Hin Dict_a19 - हिंदी शब्दकोश - अ19


अतंद्र (सं.) [वि.] 1. जो तंद्रा में न हो; तंद्रारहित 2. सचेष्ट; जागरूक 3. उद्यमी; प्रयत्नशील।
अतंद्री (सं.) [वि.] 1. जिसे निद्रा या तंद्रा न आती हो; निद्रारहित 2. सदैव जाग्रत; जागरूक; सचेत।
अतंरालीय (सं.) [वि.] 1. जिसमें अंतराल हो; अवकाशवाला 2. दूरी पर स्थित 3. अंतरिम; मध्यमीय; जो माध्यमिक अवस्था में हो।
अतः (सं.) [अव्य.] 1. इस कारण; इस वजह से; इसलिए 2. इसकी अपेक्षा; इससे 3. अब से 4. आगे।
अतएव (सं.) [अव्य.] 1. इसलिए; अतः 2. इस वजह से; इस कारण से।
अतथ्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें तथ्य या सच्चाई न हो; तथ्यरहित 2. असत्य; अवास्तविक 3. अयथार्थ; गलत। [सं-पु.] तथ्य या सच्चाई का अभाव।
अतनु (सं.) [वि.] 1. जो बिना तन या शरीर का हो; शरीर-रहित; देहरहित 2. जो दुबला-पतला न हो। [सं-पु.] कामदेव।
अतप (सं.) [वि.] 1. जिसमें ताप या गरमी न हो; शीतल; न तपने वाला 2. जो तपस्या या तप न करता हो 3. निठल्ला। [सं-पु.] 1. तपस्या की अवहेलना करने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो तपस्वी न हो।
अतर [सं-पु.] इत्र; फूल का सत; सुगंधित द्रव्य; (परफ़्यूम)।
अतरवन (सं.) [सं-पु.] 1. छज्जा छाने के लिए निर्मित पत्थर की पटिया 2. एक प्रकार की घास या मूँज जो खपरों के नीचे फैलाई जाती है।
अतरसों (सं.) [अव्य.] 1. बीते हुए परसों से एक दिन पहले का दिन 2. आने वाले परसों से एक दिन बाद का दिन।
अतर्क (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई तर्क न हो; तर्करहित 2. असंगत। [सं-पु.] तर्क का अभाव; तर्कहीनता।
अतर्कपूर्ण (सं.) [वि.] 1. बेतुका; बेमतलब 2. तर्कहीन 3. आधारहीन; निराधार।
अतर्कित (सं.) [वि.] 1. जिसका पहले से कोई अनुमान या तर्क न किया गया हो 2. अनसोचा 3. अचानक; आकस्मिक।
अतर्क्य (सं.) [वि.] जिसपर कोई तर्क न किया जा सके; अकाट्य।
अतल (सं.) [सं-पु.] सात पातालों में दूसरा पाताल। [वि.] 1. जिसका तल न हो; तलरहित 2. जिसकी गहराई की थाह न हो; अथाह।
अतलस्पर्शी (सं.) [वि.] 1. जिसके तल या गहराई तक पहुँचा न जा सके 2. बहुत गहरा; अथाह।
अतलांत (सं.) [वि.] जिसके तल का अंत न हो; अत्यधिक गहरा; अथाह; असीम गहरा।
अता-पता [सं-पु.] पता-ठिकाना। [मु.] -न होना : किसी को पता-ठिकाना न मालूम होना; अस्तित्व न होना।
अतारांकित (सं.) [वि.] जिसमें तारा का चिह्न न लगा हो; गैरतारांकित।
अतार्किक (सं.) [वि.] जो तर्क पर आधारित न हो; तर्कविहीन; अतर्क्य।
अति (सं.) [अव्य.] अतिरेक का भाव; अतिशयता; अधिकता।
अतिकथ (सं.) [वि.] 1. बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहा हुआ 2. अविश्वसनीय। [सं-पु.] बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कही हुई बात।
