Hin Dict_a11 - हिंदी शब्दकोश - अ11
अंसकूट (सं.) [सं-पु.] बैलों या ऊँट के कंधों का कूबड़।
अंसल (सं.) [वि.] 1. हृष्टपुष्ट, तगड़ा 2. मज़बूत कंधोंवाला 3. कंधे से संबंधित।
अंसार (अ.) [सं-पु.] 1. सहायक, मददगार 2. इस्लामिक मान्यता के अनुसार वे मदीनावासी जिन्होंने हज़रत मुहम्मद और उनके साथियों की सहायता की थी।
अंसारी (अ.) [वि.] 1. हज़रत मुहम्मद के सहायक अंसारों के वंशज 2. मुसलमानों में एक प्रकार का कुलनाम या सरनेम।
अकंटक (सं.) [वि.] 1. बिना काँटे का, निर्विघ्न 2. {ला-अ.} शत्रुरहित 3. {ला-अ.} जिसमें बाधा न हो।
अकंप (सं.) [वि.] जो काँपता न हो; कंपन रहित; ठहरा हुआ; स्थिर।
अकंपन (सं.) [सं-पु.] 1. कंपन का अभाव; स्थिरता 2. दृढ़ता। [वि.] 1. दृढ़; कठोर 2. कंप रहित।
अकंपित (सं.) [वि.] जो काँपता न हो; कंपनहीन; स्थिर।
अकंप्य (सं.) [वि.] 1. जिसे कंपित करना कठिन हो; जो कँपाया न जा सके 2. दृढ़; स्थिर; अटल।
अकड़ [सं-स्त्री.] 1. अकड़ने की क्रिया या भाव; ऐंठ; तनाव 2. घमंड; अहंकार; दर्प; हेकड़ी 3. ठंड आदि के कारण अंगों में होने वाली अकड़ाहट; कड़ापन; तनाव 4. स्वाभिमान; गर्व 5. ज़िद; हठ; ढिठाई 6. हिमाकत। [मु.] -जाना : ज़िद या हठ पर अड़ जाना; सूखकर कड़ा हो जाना। -दिखाना : अभिमान प्रदर्शित करना।
अकड़न [सं-स्त्री.] 1. शरीर या अंगों में होने वाली अकड़; अकड़ाहट; ऐंठन 2. अड़ियलपन; ढिठाई।
अकड़ना [क्रि-अ.] 1. ऐंठना; तनना; तन कर चलना 2. गरूर में रहना; घमंड करना 3. धृष्टता करना 4. सूख कर कड़ा होना 5. सरदी आदि के कारण ठिठुरना।
अकड़-फ़ों [सं-स्त्री.] गर्व से भरी चाल; अकड़ जताने वाली चेष्टा या भाव-भंगिमा; हेकड़ी; गरूर।
अकड़बाज़ [वि.] 1. अकड़ कर चलने वाला; घमंडी; मगरूर; हेकड़ीबाज़; अकड़ू 2. अहंकारी; दंभी; अड़ियल।
अकड़बाज़ी [सं-स्त्री.] बात-बात में अकड़ दिखाने की क्रिया या भाव; मगरूरियत, हेकड़ीबाज़ी; अकड़; ऐंठ; अड़ियलपन; दंभ।
अकड़ाव [सं-पु.] 1. अकड़ने की क्रिया या भाव; अकड़ाहट 2. खिंचाव; तनाव; ऐंठन।
अकड़ू [वि.] अकड़ने वाला; हेकड़ीबाज़; अकड़बाज़; अकड़ैत।
अकथ (सं.) [वि.] 1. जो कहने योग्य न हो 2. जो कहा न जा सके; अकथनीय 3. जो कहा न गया हो।
अकथनीय (सं.) [वि.] 1. अकथ्य; अकथ; जो कहने योग्य न हो; गोपनीय 2. जिसकी अभिव्यंजना न हो सकती हो; अवर्णनीय; अद्भुत।
अकथित (सं.) [वि.] 1. जिसे कहा न गया हो; जिसकी अभिव्यक्ति न हुई हो; अनुच्चरित 2. गुप्त; छुपा हुआ।
अकथ्य (सं.) [वि.] 1. जो कहा न जा सकता हो; जो कहने लायक न हो; अकथ; अकथनीय 2. कहने की सामर्थ्य के बाहर; वर्णनातीत।
अकधक [सं-स्त्री.] 1. डर; भय 2. सोच-विचार; असमंजस; दुविधा 3. खटका; आशंका।
अकबक [सं-स्त्री.] 1. बकवास; अंडबंड या निरर्थक बात; अनर्गल प्रलाप 2. चिंता; घबराहट।
अकबकाना [क्रि-अ.] 1. अंडबंड बातें करना; प्रलाप करना 2. भरमाना, सकपकाना।
अकबर (अ.) [वि.] महान; बहुत बड़ा; श्रेष्ठ। [सं-पु.] प्रसिद्ध मुगल सम्राट जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर (1542-1605 ई.) जिसने भारत में विशाल साम्राज्य स्थापित किया था।
