औत्सुक्य (सं.) [सं-पु.] उत्सुकता; जिज्ञासा; उत्सुक होने की अवस्था या भाव।
औदरिक (सं.) [वि.] 1. पेट या उदर संबंधी; उदर का 2. जो बहुत खाता है; पेटू।
औदार्य (सं.) [सं-पु.] 1. उदारता; सात्विक नायक का एक गुण 2. श्रेष्ठता; महत्ता 3. अर्थगांभीर्य।
औदीच्य (सं.) [वि.] उत्तर दिशा का; उत्तरी। [सं-पु.] गुजराती ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
औदुंबर (सं.) [सं-पु.] 1. यज्ञपात्र जो गूलर की लकड़ी से बना होता है 2. (पुराण) चौदह यमों में से एक। [वि.] 1. उदुंबर या गूलर का बना हुआ 2. ताँबे का बना हुआ।
औद्धत्य (सं.) [सं-पु.] 1. उद्धत होने की अवस्था या भाव; अक्खड़पन; धृष्टता 2. चंचलता; छिछोरापन 3. उजड्डपन।
औद्योगिक (सं.) [वि.] उद्योग संबंधी; जिसका संबंध किसी उद्योग से हो; (सामग्री) जो उद्योगों में काम आती है; (इंडस्ट्रियल)।
औद्योगिकी (सं.) [सं-स्त्री.] उद्योगों का विकास करने तथा उन्हें सही तरीके से चलाने की रीति-नीति।
औद्योगीकरण (सं.) [सं-पु.] व्यवस्था को उद्योग प्रधान बनाने की प्रक्रिया; उद्योगों की वृद्धि।
औद्वाहिक (सं.) [सं-पु.] विवाह में उपहार स्वरूप मिला धन एवं आभूषण। [वि.] विवाह से संबद्ध।
औने-पौने [क्रि.वि.] तीन-चौथाई या उससे भी कुछ कम; अत्यंत कम मूल्य पर। [मु.] -करना : जितना दाम मिले, उतने पर बेच डालना।
औपक्रमिक (सं.) [वि.] 1. उपक्रम विषयक या उपक्रम संबंधी 2. उपक्रम की तरह होने वाला।
औपचारिक (सं.) [वि.] 1. उपचार के रूप में होने वाला 2. उपचार संबंधी 3. मात्र दिखावे के लिए किया जाने वाला (नियम, रीति या शिष्टाचार)।
औपचारिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. औपचारिक होने की अवस्था, गुण या भाव 2. बँधे हुए सामाजिक नियमों, विधियों का ऐसा आचरण या पालन जिसमें अपनापा न हो और जो केवल दिखाने के लिए हो।
औपदेशिक (सं.) [वि.] 1. उपदेश संबंधी 2. उपदेश एवं शिक्षा देकर जीविका चलाने वाला। [सं-पु.] 1. वह जो दूसरों को उपदेश, शिक्षा आदि देकर अपनी जीविका चलाता हो 2. उक्त प्रकार की जीविका से प्राप्त किया हुआ धन।
औपनिधिक (सं.) [वि.] 1. उपनिधि या धरोहर से संबंध रखने वाला 2. धरोहर संबंधी 3. धरोहर के रूप में रखा हुआ।
औपनिवेशिक (सं.) [सं-पु.] उपनिवेश में रहने वाला व्यक्ति। [वि.] 1. उपनिवेश संबंधी 2. उपनिवेश का; (कॉलॉनिअल)।
औपनिवेशिक स्वराज्य (सं.) [सं-पु.] वह स्वराज या स्वायत्तता जो साम्राज्य के अधीनस्थ उपनिवेशों को प्राप्त होती है, जैसे- आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि में।
औपनिवेशीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी देश द्वारा अन्य देशों को उपनिवेश बना लेना 2. उपनिवेश स्थापित करने की क्रिया।
औपनिषदिक (सं.) [वि.] 1. उपनिषद संबंधी 2. उपनिषदों के समान।
