Hin Dict_a14 - हिंदी शब्दकोश - अ14


अखंड (सं.) [वि.] 1. जिसके खंड न हों; संपूर्ण; साबुत; मुकम्मल 2. अविराम; निरंतर; सविस्तार 3. अविभाज्य; अविभक्त 4. असीम।
अखंडता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अखंड होने की अवस्था या भाव; संपूर्णता 2. एकता 3. निरंतरता।
अखंडनीय (सं.) [वि.] 1. जिसके खंड या टुकड़े न किए जा सकें; अविभाज्य; अटूट 2. दृढ़; मज़बूत 3. जिसका खंडन न हो सकता हो; जो गलत या झूठ सिद्ध न किया जा सके; अकाट्य 4. तर्कपूर्ण; प्रमाणसिद्ध।
अखंडपाठ (सं.) [सं-पु.] 1. निरंतर या बिना रुके चलने वाला पाठ 2. अनुष्ठानपूर्वक चलने वाला चौबीस घंटे का पाठ।
अखंडित (सं.) [वि.] 1. जिसका खंडन न हुआ हो; अभग्न 2. पूरा; संपूर्ण 3. जिसे गलत करार न दिया गया हो; जिसका प्रतिकार न हुआ हो 4. निरंतर; अविराम।
अखंड्य (सं.) [वि.] 1. जो खंडित न होता हो; अखंडनीय; अविभाज्य; अटूट; दृढ़ 2. जिसका खंडन न किया जा सके; प्रमाणसिद्ध 3. तर्कपूर्ण।
अखड़ैत [सं-पु.] 1. अखाड़े में व्यायाम करने वाला; पहलवान 2. मल्ल 3. अखाड़ों में कौशल दिखाने वाला; कुश्तीबाज़ 4. {ला-अ.} बलवान; शक्तिशाली।
अखनी (अ.) [सं-स्त्री.] उबले हुए मांस का रसा; शोरबा; (सूप)।
अख़बार (अ.) [सं-पु.] 1. दैनिक रूप से प्रकाशित होने वाला समाचारपत्र; ख़बरनामा; (न्यूज़पेपर) 2. 'ख़बर' का बहुवचन।
अख़बारनवीस (अ.+फ़ा) [सं-पु.] अख़बार में लिखने वाला; समाचार लेखक; पत्रकार।
अख़बारनवीसी (अ+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अख़बार में ख़बर देने का काम; समाचार-पत्र प्रकाशन का कार्य; पत्रकारिता 2. पत्र-पत्रिका का संपादन।
अख़बारी (अ.) [वि.] 1. अख़बार संबंधी; अख़बार का 2. समाचार-पत्र में प्रकाशित; अखबार से संदर्भित 3. पत्रकारिता संबंधी।
अखरना [क्रि-अ.] 1. बहुत बुरा लगना; कष्टकर लगना; अप्रिय लगना 2. खलना; कचोटना 3. दुखदायी होना।
अखरावट [सं-स्त्री.] 1. वर्णमाला 2. लिखने का ढंग; लिखावट 3. वह पद्य या कार्यक्रम जिसकी पंक्तियों का आरंभ वर्णमाला के अक्षरों के क्रम में होता है 4. जायसी द्वारा रचित एक काव्यग्रंथ।
अखरोट (सं.) [सं-पु.] एक पर्वतीय वृक्ष तथा उसका फल जिसकी गिनती मेवों में होती है; अक्षरोट; चौमगज़ा; (वॉलनट)।
अखरौटी [वि.] 1. अखरोट संबंधी 2. अखरोट के रंग का।
अखर्व (सं.) [वि.] 1. जो खर्व या छोटा न हो; लंबा 2. नष्ट न होने वाला।
अख़लाक (अ.) [सं-पु.] 1. सदाचार; शिष्टाचार; शील 2. ढंग; आदत 3. मुरव्वत 4. नीति।
