Hin Dict_a15 - हिंदी शब्दकोश - अ15
अगाऊ [वि.] 1. आगे का; अगला 2. जो किसी काम के लिए पहले दिया जाए 3. पेशगी; अग्रिम; (ऐडवांस)।
अगाड़ी [क्रि.वि.] 1. सामने; समक्ष 2. आगे 3. भविष्य में 4. बाद में 5. पूर्व; पहले। [सं-पु.] सामने या आगे का भाग।
अगाध (सं.) [वि.] 1. जिसकी गहराई का पता लगाना बहुत कठिन हो; अतल, जैसे- अगाध समुद्र 2. जिसकी थाह न पाई जा सके; अथाह 3. {ला-अ.} जिसकी गंभीरता या गहनता का पता न चल सके; जिसे समझना असंभव या कठिन हो; दुर्बोध 4. असीम।
अगिया (सं.) [वि.] 1. आग की तरह जलता या दहकता हुआ 2. आग की-सी जलन उत्पन्न करने वाला।
अगियाना [क्रि-अ.] 1. आग से जलने की पीड़ा होना; जलन होना 2. {ला-अ.} बहुत अधिक क्रोध में आना। [क्रि-स.] 1. आग लगाना; जलन उत्पन्न करना 2. पकाना; तपाना 3. {ला-अ.} बहुत अधिक क्रोधित करना।
अगिया बैताल (सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के दो बैतालों में से एक जो मुँह से आग उगलता था 2. {व्यं-अ.} अत्यंत क्रोधी व्यक्ति; हानि पहुँचाने वाला व्यक्ति।
अगियार [सं-पु.] जो बहुत देर तक जलता रह सकता हो; ज्वलनशील।
अगियारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की पवित्र अग्नि 2. आग में सुगंधित द्रव्य डालकर की जाने वाली पूजा 3. अग्नि से संबंधित वस्तु या पदार्थ 4. धूप या सुगंधित द्रव्य अग्नि में डालने की विधि 5. दहकता हुआ कंडा जिसपर सुगंधित पदार्थ या घी डाला जाता है।
अगुआ [सं-पु.] 1. दूसरों के आगे चलने वाला; अग्रणी; मुखिया; नेता; (लीडर) 2. किसी कार्य को करने में सबसे आगे रहने वाला 3. शादी-ब्याह तय करवाने वाला; शादी में बिचौलिए की भूमिका निभाने वाला 4. दूसरों को सलाह देने वाला 5. पथ-प्रदर्शक; मार्ग बताने वाला।
अगुआई [सं-स्त्री.] 1. किसी कार्य या उद्देश्य में अगुवा होने की क्रिया या भाव; अग्रता 2. नेतृत्व; मार्गदर्शन; पथप्रदर्शन 3. प्रतिनिधित्व 3. शादी-ब्याह तय करवाने का काम या ज़िम्मेदारी।
अगुआना (सं.) [क्रि-स.] 1. अगुआ बनाना या निश्चित करना; नेतृत्व करवाना 2. नेता चुनना 3. पथप्रदर्शन करवाना। [क्रि-अ.] आगे होना; बढ़ना।
अगुण (सं.) [वि.] 1. गुणों से रहित; जिसमें योग्यता न हो 2. निर्गुण 3. अप्रशिक्षित; गुणविहीन; मूर्ख। [सं-पु.] 1. अवगुण 2. दोष।
अगुणी (सं.) [वि.] 1. जो गुणों से रहित हो; गुणहीन; अगुण 2. अयोग्य 3. मूर्ख।
अगुराई [सं-स्त्री.] 1. अगोरने का काम; निगरानी; रखवाली 2. उक्त कार्य का पारिश्रमिक।
अगुरु (सं.) [वि.] 1. जो भारी न हो; हलका 2. जिसने गुरु से उपदेश या शिक्षा न पाई हो 3. (छंदशास्त्र) मात्रा या वर्ण जो लघु हो।
अगुवा [सं-पु.] दे. अगुआ।
अगुवाई (सं.) [सं-स्त्री.] दे. अगुआई।
अगूढ़ (सं.) [वि.] 1. जो गूढ़ या छिपा न हो; प्रकट 2. सरल, सहज और स्पष्ट।
अगूढ़व्यंग्य (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) गुणीभूत व्यंग्य का एक भेद जिसमें वाच्यार्थ की तरह व्यंग्यार्थ भी स्पष्टता से लक्षित होता है, इसलिए साधारणजन भी इसे आसानी से समझ लेते हैं।
