Hin Dict_a31 - हिंदी शब्दकोश - अ31
अपंग (सं.) [वि.] शरीर के किसी विकार के कारण जिसकी सामान्य गतिविधियाँ बाधित होती हों; अपाहिज; पंगु; लँगड़ा।
अपंजीकृत (सं.) [वि.] 1. जिसका पंजीकरण न हुआ हो; जो खाता-बही में दर्ज न हुआ हो 2. जो सूचीबद्ध न हुआ हो; असूचीबद्ध।
अप (सं.) [पूर्वप्रत्य.] एक प्रत्यय जो निषेध, हीनता, अपकर्ष या विकार, दूषण, विकृति, वैपरीत्य आदि का अर्थ प्रकट करता है, जैसे- मान और अपमान, हरण और अपहरण, व्यय और अपव्यय आदि।
अपकरण (सं.) [सं-पु.] 1. अपकार या ख़राबी करने की क्रिया या भाव 2. बुराई करना; निंदा करना 3. हानि या नुकसान करना।
अपकरुण (सं.) [वि.] 1. जिसमें करुणा या दया न हो; निर्दय 2. करुणाहीन।
अपकर्तन (सं.) [सं-पु.] काटकर टुकड़े-टुकड़े करने की क्रिया या भाव।
अपकर्ता (सं.) [सं-पु.] 1. अपकार या हानि पहुँचाने वाला व्यक्ति 2. दुष्कर्म करने वाला; दुष्कर्मी 3. अपकारक।
अपकर्म (सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा काम 2. निंदनीय कार्य; दुराचार; दुष्कर्म।
अपकर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. अवनति; गिरावट 2. क्षय 3. अपमान 4. अपयश 5. हीनता।
अपकर्षक (सं.) [वि.] 1. अपकर्ष करने वाला 2. जिससे अवनति होती हो 3. पतनकारक; अवनतिकारक 4. घटाने वाला; (डेरोगेटरी)।
अपकर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. अपकर्ष करने की क्रिया; नीचे की ओर खींचना या लाना 2. अवनति; गिरावट 3. हीनता 4. क्षय 5. अपमान 6. अपयश 7. ज़बरदस्ती छीनना या ऐंठना।
अपकार (सं.) [सं-पु.] 1. अहित 2. उपकार का विलोम 3. अनिष्ट 4. अत्याचार; अनुचित आचरण या व्यवहार।
अपकारक (सं.) [वि.] 1. अपकार करने वाला 2. अनिष्टकर्ता; हानि पहुँचाने वाला।
अपकारी (सं.) [वि.] 1. अपकार या बुराई करने वाला 2. हानि पहुँचाने वाला 3. अपकारक।
अपकीर्ण (सं.) [वि.] 1. बिखरा या छितराया हुआ 2. फैला हुआ 3. तोड़कर नष्ट किया हुआ।
अपकीर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कीर्ति का विलोम 2. बदनामी; अपयश।
अपकृत (सं.) [वि.] 1. जिसका अपकार किया गया हो 2. जिसका नुकसान किया गया हो। [सं-पु.] क्षति; नुकसान; हानि।
अपकृत्य (सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा काम; दुष्कर्म 2. अपकार।
अपकृष्ट (सं.) [वि.] 1. गिराया हुआ; जिसका अपकर्ष हुआ या किया गया हो 2. जिसका मान, मूल्य या महत्व कम हुआ हो 3. नीच; अधम 4. घृणित; बुरा।
अपकेंद्रिक (सं.) [वि.] केंद्र से परिधि की ओर जाने वाला या अलग होने वाला।
अपकेंद्री (सं.) [वि.] 1. जो केंद्र से दूर चला गया हो; केंद्र से बाहर निकलने की क्रिया वाला 2. केंद्र या मूल से विपरीत दिशा की ओर जाने की प्रवृत्ति वाला; (सेंट्रीफ़्यूगल)।
अपक्रम (सं.) [सं-पु.] 1. बिगड़ा या उलटा क्रम; विकृत क्रम 2. उचित या ठीक क्रम का अभाव 3. पीछे हटना; पलायन। [वि.] जिसका क्रम बिगड़ा हुआ हो।
अपक्रमण (सं.) [सं-पु.] 1. अपक्रम करने की क्रिया या भाव 2. किसी स्थान से रुष्ट होकर उठ जाना; (वाक आउट)।