अकबरी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की फलाहारी मिठाई 2. एक प्रकार की नक्काशी जो प्रायः लकड़ियों पर की जाती है। [वि.] अकबर या उसके साम्राज्य से संबंधित; अकबर का।
अकरणीय (सं.) [वि.] 1. जो करने योग्य न हो; अकृत्य 2. अविधेय; अनुचित; अनैतिक।
अकरी [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का पौधा 2. महँगी (वस्तु); जिसे ख़रीदना कठिन हो 3. हल में लगाया जाने वाला पोले बाँस का टुकड़ा जिसमें कीप लगाकर गेहूँ, जौ आदि बोते हैं।
अकरुण (सं.) [वि.] जिसमें करुणा न हो; निर्दयी; कठोर स्वभाव का; निर्मम; निष्ठुर।
अकर्ण (सं.) [वि.] 1. जिसके कान न हों; बहरा 2. जिसके कान काफी छोटे हों 3. (नाव) जिसमें पतवार न हो। [सं-पु.] सर्प; साँप।
अकर्तव्य (सं.) [वि.] जो करने योग्य न हो; अनुचित; अकरणीय।
अकर्ता (सं.) [वि.] 1. जो कुछ काम न करता हो 2. जो किसी काम में लगा न हो; सब कर्मों से अलग; निर्लिप्त 3. प्रयासहीन। [सं-पु.] 1. कर्मों से निर्लिप्त व्यक्ति 2. परमपुरुष; ईश्वर।
अकर्तृक (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई करने वाला न हो 2. जिसका रचयिता न हो; अपौरुषेय।
अकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. कर्म का अभाव; अकरण; कर्महीनता; निष्क्रियता 2. बुरा कर्म; न करने लायक काम।
अकर्मक (सं.) [वि.] 1. बिना कर्म का 2. जिसके लिए कर्म की अपेक्षा न हो 3. (ऐसी क्रिया) जिसे किसी कर्म की अपेक्षा न हो।
अकर्मकता (सं.) [सं-स्त्री.] क्रियापद के अकर्मक होने की अवस्था या भाव।
अकर्मण्य (सं.) [वि.] 1. आलसी; निठल्ला; निकम्मा; कामचोर 2. प्रयासहीन; प्रारब्धवादी; भाग्यवादी।
अकर्मण्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अकर्मण्य होने की स्थिति या भाव 2. निकम्मापन; निठल्लापन; आलस 3. निरुत्साह।
अकर्मी (सं.) [वि.] 1. काम न करने वाला; काम से जी चुराने वाला 2. बुरा कर्म करने वाला; पापी; दुष्कर्मी 3. अपराधी; दोषी।
अकलंक (सं.) [वि.] 1. कलंक रहित; बेदाग; निर्दोष; निष्कलंक 2. निर्मल; शुद्ध।
अकल (सं.) [वि.] 1. जिसमें कल (अंग या अवयव) न हों; अवयवरहित; अंशरहित 2. जो कलाओं या भागों में विभक्त न हो; पूर्ण; अखंड 3. जिसकी गणना संभव न हो।
अकलखुरा (सं.+फ़ा.) [वि.] 1. अकेला खाने वाला; मतलबी; स्वार्थी 2. सबसे अलग-थलग रहने वाला।
अकलदाढ़ (अ.+सं.) [सं-स्त्री.] 1. युवावस्था में दंतावली के दोनों सिरों पर निकलने वाले दाँत 2. लोकमान्यता के अनुसार अकलदाढ़ को अक्ल या समझदारी आने का सूचक माना जाता है।
अकलबीर [सं-पु.] एक पौधा जिसकी जड़ रेशम पर रंग चढ़ाने के काम आती है।
अकलित (सं.) [वि.] 1. नाम मात्र का 2. जिसकी गणना ही न हुई हो।
अकलुष (सं.) [वि.] जिसमें कोई कलुषता या दोष न हो; निर्मल हृदय; स्वच्छ; मलहीन; निर्दोष; निष्पाप।
अकल्प (सं.) [वि.] 1. जिसकी तुलना न हो सके; अतुलनीय 2. अनियंत्रित; असंयत 3. कमज़ोर; दुर्बल; अक्षम।
अकल्पनीय (सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना न की जा सके; कल्पनातीत 2. असंभव 3. चमत्कारपूर्ण; आश्चर्यजनक।
