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IDGAAH - 2 ( ईदगाह )( తెలుగు వివరణతో ) Munshi Premchand मुंशी प्रेमचंद SSC 10 Class SL FL Hindi AP Telangana State Boards

IDGAAH - 2 ( ईदगाह )( తెలుగు వివరణతో ) Munshi Premchand मुंशी प्रेमचंद SSC 10 Class SL FL Hindi AP Telangana State Boards



कहानी का विवरण


     रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात ! वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक़ है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है! मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है! ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं।

     लड़के सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं। बार-बार जेब से खज़ाना निकालकर गिनते हैं। महमूद गिनता है, एक-दो... दस-बारह। उसके पास बारह पैसे हैं। मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं। इनसे अनगिनत चीज़ें लाएँगे- खिलौने, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद और न जाने क्या-क्या। और सबसे ज़्यादा प्रसन्न है हामिद। वह भोली सूरत का चार-पाँच साल का दुबला-पतला लड़का था। उसका पिता गत वर्ष हैज़े की भेंट हो गया और माँ न जाने क्‍यों पीली पड़ती गयी और एक दिन वह भी परलोक सिधार गयी। किसी को पता न चला कि आख़िर अचानक यह क्‍या हुआ।

     अब हामिद अपनी दादी अमीना की गोदी में सोता है। दादी अम्मा हामिद से कहती है कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत-सी अच्छी चीज़ें लाने गयी हैं। आशा तो बड़ी चीज़ है। हामिद के पाँव में जूते नहीं हैं, सिर पर एक पुरानी टोपी है, जिसका गोटा काला पड़ गया है। फिर भी वह प्रसन्न है।

     अभागिन अमीना अपनी कोठरी में बैठी रो रही है। आज ईद का दिन है और उसके घर में दाना तक नहीं है। लेकिन हामिद! उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा की किरण। हामिद भीतर जाकर दादी से कहता है- “तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा। बिलकुल न डरना।

     अमीना का दिल कचोट रहा है। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ जा रहे हैं। हामिद का अमीना के सिवा कौन है? भीड़ में बच्चा कहीं खो गया तो क्‍या होगा? तीन कोस चलेगा कैसे ? पैरों में छाले पड़ जाएँगे। जूते भी तो नहीं हैं। वह थोड़ी दूर चलकर, उसे गोदी ले लेगी, लेकिन यहाँ सेवइयाँ कौन पकाएगा? पैसे होते तो लौटते- लोटते सारी सामग्री जमा करके झटपट बना लेती। यहाँ तो चीज़ें जमा करते-करते घंटों लगेंगे।

     गाँव से मेला चला। और बच्चों के साथ हामिद जा रहा था। शहर का दामन आ गया। सड़क के दोनों ओर अमीरों के बगीचे हैं। बड़ी-बड़ी इमारतें, अदालत, कॉलेज, क्लब, घर आदि दिखायी देने लगे। ईदगाह जानेवालों की टोलियाँ नज़र आने लगीं। एक-से-एक भड़कीले वस्त्र पहने हुए हैं। सहसा ईदगाह नज़र आयी और उसी के पास ईद का मेला। नमाज़ पूरी होते ही सब बच्चे मिठाई और खिलौनों की दुकानों पर धावा बोल देते हैं। हामिद दूर खड़ा है। उसके पास केवल तीन पैसे हैं।

