Hin Dict_a30 - हिंदी शब्दकोश - अ30
अनूठा [वि.] 1. अद्भुत; अनोखा 2. विलक्षण 3. सुंदर।
अनूठापन (सं.) [सं-पु.] 1. अनोखापन 2. विरलता 3. अपूर्व सुंदरता 4. अद्भुत या चकित करने वाली ख़ासियत।
अनूढ़ा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) परकीया नायिका का एक भेद; अविवाहित अवस्था में ही किसी पुरुष से प्रेम करने वाली स्त्री।
अनूदित (सं.) [वि.] 1. अनुवाद किया हुआ; तरजुमा किया हुआ 2. कथ्य या भाव का भाषांतरण।
अनूद्य (सं.) [वि.] अनुवाद करने योग्य; अनुवाद्य।
अनूप (सं.) [वि.] 1. उपमा रहित; बेजोड़; अनुपम 2. अति सुंदर। [सं-पु.] 1. जलप्राय स्थान या देश 2. दलदल 3. तालाब 4. मेंढक 5. नदी का किनारा।
अनृत (सं.) [सं-पु.] मिथ्या; असत्य; झूठ। [वि.] 1. झूठा 2. उलटा 3. अन्यथा।
अनेक (सं.) [वि.] एक से अधिक (संख्यावाची); कई; बहुत।
अनेकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक से अधिक होने का भाव; बहुत्व; बहुलता 2. विविधता।
अनेकत्व (सं.) [सं-पु.] 1. अनेकता; बहुतायत; अधिकता; बहुलता 2. विविधता 3. विभिन्नता।
अनेकविध (सं.) [वि.] कई प्रकार का; तरह-तरह का। [क्रि.वि.] कई प्रकार से; नाना प्रकार से।
अनेकांत (सं.) [वि.] 1. जहाँ एकांत न हो 2. अनिश्चित; बदलने वाला; जिसके बारे में कोई एक पक्का मत न हो 3. जिसके अंत में अनेक हों।
अनेकांतवाद (सं.) [सं-पु.] जैन दर्शन का स्यादवाद, जिसके अनुसार सत्य तक पहुँचने के कई मार्ग हो सकते हैं।
अनेकांश (सं.) [सं-पु.] कई सारे अंश; प्रदत्त संख्या में से अधिकतर।
अनेकानेक (सं.) [वि.] असंख्य; कई सारे; बहुत सारे।
अनेकार्थक (सं.) [वि.] 1. अनेक अर्थों वाला 2. जिसके अनेक अर्थ हों 3. विविधार्थक।
अनेकार्थता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनेक अर्थ होने की अवस्था और गुण-धर्म; बहुअर्थता 2. श्लिष्टता।
अनैकांतिक (सं.) [वि.] अस्थिर।
अनैक्य (सं.) [सं-पु.] 1. एकता या एका का न होना 2. अनेकता; बहुलता 3. फूट; मतभेद।
अनैच्छिक (सं.) [वि.] अनिच्छा से किया गया; जिसके पीछे स्वयं की इच्छा न हो।
अनैठ [सं-पु.] 1. बाज़ार न लगने का दिन 2. वह दिन जिसमें पैठ या बाज़ार न लगता हो।
अनैतिक (सं.) [वि.] 1. जो नीति के विरुद्ध हो; जो नैतिक न हो 2. अनुचित; अवांछित 3. सदाचार के विरुद्ध; (इमॉरल)।
अनैतिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनैतिक होने की अवस्था या भाव; मर्यादाहीनता 2. आचरणविहीनता 3. नैतिकता के मानों से रहित होना; (इमॉरैलिटी)।
अनैतिहासिक (सं.) [वि.] 1. जो इतिहास में न आया हो; जो इतिहास से सिद्ध न हो 2. जो इतिहास में घटित न हुआ हो; काल्पनिक (कथा)।
अनैसर्गिक (सं.) [वि.] 1. निसर्ग या प्रकृति के विरुद्ध; अप्राकृतिक 2. अस्वाभाविक; (अननैचुरल)।
अनोखा (सं.) [वि.] 1. जिसे पहले कभी न देखा हो; अनपेक्षित; विचित्र 2. विलक्षण; अद्भुत 3. अनूठा 4. सुंदर।
अनोखापन [सं-पु.] 1. अनूठापन 2. विलक्षणता 3. विचित्रता।
