Hin Dict_a16 - हिंदी शब्दकोश - अ16


अग्रांचल (सं.) [वि.] सामने का; (फ़्रंटल)।
अग्रांतर (सं.) [वि.] आगे का; (फ़ॉरवर्ड)।
अग्रानीत (सं.) [वि.] 1. आगे लाया गया 2. जिसे आगे ले जाया गया हो। [सं-पु.] अगले पृष्ठ पर ले जाया गया अंकन।
अग्राभिसारी (सं.) [वि.] आगे की ओर बढ़ता हुआ।
अग्राम्य (सं.) [वि.] 1. जो ग्रामीण अर्थात देहाती न हो 2. नगर का 3. शिष्ट।
अग्राशन (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन का वह अंश जो देवता आदि के लिए पहले निकाला जाता है 2. भोजन की शुरुआत में गाय के खाने के लिए निकाला गया अन्न; गौग्रास।
अग्रासन (सं.) [सं-पु.] 1. सम्मान का आसन या स्थान 2. किसी मान्य व्यक्ति को दिया गया उच्चासन।
अग्राह्य (सं.) [वि.] 1. ग्रहण न करने योग्य; जो अपनाने के लायक न हो 2. जो मान्य या स्वीकृत न हो; अस्वीकार्य; निषिद्ध 3. जो खाने के योग्य न हो।
अग्राह्यता (सं.) [सं-स्त्री.] ग्राह्य न होने की अवस्था या भाव; अस्वीकार्यता।
अग्रिम (सं.) [वि.] 1. पहला; अगला; आगामी 2. पेशगी 3. श्रेष्ठ; उत्तम।
अग्रेषण (सं.) [सं-पु.] 1. आगे भेजना या लाना 2. अग्रप्रेषण 3. माल या वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना।
अघ (सं.) [वि.] 1. पापी 2. दुष्ट; नीच 3. ख़राब। [सं-पु.] 1. पाप 2. विपत्ति; दुख 3. दुष्कर्म।
अघट1 [वि.] 1. न घटने वाला; कम न होने वाला 2. जो घटे नहीं 3. एकरस; सदा एक सा रहने वाला।
अघट2 (सं.) [वि.] 1. जो घटित न हो; न होने वाला 2. दुर्घट; कठिन।
अघटन (सं.) [सं-पु.] 1. घटित न होने की क्रिया या भाव 2. घटित न होना।
अघटित (सं.) [वि.] 1. जो घटा न हो; जो पहले न हुआ हो; अभूतपूर्व 2. एकदम नया या अनोखा।
अघन (सं.) [वि.] 1. जो घन अर्थात ठोस न हो 2. जो पतला हो 3. जो घन के आकार का न हो।
अघभोजी (सं.) [वि.] 1. पाप कर्मों की कमाई खाने वाला 2. अधर्मी।
अघमर्षण (सं.) [सं-पु.] (लोकमान्यता) पापों के नाश के लिए छिड़का जाने वाला जल। [वि.] पाप नाशक।
अघाट [सं-पु.] 1. वह भूमि जिसे बेचने का अधिकार उसके स्वामी को न हो 2. वह घाट जो ठीक न हो।
अघातक (सं.) [वि.] जो घातक न हो।
अघाती (सं.) [वि.] 1. घात न करने वाला 2. प्रहार न करने वाला 3. अघातक।
अघाना [क्रि-अ.] 1. जी भर जाना; किसी वस्तु या पदार्थ को छक कर ग्रहण करना और संतुष्ट होना; तृप्त हो जाना 2. किसी कार्य से उकता जाना।
अघारि (सं.) [सं-पु.] 1. पापों का शत्रु; पापनाशक 2. (पुराण) अघ नामक दैत्य को मारने वाले अर्थात श्रीकृष्ण।
अघाव [सं-पु.] 1. अघाने की क्रिया या भाव 2. पूर्ण तृप्ति 3. जी ऊबने का भाव।
अघासुर (सं.) [सं-पु.] 1. (महाभारत) एक असुर जो कंस का सेनापति था और जिसे श्रीकृष्ण ने मारा था 2. अघ नामक दैत्य।
अघियाना [क्रि-अ.] 1. तृप्त करना 2. बहुत परेशान करना।
अघी (सं.) [वि.] 1. अघ अथवा पाप करने वाला 2. पातकी; पापी।
अघुलनशील [वि.] 1. जो किसी द्रव में घुलता न हो 2. अघुलनीय।
अघोर (सं.) [सं-पु.] 1. शिव का एक रूप 2. शिव की उपासना करने वाला एक पंथ। [वि.] जो घोर या भयानक न हो।