अगूढ़व्यंग्या लक्षणा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) आचार्यों द्वारा मान्य लक्षणा का वह भेद जिसमें व्यंग्यरूप अर्थ को काव्य मर्मज्ञ और सामान्य काव्यप्रेमी दोनों सहज ही ग्रहण कर लेते हैं।
अगेय (सं.) [वि.] 1. जिसे गाया न जा सके; जिसका वर्णन न हो सके 2. जो गाए जाने के योग्य न हो।
अगेह (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई घर न हो; गृहविहीन; बेघर 2. जिसका घर-बार नष्ट हो चुका हो।
अगोचर (सं.) [वि.] 1. न दिखाई देने वाला; अदृश्य 2. इंद्रियों से जिसका ज्ञान संभव न हो; इंद्रियातीत 3. ईश्वर या ब्रह्म के लिए परिकल्पित विशेषताओं में से एक।
अगोर [सं-पु.] 1. रखवाली 2. पहरेदारी।
अगोरदार (हिं.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. अगोरने या रक्षा करने वाला व्यक्ति 2. देखभाल करने वाला व्यक्ति 3. पहरेदार।
अगोरना [क्रि-स.] 1. पहरा देना; रखवाली करना 2. प्रतीक्षा करना; राह देखना।
अगोरा [सं-पु.] 1. जनसभा स्थल 2. प्राचीन यूनानी नगरों के वे स्थल जहाँ जनसभाओं का आयोजन होता था। मुख्यतः मंडी या बाज़ार के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता था।
अगोलित ध्वनियों के उच्चारण करते समय होठों के गोल न होने की अवस्था।
अगौला [सं-पु.] 1. ऊख या गन्ने का अगला भाग जिसमें पत्तियाँ होती हैं 2. नई फ़सल की पहली आँटी।
अग्नि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग 2. प्रकाश 3. उष्णता; गरमी 4. जठराग्नि 5. अग्निकर्म; शव आदि जलाने की क्रिया 6. पंच महाभूतों में से तेज तत्व 7. वैद्यकी में तीन अग्नियाँ- भौमाग्नि (काष्ठादि से उत्पन्न); दिव्याग्नि (उल्का, बिजली आदि) और जठराग्नि (उदर में उत्पन्न)।
अग्निकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. मृत व्यक्ति का जलाया जाना; शवदाह; अग्नि-दाह; दाह-संस्कार 2. हवन 3. गरम लोहे से दागना।
अग्निकांड (सं.) [सं-पु.] 1. आग लगने या आगजनी की घटना 2. आग लगने से जान-माल का नुकसान।
अग्निकुंड (सं.) [सं-पु.] 1. आग प्रज्वलित करने का गहरा स्थान 2. हवनकुंड।
अग्निकोण (सं.) [सं-पु.] 1. पूर्व और दक्षिण दिशाओं के बीच का कोना 2. दक्षिण-पूर्व दिशा।
अग्निगर्भ (सं.) [वि.] जिसके अंदर आग हो या जिससे आग पैदा हो।
अग्निगर्भा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी 2. शमी वृक्ष 3. महाज्योतिष्मती लता।
अग्निचक्र (सं.) [सं-पु.] (हठयोग) शरीर के भीतर के छह चक्रों में से एक।
अग्निज (सं.) [वि.] 1. अग्नि से पैदा हुआ; अग्नि से उत्पन्न 2. अग्निदीपक 3. अग्नि या उसके ताप से होने या बनने वाला 4. पाचन शक्ति बढ़ाने वाला।
अग्निदाता (सं.) [सं-पु.] 1. आग देने वाला व्यक्ति 2. मृतक का दाह-संस्कार करने वाला व्यक्ति।
अग्निदान (सं.) [सं-पु.] 1. चिता में आग देना या आग लगाना 2. दाह-संस्कार करना।
अग्निदाह (सं.) [सं-पु.] 1. जलाना 2. मुर्दा जलाना; शवदाह।
अग्निदीपक (सं.) [वि.] 1. जिससे भोजन पचाने वाली पेट की आग बढ़ती है 2. पाचन-शक्ति या भूख बढ़ाने वाला।