मोहसिन भिश्ती खरीदता है, महमूद सिपाही, नूरे वकील और सम्मी धोबिन। हामिद खिलोनों को ललचाई आँखों से देखता है। वह अपने आपको समझाता है, “मिट्टी के तो हैं, गिरें तो चकनाचूर हो जाएँ।” फिर मिठाइयों की दुकानें आती हैं। किसी ने रेवड़ियाँ लीं, किसी ने गुलाबजामुन, किसी ने सोहन हलवा। मोहसिन कहता है, “हामिद, रेवड़ी ले ले, कितनी खुशबूदार है।'' हामिद ने कहा, "रखे रहो, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं?'' सम्मी बोला, “तीन ही पैसे तो हैं, तीन पैसे में क्या-क्या लोगे?” हामिद मौन रह गया। मिठाइयों के बाद लोहे की चीज़ों की दुकानें आती हैं। कई चिमटे रखे हुए थे। हामिद को ख्याल आता है, दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारती हैं तो हाथ जल जाते हैं, अगर चिमटा ले जाकर दादी को दे दें, तो वह कितनी प्रसन्न होंगी। फिर उनकी उँगलियाँ कभी नहींजलेंगी। दादी अम्मा चिमटा देखते ही दोड़कर मेरे हाथ से ले लेंगी और कहेंगी- ''मेरा बच्चा! अम्मा के लिए चिमटा लाया है। हज़ारों दुआएँ देती रहेंगी। फिर पड़ोस की औरतों को दिखाएँगी। सारे गाँव में चर्चा होने लगेगी। हामिद चिमटा लाया है।

     कितना अच्छा लड़का है। बड़ों की दुआएँ सीधे अल्लाह के दरबार में पहुँचती हैं और तुरंत सुनी जाती हैं। हामिद ने दुकानदार से पूछा, “यह चिमटा कितने का है?” छह पैसे क़ीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया। हामिद ने कलेजा मज़बूत करके कहा,“तीन पैसे लोगे?” दुकानदार ने बुलाकर चिमटा दे दिया। हामिद ने उसे इस तरह कंधे पर रखा, मानो बंदूक हो और शान से अकड़ता हुआ संगियों के पास आया। दोस्तों ने मज़ाक किया, “यह चिमटा क्‍यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?''

     घर आने पर अमीना हामिद की आवाज़ सुनते ही दौड़ी और उसे गोद में उठाकर प्यार करने लगीं। सहसा हाथ में चिमटा देखकर वह चौंकी।

 “यह चिमटा कहाँ से लाया?”

      “मैंने मोल लिया है अम्मा। ”

 “कितने पैसे में ? ”

     “तीन पैसे दिये।”

    अमीना ने अपने माथे पर हाथ रखा। वह अफ़सोस करती हुई, आह! भरती हुई बोली- “यह कैसा बेसमझ लड़का है कि दोपहर हुई, कुछ खाया न पिया। लाया क्या, चिमटा! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया ?"

     हामिद ने अपराधी भाव से कहा, “तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, यह मुझसे देखा न जाता था अम्मा। इसलिए मैं इसे लिवा लाया।” अमीना का क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, मार्मिक प्रेम था जो रस और स्वाद से भरा। बच्चे में कितना त्याग, कितना सदभाव और कितना विवेक है। दूसरों को खिलौने लेते और मिठाई खाते देखकर इसका मन कितना ललचाया होगा! वहाँ भी अपनी बुढ़िया दादी की याद बनी रही। अमीना का मन गद् गद्‌ हो गया। आँचल फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जातीं और आँसुओं की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थीं। हामिद इसका रहस्य क्या समझता ! - (प्रेमचंद की कहानी पर आधारित)

IDGAAH - 1 ( ईदगाह )( తెలుగు వివరణతో ) Munshi Premchand मुंशी प्रेमचंद SSC 10 Class SL FL Hindi AP Telangana State Boards

IDGAAH  -1 ( ईदगाह )( తెలుగు వివరణతో ) Munshi Premchand मुंशी प्रेमचंद SSC 10 Class SL FL Hindi AP Telangana State Boards



उन्मुखीकर


खुशबू भरे फूल देते हैं,
हमको नव फूलों की माला,
त्यागी तरुओं के जीवन से
हम भी तो कुछ देना सीखें।

బాటసారులకు మండే మధ్యాహ్నంలో,
చెట్లు ఎల్లప్పుడూ నీడనిస్తాయి.
సుగంధం నిండిన పూలు ఇస్తాయి,
మనకు కొత్త పూలమాలను
త్రాగధనులైన చెట్ల జీవనము నుండి
మనము కూడా కొంత ఇవ్వడం నేర్చుకోవాలి.