अतिकथन (सं.) [सं-पु.] अतिरंजित कथन; अत्युक्ति।
अतिकथा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अतिरंजित बात; बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात 2. अतिरंजित कहानी 3. निरर्थक बात; बकवाद; फालतू बात।
अतिकर (सं.) [सं-पु.] अतिरिक्त कर या टैक्स; अधिकर।
अतिकरुण (सं.) [वि.] अत्यंत कारुणिक; अत्यंत दयनीय।
अतिकांत (सं.) [वि.] 1. बहुत अधिक सुंदर 2. कांतिशील 3. अधिक प्यारा।
अतिकामी (सं.) [वि.] जिसमें अधिक काम-वासना हो।
अतिकाय (सं.) [वि.] 1. भारी डील-डौलवाला 2. विशालकाय।
अतिकाल (सं.) [सं-पु.] 1. देर; विलंब 2. कुसमय 3. किसी कार्य के नियत समय के बीतने का समय।
अतिकृत (सं.) [वि.] 1. जिसको करने में मर्यादा का उल्लंघन या अतिक्रमण किया गया हो 2. सीमा से अधिक किया गया।
अतिक्रम (सं.) [सं-पु.] 1. सीमा से आगे बढ़ना 2. नियम या मर्यादा का उल्लंघन 3. विपरीत व्यवहार 4. लाँघना।
अतिक्रमण (सं.) [सं-पु.] सीमा का उल्लंघन; हद से आगे जाना; अनधिकृत कब्ज़ा; (इनक्रोचमेंट)।
अतिक्रमित (सं.) [वि.] 1. जिसका अतिक्रमण हुआ हो 2. जिसका उल्लंघन किया गया हो।
अतिक्रांत (सं.) [वि.] 1. जिसके क्रम का उल्लंघन किया गया हो 2. बीता हुआ; अतीत; गत।
अतिक्रामक (सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार और सीमा का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति 2. दूसरे के अधिकारों आदि में हस्तक्षेप करने वाला।
अतिगत (सं.) [वि.] 1. अति को पहुँचा हुआ 2. अत्यधिक; बहुत अधिक 3. सीमा या हद तक पहुँचा हुआ।
अतिगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्तम गति 2. मोक्ष; मुक्ति।
अतिग्रह (सं.) [वि.] 1. जो ग्रहण न किया जा सके 2. दुर्बोध। [सं-पु.] 1. बहुत ग्रहण करने वाला व्यक्ति 2. सही ज्ञान 3. ज्ञानेंद्रियों का विषय।
अतिचर (सं.) [वि.] 1. बहुत परिवर्तनशील 2. क्षणिक।
अतिचार (सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार और अधिकृत सीमाक्षेत्र से बाहर जाकर दूसरे के अधिकार में दख़लंदाज़ी 2. अतिक्रमण 3. मर्यादा का उल्लंघन।
अतिचारी (सं.) [वि.] 1. वह जो अतिचार अथवा अतिक्रमण करता हो 2. सीमा का अनुचित रूप से उल्लंघन करने वाला।
अतिजागर (सं.) [वि.] 1. जो सदा जागता रहता हो; जागरूक; बहुत अधिक जानने वाला।
अतिजीवी (सं.) [वि.] 1. औरों की अपेक्षा अधिक जीने वाला 2. अन्य व्यक्तियों, जातियों-प्रजातियों आदि के समाप्त होने के बाद भी बचा रहने वाला।
अतितरण (सं.) [सं-पु.] 1. पार करना 2. पराजित करना; पराभूत करना; हराना।
अतितृष्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिक तृष्णा या प्यास 2. अत्यंत लालच या लोभ 3. अत्यधिक वासना।