अघोरपंथ [सं-पु.] अघोरियों का पंथ या संप्रदाय।
अघोरपंथी (सं.) [सं-पु.] 1. अघोरपंथ का अनुयायी 2. अघोरी; औघड़। [वि.] अघोर पंथ से संबंधित।
अघोरी (सं.) [सं-पु.] 1. औघड़ 2. अघोर पंथ को मानने वाला। [वि.] त्याज्य वस्तुओं का सेवन करने वाला।
अघोष जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वासनलिका से आती हुई श्वासवायु से स्वरतंत्रियों में कंपन न हो, जैसे- (हिंदी व्यंजन) 'क्, ख्, च्, छ्, ट्, ठ्, त्, थ्, प्, फ्, श्, ष्, स्, ह्'। 'ह्' सघोष भी होता है।
अघोषित (सं.) [वि.] 1. जिसकी घोषणा न की गई हो 2. जिसको अभिव्यक्त न किया गया हो; अविज्ञापित।
अघ्राणता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूँघने की शक्ति का अभाव 2. अघ्राण होने की स्थिति या भाव।
अघ्रेय (सं.) [वि.] 1. जो घ्रेय अर्थात सूँघने योग्य न हो 2. जिसे सूँघा न जा सके।
अचंचल (सं.) [वि.] 1. जो चंचल न हो; स्थिर 2. गंभीर; शांत; सौम्य।
अचंड (सं.) [वि.] 1. जो चंड या उग्र न हो 2. जो क्रोधी स्वभाव का न हो; शांत; सौम्य।
अचंभा [सं-पु.] आश्चर्य; अचरज।
अचंभित (सं.) [वि.] जिसे अचंभा हुआ हो; आश्चर्यचकित; विस्मित।
अचक (सं.) [सं-पु.] आश्चर्य; विस्मय। [वि.] 1. अधिक से अधिक 2. भरपूर; बहुत अधिक।
अचकचाना [क्रि-अ.] 1. संकोच या दुविधा में पड़ जाना 2. भय आदि से अचानक काँप उठना 3. विस्मित होना; भौचक्का होना; चौंक उठना।
अचकचाहट [सं-स्त्री.] भौचक होने की स्थिति; विस्मय।
अचकन [सं-स्त्री.] अँगरखे की तरह का एक लंबा पहनावा।
अचक्षु (सं.) [वि.] जिसके चक्षु या आँख न हो; नेत्रहीन; अंधा।
अचगरी [सं-स्त्री.] 1. अचगर अर्थात दुष्ट या पाजी होने की क्रिया या भाव 2. शरारत; दुष्टता 3. उत्पात; नटखटपन 4. छेड़छाड़।
अचपल (सं.) [वि.] 1. जिसमें चंचलता, चपलता न हो 2. धीर; गंभीर; शांत; स्थिर।
अचर (सं.) [वि.] अचल; स्थावर; जड़। [सं-पु.] 1. स्थावर पदार्थ या प्राणी 2. स्थिर राशियाँ- वृष, वृश्चिक, सिंह और कुंभ।
अचरज (सं.) [सं-पु.] 1. आश्चर्य; विस्मय 2. चकित कर देने वाली कोई बात या वस्तु 3. अचंभा।
अचल (सं.) [वि.] 1. स्थिर; गतिहीन 2. चिरस्थायी; शाश्वत 3. अपरिवर्तनशील; अटल; अडिग। [सं-पु.] 1. पहाड़ 2. कील 3. खूँटी 4. ब्रह्म 5. शिव।
अचल संपत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्थायी संपत्ति 2. वह संपत्ति जिसे अपने स्थान से हटाया न जा सके, जैसे- खेत, घर आदि; गैरमनकूला ज़ायदाद।
अचलसुता (सं.) [सं-स्त्री.] (पुराण) पार्वती का एक नाम।
अचला (सं.) [वि.] जो न चले; ठहरी हुई; स्थिर। [सं-स्त्री.] पृथ्वी।
अचाक्षुष (सं.) [वि.] 1. जो आँखों से दिखाई न देता हो; अदृश्य 2. इंद्रियातीत।
अचातुर्य (सं.) [सं-पु.] 1. चतुर न होने की अवस्था या भाव 2. अनाड़ीपन; अकुशलता 3. निपुणता या कुशलता का अभाव 4. होशियारी का अभाव; सरलता।
अचानक (सं.) [अव्य.] सहसा; एकाएक।
अचार [सं-पु.] एक चटपटा भारतीय व्यंजन जो किसी कच्ची तरकारी या कच्चे फलों को कई प्रकार के मसालों तथा तेल या सिरके में मिलाकर तैयार किया जाता है। [मु.] -डालना : किसी वस्तु को उपयोग में न लेना; निष्प्रयोजन रखे रहना।