अखाड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. कुश्ती लड़ने और कसरत करने का स्थान; व्यायामशाला 2. किसी धार्मिक मत या संप्रदाय विशेष के साधुओं की मंडली, जैसे- नागा साधुओं का अखाड़ा 3. साधुओं के रहने की जगह; मठ 4. {ला-अ.} किसी विशेष प्रकार के लोगों का जमाव या अड्डा; जमघट 5. आँगन; परिसर 6. सभा; दरबार 7. करतब दिखाने वालों या गाने-बजाने वालों की जमात 8. वैचारिक बहस-मुबाहिसे का केंद्र, जैसे- प्रगतिशील कवियों का अखाड़ा 9. हुनर का कौशल दिखाने का स्थान; रंगशाला। [मु.] -जमना : कहीं पर इकट्ठा होना; देखने या खेलने वालों की भीड़ होना। अखाड़े में उतरना : मुकाबला करने के लिए सामने आना।
अखाड़िया [वि.] 1. कुश्ती के अखाड़ों में कौशल दिखाने वाला 2. पहलवान; मल्ल 3. अपने विषय का बड़ा ज्ञाता या विद्वान।
अखाड़ेबाज़ (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अखाड़े में कुश्ती लड़ने वाला; पहलवानी का शौकीन; अखाड़िया 2. भीड़ बनाकर रहने वाला; दलबंदी करने में रुचि लेने वाला; गुटबाज़ 3. बहस और तर्क-वितर्क करने की आदतवाला 4. झगड़ा करने वाला; झगड़ालू।
अखाड़ेबाज़ी (हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. अखाड़ेबाज़ होने की अवस्था या भाव; कुश्ती और पहलवानी करने का शौक; दंगल 2. अखाड़ा या समूह बनाकर की जाने वाली मौज़-मस्ती 3. प्रतिद्वंद्विता; गुटबाज़ी 4. राजनीतिक संघर्ष 5. झगड़ा-बखेड़ा।
अखात (सं.) [सं-पु.] 1. बिना खुदाई किए बना हुआ बड़ा तालाब; प्राकृतिक झील या जलाशय 2. तीन ओर से स्थल से घिरा समुद्र; उपसागर; खाड़ी 3. किसी मंदिर के सामने का छोटा ताल।
अखाद्य (सं.) [वि.] 1. जो खाए जाने के योग्य न हो; जिसे खाना उचित न हो (भोजन) 2. जो खाया न जा सके (पदार्थ); अभक्ष्य।
अखिल (सं.) [वि.] 1. सारा; संपूर्ण; समस्त, जैसे- अखिल भारतीय, अखिल विश्व 2. अखंड 3. खेती योग्य (भूमि) 3. जो खिला न हो, अनखिला।
अखिलदेशीय (सं.) [वि.] संपूर्ण देश का; पूरे राष्ट्र का।
अखिलेश (सं.) [सं-पु.] 1. अखिल या संपूर्ण विश्व में व्याप्त परमात्मा; विश्वेश 2. सबका मालिक; परमेश्वर।
अखिलेश्वर (सं.) [सं-पु.] 1. सब का स्वामी; विश्वेश; अखिलेश 2. परमात्मा, परमेश्वर।
अखुटना [क्रि-अ.] 1. समाप्त न होना; कम न पड़ना 2. लड़खड़ाना।
अखोर [वि.] 1. जो खाने लायक न हो; अखाद्य 2. निकम्मा; बुरा। [सं-पु.] 1. कूड़ा-करकट; घास-पात 2. ख़राब घास या चारा 3. बेकार चीज़।
अखौटा [सं-पु.] 1. चक्की के बीच की खूँटी; कील 2. कुएँ की गरारी का डंडा।
अख़्तर (अ.) [सं-पु.] 1. तारा; सितारा 2. ध्वज; झंडा।
अख़्तियार (अ.) [सं-पु.] 1. इख़्तियार; अधिकार; स्वामित्व 2. वश 3. सामर्थ्य 4. सत्ता; हुकूमत।
अख्यात (सं.) [वि.] 1. जो ख्यात या प्रसिद्ध न हो; अज्ञात; अपरिचित 3. निंदित; बदनाम 3. जो कहा न गया हो।
अख्याति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अख्यात या अप्रसिद्ध होने की स्थिति या भाव 2. अपरिचय; गुमनामी 3. निंदा; अपकीर्ति; अपमान।