अतिथि (सं.) [सं-पु.] बाहर से आने वाला आगंतुक; मेहमान; अभ्यागत।
अतिथिगृह (सं.) [सं-पु.] वह भवन जो अतिथियों के ठहरने के लिए नियत हो; अतिथिशाला; (गेस्ट हाउस)।
अतिथित्व (सं.) [सं-पु.] अतिथि होने का भाव।
अतिथिधर्म (सं.) [सं-पु.] 1. उचित रूप से अतिथि की सेवा या सत्कार करने की क्रिया या भाव 2. अतिथि की सेवा।
अतिथिशाला (सं.) [सं-स्त्री.] अतिथिगृह; (गेस्ट हाउस)।
अतिथि-सत्कार (सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि का सत्कार 2. अभ्यागत की सेवा-सुश्रूषा।
अतिदर्शी (सं.) [वि.] 1. दूरदर्शी 2. जो अधिक दूर तक देखता हो; जो आगे की बात सोचता हो।
अतिदान (सं.) [सं-पु.] 1. सर्वोत्तम वस्तु का दान 2. बहुत अधिक दान या उदारता।
अतिदिष्ट (सं.) [वि.] 1. निर्दिष्ट विषय के अलावा और विषयों पर भी लागू होने वाला (नियम) 2. जिसका अतिदेशन हुआ हो 3. आरोपित 3. अपनी सीमा, अवधि से आगे बढ़ाया हुआ; (इक्सटेंडेड)।
अतिदुर्गत (सं.) [वि.] 1. जिसकी दुर्गति की गई हो 2. जिसकी स्थिति बहुत ख़राब हो।
अतिदुसह (सं.) [वि.] जो असहनीय हो; असह्य।
अतिदेश (सं.) [सं-पु.] 1. प्रस्तुत विषय का अतिक्रमण करके दूसरे विषय पर जाना 2. किसी कार्य या बात की सीमा या अवधि आगे बढ़ाने की क्रिया या भाव; विस्तारण (इक्स्टेंशन) 3. कई भिन्न या विरोधी बातों में कुछ विशेष तत्वों की पाई जाने वाली समानता।
अतिदेशन (सं.) [सं-पु.] अतिदेश करने की क्रिया या भाव।
अतिद्रुत (सं.) [वि.] द्रुत गतिवाला; तेज़ गतिवाला; बहुत तेज़।
अतिनिद्र (सं.) [वि.] जो बहुत सोता हो; सदैव सोता रहने वाला; जिसे बहुत नींद आती हो।
अतिपतन (सं.) [सं-पु.] 1. सीमा का उल्लंघन; अतिक्रमण 2. अत्यधिक ह्रास या विनाश की स्थिति।
अतिपतित (सं.) [वि.] ऐसा व्यक्ति या स्थिति जिसका अत्यधिक पतन हुआ हो।
अतिपथ (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम मार्ग 2. बड़ा और श्रेष्ठ मार्ग।
अतिपन्न (सं.) [वि.] 1. (समय) बीता या गुज़रा हुआ 2. अतिक्रांत 3. भूला या छूटा हुआ।
अतिपरोक्ष (सं.) [वि.] 1. जो बहुत परोक्ष या अप्रत्यक्ष हो 2. अदृश्य; अप्रकट।
अतिपात (सं.) [सं-पु.] 1. अनजाने में होने वाली नित्य प्रायः की जीवहिंसा; हिंसा 2. अव्यवस्था 3. नियम या मर्यादा का उल्लंघन।
अतिप्रश्न (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा प्रश्न जिसके पूछने से मर्यादा का अतिक्रमण हो 2. तर्कहीन प्रश्न 3. अनावश्यक प्रश्न 4. न पूछने योग्य प्रश्न।
अतिप्रसंग (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घना या घनिष्ठ संबंध 2. धृष्टता 3. किसी नियम का अति विस्तार।
अतिप्राकृत (सं.) [वि.] 1. दैवी; दिव्य; अलौकिक 2. असाधारण।
अतिभार (सं.) [सं-पु.] 1. अधिक बोझ, वज़न या भार 2. (साहित्य) अर्थ की दृष्टि से वाक्य के बोझिल होने की अवस्था या भाव।
