Hin Dict_a25 - हिंदी शब्दकोश - अ25
अनय (सं.) [सं-पु.] 1. नय या नीति का अभाव 2. अमंगल 3. अन्याय; अनीति 4. कुप्रबंध 5. विपत्ति 6. निंदनीय आचरण।
अनयमति (सं.) [वि.] अन्यायी।
अनरस [सं-पु.] 1. रस का अभाव; रसहीनता 2. रुखाई; शुष्कता 3. दुख; निरानंद 4. मनोमालिन्य 5. रसविहीन काव्य।
अनरसा [सं-पु.] चावल से बना एक पकवान; अँदरसा। [वि.] 1. बिना रस का; रसहीन 2. अनमना 3. रोगी; बीमार।
अनरीति [सं-स्त्री.] 1. रीति या नियम विरुद्ध आचरण या व्यवहार 2. कुरीति; बुरी रीति या प्रथा 3. अनीति।
अनरूप [वि.] 1. कुरूप; भद्दा 2. असमान; असदृश 3. जिसका कोई रूप न हो; अरूप।
अनर्गल (सं.) [वि.] 1. निरर्थक; व्यर्थ का 2. अप्रासंगिक 3. बकवास; जिसपर कोई रोक-टोक न हो।
अनर्गलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनर्गल होने की अवस्था या भाव 2. अनर्गल बात, व्यवहार आदि।
अनर्घ (सं.) [वि.] 1. जिसका अर्घ या मूल्य न हो 2. कीमती; बहुमूल्य 3. उचित या नियत दर या भाव से कम या अधिक।
अनर्घ्य (सं.) [वि.] 1. जिसका मूल्य न हो, अमूल्य 2. कम मूल्य दिए दाने के योग्य 3. पूजा के अयोग्य 4. सर्वाधिक सम्मान्य।
अनर्जक (सं.) [वि.] जो कमाता न हो 2. जो कमाया या अर्जित न किया गया हो, जैसे- आयु।
अनर्जित (सं.) [वि.] 1. जो अर्जित न किया गया हो 2. जो कमाया न गया हो, (अनअर्न्ड)।
अनर्थ (सं.) [वि.] 1. बुरा; अशुभ 2. उलटा-पुल्टा; अर्थहीन। [सं-पु.] 1. नितांत आपत्तिजनक बात 2. विपत्ति 3. अनिष्ट 4. उलटा अर्थ। [मु.] -कर देना : ऐसा काम करना जिसका परिणाम भयावह हो या हो सकता हो।
अनर्थक (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अर्थ न हो; निरर्थक 2. निष्प्रयोजन 3. अहितकर।
अनर्थकारी (सं.) [वि.] 1. अनिष्टकारी; अहितकर 2. अनर्थ करने वाला 3. उत्पाती; उपद्रवी।
अनर्थापद (सं.) [सं-पु.] अनर्थ होने की संभावना या आशंका।
अनर्ह (सं.) [वि.] 1. अपात्र; अयोग्य; अनुपयुक्त 2. जो दंड या पुरस्कार का पात्र न हो 3. अपर्याप्त।
अनल (सं.) [सं-पु.] 1. अग्नि; आग 2. पाचनशक्ति 3. पाचन-रस 4. अग्नि के अधिष्ठाता देवता 5. विष्णु 6. वासुदेव 7. पचासवाँ संवत्सर।
अनलंकृत (सं.) [वि.] जिसे अलंकृत न किया गया हो; सादगीपूर्ण; जिसे सजाया न गया हो; जिसे आभूषण आदि न पहनाए गए हों।
अनलस (सं.) [वि.] 1. आलस्य-रहित 2. फ़ुरतीला 3. चैतन्य।
अनलहक (अ.) [सं-स्त्री.] "मैं ही ख़ुदा हूँ"- ईरान के मशहूर सूफ़ी संत मंसूर बिन अल-हल्लाज की वह उक्ति जिसके लिए उसे सूली पर चढ़ा दिया गया।
अनलेखा [वि.] 1. जिसका लेखा या हिसाब न हो सके 2. असंख्य; अनगिनत।
अनल्प (सं.) [वि.] 1. जो अल्प या थोड़ा न हो 2. बहुत; अधिक; ज़्यादा 3. यथेष्ट।
अनवकाश (सं.) [सं-पु.] अवकाश का न होना; अवकाश का अभाव; फ़ुरसत न होना। [वि.] जिसे अवकाश या छुट्टी न हो।
अनवगत (सं.) [वि.] 1. जो जाना न गया हो; अज्ञात; जो अवगत न हो 2. अनजाना।
अनवट (सं.) [सं-पु.] बैलों की आँखों पर बाँधा जाने वाला एक कपड़ा। [सं-स्त्री.] स्त्रियों के पैर में पहना जाने वाला एक प्रकार का छल्ला।
अनवद्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई दोष न निकाला जा सके 2. निर्दोष; दोषरहित।
अनवधान (सं.) [सं-पु.] 1. अवधान अर्थात् मनोयोग का अभाव 2. ध्यान भटकने की स्थिति। [वि.] 1. जिसमें कोई व्यवधान न हो; बाधाहीन 2. असावधान।
अनवधानता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवधान का अभाव; असावधानी 2. लापरवाही।
अनवय (सं.) [सं-पु.] 1. वंश; कुल; ख़ानदान 2. दो वस्तुओं या संदर्भों या शब्दों का आपसी संबंध या उनमें होने वाली अनुरूपता या अनुक्रमता 3. अन्वय।
अनवरत (सं.) [वि.] बिना रुके; अविराम। [क्रि.वि.] लगातार।