अपक्रिया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दूषित या बुरी क्रिया या कर्म; दुष्कर्म 2. हानिकर व्यवहार 3. द्रोह 4. अहित।
अपक्व (सं.) [वि.] 1. जो पका या पकाया न हो 2. कच्चा 3. जिसके पकने में अभी कुछ देर हो 4. जिसका अभी पूर्ण विकास न हुआ हो 5. अकुशल; (इमैच्योर)।
अपक्ष (सं.) [वि.] 1. जो किसी पक्ष में न हो; निष्पक्ष 2. जो पक्षपात न करता हो।
अपक्षपात (सं.) [सं-पु.] पक्षपात का अभाव; पक्षपातहीनता; निष्पक्षता।
अपक्षय (सं.) [सं-पु.] 1. नाश; अवनति 2. छीजना; ह्रास 3. घटोतरी; कमी।
अपक्षरण (सं.) [सं-पु.] मिट्टी आदि का टूट कर गिरना या अलग होना; क्षरण; (इरोज़न)।
अपक्षेपण (सं.) [सं-पु.] 1. आक्षेप करने की क्रिया या भाव 2. अपक्षेप करना।
अपगत (सं.) [वि.] 1. जो अपने मार्ग से इधर-उधर हो गया हो 2. दूर हटा हुआ; आँखों से ओझल 3. मरा हुआ; मृत 4. नष्ट।
अपगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुरी गति; दुर्गति; ख़राब स्थिति 2. अनुचित; बुरे या नीचे मार्ग पर जाना 3. दूर भागना; हटना 4. नाश; पतन।
अपगमन (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे या बुरे मार्ग की ओर जाना 2. भाग जाना 3. प्रस्थान 4. छिप जाना।
अपगा (सं.) [सं-स्त्री.] नदी; सरिता।
अपघटन (सं.) [सं-पु.] 1. कमी; ह्रास 2. विघटन; वियोजन; (डिकंपोज़ीशन)।
अपघर्षण (सं.) [सं-पु.] घिसने से होने वाला क्षरण; पत्थर-चट्टान आदि का हवा-पानी की रगड़ से क्रमशः घिसना।
अपघात (सं.) [सं-पु.] 1. अनुचित या बुरा आघात 2. किसी को मार डालना; हत्या; हिंसा 3. विश्वासघात 4. आत्मघात।
अपघातक (सं.) [वि.] 1. अपघात करने वाला 2. अपघात संबंधी।
अपघाती (सं.) [वि.] 1. अपघात करने वाला; अपघातक 2. हत्या या हिंसा करने वाला।
अपच [सं-पु.] 1. अन्न या भोजन न पचने की अवस्था 2. भोजन न पचने का रोग; बदहज़मी; अजीर्ण; (इनडाइजेशन)।
अपचय (सं.) [सं-पु.] 1. कमी; क्षति; हानि; घाटा होने की क्रिया या भाव 2. रियायत; कमी; छूट 3. व्यय 4. विफलता 5. नाश।
अपचयन (सं.) [सं-पु.] (रसायन विज्ञान) ऐसी अभिक्रिया जिसमें हाइड्रोजन या किसी विद्युत धनात्मक तत्व का संयोग होता है अथवा ऑक्सीजन या किसी विद्युत ऋणात्मक तत्व का वियोग होता है; ऐसी अभिक्रिया जिसमें ऋणात्मक संयोजकता की वृद्धि या धनात्मक संयोजकता में कमी होती है; (रिडक्शन)।
अपचरण (सं.) [सं-पु.] 1. अपने अधिकार क्षेत्र या सीमा से निकलकर दूसरे के अधिकार क्षेत्र में जाना 2. अनादर; निंदा 3. अनिष्ट; बुराई 4. अपयश।
अपचायक (सं.) [वि.] अपचयन करने वाला; घटाने वाला।
अपचार (सं.) [सं-पु.] 1. दोष 2. अनुचित कर्म; निकृष्ट आचरण; दुराचार 3. कुपथ्य 4. अनिष्ट 5. अपयश 6. निंदा।
अपचारक (सं.) [वि.] 1. अपचार करने वाला; वह जो बुरा या अनुचित काम करता हो 2. अधिकार विरुद्ध क्षेत्र या सीमा में प्रवेश करने वाला; (ट्रेसपासर)।
अपचारी (सं.) [वि.] 1. अपचार करने वाला; अनुचित व्यवहार करने वाला 2. दुष्कर्मी 3. अविश्वासी।