औपन्यासिक (सं.) [वि.] 1. उपन्यास से संबंधित 2. उपन्यास के लिए आवश्यक विशेषताओं से युक्त।
औपन्यासिकता (सं.) [सं-स्त्री.] उपन्यास के लिए आवश्यक गुण या विशेषताएँ।
औपपत्तिक (सं.) [वि.] 1. तर्क या युक्ति के द्वारा सिद्ध होने वाला 2. उपपत्ति संबंधी।
औपम्य (सं.) [सं-पु.] 1. बराबरी या समानता का भाव 2. समता; सादृश्य।
औरंग (फ़ा.) [सं-पु.] 1. बुद्धिमत्ता; दानाई 2. राजसिंहासन; तख़्तेशाही।
औरंग-उटांग (मल.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का वनमानुष जो जावा, सुमात्रा आदि द्वीपों में पाया जाता है 2. बंदर की तरह का एक वनमानुष।
औरंगज़ेब (फ़ा.) [वि.] राजसिंहासन की शोभा। [सं-पु.] 1. वह जिससे राजसिंहासन की शोभा हो 2. एक प्रसिद्ध मुगल सम्राट।
और [वि.] अधिक। [अव्य.] तथा। [सर्व.] अन्य; गैर।
औरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. महिला; नारी; स्त्री 2. पत्नी; भार्या; जोरू।
औरस (सं.) [सं-पु.] धर्मपत्नी से उत्पन्न पुत्र; वैध पुत्र।
औरेब (सं.) [सं-पु.] 1. वक्र या टेढ़ी गति 2. कपड़े की तिरछी काट 3. उलझन; संकट; झंझट 4. चाल; पेंच।
औलाद (अ.) [सं-स्त्री.] संतान; वंश; पुत्र; पुत्री; बेटा; बेटी।
औला-दौला [वि.] 1. जिसे किसी बात की चिंता या ध्यान न हो; लापरवाह; मौजी 2. जो उदारता दिखाने के समय कुछ भी सोच-विचार न करे।
औलिया (अ.) [सं-पु.] 1. 'वली' का बहुवचन 2. संत; महात्मा; सिद्ध पुरुष 3. पहुँचा हुआ फ़कीर।
औषध (सं.) [सं-पु.] 1. वह द्रव्य जिससे रोग का नाश हो; दवा 2. रोग दूर करने वाली वस्तु; (मेडिसिन)।
औषधशाला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह स्थान जहाँ दवाएँ बनती हैं; दवाख़ाना; (फ़ार्मेसी)।
औषधालय (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ दवाओं का निर्माण अथवा बिक्री होती है, दवाख़ाना।
औषधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चिकित्सा के काम आने वाली जड़ी-बूटी या वनस्पति 2. रोगी के रोग का इलाज करने के लिए विधिपूर्वक बनाए हुए पदार्थों का मिश्रण।
औषधि-वर्ग (सं.) [सं-पु.] आयुर्वेद में औषधियों का निर्धारित वर्ग, जैसे- रस, भस्म, अरिष्ट, अवलेह, वटी, चूर्ण आदि।
औषधीय (सं.) [वि.] 1. दवा संबंधी 2. जिसमें रोग दूर करने के गुण हों (वनस्पति आदि)।
औषधोपचार (सं.) [सं-पु.] 1. दवा द्वारा चिकित्सा 2. ऐसा उपचार जिसमें औषधि का इस्तेमाल हो।
औसत (अ.) [सं-पु.] 1. कुछ संख्याओं का माध्य; मध्यमान 2. बराबर का परता 3. सामान्य; समष्टि का सम विभाग। [वि.] 1. सामान्य; मामूली; मध्यम 2. दरमियानी; बीच का; साधारण; (ऐवरिज)।
औसतन (अ.) [क्रि.वि.] अनुपात या औसत के हिसाब से।
औसान (फ़ा.) [सं-पु.] हवास; होश, संज्ञा; बुद्धि।
औसाफ़ (अ.) [सं-पु.] 1. खासियत 2. गुण; खूबियाँ।