अकल्पित (सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना भी न की गई हो; जिसके बारे में सोचा तक न गया हो; अविचारित 2. जो कल्पित न होकर यथार्थ हो, वास्तविक।
अकल्मष (सं.) [वि.] 1. निर्दोष 2. शुद्ध 3. निष्कंलक; बेदाग़ 3. परिपूर्ण।
अकल्याण (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो संकट में डालता हो; अहित; अमंगल 2. अनर्थ; अनिष्ट 3. अशुभ; अभद्र।
अकल्याणकारी (सं.) [वि.] 1. जिससे हानि या कष्ट की संभावना हो; अमंगलकारी; अनिष्टकारी 2. दुर्भाग्यप्रद।
अकविता (सं.) [सं-स्त्री.] पूर्व साहित्यिक मानकों को अस्वीकार कर चलने वाली नए रूप-प्रारूप की हिंदी कविता जो 'नई कविता' के बाद शुरू हुई।
अकशेरुकी (सं.) [सं-पु.] बिना रीढ़ वाले जंतु; प्राणी जिसमें मेरुदंड न हो, जैसे- घोंघा आदि।
अकस (सं.) [सं-पु.] 1. मन में होने वाला दुर्भाव या वैर; मनमुटाव 2. शत्रुता; द्वेष 3. अकड़; ऐंठ।
अकसर (फ़ा.) [क्रि.वि.] प्रायः; अधिकतर; बहुधा; अमूमन; बारंबार।
अकसीर (अ.) [सं-स्त्री.] 1. साधारण धातु से सोना बनाने वाला रसायन; कीमिया 2. रोग-विशेष के लिए अचूक औषधि। [वि.] बहुत गुणकारी; अचूक।
अकस्मात (सं.) [क्रि.वि.] 1. अचानक; एकदम से; एकाएक; औचक; सहसा 2. संयोगवश।
अकहानी [सं-स्त्री.] हिंदी में नई कहानी के बाद का एक कथा-आंदोलन या कहानी की धारा जिसमें कहानी के प्रचलित ढाँचे या पारंपरिक तत्वों का निषेध किया गया।
अकांड (सं.) [वि.] 1. बिना शाखा या तने का; शाखारहित (वृक्ष) 2. अचानक या असमय होने वाला; आकस्मिक 3. अनपेक्षित। [क्रि.वि.] अकस्मात; अचानक; अकारण ही; सहसा।
अकाउंट (इं.) [सं-पु.] 1. जमा खाता; बैंक खाता; लेखा 2. हिसाब-किताब; लेखा-जोखा 2. महत्व 3. वजह; कारण 4. व्याख्या; वृतांत; विवरण।
अकाउंटेंट (इं.) [सं-पु.] लेखाकार; लेखापाल; हिसाब रखने वाला; मुनीम।
अकाज (सं.) [सं-पु.] 1. कार्य का न होना; कार्य की हानि 2. हर्ज़; नुकसान 2. विघ्न 3. गलत काम। [क्रि.वि.] बेकार ही; बेवजह; निष्प्रयोजन।
अकाजी (सं.) [वि.] 1. अकाज करने वाला; जिसकी वजह से किसी काम का नुकसान हो जाए 2. निकम्मा; बिना काम-काज का।
अकाट्य (सं.) [वि.] 1. जो काटा न जा सके; जिसकी कोई काट न हो 2. अत्यंत दृढ़; मज़बूत; कठोर 3. (तर्क, विचार, बात आदि) जिसका तर्क या तथ्य से खंडन न किया जा सके; अखंडनीय; अटूट।
अकादमिक [वि.] 1. शिक्षा संबंधी; उच्च शैक्षिक; विद्यालयीन 2. अकादमी से संबंधित; विद्यापीठीय 3. पुस्तकीय 4. विद्वतापूर्ण; प्राध्यापकीय 5. कोरा सैद्धांतिक; शास्त्रीय; जिसमें व्यावहारिकता न हो।
अकादमी [सं-स्त्री.] 1. ज्ञान-विज्ञान की उच्च शैक्षणिक संस्था, जैसे- विश्वविद्यालय; महाविद्यालय; गुरुकुल 2. किसी विषय विशेष के अध्ययन-अध्यापन का विद्यापीठ 3. साहित्य, कला, विज्ञान आदि की उन्नति के लिए गठित कोई संस्था या परिषद; (अकैडमी)।
अकाम (सं.) [वि.] 1. निष्काम; कामनारहित 2. अनिच्छुक; इच्छाशून्य 3. उदासीन। [क्रि.वि.] बिना काम के; बेमतलब; निष्प्रयोजन; बेकार ही। [सं-पु.] अनुचित काम।
अकाय (सं.) [वि.] 1. जो बिना शरीर या काया के हो; कायारहित; देहरहित 2. आकार और रूप से रहित; निराकार 3. शरीर धारण न करने वाला; अजन्मा। [सं-पु.] परमात्मा।
