Hin Dict_a12 - हिंदी शब्दकोश - अ12


अकिंचन (सं.) [वि.] 1. अतिनिर्धन; दरिद्र; कंगाल; दिवालिया 2. अपरिग्रही 3. नगण्य; मामूली; महत्वहीन 4. परावलंबी 5. गुमनाम। [सं-पु.] 1. अत्यंत दरिद्र व्यक्ति; महत्वहीन व्यक्ति 2. अपरिग्रही व्यक्ति 3. भिखारी।
अकिंचनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्धनता; परम दरिद्रता; दिवाला 2. परिग्रह का त्याग 3. नगण्यता; महत्वहीनता 4. गुमनामी 5. दीनता।
अकिंचनवाद (सं.) [सं-पु.] वह वाद या मामला जिसमें वादी अपने को दिवालिया घोषित करे और सरकार से वाद चलाने तक का ख़र्च माँगे।
अकिंचित (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई गिनती न हो; नगण्य 2. तुच्छ; दरिद्र।
अकिंचित्कर (सं.) [वि.] 1. जो किसी कार्य के लायक न हो 2. निरर्थक; बेकार; तुच्छ 3. जिसका कोई परिणाम या प्रभाव न हो।
अकीक (अ.) [सं-पु.] एक कीमती पत्थर जो लाल या श्वेताभ पीला होता है और जिसमें औषधीय गुण भी होते हैं; गोमेद।
अकीदत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. सम्मान; श्रद्धा; आस्था 2. पूजा 3. निष्ठा; भरोसा; विश्वास।
अकीदतमंद (अ.) [वि.] 1. पूजा-पाठ करने वाला 2. श्रद्धालु 3. सेवाभावी।
अकीदा (अ.) [सं-पु.] 1. विश्वास; श्रद्धा 2. धार्मिक विश्वास।
अकीर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बदनामी; अपयश 2. गुमनामी।
अकीर्तिकर (सं.) [वि.] 1. अपयश देने वाला; बदनामी कराने वाला 2. निंदनीय 3. प्रतिष्ठा ख़तम करने वाला।
अकील (अ.) [वि.] 1. बुद्धिमान; मेधावी; अक्लमंद 2. श्रेष्ठतम।
अकुंचनीय (सं.) [वि.] जो सिकुड़ता न हो; जो संकुचित न होता हो।
अकुत्सित (सं.) [वि.] 1. जो कुत्सित या विकृत न हो 2. निर्मल 3. अनिंदनीय; जो बुरा न हो।
अकुप्य (सं.) [सं-पु.] 1. अच्छी धातु 2. सोना-चाँदी।
अकुलाना [क्रि-अ.] 1. परेशान होना; आकुल होना; बेचैन होना; विह्वल होना 2. घबड़ाना; डरना; काँपना।
अकुलाहट [सं-स्त्री.] 1. अधीरता; व्याकुलता; बेचैनी 2. घबराहट 3. व्यग्रता; छटपटाहट।
अकुशल (सं.) [वि.] 1. जो किसी काम में कुशल न हो; अनाड़ी; काम में कच्चा; अप्रशिक्षित; नौसिखिया; अनुभवहीन; (अनस्किल्ड) 2. जहाँ कुशल-मंगल न हो; संकटग्रस्त। [सं-पु.] संकट, अनिष्ट; अहित।
अकुशलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अकुशल होने की अवस्था या भाव; दुख; विपत्ति 2. अनिपुणता; अनाड़ीपन।
अकूट (सं.) [वि.] 1. जिसमें कपट न हो; जो धोखा न दे; छलरहित 2. अचूक; अमोघ 3. जो खोटा न हो (सिक्का) 4. खरा; शुद्ध; सच्चा; (जेनुइन) 5. जो अच्छी नस्ल का हो 6. प्रामाणिक; वास्तविक।
अकूत [वि.] जिसका आकलन करना मुश्किल हो; अगणनीय; अपरिमित; अथाह; अत्यधिक; अपार; अनुमान से परे।
अकूपार (सं.) [वि.] 1. जिसका परिणाम अच्छा हो 2. अपार; असीम। [सं-पु.] 1. समुद्र 2. कछुआ 3. (पुराण) पृथ्वी का भार वहन करने वाला महाकच्छप 4. बड़ी और भारी चट्टान; पत्थर।
अकूल (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई कूल या किनारा न हो; तटहीन; जिसका कोई ओर-छोर न हो 2. जिसकी कोई सीमा या अंत न हो; अनंत; असीम।
अकृच्छ (सं.) [सं-पु.] आसानी; सुगमता; सरलता। [वि.] 1. दुख का अभाव; क्लेशरहित 2. आसान; सरल; सुगम; सहज।
अकृत (सं.) [वि.] 1. न किया हुआ 2. जो ठीक से संपन्न न हुआ हो; आधा-अधूरा; अविकसित 3. किए हुए का बिगड़ा रूप 4. जिसे किसी ने बनाया न हो; अकृत्रिम; प्राकृतिक 5. जिसने कभी कुछ सार्थक न किया हो 6. निरस्त; मंसूख; रद्द। [सं-पु.] अधूरा काम; न किया हुआ काम।
अकृतज्ञ (सं.) [वि.] जो आभार न मानता हो; किए हुए उपकार को न मानने वाला; कृतघ्न; अहसानफ़रामोश।
अकृतात्मा (सं.) [वि.] 1. अज्ञानी 2. असंस्कृत 3. ऐसा साधक जिसे अभी ईश्वर के अस्तित्व की अनुभूति न हुई हो।
