Hin Dict_a21 - हिंदी शब्दकोश - अ21


अदा1 (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. हाव-भाव 2. नाज़ो-अंदाज़ 3. तौर-तरीके।
अदा2 (अ.) [सं-पु.] 1. (ऋण) चुकाना; (ली हुई रकम) लौटाना; बेबाक, जैसे- यह कर्ज़ मैं अदा कर चुका हूँ। [मु.] -करना : पालन करना; पूरा करना।
अदाकार (फ़ा.) [सं-पु.] कलाकार; अभिनेता; अभिनेत्री; नट; नटी।
अदाकारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] अभिनय; कलाकार द्वारा भूमिका निभाना; कलाकारी।
अदाता (सं.) [वि.] 1. जो दाता न हो; जिसे किसी का कुछ न देना हो 2. कृपण; कंजूस।
अदायगी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. अदा करना या होना; भुगतान 2. नाटक या फ़िल्म में भूमिका या रोल का निर्वाह।
अदायाद (सं.) [वि.] 1. जो सगोत्र न हो 2. जो उत्तराधिकार न प्राप्त कर सके 3. (ऐसा व्यक्ति) जिसकी संपत्ति का कोई (सगोत्री न होने के कारण) वारिस न हो।
अदालत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. न्यायालय; कचहरी 2. न्यायाधीश या जज के लिए भी प्रयुक्त, जैसे- अदालत यह जानना चाहेगी...।
अदालती (अ.) [वि.] 1. अदालत से संबंधित, जैसे- अदालती कार्रवाई 2. कानूनी।
अदालती विज्ञापन (अ.+सं.) [सं-पु.] न्यायालय की सूचना, निर्देश आदि से संबंधित विज्ञापन या इश्तहार।
अदावत (अ.) [सं-स्त्री.] शत्रुता; दुश्मनी; वैर भाव, जैसे- इस झगड़े का कारण पुरानी अदावत थी।
अदावती (अ.) [वि.] 1. अदावत करने या रखने वाला 2. वैरी; शत्रु 3. अदावत संबंधी 4. शत्रुतापूर्ण।
अदाह्य (सं.) [वि.] 1. जिसे जलाया न जा सकता हो 2. जो जल न सके 3. जिसे जलाना उचित और तर्क संगत न हो 4. आत्मा का एक विशेषण या लक्षण।
अदिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असीम होने की अवस्था या भाव; असीमता 2. पृथ्वी 3. प्रकृति 4. (पुराण) दक्ष प्रजापति की कन्या जिनसे देवताओं का जन्म हुआ था 5. निर्धनता; गरीबी 6. बहुतायत; प्राचुर्य।
अदिन (सं.) [सं-पु.] 1. बुरा दिन 2. कुसमय 3. संकटकाल 4. अभाग्य।
अदिवान [सं-स्त्री.] 1. रस्सी से बुनी हुई चारपाई के पैताने की तरफ़ बाँधी जाने वाली रस्सी जो पूरी बुनावट को तान कर रखती है; अदवाइन 2. पैताना।
अदीखा [वि.] 1. जो दिखाई न दिया हो 2. जो देखा न गया हो।
अदीन (सं.) [वि.] 1. जो दीन न हो; दीनता-रहित; स्वाभिमानी; न झुकने वाला 2. निडर 3. उदार 4. प्रचंड; उग्र 5. समर्थ।
अदीपित (सं.) [वि.] जहाँ प्रकाश न किया गया हो; अंधेरा, जैसे- घर का अदीपित कोना।
अदीप्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें दीप्ति या प्रकाश न हो 2. अंधकारपूर्ण।
अदीब (अ.) [सं-पु.] साहित्यकार; लेखक।
अदूर (सं.) [सं-पु.] सामीप्य। [अव्य.] निकट, पास।
अदूरदर्शिता (सं.) [सं-स्त्री.] अदूरदर्शी होने का भाव।
अदूरदर्शितापूर्ण (सं.) [वि.] 1. परिणाम विचारे बिना किया गया (कार्य या बात); अदूरदर्शिता से भरा 2. अविवेकपूर्ण।
अदूरदर्शी (सं.) [वि.] 1. जो भविष्य में अपने कार्यों के होने वाले परिणामों के बारे में न सोचता हो 2. अविचारी; नासमझ; अविवेकी 3. अदूरदर्शितापूर्ण।
अदूषण (सं.) [वि.] 1. जिसमें किसी प्रकार का दूषण न हो; निर्दोष 2. शुद्ध; निर्मल।
