कपोल (सं.) [सं-पु.] 1. गाल 2. नाट्य एवं नृत्य में एक भाव-भंगिमा।
कपोल-कल्पना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मन से गढ़ी हुई बात जिसका वास्तविकता से कोई संबंध न हो 2. बनावटी बात।
कपोल-कल्पित (सं.) [वि.] 1. मनगढ़ंत; बनावटी 2. कल्पनाधारित।
कप्तान (इं.) [सं-पु.] 1. खिलाड़ी दल का नायक; नेता; अधिपति; (कैप्टिन) 2. सेनानायक 3. जहाज़ का प्रधान अधिकारी।
कफ़ (फ़ा.) [सं-पु.] 1. फेन; झाग 2. हथेली; तलवा; पंजा।
कफ1 (सं.) [सं-पु.] गाढ़ा और लसीला तरल पदार्थ जो खाँसने पर मुँह से बाहर निकलता है; बलगम।
कफ2 (इं.) [सं-पु.] कमीज़ की आस्तीन का अगला भाग जिसमें बटन लगते हैं।
कफ़न (अ.) [सं-पु.] मृतक को लपेटने वाला सफ़ेद कपड़ा; शववस्त्र; शवाच्छादन; मृतचेल। [मु.] -फाड़कर बोल उठना : अचानक ज़ोर से चिल्लाने लगना। -को कौड़ी न होना : अत्यंत गरीब होना।
कफ़न-खसोट (अ.) [वि.] 1. शव के ऊपर डाला गया कपड़ा तक उतार लेने वाला 2. {ला-अ.} अत्यंत लोभी; दूसरे के माल पर जबरदस्ती अधिकार करने वाला।
कफ़नी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. वह कपड़ा जो इस्लाम धर्म में मुर्दे के गले में डाला जाता है 2. बिना सिला कपड़ा जिसे साधुओं द्वारा पहना जाता है।
कफ़श (फ़ा) [सं-पु.] नालदार जूता।
कफ़स (अ.) [सं-पु.] 1. पिंजरा जिसमें पक्षी रखे जाते हैं; वितंस 2. कारागार; कैदख़ाना 3. तंग जगह 4. देह का पिंजर 5. {ला-अ.} देह; शरीर।
कफ़ालत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य, विषय या बात का लिया जाने वाला भार; ज़िम्मेदारी 2. किसी व्यक्ति या कार्य की वह ज़िम्मेदारी जो ज़बानी, कुछ लिखकर अथवा कुछ रुपए जमा करके अपने ऊपर ली जाती है; ज़मानत।
कफ़ील (अ.) [सं-पु.] 1. ज़मानत करने वाला व्यक्ति; ज़ामिन 2. जिसपर कोई उत्तरदायित्व हो; ज़िम्मेदार।
कबंध (सं.) [सं-पु.] 1. बिना सिर का धड़; रुंड 2. (पुराण) राहु नामक ग्रह जिसका सिर कट चुका था 3. बादल; धूमकेतु 4. उदर; पेट 5. जल 6. पीपा; कंडाल 7. (पुराण) एक दानव जो देवी का पुत्र था और जिसका मुँह उसके पेट में था तथा जिसको राम ने दंडक वन में मारा था।
कब (सं.) [क्रि.वि.] 1. काल संबंधी प्रश्नवाची शब्द 2. किस समय; कदा।
कबड्डी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रसिद्ध भारतीय खेल जिसमें दो दल होते हैं 2. शक्ति, साहस और फुर्ती से भरा एक खेल।
कबरिस्तान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ मृत शरीर अथवा शव गाड़े या दफ़नाए जाते हैं 2. जहाँ अनेक कब्रें हों।
कबरी (सं.) [सं-स्त्री.] दे. कवरी।
कबर्ड (इं.) [सं-पु.] 1. अलमारी 2. आधरण; फलक 3. धानी।
कबाड़ [सं-पु.] 1. व्यर्थ वस्तुओं का ढेर 2. रद्दी चीज़ें 3. अंगड़-खंगड़ 4. तुच्छ वस्तुएँ।
कबाड़ख़ाना (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कबाड़ रखने का स्थान 2. वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार की बहुत-सी व्यर्थ वस्तुएँ रखी हों 3. ऐसा स्थान जहाँ तमाम वस्तुएँ बिखरी पड़ी हों 4. कबाड़घर।
कबाड़घर [सं-पु.] 1. वह घर जहाँ बेकार की वस्तुएँ रखी जाती हों 2. रद्दी चीज़ों के रखने का स्थान 3. कबाड़ख़ाना।
कबाड़ा [सं-पु.] 1. कूड़ा-करकट 2. बखेड़ा; झंझट 3. व्यर्थ का काम।
कबाड़ी [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसका व्यवसाय कबाड़ बेचने और ख़रीदने का हो 2. पुरानी, रद्दी या टूटी-फूटी वस्तुएँ ख़रीदने तथा बेचने वाला आदमी।
कबाब (अ.) [सं-पु.] 1. सीकों पर भूनकर पकाया हुआ मांस 2. मांस की तली हुई टिकिया। [मु.] -होना : क्रोध से जल-भुन जाना।
कबाबी (अ.) [वि.] 1. कबाब बनाने तथा बेचने वाला 2. कबाब खाने वाला; मांसाहारी।
कबायली (अ.) [सं-पु.] 1. कबीलों या फिरकों में रहने वाले लोग 2. किसी कबीले का सदस्य 3. पश्चिमी पाकिस्तान में कुछ फिरकों या समुदाय के लोग। [वि.] कबीले में रहने वाले।
कबाला (अ.) [सं-पु.] 1. वह दस्तावेज़ जिसके द्वारा किसी की ज़ायदाद पर दूसरे को अधिकार मिलता हो 2. बैनामा 3. विक्रय-पत्र 4. अधिकार-पत्र।
कबाहत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. बुराई; ख़राबी 2. अनिष्ट 3 आपत्ति 4. कठिनता; दिक्कत; मुश्किल; झंझट 5. बाधा; ख़लल।
कबीर (अ.) [सं-पुं.] 1. एक प्रसिद्ध निर्गुण ज्ञानमार्गी संत 2. होली में गाया जाने वाला एक प्रकार का अश्लील गीत। [वि.] 1. श्रेष्ठ; उत्तम; महान; सम्मानित 2. बड़ा; बुज़ुर्ग।
कबीर-पंथ (अ.+सं.) [सं-पु.] कबीर द्वारा चलाया गया पंथ या संप्रदाय।
कबील (अ.) [सं-पु.] 1. मनुष्य 2. समुदाय; जाति; वर्ग; दल; गिरोह।