अपचेता (सं.) [वि.] 1. किसी का बुरा सोचने वाला 2. कंजूस।
अपच्छेद (सं.) [सं-पु.] 1. काटकर अलग करना; पृथक करना 2. बाधा; विघ्न 3. हानि।
अपजात (सं.) [वि.] 1. जिसमें अपने उत्पादक या उत्पन्नकर्ता के पूरे गुण या विशेषताएँ न आई हों 2. अपेक्षाकृत कम गुणोंवाला; (डीजेनेरेटेड)।
अपटी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परदा; यवनिका 2. कपड़े की दीवार; कनात 3. आच्छादन; वस्त्र का आवरण।
अपटु (सं.) [वि.] 1. जो पटु या निपुण न हो; अनिपुण 2. जो चतुर न हो 3. अकुशल।
अपठनीय (सं.) [वि.] 1. जिसे पढ़ा न जा सके; दुरूह; दुर्बोध 2. जो पढ़ने योग्य न हो; अपाठ्य; अरोचक।
अपठित (सं.) [वि.] 1. जो पहले पढ़ा न गया हो; पहली बार पढ़ने को मिला हुआ।
अपडेट (इं.) [वि.] 1. अद्यतन; नवीनतम 2. अपने पूर्व संस्करण से बेहतर या उन्नत।
अपढ़ (सं.) [वि.] अशिक्षित; अनपढ़; बिना पढ़ा-लिखा।
अपण्य (सं.) [वि.] 1. (वस्तु) जो बेची न जा सके 2. जिसे बेचना उचित न हो; जिसे बेचना निषिद्ध हो।
अपतंत्रक (सं.) [सं-पु.] हाथ-पैर ऐंठने का एक रोग जो प्रायः स्त्रियों को होता है; वातोन्माद; (हिस्टीरिया)।
अपतर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. उपवास; व्रत; लंघन 2. तृप्ति का अभाव।
अपत्य (सं.) [सं-पु.] संतान; औलाद।
अपत्र (सं.) [वि.] 1. पत्तों से रहित 2. जिसके पर या पंख न हों।
अपथ (सं.) [सं-पु.] 1. कुमार्ग; कुपथ; गलत या बुरी राह 2. रास्ते का अभाव। [वि.] 1. पथहीन 2. जहाँ अच्छे मार्ग न हों 3. जो चलने योग्य न हो।
अपथगामी (सं.) [वि.] 1. कुमार्गी; पथभ्रष्ट; गलत रास्ते पर चलने वाला 2. चरित्रहीन।
अपथ्य (सं.) [वि.] 1. जो पथ्य न हो; जो स्वास्थ्यवर्धक न हो 2. हानिकर; अहितकर 3. जो गुणकारी न हो।
अपद (सं.) [वि.] 1. जिसके पद या पैर न हों; बिना पैर का 2. जो किसी ओहदे या पद पर न हो। [सं-पु.] 1. रेंगने वाला जंतु 2. अनुपयुक्त स्थान या पद।
अपदयुक्त (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अर्थ दोष का एक भेद, जहाँ ऐसे अनुचित या अनावश्यक पद या वाक्य का प्रयोग हो जिससे कही हुई बात का मंडन होने के बजाय खंडन हो जाए।
अपदस्थ (सं.) [वि.] पद से हटाया हुआ; बरख़ास्त; पदच्युत।
अपदान (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तम कार्य; पूर्ण रूप से संपन्न कार्य 2. शुद्ध या मर्यादित आचरण।
अपदार्थ (सं.) [सं-पु.] 1. अनस्तित्व; अद्रव्य 2. नगण्यता; तुच्छता 3. तुच्छ चीज़। [वि.] 1. तुच्छ; नगण्य; महत्वहीन; हेय 2. जिसमें तथ्य या सार न हो।
अपदिष्ट (सं.) [वि.] 1. बहाने से कहा हुआ 2. अपदेश के रूप में किया या कराया हुआ।
अपद्रव्य (सं.) [सं-पु.] 1. बुरी; अनुचित वस्तु 2. अनुचित या निकृष्ट धन या द्रव्य।
अपधर्मिता (सं.) [सं-स्त्री.] धर्म के प्रतिकूल या विरुद्ध आचरण।
अपध्वंस (सं.) [सं-पु.] 1. अधःपतन; नाश 3. अपमान 4. हार 5. निंदा।
अपध्वस्त (सं.) [वि.] 1. चूर-चूर किया हुआ; विनष्ट 2. अपमानित 3. निंदित।