प्रश्नोत्तर

1. पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?
[ బాటసారులకు మండే మధ్యాహ్నంలో సుఖము, విశ్రాంతి దేనివలన కలుగుతుంది ( లభిస్తుంది ) ? ]
उ) पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेड़ों से मिलता है।
[ బాటసారులకు మండే మధ్యాహ్నంలో సుఖము, విశ్రాంతి చెట్ల వలన కలుగుతుంది ( లభిస్తుంది )]
2. खुशब्‌ भरे फूल हमें क्या देते हैं? [ సువాసనతో నిండిన పూలు మనకు ఏమి ఇస్తాయి? ]
उ) खुशबू भरे फूल हमें नव फूलों की माला देते हैं।
[ సువాసనతో నిండిన పూలు మనకు కొత్త పూల మాలను ఇస్తాయి ]
3. 'हम भी तो कुछ देना सीखें' - कवि ने ऐसा क्‍यों कहा होगा?
[ ‘మనము కూడా కొంత ఇవ్వడం నేర్చుకుందాం’ - కవి ఈవిధముగా ఎందుకు చెప్పి ఉంటారు ? ]
उ) पेड़ परोपकारी हैं। वे हमें फूल, फल, छाया प्रदान करते हैं। इसलिए हमें भी पेड़ की तरह दुसरों केलिए अपना जीवन बिताना चाहिए।
[ చెట్లు పరోపకారం చేస్తాయి. అవి మనకు పూలను, పండ్లను మరియు నీడను ఇస్తాయి. అందుకని మనం కూడా పరుల కొరకు మన జీవితాన్ని గడపాలి ]

उद्देश्य

कहानी विधा की भाषा शैली से परिचित कराते हुए छात्रों में कहानी लेखन कला का विकास करना और त्याग, सद्भाव व विवेक जैसे संवेदनशील कर्त्तव्य बोध संबंधी गुणों का विकास करना और बड़े-बुज़ुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना का विकास करना है ।
కథా ప్రక్రియ యొక్క భాష శైలిని పరిచయం చేయటంతో పాటు విద్యార్థులలో కథా రచన కళను పెంపొందించడం మరియు త్యాగము, సద్భావన మరియు వివేకం వంటి అనుభూతులతో కూడిన కర్తవ్యబోధకు సంబంధించిన గుణాలను పెంపొందించడం మరియు పెద్దలు - వృద్ధుల యెడల భక్తి మరియు గౌరవ భావనలను పెంపొందింపచేయాలి.

विधा विशेष

'कहानी' शब्द 'कह' धातु के साथ 'आनी' कृत प्रत्यय जोड़ने से बना है। 'कह' का आशय 'कहना' से है । किसी घटना या बात का सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जाना ही कहानी है । इस कहानी में दादी व पोते का मार्मिक प्रेम दर्शाया गया है। इसमें कथन व संदर्भ, वातावरण का सजीव चित्रण है । इसमें बाल्यावस्था की निर्मल भावनाओं का सुंदर प्रतिबिंब दर्शाया गया है ।
'కహానీ' ( कहानी ) శబ్దము 'కహ్' ( कह ) అను ధాతువుతో పాటు 'ఆనీ' ( आनी ) అనే కర్తరి ( कृत ) ప్రత్యయాన్ని జోడించటం ద్వారా ఏర్పడింది. 'కహ్' ( कह ) అంటే చెప్పుట. ఏదైనా సంఘటన లేదా విషయాన్ని అందంగా తెలియజేయుటయే కథ ( कहानी ) . ఈ కథలో నాయనమ్మ మరియు మనవడుల మధ్య నర్మగర్భమైన ప్రేమ చూపించబడింది. దీనిలో కథనము మరియు సందర్బము, పరిస్థితులు చాల సజీవముగా చిత్రీకరించబడినవి. దీనిలో బాల్యావస్థలోని స్వచ్చమైన భావాలు అందంగా ప్రతిబింబించబడ్డాయి.