अदूषित (सं.) [वि.] 1. जो दूषित या अशुद्ध न हो; शुद्ध 2. अविकृत 3. निर्दोष।
अदृप्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें दर्प का भाव न हो 2. अभिमानरहित; निरभिमान 3. सौम्य; सहज।
अदृश्य (सं.) [वि.] 1. जो दिखाई न पड़े; अगोचर, जैसे- मानो एक अदृश्य शक्ति उसे आगे धकेल रही थी 2. अंतर्धान; अलोप; ओझल; गायब; गुम, जैसे- देखते-देखते वह गुबार अदृश्य हो गया।
अदृश्यदर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी अतींद्रिय शक्ति के कारण अदृश्य वस्तुओं का दिखाई देना 2. अतींद्रिय तथा अभौतिक वस्तुओं का दर्शन।
अदृश्यफल (सं.) [सं-पु.] 1. मनुष्य के किए गए अच्छे-बुरे कर्मों का फल जो अभी अज्ञात है पर भविष्य में मिलेगा 2. भाग्य।
अदृष्ट (सं.) [वि.] 1. न देखा हुआ 2. अंतर्धान; ग़ायब; लुप्त। [सं-पु.] 1. भाग्य 2. पूर्वजन्म के कर्मों का फल 3. जल और अग्नि आदि से उत्पन्न विपत्ति।
अदृष्टपूर्व (सं.) [वि.] 1. जैसा और जो पहले कभी न देखा गया हो 2. अनोखा; विलक्षण; अदभुत।
अदृष्टवाद (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा सिद्धांत जिसकी मान्यतानुसार पाप-पुण्य आदि का फल परलोक में मिलता है 2. नियतिवाद; भाग्यवाद।
अदृष्टार्थ (सं.) [वि.] 1. जिसका ज्ञान इंद्रियों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता हो 2. आध्यात्मिक या गूढ़ अर्थ रखने वाला।
अदेखा (सं.) [वि.] 1. अदृश्य; छिपा हुआ; गुप्त 2. जो अभी तक देखा न गया हो; अदृष्ट।
अदेय (सं.) [वि.] 1. विधि, न्याय और नीति के अनुसार जो दिया न जा सके 2. जो दिए जाने के योग्य या उपयुक्त न हो।
अदेह (सं.) [वि.] बिना देह या शरीर का; देहरहित; विदेह। [सं-पु.] कामदेव; अनंग।
अदोष (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई दोष न हो; दोषरहित 2. निर्दोष; निरपराध।
अद्धा [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का आधा भाग; आधी नाप या तौल 2. आधी बोतल शराब का पैक या छोटी बोतल 3. रसीद का आधा भाग जो देने वाले के पास रह जाता है; मुसन्ना 4. चार मात्राओं का एक ताल 5. आधी ईंट का टुकड़ा 6. किसी वस्तु का आधा भाग 7. एक बैल की छोटी गाड़ी।
अद्धी [सं-स्त्री.] 1. पुराने जमाने में प्रचलित सिक्के; दमड़ी का आधा; पैसे का सोलहवाँ भाग 2. बारीक मलमल का कपड़ा।
अद्भुत (सं.) [वि.] आश्चर्यजनक; विचित्र; अनोखा; विलक्षण।
अद्भुतरस (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) काव्य के नौ रसों में से एक जो आश्चर्य से उत्पन्न होता है और जिसका स्थायी भाव विस्मय है।
अद्भुतोपमा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) उपमा अलंकार का वह भेद जिसमें उपमान के ऐसे गुणों का उल्लेख होता है जिनका उपमेय में होना कभी संभव न हो।
अद्य (सं.) [सं-पु.] 1. वह दिन जो बीत रहा है; आज का दिन 2. वर्तमान समय। [क्रि.वि.] अब; इस समय।
अद्यतन (सं.) [वि.] 1. आज का; आज से सबंधित 2. ताज़ा; चालू 3. नवीनतम विचारों और मान्यताओं के अनुकूल; (अप-टू-डेट)।
अद्यावधि (सं.) [क्रि.वि.] 1. आज तक 2. अभी तक; इस समय तक।
अद्रि (सं.) [सं-पु.] 1. पहाड़; पर्वत 2. पत्थर 3. सूर्य 4. पेड़ 5. बादल; मेघ 6. वज्र।