अतिभोग (सं.) [सं-पु.] 1. नियत समय के बाद भी अथवा बहुत दिनों से किसी वस्तु या संपत्ति का उपभोग करते चले जाना 2. किसी वस्तु या संपत्ति का दीर्घकालीन उपभोग।
अतिमर्त्य (सं.) [वि.] 1. मृत्यु लोक से परे का; पारलौकिक 2. जो इस लोक से संबंधित न हो; अलौकिक।
अतिमर्श (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत नज़दीक का संबंध 2. निकट का नाता 3. अत्यधिक संपर्क।
अतिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अति या चरम सीमा तक पहुँचने की अवस्था, गुण या भाव 2. बहुत अधिकता; अत्यधिक 3. दिव्यता; अलौकिकता।
अतिमात्र (सं.) [वि.] नियत या उचित मात्रा से अधिक; अत्यधिक; बहुत ज़्यादा; बहुत अधिक।
अतिमान (सं.) [सं-पु.] 1. अत्यधिक घमंड 2. अधिक अहंकार 3. अधिक ज़िद या हठ।
अतिमानव (सं.) [सं-पु.] ऐसा मनुष्य जिसमें अलौकिक गुण हों; (सुपरमैन)।
अतिमानवी (सं.) [वि.] मनुष्योचित से कहीं ज़्यादा; जो (घटनाएँ, गुण या क्रिया-कलाप) मानव के लिए असंभव प्रतीत हो।
अतिमानस (सं.) [सं-पु.] मन या बुद्धि से परे वस्तु या जगत। [वि.] 1. जो मन से परे हो 2. जिस तक बुद्धि की पहुँच न हो।
अतिमित (सं.) [वि.] 1. जो नापा न जा सकता हो; अपरिमित 2. जो नापने से परे हो 3. शुष्क।
अतियथार्थवाद (सं.) [सं-पु.] 1. फ्रांस में जन्मा एक कला-आंदोलन जो स्वतंत्रता और प्रेम पर बल देता है और व्यक्तित्व के अंतर्विरोधों के चित्रण को महत्वपूर्ण मानता है 2. यथार्थ की अभिव्यक्ति में अति या आधिक्य करना।
अतियथार्थवादी (सं.) [वि.] 1. यथार्थ की अति करके बताने वाला 2. अतियथार्थवाद को मानने वाला।
अतियोग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी मिश्रण आदि में कोई वस्तु या चीज़ आवश्यकता से अधिक मिलाना 2. अतिशयता।
अतिरंजन (सं.) [सं-पु.] बढ़-चढ़ा कर कोई बात कहना; अत्युक्ति; अतिशयोक्ति।
अतिरंजना (सं.) [सं-स्त्री.] अतिरंजन; अतिशयोक्ति।
अतिरंजित (सं.) [वि.] बहुत बढ़ा-चढ़ा कर कहा हुआ; अतिशयोक्तिपूर्ण।
अतिरक्तचाप (सं.) [सं-पु.] शरीर की धमनियों में रक्त प्रवाह की गति का तेज़ होना; (हाई ब्लड प्रेशर)।
अतिराष्ट्रीयता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अत्यधिक या उत्कट राष्ट्रप्रेम 2. उग्र राष्ट्रवाद; (शोविनिज़म)।
अतिरिक्त (सं.) [वि.] 1. बढ़ा हुआ; नियत से अधिक; (एक्स्ट्रा) 2. फ़ाज़िल 3. भिन्न 4. अद्वितीय 5. जो आवश्यकतानुसार जोड़ा या बढ़ाया गया हो; (ऐडिशनल)। [क्रि.वि.] अलावा; सिवाय।
अतिरूप (सं.) [वि.] 1. बहुत सुंदर रूपवाला 2. अत्यधिक सुंदर 3. रूप से परे; आकृतिहीन।
अतिरेक (सं.) [सं-पु.] 1. आवश्यकता से अधिक होने की अवस्था, गुण या भाव 2. आधिक्य; बढ़ोत्तरी; ज़रूरत से ज़्यादा होना या करना 3. अतिशयता; बहुतायत 4. हद पार करके कुछ करने की क्रिया 5. व्यर्थ की वृद्धि या विस्तार; (ऐग्रेवेशन)।