लेखक परिचय

प्रेमचंद का जन्म एक गरीब घराने में काशी में 31 जुलाई, 1880 को हुआ। इनके बचपन का नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। इन्होंने ट्यूशन पढ़ाते हुए मैट्रिक तथा नौकरी करते हुए बी.ए. पास किया। इन्होंने लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इन्हें “उपन्यास सम्राट'' भी कहा जाता है। इनकी कहानियाँ मानसरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं। गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, कायाकल्प, प्रतिज्ञा, मंगलसृत्र आदि इनके प्रमुख उपन्यास हैं। इनकी कहानियों में पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफन आदि प्रमुख  हैं।

 ప్రేమ్ చంద్ ఒక నిరుపేద కుటుంబంలో 31జులై, 1880 న కాశీలో జన్మించారు. ఈయన ట్యూషన్స్ చెప్తూ మెట్రిక్ మరియు ఉద్యోగం చేస్తూ బి. ఏ. ఉతీర్ణులైరి. వీరు సుమారుగా ఒక డజను ( 12 ) నవలలు, 300లకు పైగా కథలు రచించారు. వీరిని 'నవలా చక్రవర్తి' అని పిలుస్తారు. వీరి కథలు 'మానసరోవర్' అనే శీర్షికతో 8 భాగాలుగా పొందుపరచబడ్డాయి. గోదాన్, గబన్, సేవాసదన్, నిర్మలా, కర్మభూమి, రంగ్ భూమి, కాయాకల్ప్, ప్రతిజ్ఞ, మంగళ్ సూత్ర్ మొదలైనవి వీరి యొక్క ముఖ్యమైన నవలలు. వీరి ప్రముఖ కథలలో పంచ్ పరమేశ్వర్, బడే ఘర్ కీ బేటీ, కఫన్ లు ముఖ్యమైనవి.

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लेखक परिचय - अतिरिक्त

Premchand's Father, Mother names, Pen names, Who called him 'उपन्यास सम्राट (Emperor of Novels)', 'कलम का सिपाही', Famous Novels (उपन्यास ), Stories (कहानियाँ), Dramas (नाटक), Childrens Literature (बाल साहित्य ), Translations (अनुवाद), News Paper Editor (संपादन) etc.

भाषा की बात

पर्यायवाची शब्द

* ईद, * प्रभात, * वृक्ष, संसार, सूर्य, आसमान, वस्त्र, अजीब

विलोम शब्द

*अपराधी, *प्रसन्न, आशा, त्याग, प्यार, श्रद्धा, प्रेम, अनगिनत, कमाना, डर, अमीर, ख़ुशबू , विवेक , आसमान, सद्भावना, प्रकाश, रहस्य, समझ, रस, ख़ुशबूदार, काला

वचन बदलना

*मिठाई , *चिमटा, *सड़क, तैयारी, जूता , कोठरी , रुपया, गेंद, मेला , बुढ़िया
टोपी , दाना , किरण , छाला, सामग्री, भड़कीला, रोटी, बगीचा, दुआ , माथा, लोहा
दिल, बगीचा, खिलौना, चीज़, आशा, प्यारा, दूकान, रेवाड़ी, औरत, उँगली, दोस्त

भाववाचक संज्ञा में बदलना

* मीठा, * प्रसन्न, * बूढ़ा , सुंदर, लाल, भोला, बच्चा, मित्र, लड़का, हरा

मुहावरे और उनके अर्थ

परलोक सिधारना ,
आह भरना,
धावा बोलना,
चकनाचूर होना ,
मज़ाक करना ,
दिल कचोटना,
मोल लेना,
गदगद हो जाना,
दिल बैठ जाना,
कलेजा मज़बूत करना,
मन ललचाना