अगंड (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा धड़ जिसके हाथ-पैर न हों 2. हाथ-पैर विहीन धड़।
अगज (सं.) [वि.] 1. पर्वत से उत्पन्न 2. पहाड़ी 3. पर्वत पर होने वाला। [सं-पु.] शिलाजीत।
अगड़धत [वि.] 1. बढ़ा-चढ़ा 2. लंबा-तगड़ा; ऊँचे डील-डौल वाला।
अगड़-बगड़ [वि.] 1. ऊटपटाँग; ऊलजलूल; बे-सिर पैर का 2. बेकार; व्यर्थ का 3. क्रमविहीन।
अगड़म-बगड़म [वि.] ऊटपटाँग; बेमतलब का। [सं-पु.] फालतू सामान।
अगड़ा [वि.] 1. आगे का; आगे बढ़ा हुआ; आगे स्थित 2. 'पिछड़ा' का विपर्याय 3. जो आर्थिक दृष्टि से अन्य लोगों से उन्नत हो, जैसे- अगड़ा या अभिजात्य समाज। [सं-पु.] अनाज की बाली जिसके दाने झाड़ लिए गए हों।
अगण (सं.) [सं-पु.] 1. अशुभ और बुरा गण 2. (छंदशास्त्र) किसी पद्य के आरंभ में चार निषिद्ध गण- जगण, तगण, रगण और सगण।
अगणनीय (सं.) [वि.] 1. जिसकी गणना न की जा सके; अगण्य 2. जो गणना के योग्य न हो।
अगणित (सं.) [वि.] जिसे गिना न जा सके; अनगिनत; असंख्य।
अगण्य (सं.) [वि.] 1. जिसे गिना न जा सकता हो 2. जो किसी गिनती या महत्व का न हो; सामान्य; तुच्छ 3. जिसे गिनना संभव न हो; बेशुमार; असंख्य; बेहिसाब।
अगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी गति; दुर्गति; दुरवस्था 2. गतिहीनता; स्थिरता; ठहराव 3. मृत्यु के बाद संस्कार आदि न होना। [वि.] 1. जिसमें गति न हो; अचल; स्थिर 2. जिसके पास तक पहुँचा न जा सके; अगम्य 3. निरुपाय; उपायरहित 4. बेसहारा; अवलंबहीन।
अगतिक (सं.) [वि.] 1. जिसकी कहीं गति या ठिकाना न हो 2. निराश्रय; असहाय 3. जिसके लिए कोई उपाय न रह गया हो; निरुपाय 4. जिसकी मरने के बाद अंत्येष्टि क्रिया न हुई हो।
अगत्या (सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे से; भविष्य में 2. लाचार होकर; असहाय होकर 3. कोई गति या उपाय न रह जाने की स्थिति में 4. अचानक; सहसा; अकस्मात।
अगद (सं.) [वि.] 1. गद या रोग-रहित; स्वस्थ; निरोग 2. निष्कंटक। [सं-पु.] 1. दवा; औषधि 2. स्वास्थ्य; आरोग्य।
अगम (सं.) [वि.] 1. जहाँ कोई पहुँच न सके; दुर्गम 2. {ला-अ.} जिसे समझना कठिन हो; दुर्बोध 3. अपार; दुर्लंघ्य 4. बहुत गंभीर या गहरा; अथाह 5. अभेद्य 6. असीम।
अगमनीया (सं.) [वि.] 1. जिसके साथ गमन करना वर्जित हो 2. जिसके साथ संभोग या मैथुन करना विधिक या शास्त्रीय दृष्टि से वर्जित हो।
अगम्य (सं.) [वि.] 1. जहाँ पहुँचना बहुत कठिन हो; दुर्गम 2. पहुँच से परे 3. जिसका पार न पाया जा सके; अपार 4. जिसे जाना न जा सकता हो; दुर्बोध 5. जो विचार से परे हो 6. बहुत गंभीर या गहरा; अथाह 7. असीम।
अगम्या (सं.) [वि.] जिसके साथ संभोग निषिद्ध हो।