अनौचित्य (सं.) [सं-पु.] 1. औचित्य की कमी या अभाव 2. किसी चीज़ का अनुचित, नामुनासिब या आपत्तिजनक होना।
अनौपचारिक (सं.) [वि.] 1. जो औपचारिक न हो; सहज; जो बनावटी न हो; जो बद्ध नियमों से शासित न हो 2. आत्मीय; (इनफ़ॉर्मल)।
अनौपचारिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहजता 2. बेतकल्लुफ़ी 3. आत्मीयता।
अन्न (सं.) [सं-पु.] 1. अनाज; शस्य 2. अनाज से बना भोजन। [मु.] -जल छोड़ देना या त्याग देना : भोजन-पानी ग्रहण न करना।
अन्नकूट (सं.) [सं-पु.] 1. मिठाई या भात का ढेर 2. कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को होने वाला एक उत्सव या त्योहार जिसमें अन्न से बने पकवान देवता को चढ़ाए जाते हैं।
अन्नचोर (सं.) [सं-पु.] 1. वह जो अनाज छिपाकर रखे और बाज़ार में मँहगे भाव से बेचे 2. अन्न की कालाबाज़ारी करने वाला व्यक्ति।
अन्न-जल (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन; भोज्य-सामग्री 2. आजीविका 3. किसी स्थान पर निवास का सूचक, जैसे- यहाँ से हमारा अन्न-जल उठ गया।
अन्नदाता (सं.) [सं-पु.] 1. भरण-पोषण करने वाला व्यक्ति; स्वामी 2. {अ-अ.} मालिक या राजा के लिए संबोधन।
अन्नदोष (सं.) [सं-पु.] 1. अन्न खाने से होने वाला दोष या विकार 2. निषिद्ध या वर्जित क्षेत्र या व्यक्ति का अन्न खाने से होने वाला दोष।
अन्नपूर्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अन्न की अधिष्ठात्री देवी 2. दुर्गा का एक रूप 3. (पुराण) शिव की पत्नी जो सबको भोजन देने वाली मानी जाती हैं 4. सबके आहार का ध्यान रखने वाली और प्रेम से खिलाने वाली गृहिणी।
अन्नप्राशन (सं.) [सं-पु.] हिंदुओं में एक संस्कार जिसमें छोटे बच्चे के मुख में पहले-पहल अन्न दिया जाता है।
अन्नभंडार (सं.) [सं-पु.] 1. अन्न का ढेर; अन्न का पहाड़ 2. अन्न का स्टॉक 3. सरकारी गोदाम में रखा अन्न का स्टॉक।
अन्नमयकोश (सं.) [सं-पु.] 1. स्थूल शरीर, जो वेदांत में आत्मा को ढकने या आवृत्त करने वाले पाँच कोशों में से एक माना जाता है 2. उक्त स्थूल शरीर माता-पिता के खाए हुए अन्न और उससे बने रज-वीर्य से बनता है।
अन्नसत्र (सं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ पका हुआ भोजन गरीबों में वितरित किया जाता है।
अन्य (सं.) [वि.] 1. दूसरा; गैर 2. भिन्न 3. अतिरिक्त 4. बाहरी; पराया 5. अधिक।
अन्यच्च (सं.) [अव्य.] 1. और भी 2. इसके सिवा; इसके अलावा।
अन्यतम (सं.) [वि.] 1. जो अन्य सभी की तुलना में श्रेष्ठ हो; सर्वश्रेष्ठ 2. सबसे बढ़कर।
अन्यत्र (सं.) [अव्य.] कहीं और; दूसरी जगह।
अन्यथा (सं.) [अव्य.] नहीं तो; भिन्न स्थिति में।
अन्यपुरुष (सं.) [सं-पु.] व्याकरण में वक्ता और श्रोता से भिन्न वह व्यक्ति या वस्तु जिसके विषय में कुछ कहा जाए, जैसे- वह, वे; (थर्ड परसन)।
अन्यपूर्वा (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जो पहले किसी और से ब्याही गई हो; पुनर्विवाह करने वाली स्त्री।
अन्यमनस्क (सं.) [वि.] अनमना; जिसका चित्त कहीं और हो।
