Hin Dict_O2 - हिंदी शब्दकोश - ओ2

ओटी2 (इं.) [सं-पु.] अस्पतालों में शल्य क्रिया कक्ष; (ऑपरेशन थियेटर का संक्षिप्त रूप)।
ओठ [सं-पु.] ओंठ; ओष्ठ; होंठ; अधर। [मु.] -चबाना : अतिशय क्रोध के कारण होंठों का दाँतों तले दबाना; -चाटना : स्वादिष्ट भोजन के बाद होंठों पर जीभ फेरकर स्वाद लेना; -फड़कना : क्रोधावेश में होंठों का काँपना।
ओड़ [सं-पु.] एक जाति जिसका पारंपरिक कार्य गधे या खच्चर पर मिट्टी, बालू, ईंट आदि लादकर यथास्थान पहुँचाना है।
ओड़चा [सं-पु.] वह बर्तन जिससे खेत का पानी बाहर उलीचते हैं या बाहर का पानी खेत में भरते हैं; ओलचा।
ओड़न [सं-पु.] 1. ओड़ जाति का व्यवसाय; गधे या खच्चर आदि पर माल लाद कर पहुँचाने का पेशा 2. आघात, वार या प्रहार रोकने वाली वस्तु; ढाल।
ओड़व (सं.) [सं-पु.] (संगीत शास्त्र) भारतीय संगीत में वे राग जिनमें सात स्वरों "सा, रे, , , , , नि" में से केवल किन्हीं पाँच स्वरों का ही प्रयोग होता है; औड़व।
ओड़व-षाड़व (सं.) [सं-पु.] (संगीतशास्त्र) भारतीय शास्त्रीय संगीत के ऐसे राग जिनके आरोह में सात में से केवल पाँच और अवरोह में केवल छह स्वर लगते हैं।
ओडिका (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि पर बिना बोए उत्पन्न धान; साँवाँ (वन में उत्पन्न धान); नीवार।
ओडिशा [सं-पु.] भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था; प्राचीन काल का उत्कल।

ओडिसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ओडिशा की एक शास्त्रीय नृत्यशैली जिसका जन्म मंदिरों में देवता के आगे पुजारियों के नृत्य से हुआ।
ओड्र (सं.) [सं-पु.] 1. भारत के एक राज्य ओडिशा का पुराना नाम 2. ओडिशावासी; उड़िया 3. अड़हुल का झाड़ और उसका फूल।
ओढ़ना (सं.) [क्रि-स.] 1. शरीर के अंगों को किसी वस्त्र आदि से आच्छादित करना 2. {ला-अ.} किसी प्रकार का उत्तरदायित्व अपने जिम्मे लेना; अपने सिर लेना 3. पहनना; धारण करना। [सं-पुं.] 1. ओढ़ने की चादर 2. महिलाओं की पोशाक में शरीर के ऊपरी भाग पर पहना जाने वाला वस्त्र; ओढ़नी 3. शरीर ढकने हेतु शरीर के उपर से डाला जाने वाला वस्त्र। [मु.] -उतारना : अपमानित करना। -बिछौना : वह कार्य जिसके बिना व्यक्ति का निर्वाह न हो सके।
ओढ़नी [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों के ओढ़ने का दुपट्टा 2. स्त्रियों के शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़ी जाने वाली छोटी, हलकी (झीनी) चादर। [मु.] -बदलना : दो स्त्रियों का परस्पर ओढ़नी बदल कर सखियाँ बनाना (मित्रता करना)।
ओढ़ाना [क्रि-स.] 1. किसी के ऊपर वस्त्र (चादर आदि) डालना 2. किसी के चारों ओर वस्त्र लपेटना 3. ढाँकना; ढकवाना। [मु.] ओढ़ूँ कि बिछाऊँ : किस काम में लाऊँ।
ओत (सं.) [सं-पु.] कपड़े की बुनावट में लंबाई में लगा सूत; ताने का सूत; ताना। [वि.] गुँथा हुआ; तार सूत आदि द्वारा बुना हुआ।
ओत-प्रोत (सं.) [वि.] 1. जो ताने-बाने की तरह एक में एक बुना हुआ हो; गुँथा हुआ; मिलकर एक हो चुका 2. लबालब; खूब भरा हुआ।
ओदक (सं.) [सं-पु.] जलीय प्राणी; जल में निवास करने वाला प्राणी।
ओदन (सं.) [सं-पु.] 1. भात; पका हुआ चावल 2. दूध में पकाया हुआ अन्न 3. बादल; मेघ।
ओदनिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बला नामक औषधि 2. औषधि निर्माण में प्रयुक्त एक पौधा जिसे बरियारा या बीजबंध कहते हैं।
ओदरना [क्रि-अ.] 1. फट जाना; उखड़ जाना; विदीर्ण होना; चिथड़े-चिथड़े हो जाना 2. गिरना; ढहना।
ओदा (सं.) [वि.] तर; नम; गीला।
ओदारना [क्रि-स.] फाड़ना; विदीर्ण करना; नष्ट-भ्रष्ट करना।
ओधा (सं.) [सं-पु.] 1. मालिक; स्वामी 2. अधिकारी 3. (वल्ल्भ संप्रदाय) मंदिर का पुजारी।
ओनचन [सं-स्त्री.] उनचन; अदवान; खाट में पैताने (पैर की ओर) की रस्सी; (ओरचन) जिसे खींचकर खटिया की बुनावट को ताना जाता है।
ओनचना [क्रि-स.] उनचना; पैताने (पैर की ओर) की रस्सी खींचकर खटिया की बुनावट के ढीलेपन को दूर करना।
ओना [सं-पु.] तालाब आदि से पानी निकलने का रास्ता; जल निकास मार्ग।
ओनामासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बच्चों के अक्षरारंभ के समय उच्चारण कराए जाने वाले मंत्र 'ॐ नमः सिद्धम' का बिगड़ा हुआ रूप; अक्षर ज्ञान का आरंभ 2. किसी भी कार्य का प्रारंभ; शुरुआत।
ओप [सं-स्त्री.] 1. चमक; कांति; आभा; दीप्ति 2. किसी के मुख की शोभा; सुंदरता 3. वस्त्र आदि की फबन।
ओपना [क्रि-स.] 1. वस्तु में चमक बढ़ाने के लिए उसे माँजना; चमकाना; रगड़ना; पॉलिश करना 2. फबना; पहनने पर अच्छा दिखना। [क्रि-अ.] 1. ओप (चमक) आना 2. चमकना।
ओपनी [सं-स्त्री.] 1. पत्थर का वह टुकड़ा जिससे रगड़कर तलवार को साफ़ किया जाता है या उसमें धार दी जाती है 2. अकीक या यशब पत्थर का वह टुकड़ा जिससे रगड़कर किसी चित्र के सोने या चाँदी के काम को चमकाते हैं।
ओफ़ (अ.) [अव्य.] शारीरिक पीड़ा या मानसिक व्यथा सूचक एक अव्यय।

ओबरी [सं-स्त्री.] सँकरी, तंग कोठरी जिसमें प्रकाश एवं वायु पर्याप्त मात्रा में न आती हो।