या पहुँचना 2. शरीर में रक्त का तेज़ी से हृदय की ओर बहना।
उपसर्ग (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) 1. वह शब्दांश जो किसी शब्द के पहले लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन या किसी प्रकार की विशेषता उत्पन्न करता है, जैसे- प्रहार में 'प्र' और अन्याय में 'अ' उपसर्ग हैं 2. संप्रति इन्हें 'पूर्वप्रत्यय' के नाम से जाना जाता है।
उपसागर (सं.) [सं-पु.] 1. बड़े सागर का कोई छोटा अंश या भाग 2. समुद्र की खाड़ी।
उपसेनापति (सं.) [सं-पु.] सेना में सेनापति के बाद आने वाला पद।
उपसेव्य (सं.) [वि.] व्यवहार योग्य।
उपसैनिक (सं.) [सं-पु.] अर्धसैनिक; सहसैनिक; परासैन्य बल; (पैरामिलिटरी)।
उपस्कर (सं.) [सं-पु.] 1. जीवनयापन के लिए आवश्यक सामग्री 2. घर की सजावट का सामान, फ़र्नीचर आदि 3. कोई काम करने या कोई चीज़ बनाने के लिए उपयोग में आने वाली सारी सामग्री 4. सजने-सँवरने के साधन।
उपस्कार (सं.) [सं-पु.] 1. रिक्त स्थान की पूर्ति करने वाली चीज़; न्यूनतापूरक वस्तु 2. सजावट की सामग्री 3. आभूषण; गहना।
उपस्कृत (सं.) [वि.] 1. घर आदि स्थान जो उपस्करों से सज्जित हों; मेज़-कुरसी आदि सामानों से सजा हुआ 2. आभूषणों आदि से सज्जित 3. एकत्रित या संग्रह किया हुआ।
उपस्थ (सं.) [वि.] बैठा हुआ। [सं-पु.] 1. शरीर का मध्य भाग 2. पेड़ू 3. पुरुष अथवा स्त्री की जननेंद्रिय 4. गुदा।
उपस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी का पास या समीप आना 2. उपस्थिति; मौजूदगी 3. उपासनास्थल; देवालय; मंदिर; मठ 4. स्तुति या आराधना करने की क्रिया 5. सभा; समाज।
उपस्थापक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी सभा या समिति के सामने विचार-विमर्श के लिए प्रस्ताव उपस्थित करने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो अदालत में मुकदमों से संबंधित कागज़ात न्यायकर्ता अधिकारी के सामने पेश करता है और उन पर आज्ञाएँ आदि लिखता है; पेशकार।
उपस्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. कोई प्रस्ताव प्रस्तुत करने की क्रिया या भाव 2. उपस्थित करना; पेश करना।
उपस्थापित (सं.) [वि.] सभा या समिति के समक्ष कोई प्रस्ताव रखा हुआ; उपस्थित किया हुआ।
उपस्थित (सं.) [वि.] 1. विद्यमान; मौजूद; हाज़िर 2. समीप; पास बैठा हुआ 3. समक्ष; सामने स्थित 4. ध्यान या मन में आया हुआ।
उपस्थिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपस्थित होने की अवस्था; मौजूदगी; हाज़िरी; विद्यमानता; (अटेंडेंस) 2. किसी अवसर पर या किसी स्थान पर उपस्थित लोगों की संख्या।
उपस्थिति-पंजिका (सं.) [सं-स्त्री.] वह पंजिका या रजिस्टर जिसमें कर्मचारियों, विद्यार्थियों आदि की उपस्थिति या कार्य का ब्योरा दर्ज़ रहता है; हाज़िरी-रजिस्टर; (अटेंडेंस रजिस्टर)।
उपस्थिति-पत्र (सं.) [सं-पु.] 1. किसी अधिकारी के सामने निश्चित समय बाद उपस्थित होने के लिए किसी के द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला पत्र 2. किसी को किसी राजकीय अधिकारी के सामने किसी निश्चित समय पर उपस्थित होने के लिए भेजा हुआ आधिकारिक पत्र।
उपस्मृति (सं.) [सं-स्त्री.] गौण धर्मशास्त्र।
उप-स्वत्व (सं.) [सं-पु.] 1. भूमि आदि पूँजी से होने वाली आय; लगान 2. ब्याज 3. ज़मीन-जायदाद से हुई आमदनी लेने का अधिकार या स्वत्व।
उपहत (सं.) [वि.] 1. नष्ट या बरबाद किया हुआ 2. बिगाड़ा हुआ; विकृत 3. जो संकट या कष्ट में हो; दुखी 4. जिसे चोट लगी हो; घायल 5. जिस वस्तु को अशुद्ध या दूषित किया गया हो 6. लांछित।
उपहरण (सं.) [सं-पु.] 1. निकट लाना या पहुँचाना 2. हरण करना 3. छीनना या लूटना 4. उपहार; भेंट।
उपहसित (सं.) [वि.] जिसका उपहास किया गया हो। [सं-पु.] 1. (नाट्यशास्त्र) नाक फुलाकर, आँख तिरछी करके और गरदन हिलाते हुए हँसना; कटाक्षभरी हँसी 2. (काव्यशास्त्र) हास्य का एक भेद।
उपहार (सं.) [सं-पु.] 1. भेंट; नज़र; नज़राना; सौगात; किसी विशेष अवसर पर मित्र, संबंधियों आदि को भेंट स्वरूप दी जाने वाली कोई वस्तु; (गिफ़्ट) 2. शैवों की उपासना के छह नियम।
उपहार-प्रति (सं.) [सं-स्त्री.] किसी पत्र-पत्रिका की महत्वपूर्ण व्यक्तियों को आदर-स्वरूप निःशुल्क प्रेषित की जाने वाली प्रति।
उपहास (सं.) [सं-पु.] 1. किसी की कमज़ोरियों को सामने लाने या उसे सबकी दृष्टि में गिराने वाली हँसी; व्यंग्यात्मक हँसी; खिल्ली 2. मज़ाक; दिल्लगी।
उपहासक (सं.) [वि.] दूसरों का उपहास करने वाला; जो दूसरे की खिल्ली उड़ाता हो।
उपहासास्पद (सं.) [वि.] उपहास के योग्य; जिसमें कोई ऐसी कमज़ोरी हो, जिसका उपहास किया जा सके। [सं-पु.] उपहास का पात्र।
उपहास्य (सं.) [वि.] 1. उपहास के योग्य 2. जिसका उपहास किया जा सकता हो; हँसी का पात्र 3. निंदनीय।
उपहित (सं.) [वि.] 1. पास रखा या लाया हुआ 2. ऊपर रखा हुआ; स्थापित 3. धारण किया हुआ 4. किसी प्रकार की उपाधि से युक्त 5. मिला या मिलाया हुआ; सम्मिलित।
उपह्रत (सं.) [वि.] 1. पास लाया हुआ 2. उपहार के रूप में दिया हुआ 3. अर्पण किया हुआ 4. परोसा हुआ।