अन्यान्य (सं.) [वि.] 1. अनेकानेक; बहुत सारे 2. दूसरे-दूसरे।
अन्याय (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा कार्य या आचरण जो न्यायसम्मत न हो; नाइनसाफ़ी 2. ज़ुल्म; अत्याचार 3. अनौचित्य।
अन्यायपूर्ण (सं.) [वि.] अन्याय से युक्त; घोर अनुचित।
अन्यायपूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] अन्याय से; अन्याय करते हुए; ज़्यादती करते हुए।
अन्यायी (सं.) [वि.] अन्याय करने वाला; अनाचारी प्रवृत्ति का।
अन्योक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी से या किसी के बारे में कही हुई बात जो साधर्म्य के कारण औरों पर भी घटित हो 2. अर्थालंकार का एक भेद जिससे यही आशय पुष्ट होता है।
अन्योन्य (सं.) [क्रि.वि.] 1. परस्पर 2. एक-दूसरे पर। [वि.] 1. पारस्परिक 2. आपस का; आपसी। [सं-पु.] अर्थालंकार का एक भेद जहाँ दो वस्तुओं का कोई कार्य या गुण एक दूसरे ही उपजा हुआ दर्शाया जाता है।
अन्योन्यक्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] वह एक ही क्रिया जो दो वस्तुओं द्वारा एक साथ संपन्न होती है और परस्पर अर्थात एक-दूसरे को कारण के रूप में वर्णित करती है।
अन्योन्याश्रित (सं.) [वि.] एक-दूसरे पर अवलंबित या आश्रित; घनिष्ठ रूप से परस्पर संबद्ध।
अन्वय (सं.) [सं-पु.] 1. दो वस्तुओं का परस्पर तालमेल 2. वाक्य में पदों का पारस्परिक संबंध 3. नियमानुसार पदों को यथास्थान रखना 3. न्यायशास्त्र के अनुसार हेतु और साध्य का साहचर्य 4. कार्य-कारण संबंधों के आधार पर संगति बैठाना।
अन्वयदोष (सं.) [सं-पु.] शब्द-दोष का एक भेद जहाँ काव्य के प्रत्येक चरण में अर्थ तो पूरा हो जाए किंतु विभिन्न अर्थों में कोई अन्विति न हो।
अन्वर्थ (सं.) [वि.] 1. जो अर्थ का अनुगमन या अनुसरण करता हो 2. सार्थक 3. यथार्थ और स्पष्ट 4. अर्थानुरूप।
अन्वादिष्ट (सं.) [वि.] जिसमें पहले के किसी नियम की ओर संकेत किया गया हो।
अन्वित (सं.) [वि.] 1. जिसका अन्वय हुआ हो 2. मिला हुआ; युक्त 3. किसी के साथ जुड़ा हुआ या लगा हुआ।
अन्वितार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. अन्वय करने पर निकलने वाला अर्थ 2. अंदर छिपा हुआ अर्थ; गूढ़ आशय।
अन्विति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अन्वित होने का भाव या स्थिति 2. एकता; संगति।
अन्वीक्ष (सं.) [सं-पु.] सूक्ष्मदर्शी यंत्र; (माइक्रोस्कोप)।
अन्वीक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. बारीकी से देखना; पर्यवेक्षण 2. अन्वेषण; खोज 3. मनन 4. विचार।
अन्वीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] अन्वीक्षण; खोज; तलाश।
अन्वेषक (सं.) [वि.] 1. अन्वेषण करने वाला; शोधकर्ता 2. अनुसंधानकर्ता; खोजबीन करके तथ्यों का पता लगाने वाला।
अन्वेषण (सं.) [सं-पु.] 1. खोज; अनुसंधान 2. तथ्यों की निरंतर खोज और छानबीन 3. शोध; गवेषणा।
अन्वेषी (सं.) [वि.] 1. अन्वेषण करने वाला 2. अन्वेषक।