अग्निदीपन (सं.) [सं-पु.] 1. पाचन शक्ति को तीव्र करने की क्रिया या भाव 2. पाचन शक्ति को बढ़ाने का उपचार; औषधि।
अग्निपरीक्षा (सं.) [सं-पु.] 1. (मिथक) अपनी पवित्रता को प्रमाणित करने के लिए अग्नि में उतरना 2. {ला-अ.} स्वयं को निर्दोष व सच्चा सिद्ध करने की क्रिया या भाव 3. कठोर परीक्षा।
अग्निपूजक (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो आग की पूजा करता हो 2. पारसी।
अग्निबाण (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा बाण जिससे अग्नि की ज्वाला निकले 2. एक तरह की आतिशबाज़ी।
अग्निभीति (सं.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें रोगी को आग से बहुत भय लगता है।
अग्निमय (सं.) [वि.] 1. क्रोध (अग्नि) से आपूरित; अत्यधिक क्रोधित 2. तेजवान।
अग्निमांद्य (सं.) [सं-पु.] मंदाग्नि; जठराग्नि का मंद पड़ जाना; भूख मर जाना; हाज़मे की ख़राबी।
अग्निवर्धक (सं.) [वि.] 1. पाचन शक्ति बढ़ाने वाला 2. भूख बढ़ाने वाला।
अग्निवर्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग या जलती हुई वस्तुओं की वर्षा 2. अत्यधिक गोलीबारी होना।
अग्निशमन (सं.) [सं-पु.] आग बुझाना।
अग्निशामक (सं.) [वि.] 1. आग का शमन करने वाला 2. आग बुझाने वाला।
अग्निशाला (सं.) [सं-स्त्री.] वह जगह या स्थान जहाँ यज्ञ की अग्नि स्थापित की जाए।
अग्निशिखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अग्नि की लपट; लौ; ज्वाला 2. कलियारी नामक एक पौधा।
अग्निसंस्कार (सं.) [सं-पु.] 1. मृतक का जलाया जाना; दाह-संस्कार 2. परीक्षा या शुद्धि के लिए किसी वस्तु का तपाया या जलाया जाना।
अग्निसह (सं.) [वि.] 1. जिसे आग अपने प्रभाव से नष्ट न कर सकती हो 2. अग्नि का ताप सहन करने में सक्षम; (फ़ायर प्रूफ़)।
अग्निसेवन (सं.) [सं-पु.] 1. आग तापना 2. ठंड भगाने या जाड़ा दूर करने के लिए आग के पास बैठना।
अग्निस्फुलिंग (सं.) [सं-पु.] आग से निकलने वाली चिनगारी।
अग्निहोत्र (सं.) [सं-पु.] 1. वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि में आहुति देना 2. ऐसा विशेष होम जो प्रतिदिन किया जाता है तथा उसकी अग्नि को बुझने नहीं दिया जाता 3. हिंदू विवाह में अग्नि को साक्षी मान कर हवन करना।
अग्निहोत्री (सं.) [वि.] अग्निहोत्र करने वाला। [सं-पु.] ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम।
अग्न्यस्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. आग्नेय अस्त्र 2. मंत्र प्रेरित बाण जिससे आग निकलती हो 3. अग्नि चलित अस्त्र।
अग्न्याधान (सं.) [सं-पु.] 1. आग की स्थापना करना 2. आग जलाना या सुलगाना 3. अग्निहोत्र।
अग्न्यायुध (सं.) [सं-पु.] 1. आग्नेय अस्त्र 2. ऐसा आयुध या हथियार जो अग्नि चलित हो या जिसको चलाने पर आग निकलती हो।
अग्न्याशय (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का वह अंग जिससे इंसुलिन नामक हार्मोन स्रावित होता है 2. जठराग्नि का स्थान; (पैंक्रिअस्)।
अग्र (सं.) [वि.] 1. अगला; आगे का; पहला 2. शीर्षस्थ।
अग्रगण्य (सं.) [वि.] 1. गणना में पहले आने वाला; मुख्य 2. श्रेष्ठ।