अद्वय (सं.) [सं-पु.] 1. अद्वैत; द्वैत का न होना 2. बुद्ध के नामों में से एक। [वि.] अकेला; अद्वितीय; विलक्षण।
अद्वितीय (सं.) [वि.] 1. जिसके समान कोई दूसरा न हो; बेजोड़; अनुपम 2. विलक्षण; अनोखा; अद्भुत 3. अकेला।
अद्वैत (सं.) [वि.] 1. जिसमें द्वैत या भेद का अभाव हो 2. जीव-ब्रह्म या जड़ चेतन की एकता का सिद्धांत 3. अद्वैतवाद संबंधी।
अद्वैतवाद (सं.) [सं-पु.] 1. भारतीय दर्शन का वह सिद्धांत जिसमें मात्र ब्रह्म को परमार्थिक सत्ता माना जाता है और जीव-जगत की सत्ता अवास्तविक या असत्य मानी जाती है; वेदांत 2. पाश्चात्य दर्शन का यह सिद्धांत कि पूरी सृष्टि एक ही मूल तत्व से विकसित हुई है।
अद्वैतवादी (सं.) [वि.] अद्वैतवाद के सिद्धांत को मानने वाला।
अध (सं.) [पूर्वप्रत्य.] आधा का संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक पदों के आरंभ में लगने पर प्राप्त होता है, जैसे- अधखुला; अधमरा आदि। [अव्य.] नीचे; तल।
अधः (सं.) [पूर्वप्रत्य.] समस्त पदों में संज्ञा या विशेषण के पहले जुड़कर उनमें 'नीचे' का भाव जोड़ता है, जैसे- अधःपतन।
अधःस्वस्तिक (सं.) [सं-पु.] 1. पृथ्वी का वह कल्पित बिंदु जो देखने वाले के पैरों के ठीक नीचे माना जाता है; अधोबिंदु 2. 'ख-स्वस्तिक' का उलटा।
अधकचरा [वि.] 1. अधूरा 2. अधूरी जानकारी रखने वाला; अकुशल 3. आधा कूटा या पीसा हुआ; दरदरा।
अधकपारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधे सिर का दर्द 2. आधा-सीसी नामक रोग; सूर्यावर्त।
अधकरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. महसूल; मालगुज़ारी या किराए की आधी किस्त 2. कर आदि को दो भागों में चुकाने की रीति।
अधकहा [वि.] 1. जो आधा ही कहा गया हो (कथन) 2. जो पूरा या स्पष्ट रूप से न कहा गया हो।
अधखिला [वि.] आधा खिला हुआ; अर्धप्रस्फुटित; अर्धविकसित, जैसे- अधखिला फूल।
अधखुला (सं.) [वि.] आधा खुला हुआ; अर्धोन्मीलित, जैसे- अधखुला दरवाज़ा।
अधगीला [वि.] आधा गीला-आधा सूखा; हलका गीला।
अधजगा [वि.] आधा जगा हुआ; जो अर्धनिद्रित अवस्था में हो।
अधजला (सं.) [वि.] आधा जला हुआ।
अधनंगा [वि.] अर्धनग्न।
अधन्ना [सं-पु.] आधे आने का सिक्का जो पहले प्रचलित था।
अधन्नी [सं-स्त्री.] आधे आने का निकल धातु का चौकोर पुराना सिक्का।
अधपका [वि.] 1. जो फल आधा पका हो और आधा कच्चा हो 2. पकाए जा रहे खाने में जो अभी पूरी तरह से पका न हो, जैसे- अधपका आम, अधपकी दाल।
अधपगला [वि.] आधा पागल; लगभग मूर्ख।
अधपेट [क्रि.वि.] 1. बिना पेट भरे 2. आधा भूखा, जैसे- रेल पकड़ने की जल्दी में वह अधपेट खाकर ही उठ गया।
अधबीच [सं-पु.] 1. मँझधार 2. मध्य में; बीच रास्ते में, जैसे- बस ख़राब हो जाने के कारण मुझे अधबीच में ही उतर जाना पड़ा।
अधबुझी [वि.] 1. आधी बुझी हुई 2. आधी सुलगती हुई, जैसे- फ़ुटपाथ पर पड़ी अधबुझी सिगरेट से धुआँ उठ रहा था।
अधभीगा (सं.) [वि.] आधा भीगा हुआ; अधगीला।
अधम (सं.) [वि.] 1. नीच; निकृष्ट 2. दुष्ट; बदमाश 3. पापी; दुराचारी।
अधमता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नीचता; घटियापन 2. खोटापन 3. नीचा या दुष्ट कृत्य; पापाचार।