अतिरोग (सं.) [सं-पु.] 1. बड़ा रोग 2. क्षयरोग; राजयक्ष्मा।
अतिलंघन (सं.) [सं-पु.] 1. सीमा या मर्यादा का अधिक अतिक्रमण या उल्लंघन 2. दीर्घ उपवास।
अतिवक्ता (सं.) [वि.] 1. बहुत बकबक करने वाला 2. अधिक बोलने वाला; बकवादी।
अतिवर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक आगे बढ़ने की क्रिया या भाव 2. मात्रा से अधिक प्रयोग करना।
अतिवर्ती (सं.) [वि.] 1. बहुत आगे बढ़ा हुआ 2. पार करने वाला।
अतिवात (सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ चलने वाली वायु का उग्र रूप 2. हवा या वायु का प्रचंड रूप।
अतिवाद (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय में औचित्य की सीमा या मर्यादा से बहुत आगे बढ़ जाने का सिद्धांत जो आतुरता, उग्रता आदि का सूचक है; (एक्सट्रीमिज़म)।
अतिवादी (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो अतिवाद के सिद्धांत को मानता है और उसके अनुसार चलता है 2. अतिवाद संबंधी; (एक्सट्रीमिस्ट) 3. किसी बात या कार्य में अति करने वाला।
अतिवाह (सं.) [सं-पु.] 1. आत्मा का एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में जाना; परलोकवास 2. फालतू पानी निकालने की नाली; पानी निकालने का मार्ग।
अतिवाहन (सं.) [सं-पु.] 1. व्यतीत करना 2. अत्यधिक मेहनत या परिश्रम करना 3. भेजना।
अतिविस्तार (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक फैलाव 2. व्यापकता।
अतिवृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत अधिक वर्षा जो खेतों आदि के लिए अनिष्टकारी सिद्ध हो; धन-जन की हानि करने वाली भीषण बारिश 2. मूसलाधार वर्षा; अत्यधिक वर्षा होने की स्थिति।
अतिव्यय (सं.) [सं-पु.] ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च; फ़िजूलख़र्ची; अपव्यय।
अतिव्ययी (सं.) [वि.] अपव्ययी; फ़िजूलख़र्च या ज़रूरत से ज़्यादा ख़र्च करने वाला।
अतिव्यापी (सं.) [वि.] 1. अतिरिक्त रूप से व्याप्त 2. जो प्रतिपादित करना है उसकी सीमाओं या नियम से अधिक 3. जिसमें अतिव्याप्ति दोष हो।
अतिव्याप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिपाद्य की सीमा या नियम से अधिक हो जाना 2. (तर्कशास्त्र और साहित्य) किसी कथन या लक्षण में अपेक्षा से इतर किसी अतिरिक्त वस्तु का भी आ जाना।
अतिव्याप्ति दोष (सं.) [सं-पु.] 1. उद्देश्य या नियम से अधिक होना 2. लक्षण के तीन दोषों में से एक; जहाँ लक्षण में लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य वस्तु भी समाविष्ट हो जाए।
अतिशय (सं.) [वि.] आवश्यकता से बहुत अधिक; अत्यधिक। [सं-पु.] आधिक्य; प्रचुरता 2. एक अर्थालंकार जिसमें किसी वस्तु की संभावना या असंभावना को लगातार बढ़ते दिखाया जाता है।
अतिशयीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. अतिशय रूप देने की क्रिया 2. बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया स्पष्टीकरण 3. परम अधिकता का भाव।
अतिशयोक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात; (इगज़ैजरेशन) 2. अतिरंजना; अत्युक्ति; चमत्कारोक्ति 3. (काव्यशास्त्र) एक अर्थालंकार जिसमें किसी की प्रशंसा या निंदा में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर बातें की जाती हैं।
अतिशायन (सं.) [सं-पु.] 1. अधिक या प्रचुर होने की स्थिति 2. श्रेष्ठता; प्रधानता।
अतिशायी (सं.) [वि.] 1. जो आगे बढ़ गया हो; आगे बढ़ा हुआ 2. अतिशयतावाला 3. प्रधान 4. श्रेष्ठ।
अतिशीतन (सं.) [सं-पु.] आवश्यकता या ज़रूरत से ज़्यादा ठंडा या शीतल करना; (ओवरकूलिंग)।
अतिशेष (सं.) [वि.] 1. बचा हुआ (अंश) 2. बाकी (रोकड़) 3. बहुत कम या अल्प मात्रा में बचा हुआ।
अतिसंधान (सं.) [सं-पु.] 1. अतिक्रमण; सीमा की मर्यादा को पार करना 2. उचित या ठीक लक्ष्य से और आगे बढ़कर निशाना लगाना; (ओवर हिटिंग) 3. छल; धोखा।
अतिसंधि (सं.) [सं-स्त्री.] किसी को शक्ति या सामर्थ्य से अधिक सहायता देने की प्रतिज्ञा।
अतिसंधित (सं.) [वि.] जो अतिसंधि के कारण छला गया हो 2. सामर्थ्य से अधिक सहायता देने के कारण जो स्वयं वंचित हो गया हो।
अतिसंध्या (सं.) [सं-स्त्री.] सूर्योदय के ठीक पहले और सूर्यास्त के ठीक बाद का समय।
अतिसर (सं.) [वि.] 1. अपनी चाल या गति से तेज़ चलने वाला 2. सबसे तेज़ चलने वाला 3. आगे बढ़ जाने वाला। [सं-पु.] प्रयत्न; प्रयास।
अतिसर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. तेज़ या तीव्र गति 2. तेज़ी से चलना 3. गर्भाशय में शिशु का आगे की ओर तेज़ी से सरकना।
अतिसार (सं.) [सं-पु.] आँव; पेचिश; दस्त।
अतिसारी (सं.) [वि.] 1. जिसे अतिसार रोग हुआ हो; अतिसार रोग से पीड़ित 2. अतिसार रोग से संबंधित।
अतिसूक्ष्म (सं.) [वि.] अत्यंत सूक्ष्म; बहुत ही छोटा; (माइक्रोस्कोपिक)।
अतिसौरभ (सं.) [वि.] अत्यधिक सुगंधवाला। [सं-पु.] अत्यधिक सुगंध।
अतिस्थूल (सं.) [वि.] 1. जो शरीर से बहुत मोटा हो 2. {ला-अ.} अत्यंत मूर्ख; मोटी बुद्धिवाला।
अतिस्पर्श (सं.) [वि.] 1. कृपण; कंजूस 2. कमीना; नीच।
अतिस्वन (सं.) [वि.] वह जिसकी गति ध्वनि की गति (738 मील प्रति घंटा) से अधिक हो; पराध्वनिक; (सुपरसॉनिक)।
अतिहत (सं.) [वि.] 1. जो पूर्णतः नष्ट किया गया हो 2. स्थिर; अचल; दृढ़ता से जमाया हुआ।
अतिहसित (सं.) [सं-पु.] 1. ज़ोर की हँसी 2. (नाट्यशास्त्र) हास के छह भेदों में से एक।

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