अकार (सं.) [सं-पु.] 1. 'अ' स्वर वर्ण 2. 'अ' की उच्चारण ध्वनि।
अकारज (सं.) [सं-पु.] कार्य की हानि; काम का नुकसान।
अकारण (सं.) [क्रि.वि.] बिना कारण के; बेमतलब; यूँ ही। [वि.] 1. जिसका कोई कारण न हो 2. जिसका कोई प्रयोजन न हो; निष्प्रयोजन; निरुद्देश्य।
अकारथ (सं.) [वि.] 1. व्यर्थ; बेकार; निष्फल; निरर्थक; जिसमें लाभ न हो 2. अनुपयोगी। [क्रि.वि.] व्यर्थ ही; बेकार; यों ही। [मु.] -होना : व्यर्थ होना।
अकारांत (सं.) [वि.] (शब्द या पद) जिसके अंत में 'अ' वर्ण हो, जैसे- कल, जन, वश आदि।
अकारादि (सं.) [वि.] (शब्द या पद) जो 'अ' वर्ण से शुरू होते हों, जैसे- अनुपम, अविराम, अनुराग आदि 2. (क्रम) जो अ, आ, इ, ई इत्यादि वर्णों के अनुसार हों; (ऐल्फ़ाबेटिकल)।
अकारादि क्रम (सं.) [सं-पु.] देवनागरी वर्णमाला के अनुसार आरंभ होने वाला शब्दों का क्रम।
अकार्बनिक [वि.] जिसमें कार्बन तत्व न हो; (इनऑर्गैनिक)।
अकार्य (सं.) [सं-पु.] 1. बुरा या अनुचित कार्य 2. अपराध; दुष्कर्म। [वि.] न करने योग्य; अकर्म; अनुचित।
अकार्यकारी (सं.) [वि.] 1. कर्तव्य का पालन न करने वाला 2. बुरा काम करने वाला 3. अनधिकृत कार्य करने वाला।
अकाल (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा समय जब अनाज आदि की कमी के कारण लोग भूखों मरने लगें; बुरा समय; दुष्काल; दुर्भिक्ष 2. सूखा पड़ना; अनावृष्टि 3. कुअवसर, असमय 4. काल के परे 5. {ला-अ.} किसी वस्तु की भारी कमी। [वि.] 1. जिसका समय नहीं हुआ हो; असामयिक, जैसे-अकाल मृत्यु 2. जिसकी मृत्यु न होती हो 3. जिसपर काल का प्रभाव न पड़ता हो; कालातीत। [मु.] -पड़ना : कमी हो जाना; दुर्लभ होना।
अकालकुसुम (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वृक्ष या पौधे पर नियत समय से पहले या बाद में आया हुआ फूल; बेमौसम का फूल 2. {ला-अ.} बेमौसम की चीज़।
अकालपक्व (सं.) [वि.] 1. समय से पहले या बाद में पकने वाला 2. बिना मौसम के पकने वाला (फल, अनाज आदि)।
अकालपीड़ित (सं.) [वि.] 1. जो अकाल से त्रस्त या पीड़ित हो; अकालग्रस्त 2. अकाल से नुकसान उठाने वाला।
अकालपुरुष (सं.) [सं-पु.] 1. परमेश्वर; परम ब्रह्म; ईश्वर 2. कालातीत पुरुष 3. सिख धर्म में स्मरण किया जाने वाला एक नाम।
अकालमृत्यु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुर्घटना या बीमारी आदि में होने वाली असामयिक मौत 2. उम्र से पहले होने वाली मृत्यु।
अकालवृद्ध (सं.) [वि.] 1. समय से पहले बूढ़ा हो जाने वाला 2. कम आयु में ही वृद्धों जैसा व्यवहार करने वाला।
अकालवृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] नियत समय से पहले या बाद में होने वाली वर्षा; बेमौसम की वर्षा।
अकालिक (सं.) [वि.] 1. जो समय के अनुसार न हो; असामयिक 2. जो अवसर के अनुरूप न हो।
अकाली (सं.) [सं-पु.] 1. केशधारी सिखों का एक धार्मिक संप्रदाय 2. उक्त संप्रदाय का सदस्य।
अकालोत्पन्न (सं.) [वि.] 1. जो समय से पहले पैदा हुआ हो; असमय जन्मा; अकालजात 2. अर्धविकसित।
अकासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चील नामक पक्षी 2. ताड़ का रस; ताड़ी; नीरा।