अनवरुद्ध (सं.) [वि.] बिना अवरोध के; निर्विघ्न; बेरोकटोक।
अनवरोध (सं.) [सं-पु.] 1. अवरोध का अभाव 2. रुकावट या बाधा का न होना; मुक्त।
अनवसर (सं.) [सं-पु.] 1. गलत अवसर 2. कुअवसर; कुसमय; बे-मौका।
अनवस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ठीक अवस्था या स्थिति का न होना 2. अव्यवस्था 3. अधीरता; आतुरता।
अनवस्थिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिरता 2. चंचलता 3. अधीरता 4. आधारहीनता 5. अवलंबशून्यता 6. (योगशास्त्र) समाधि प्राप्त हो जाने पर भी चित्त का स्थिर न होना।
अनवाँसना [क्रि-स.] नऐ कपड़े, बरतन आदि का पहली बार प्रयोग या व्यवहार में लाना
अनवाँसी (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि की एक माप; एक विस्वे का चार सौवाँ भाग।
अनवाद [सं-पु.] 1. व्यर्थ का (अकारण, बेमतलब) वादविवाद; फालतू बातचीत 2. कटु वचन; कठोर बात।
अनविच्छिन्न (सं.) [वि.] 1. जो विच्छिन्न या विखंडित न हो; अखंडित 2. संयुक्त; जुड़ा हुआ 3. जिसका क्रम बीच में न टूटे।
अनवीकृत (सं.) [सं-पु.]. एक प्रकार का अर्थ-दोष, जहाँ सिर्फ़ पिष्टपेषण होता है; कोई विलक्षणता नहीं होती।
अनवेक्ष (सं.) [वि.] 1. असावधान; लापरवाह 2. उदासीन 3. ध्यान न देने योग्य (विषय)।
अनवेक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. ध्यान न देने की अवस्था या भाव 2. लापरवाही 3. उदासीनता 4. अनदेखी।
अनवेक्षणीय (सं.) [वि.] 1. जिसपर ध्यान देना या संज्ञान लेना आवश्यक न हो; (नानकागनिज़ेबल)।
अनवेक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] ऐसा सामान्य अपराध या ऐसी अनुचित बात पर ध्यान न देना जिसपर विधि के अनुसार संज्ञान लिया जा सकता हो; (नान-कागनिज़ेंस)।
अनशन (सं.) [सं-पु.]. 1. आहार त्याग; उपवास 2. भूख-हड़ताल।
अनश्वर (सं.) [वि.] 1. जिसका कभी नाश न हो; अविनाशी; नित्य 2. शाश्वत; सनातन 3. ध्रुव; स्थिर; अटल।
अनसुना (सं.) [वि.] जो सुना न गया हो; अनसुनी करना-ध्यान न देना; उपेक्षा करना।
अनसुनी [सं-स्त्री.] किसी बात की उपेक्षा; ध्यान न देने का भाव। [मु.] -करना या कर जाना : (किसी की प्रार्थना, विनती, बात आदि पर) ध्यान ही न देना।
अनसुलझा [वि.] 1. जो सुलझा न हो; जिस वस्तु की उलझन को दूर न किया गया हो 2. जिसे सुलझाया न गया हो।
अनसुलझी [वि.] 1. जो सुलझी न हो; जो सुलझाई न जा सकी हो; उलझी हुई 2. जिस समस्या का समाधान न किया गया हो उसका विशेषण।
अनसूय (सं.) [वि.] 1. असूया या ईर्ष्या-द्वेष से रहित 2. दूसरे के दोषों पर ध्यान न देने वाला।
अनसूया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नुकताचीनी या छिद्रान्वेषण न करना; दूसरों के अवगुणों की तरफ़ ध्यान न देना 2. ईर्ष्या-जलन का न होना 3. अत्रि ऋषि की पत्नी 4. दक्ष की एक कन्या।
अनसोची [वि.] 1. जिसके बारे में पहले से सोचा न गया हो; जिसका पहले से गुमान न हो 2. अचानक आ उपस्थित होने वाली; अप्रत्याशित।
अनस्तित्व (सं.) [सं-पु.] 1. अस्तित्व का अभाव; अस्तित्वहीनता 2. अविद्यमानता; गैरमौजूदगी।
अनहंकार (सं.) [सं-पु.] अहंकार का अभाव। [वि.] अहंकार से रहित।
अनहद [सं-पु.] 1. अनाहत या सीमातीत 2. स्थान-प्रयत्न (जैसे- जिह्वा, तालु, दंत, वर्त्स आदि) से परे; (हठयोग) समाधि की स्थिति में सुनाई पड़ने वाला नाद (ध्वनि)।
अनहद्दी (सं.) [वि.] अनहद; नादवाला।
अनहित [सं-पु.] 1. हित का अभाव 2. अहित; अपकार 3. अशुभ। [वि.] 1. अहितकारी 2. शत्रु।
अनहितू [वि.] 1. अनहित चाहने वाला 2. अशुभ-चिंतक; बैरी।
अनहोना [वि.] 1. सहसा न होने वाला 2. अलौकिक 3. जैसा पहले कभी घटित न हुआ हो।
अनहोनी (सं.) [वि.] 1. न होने वाली; असंभव 2. अलौकिक। [सं-स्त्री.] अनहोनी बात। {ला-अ.} अति दुखद घटना जो नहीं होनी चाहिए थी।