अकृतार्थ (सं.) [वि.] जो कृतार्थ न हुआ हो; जिसका मनोरथ सफल न हुआ हो; विफल; असफल।
अकृति (सं.) [वि.] 1. काम न करने योग्य; निकम्मा; अकर्मण्य; प्रयासहीन 2. अकुशल; अनाड़ी 3. असफल।
अकृत्त (सं.) [वि.] 1. जो कटा न हो 2. जिसकी काट-छाँट या कतर-ब्योंत न हुई हो।
अकृत्य (सं.) [वि.] जो करने योग्य न हो; अकरणीय। [सं-पु.] अपराध; दुष्कर्म।
अकृत्यकारी (सं.) [सं-पु.] दुष्कर्म करने वाला; कुकर्मी; अपराधी; (क्रिमिनल)।
अकृत्रिम (सं.) [वि.] स्वाभाविक; प्राकृतिक; जो बनावटी न हो; असली; सच्चा; वास्तविक; मौलिक।
अकृत्स्न (सं.) [वि.] जो पूरा न हुआ हो; अधूरा; अपूर्ण।
अकृपण (सं.) [वि.] जो कृपण अथवा कंजूस न हो; ख़र्च करने वाला; उदार; दानशील।
अकृपा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुग्रह या कृपा का न होना 2. नाराज़गी 3. क्रोध।
अकृषिक (सं.) [वि.] जो कृषि से संबंध न रखता हो; कृषीतर (नॉन-ऐग्रिकल्चरल)।
अकृषित (सं.) [वि.] 1. जो जोता-बोया न गया हो; (खेत); अनजुता; (अन-कल्टिवेटेड) 2. वन्य; प्रकृति प्रदत्त।
अकृष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसमें जुताई न हुई हो; अनजुता; अकृषित (अनाज) 2. प्रकृत; वन्य।
अकृष्ण (सं.) [वि.] 1. जो काला न हो 2. उजला; उज्ज्वल 3. शुद्ध; निर्मल।
अकेतन (सं.) [वि.] 1. जिसका घर न हो; बेघर; अनिकेतन 2. ख़ानाबदोश; यायावर।
अकेतु (सं.) [वि.] 1. आकृति रहित 2. जिसकी पहचान न हो सके।
अकेला (सं.) [वि.] 1. एकाकी; जो किसी के साथ न हो; जिसके साथ कोई न हो 2. केवल एक; एकमात्र; जिसकी तरह का कोई दूसरा न हो; अद्वितीय 3. अविवाहित 4. विधुर 5. जिसे किसी का सहयोग प्राप्त न हो 6. परित्यक्त 7. पृथक 8. बेजोड़; अनोखा। [सं-पु.] एकांत या निर्जन स्थान।
अकेलापन (सं.) [सं-पु.] 1. अकेला होने की स्थिति या भाव; एकाकीपन 2. एकांत 3. वैयक्तिकता।
अकैया (सं.) [सं-पु.] सामान ढोने या लादने का थैला; झोला।
अकोट (सं.) [सं-पु.] 1. सुपारी फल 2. सुपारी का पेड़। [वि.] 1. अनगणित; करोड़ों 2. बहुत अधिक।
अकोविद (सं.) [वि.] 1. जो कोविद अर्थात विद्वान न हो; जो अक्लमंद न हो 2. अज्ञानी; अनाड़ी 3. बेवकूफ़; मूर्ख 4. अनुभवहीन।
अकौआ [सं-पु.] 1. आक का पौधा; मदार 2. गले के अंदर की घंटी; काकल।
अकौटिल्य (सं.) [वि.] जो कुटिल अर्थात टेढ़ा न हो; कुटिलता-रहित; सरलता।
अक्कास (अ.) [सं-पु.] अक्स उतारने वाला; चित्रकार; (फ़ोटोग्राफ़र)।
अक्कासी (अ.) [सं-स्त्री.] अक्स उतारने की कला या पेशा; चित्रांकन; (फ़ोटोग्राफ़ी)।
अक्खड़ [वि.] 1. कठोर स्वभाववाला 2. कटुभाषी; कलहप्रिय; धृष्ट; लड़ाका 3. अपनी बात पर अड़ा रहने वाला; मूर्ख; जड़ 4. अशिष्ट; उद्धत; उजड्ड 5. दो टूक कहने वाला; स्पष्टवादी, निडर; निर्भय।
अक्खड़पन [सं-पु.] 1. अक्खड़ होने की अवस्था या भाव 2. मूर्खता; उजड्डपन 3. विनम्रता का अभाव 4. धृष्टता 5. स्पष्टवादिता; निडरता।
अक्टूबर (इं.) [सं-पु.] अँग्रेज़ी कैलेंडर का दसवाँ महीना जो सितंबर और नवंबर के बीच में पड़ता है।
अक्त (सं.) [वि.] 1. अंजन से युक्त (आँखोंवाला) 2. सामासिक पद में प्रयुक्त होकर युक्त, सहित आदि अर्थ देता है, जैसे- विषाक्त 3. जो किसी से मिला हो; जो किसी के साथ लगा हो 4. लिप्त; छिपा हुआ 5. व्याप्त 5. पोता या रँगा हुआ।
अक्रम (सं.) [वि.] 1. बिना क्रम का; जो क्रम में न रखा गया हो; अव्यवस्थित 2. गतिहीन; निश्चल। [सं-पु.] 1. अव्यवस्था 2. क्रमहीनता 3. गतिहीनता।
अक्रमातिशयोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अतिशयोक्ति अलंकार का एक भेद जिसमें कार्य और कारण का एक साथ होना दर्शाया जाता है अर्थात कार्य के आरंभ होते ही कार्य के पूरे होने का उल्लेख होता है।
अक्रमिक (सं.) [वि.] जो क्रम से न हो; क्रमहीन; अव्यवस्थित; बेतरतीब।