अधमरा (सं.) [वि.] 1. लगभग मरने की स्थिति में पहुँचा हुआ; मृतप्राय 2. बुरी तरह ज़ख्मी 3. {ला-अ.} थकान या चिंता से शरीर और मन की ऐसी अवस्था जिसमें जीवन शक्ति बेहद क्षीण हो जाती है, जैसे- थकान से अधमरा; चिंता से अधमरा।
अधमा-नायिका (सं.) [सं-स्त्री.] (नाट्यशास्त्र) ऐसी नायिका जो प्रिय के हित करने पर भी अहितकारी रवैया ही अपनाती है।
अधमुँदी [वि.] 1. आधी बंद 2. आधी ढँकी 3. आधी खुली, जैसे- अधमुँदी आँखें।
अधमैला (सं.) [वि.] जो न पूरी तरह मैला हो न पूरी तरह स्वच्छ।
अधर (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे का होंठ 2. शून्य; अंतरिक्ष 3. शरीर का निचला भाग। [वि.] 1. बिना आधार का 2. नीचे का 3. पराजित 4. घटिया। [मु.] -में लटकना या झूलना : अनिश्चय और प्रतीक्षा की अवस्था में रहना।
अधरपान (सं.) [सं-पु.] 1. प्रेमी या प्रेमिका के होंठों को कुछ देर तक चूमते रहने की क्रिया 2. प्रिय के होंठों को चूमना और उनका रस पान करना।
अधराधर (सं.) [सं-पु.] नीचे का होंठ।
अधरोष्ठ (सं.) [सं-पु.] अधर तथा ओष्ठ क्रमशः नीचे और ऊपर के होंठ।
अधर्म (सं.) [सं-पु.] 1. धर्म या शास्त्र के निर्देशों के विरुद्ध कार्य 2. पाप; कुकर्म; दुराचार।
अधर्मी (सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई धर्म न हों; धर्मभ्रष्ट; पापी 2. नास्तिक 3. विधर्मी।
अधलिखा [वि.] 1. आधा लिखा या अधूरा (लेख), जैसे- अधलिखा उपन्यास, अधलिखा पत्र आदि 2. जिस कागज़ के थोड़े ही भाग में कुछ लिखा हुआ हो।
अधलेटा (सं.) [वि.] आधे लेटे हुए होने की अवस्था; लेटने की वह स्थिति जिसमें शरीर का कुछ भाग उठा हुआ हो।
अधारिया (सं.) [सं-पु.] बैलगाड़ी में गाड़ीवान के बैठने का स्थान।
अधारी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आधार; सहारा; आश्रय 2. यात्रा के समय सामान रखने का झोला 3. काठ का बना एक ढाँचा जिसे साधु लोग बैठने के समय सहारे के लिए बाँह के नीचे रखते हैं; टेवकी।
अधार्मिक (सं.) [वि.] 1. जो धार्मिक या धर्म से संबद्ध न हो 2. धर्म से संबंध न रखने वाला 3. धर्म को न मानने वाला; धर्म-विरुद्ध 4. अधर्मी।
अधि (सं.) [उप.] संस्कृत का उपसर्ग जो तत्सम शब्दों के पहले जुड़कर मुख्य या प्रधान (अधिपति), संबंधित या विषयक (अध्यात्म), ऊपर या उच्च (अधिराज); अधिक या अतिरिक्त (अधितिथि), निकटता (अधितट) आदि अर्थों का द्योतन करता है।
अधिक (सं.) [वि.] 1. ज़्यादा; बहुत 2. सामान्य या आपेक्षित से बढ़ा हुआ 3. अतिरिक्त; फ़ाज़िल 4. असामान्य; असाधारण 5. गौण।
अधिकतम (सं.) [वि.] सबसे अधिक; सर्वाधिक; सबसे ज़्यादा।
अधिकतर (सं.) [वि.] तुलनात्मक रूप से ज़्यादा; और अधिक। [क्रि.वि.] ज़्यादातर; बहुत करके।
अधिकता (सं.) [सं-स्त्री.] बहुतायत; प्रचुरता; अधिक मात्रा या संख्या।
अधिकपद (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) शब्द-दोष का एक भेद, जहाँ वाक्य में अविवक्षितार्थ अर्थात् अनावश्यक पद का प्रयोग किया गया हो।
अधिकमास (सं.) [सं-पु.] मलमास; अधिमास; लौंद का महीना; हर तीसरे साल बढ़ने वाला चंद्रमास यानी शुक्ल पक्ष की पहली तिथि अर्थात प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऐसा समय जिसमें संक्रांति नहीं पड़ती।
अधिकर (सं.) [सं-पु.] 1. साधारण से अतिरिक्त वह विशेष कर जो अधिक आय वाले लोगों पर लगाया जाता है 2. अधिशुल्क; (सुपर टैक्स)।