अगम्यागमन (सं.) [सं-पु.] अगम्या (जिससे सहवास निषिद्ध हो) स्त्री से सहवास करना।
अगर1 (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का सुगंधित वृक्ष; अगरु; ऊद।
अगर2 (फ़ा.) [यो.] यदि; जो।
अगरचे (फ़ा.) [यो.] यद्यपि; हालाँकि; यदि; गोया कि।
अगरबत्ती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अगर की लकड़ी के चूरे से बनाई जाने वाली बत्ती जो सुगंध के लिए जलाई जाती है 2. सुगंधित तत्वों से निर्मित बत्ती जो पतले सींकों में मसाला लपेटकर तैयार की जाती है।
अगर-मगर (फ़ा‌+हिं.) [सं-स्त्री.] 1. दुविधा 2. असमंजस। [मु.] -करना : आनाकानी या टालमटोल करना; बहाना बनाना।
अगरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. लकड़ी या लोहे का छोटा डंडा जो किवाड़ के पल्ले में लगाया जाता है; ब्योंड़ा; अर्गला 2. बुरी बात; अनुचित बात 3. ढिठाई।
अगर्व (सं.) [वि.] 1. जिसमें गर्व या अभिमान न हो; अहंकार रहित 2. गर्वहीन।
अगल-बगल (फ़ा.) [क्रि.वि.] 1. आसपास; चारों ओर तथा निकटवर्ती; सन्निकट 2. इधर-उधर 3. दाएँ-बाएँ दोनों तरफ़।
अगला (सं.) [वि.] 1. सबसे आगे का; पहला; सामने का; पहले का 2. आगे आने वाला; आगामी; अग्र 3. किसी के बाद आने वाला; (नेक्स्ट) 4. प्रस्तुत के बाद वाला 5. अपर या दूसरा (कार्य या दायित्व आदि में) 6. भविष्य में होने वाला; आगामी 7. पहले या पूर्व का।
अगल्मा (इता.) [सं-स्त्री.] 1. (पुरातत्व) प्राचीन यूनानी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द 2. चित्रों, विशेषकर व्यक्ति-चित्रों के लिए भी प्रयुक्त होने वाला शब्द।
अगवा (अ.) [वि.] जो बहकाकर या बलपूर्वक अधिकार में लेकर भगाया गया हो; अपहृत।
अगवाड़ा [सं-पु.] 1. आगे का हिस्सा; आगे फैली जगह 2. घर के आगे की भूमि 3. पिछवाड़ा का विपरीत।
अगवान [सं-पु.] 1. वह जो आगे बढ़कर अगवानी या स्वागत करता है 2. अगवानी 3. (परंपरा) कन्या पक्ष के वे लोग जो आगे बढ़कर बरात का स्वागत करते हैं।
अगवानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आगे चलकर किसी विशिष्ट अतिथि का स्वागत करना 2. आगे जाकर मिलना 3. आने वाले के सत्कार के लिए आगे बढ़ना 4. नायकत्व।
अगस्त (इं.) [सं-पु.] अँग्रेज़ी काल गणना के अनुसार कैलेंडर का आठवाँ महीना; जुलाई और सितंबर के बीच का महीना।
अगस्त्य (सं.) [सं-पु.] 1. (पुराण) एक प्रसिद्ध और ज्ञानी ऋषि 2. एक प्रसिद्ध चमकीला तारा 3. (पुराण) शिव का एक नाम 4. अगस्त नामक वृक्ष।
अगहन [सं-पु.] 1. अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास; कार्तिक मास से अगला महीना 2. हेमंत ऋतु का पहला महीना।
अगहनी (सं.) [वि.] 1. अगहन के महीने में होने वाला, जैसे- अगहनी धान 2. अगहन संबंधी; अगहन का।