अचारी1 (सं.) [वि.] 1. वह जो धार्मिक आचार-विचार का ध्यान रखता हो और उसका पालन करता हो 2. आचारवान।
अचारी2 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] आम का बना हुआ एक प्रकार का अचार।
अचालक (सं.) [वि.] 1. जिसमें से विद्युत प्रवाहित नहीं होती 2. जिसमें विद्युत का संचार न हो; (नॉन-कंडक्टर)।
अचिंत (सं.) [वि.] 1. जिसे कोई चिंता न हो 2. चिंता रहित; निश्चिंत 3. जो चिंतनीय न हो; अचिंत्य।
अचिंतनीय (सं.) [वि.] 1. जिसकी कल्पना या चिंतन न हो सके; जो ध्यान में न आ सके 2. दुर्बोध; अज्ञेय।
अचिंतित (सं.) [वि.] 1. जो सोचा-विचारा न गया हो; अविचारित 2. जो चिंतित न हो; निश्चिंत 3. उपेक्षित।
अचिंत्य (सं.) [वि.] 1. जिसका चिंतन न किया जा सके 2. कल्पनातीत 3. जिसका अनुमान न लगाया जा सके, अकूत।
अचिंत्यभेदाभेदवाद (सं.) [सं-पु.] महाप्रभु चैतन्य द्वारा प्रवर्तित एक दार्शनिक मतवाद जिसके अनुसार ईश्वर और जीव तथा ईश्वर और जगत के बीच का भेदाभेद संबंध तर्कतः असंगत और व्याघातक है, किंतु ईश्वरभूत शक्तिमान और जीवजगतभूत शक्ति दोनों अचिंत्य हैं इसलिए उनमें व्याघात नहीं है।
अचिकित्स्य (सं.) [वि.] 1. जिसकी चिकित्सा न हो सके 2. जो चिकित्सा से स्वस्थ या ठीक न हो सके 3. असाध्य; (इंक्योरेबल)।
अचित (सं.) [वि.] 1. जड़ 2. अचेतन; चेतना रहित।
अचित्त (सं.) [वि.] 1. जिसे ज्ञान न हो 2. बुद्धिरहित; अज्ञ 3. चेतना रहित; अचेत।
अचित्र (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई चित्र या रूप न हो 2. चित्र या चित्रों से रहित 3. जो आकारहीन हो।
अचिर (सं.) [वि.] 1. जो स्थायी न हो 2. जो पुराना न हो; नया 3. ताज़ा; हाल का 4. जो तत्काल या तुरंत होने वाला हो 5. थोड़ा; अल्प। [क्रि.वि.] 1. शीघ्र; जल्दी 2. तुरंत; उसी समय।
अचीर (सं.) [वि.] 1. जिसके शरीर पर चीर या वस्त्र न हो 2. वस्त्रविहीन; नंगा।
अचूक (सं.) [वि.] 1. जो अपने लक्ष्य से न चूके 2. सटीक 3. बिना चूक या भूल किए 4. निश्चित, पक्का।
अचेत (सं.) [वि.] 1. जड़ 2. असावधान 3. जिसमें चेतना न हो 4. प्राणहीन 5. बेहोश।
अचेतन (सं.) [वि.] 1. बेहोश; बेसुध 2. निर्जीव 3. अज्ञानी 4. चेतना-रहित 5. चेतना की तीन मनोवैज्ञानिक अवस्थाओं में से एक। [सं-पु.] जड़ पदार्थ।
अचेतनक (सं.) [सं-पु.] अचेतन या बेहोश करने वाली औषधि। [वि.] अचेत या बेहोश रहने वाला।
अचेतनीकरण (सं.) [सं-पु.] चिकित्सा में अचेत करने की क्रिया या भाव; (एनीसथेसिस)।
अचेतावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेहोशी की हालत 2. बेसुधी 3. चेतनाशून्य।
अचेष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई चेष्टा या गति न हो; निश्चल 2. जो हिलता-डुलता न हो 3. संज्ञारहित; बेहोश 4. {ला-अ.} प्रयासहीन; उदासीन।
अचेष्टित (सं.) [वि.] जिसके लिए कोई चेष्टा या प्रयत्न न किया गया हो।
अचैतन्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें चेतना या चैतन्य न हो 2. बेहोश; मूर्छित। [सं-पु.] 1. चेतना का अभाव 2. बेहोशी; जड़ता।