अग्रगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तेज़ गति; धावक को आगे-आगे रखने वाली गति 2. तेज़ विकास।
अग्रगमन (सं.) [सं-पु.] अग्रगामी होने की क्रिया या भाव; जीवन में आगे-आगे रहना।
अग्रगामी (सं.) [वि.] 1. आगे रहने या चलने वाला 2. श्रेष्ठ 3. आधुनिकतावादी; प्रगतिवादी। [सं-पु.] 1. अगुआ 2. नायक।
अग्रज (सं.) [सं-पु.] पहले जन्म लेने वाला; बड़ा भाई।
अग्रजा (सं.) [सं-स्त्री.] बड़ी बहन।
अग्रणी (सं.) [वि.] 1. जो आगे रहता हो; अग्रगामी 2. श्रेष्ठ; उत्तम।
अग्रणीत (सं.) [वि.] आगे लाया हुआ।
अग्रतः (सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे; सबसे पहले 2. पहले से; आगे से।
अग्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रम, समय, महत्व आदि के विचार से अग्र होने की अवस्था 2. प्रमुखता; महत्ता।
अग्रतालव्य वे ध्वनियाँ जो कठोर तालु के अग्र भाग से उच्चारित होती हैं, जैसे- 'ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्'।
अग्रदान (सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ उचित या उपयुक्त समय से पहले दे देना 2. पेशगी; अग्रिम; (ऐडवांस)।
अग्रदूत (सं.) [सं-पु.] 1. पहले पहुँचकर किसी के आने की सूचना देने वाला; संदेशवाहक 2. मार्गदर्शक 3. {ला-अ.} किसी बात या कार्य का आरंभ करने वाला; प्रवर्तनकर्ता।
अग्रदृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] आगे की बात जान लेने या सोच लेने की प्रतिभा; (फ़ोरसाइट)।
अग्रनयन (सं.) [सं-पु.] आगे ले जाना।
अग्रपूजा (सं.) [सं-स्त्री.] किसी की औरों से पहले की जाने वाली पूजा।
अग्रभाग (सं.) [सं-पु.] 1. आगे का हिस्सा 2. मुखड़ा 3. श्रेष्ठ भाग; मुख्य भाग 4. सिरा; नोंक।
अग्रलेख (सं.) [सं-पु.] संपादकीय लेख; किसी पत्र-पत्रिका के संपादक की मुख्य नियमित टिप्पणी या आलेख।
अग्रवर्ती (सं.) [वि.] 1. सबसे आगे रहने वाला 2. अगला; अगुआ 3. प्रधान; प्रसिद्ध 4. पूर्ववर्ती।
अग्रवाल [सं-पु.] वैश्य समाज में एक कुलनाम या सरनेम।
अग्रशः (सं.) [क्रि.वि.] 1. आगे या पहले से 2. आगे-आगे।
अग्रसर (सं.) [वि.] 1. आगे बढ़ता हुआ 2. आगे रहने वाला 3. उत्थानशील; विकासशील; उदीयमान। [सं-पु.] अपने कार्य के प्रति अधिक निष्ठावान व प्रगतिशील व्यक्ति।
अग्रसरण (सं.) [सं-पु.] 1. अग्र या आगे की ओर जाना; प्रगति; विकास 2. आगे की तरफ़ बढ़ाना; उन्नयन 3. किसी आवेदन-पत्र आदि को अपने से वरिष्ठ अधिकारी के पास स्वीकृति, आदेश आदि के लिए भेजना।
अग्रसारण (सं.) [सं-पु.] 1. आगे की ओर बढ़ाना 2. किसी का निवेदन या प्रार्थना उचित आज्ञा के लिए बड़े अधिकारी के पास भेजना; (फ़ॉरवर्डिंग)।
अग्रसारित (सं.) [वि.] 1. आगे बढ़ाया हुआ 2. किसी का निवेदन बड़े अधिकारी के पास भेजा हुआ; (फ़ॉरवर्डिड)।
अग्रसोची (सं.) [वि.] 1. आगे या भविष्य की बातों के बारे में पहले से ही विचार करने वाला 2. दूरदर्शी।
अग्रहायण (सं.) [सं-पु.] 1. कार्तिक के बाद और पूस से पहले का महीना 2. अगहन।
अग्रहीत (सं.) [वि.] 1. जिसे ग्रहण या स्वीकार न किया गया हो 2. अस्वीकृत।