अधिकरण (सं.) [सं-पु.] 1. (सप्तमी कारक; में, पर) व्याकरण में वे परसर्ग जो संज्ञा या सर्वनाम के साथ लगकर उस स्थान का बोध कराते हैं जहाँ क्रिया हो, जैसे- बालक नदी में नहा रहा है 2. विशिष्ट उद्देश्य हेतु नियुक्त किया गया कोई न्यायालय; (ट्राइब्यूनल) 3. अधिष्ठान 4. आधार; आश्रय 5. प्रकरण; अध्याय; शीर्षक 6. दावा 7. प्राधान्य।
अधिकांश (सं.) [सं-पु.] अधिकतम हिस्सा; अधिक से अधिक मात्रा।
अधिकांशतः (सं.) [अव्य.] 1. अधिकतर 2. प्रायः; अक्सर।
अधिकाधिक (सं.) [वि.] अधिक से अधिक; ज़्यादा से ज़्यादा, जैसे- रैली में अधिकाधिक संख्या में आइए।
अधिकार (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को अपने पद, योग्यता, कानून आदि के आधार पर मिली हुई शक्ति; हक; इख़्तियार; स्वत्व 2. किसी वस्तु, संपत्ति आदि पर किया हुआ या मिला हुआ कब्ज़ा, जैसे- शिवाज़ी की सेना ने अंततः सिंहगढ़ पर अधिकार कर लिया 3. प्रभुत्व; हुकूमत, जैसे- मुक्ति के पहले गोवा पर पुर्तगालियों का अधिकार था 4. ज्ञान, जैसे- पंडितजी का अपने विषय पर पूरा अधिकार है 5. पात्रता, जैसे- पहले स्त्रियों को वेद पढ़ने का अधिकार नहीं था।
अधिकार-क्षेत्र (सं.) [सं-पु.] 1. न्यायाधीश, सरकारी अफ़सरों आदि के अधिकारों की सीमा; वह क्षेत्र जिसमें वे अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं 2. अधिक्षेत्र; (डोमिनिअन)।
अधिकारपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. अधिकृत किए जाने का आदेशपत्र 2. शासन द्वारा प्राप्त अधिकारों का सूचक पत्र।
अधिकार-लिप्सा (सं.) [सं-स्त्री.] अधिकार की अदम्य लालसा।
अधिकारातीत (सं.) [वि.] अधिकार-क्षेत्र से बाहर का।
अधिकाराधीन (सं.) [वि.] जो अधिकार-क्षेत्र के अंतर्गत हो।
अधिकारिक (सं.) [वि.] 1. किसी अधिकारी के द्वारा या अधिकारपूर्वक कहा या किया हुआ 2. अधिकारयुक्त; अधिकारपूर्ण।
अधिकारी (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चल-अचल संपत्ति पर या व्यक्ति पर अधिकार करने वाला अर्थात् स्वामी; मालिक; (ऑथॉरटी) 2. हकदार; दावेदार 3. उच्च पद पर नियुक्त वह व्यक्ति जिसके नियंत्रण एवं मार्गदर्शन में उसके अधीनस्थ कर्मचारी कार्य करते हैं; अफ़सर; (ऑफ़िसर) 4. शासक 5. विषय का पूर्ण ज्ञाता। [वि.] किसी सुविधा या अधिकार के सर्वथा योग्य।
अधिकारीतंत्र (सं.) [सं-पु.] 1. अधिकारियों का तंत्र 2. नौकरशाही।
अधिकृत (सं.) [वि.] 1. जिसपर किसी का अधिकार हो गया हो 2. जो किसी के अधिकार में हो 3. जिसको कोई काम करने का अधिकार दिया गया हो; (ऑथराइज़्ड) 4. जिसे कोई काम करने का अधिकार हो।
अधिकृत करना (सं.) [क्रि-स.] 1. किसी चीज़ को अधिकार में लेना 2. किसी को कार्य-विशेष के लिए अधिकार देना या योग्य ठहराना; (ऑथॉराइज़)।
अधिक्रय (सं.) [सं-पु.] बहुत अधिक मात्रा में किसी वस्तु की ख़रीद।
अधिक्रांत (सं.) [वि.] वे संस्थाएँ या संस्थान जिन्हें उनके पूर्व राज्य, प्रशासन या किसी अन्य प्रधिकारी द्वारा अपने अधिकार में ले लिया गया हो; जिन्हें हटा दिया या भंग कर दिया गया हो।
अधिक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] अधिकार-क्षेत्र।