Hin Dict_a32 - हिंदी शब्दकोश - अ32


अपनत्व (सं.) [सं-पु.] अपनापन; आत्मीयता; स्वजन भावना।
अपनयन (सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; अलग करना 2. दूसरी जगह ले जाना 3. खंडन 4. ऋणशोधन 5. कम करना; घटाना 6. बहकाना; फुसलाना।
अपना [सर्व.] 1. स्वयं का; निज का; आत्म संबंधी; स्वीय 2. आप; निज; (पर्सनल)। [सं-पु.] आत्मीय; स्वजन। [मु.] -अपना राग अलापना : अपने मतलब या स्वार्थ की बात कहना। -उल्लू सीधा करना : अपना हित साधना; अपना काम निकालना। -ख़ून होना : अपना सगा संबंधी या भाई-बंधु होना। -घर समझना : अपने घर की तरह दूसरे के घर में अनौपचारिक रूप से रहना। -सा मुँह लेकर रह जाना : हारने या अपमानित होने के बाद हताश होना। -सिर ओखली में देना : अपने को जान-बूझकर जोखिम में डालना। अपनी खिचड़ी अलग पकाना : अलग-थलग रहना; किसी के सुख-दुख में भागीदार न होना। अपनी जान से हाथ धोना : मरना; जान देना। अपनी मौत मरना : स्वाभाविक ढंग से मरना। अपने गिरेबान में झाँकना : अपने दोषों को देखना। अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना : ऐसा काम करना जिससे अपना बहुत बड़ा अहित या हानि हो। अपने पैरों पर खड़ा होना : समर्थ होना। अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना : अपनी बड़ाई स्वयं करना। अपने सिर लेना : जिम्मेदारी अपने ऊपर लेना।
अपनाना [क्रि-स.] 1. अंगीकार करना; अपना बनाना; ग्रहण करना; स्वीकार कर लेना 2. गले लगाना 3. अपने अधिकार या वश में करना 4. किसी को अपनी शरण में लेना।
अपनापन [सं-पु.] 1. आत्मीयता; घनिष्ठता 2. आपसी प्रेम-व्यवहार।
अपना पराया [सं-पु.] 1. मित्र और शत्रु 2. आत्मीय व्यक्ति और अन्य व्यक्ति।
अपनापा [सं-पु.] अपनापन।
अपनायत [सं-स्त्री.] 1. अपना होने का भाव; अपनापन; आत्मीयता 2. स्नेह; सौहार्द; प्रेम।
अपनीत (सं.) [वि.] 1. दूर किया या हटाया हुआ 2. एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया हुआ 3. जिसे कोई भगा या हर ले गया हो।
अपनेता (सं.) [वि.] 1. अपनयन करने वाला 2. किसी को हरने या भगाने वाला।
अपपात्र (सं.) [सं-पु.] 1. अनुपयुक्त पात्र 2. बुरा पात्र; अपात्र; कुपात्र।
अपभाषण (सं.) [सं-पु.] 1. अश्लील और गंदी बात 2. दुर्वचन; गाली-गलौज।
अपभाषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनुचित या बुरी भाषा 2. अश्लील और गंदी भाषा।
अपभ्रंश (सं.) [सं-पु.] 1. पतन; नीचे गिरना 2. बिगाड़; विकृति 3. तत्सम भाषा के शब्द का विकृत रूप 4. प्राकृत भाषाओं का परवर्ती रूप जिनसे उत्तर भारतीय आधुनिक आर्यभाषाओं की उत्पत्ति मानी जाती है। [वि.] बिगड़ा हुआ; विकृत।
अपभ्रष्ट (सं.) [वि.] 1. पतित; गिरा हुआ 2. विकृत; बिगड़ा हुआ 3. जो (शब्द) अपने तत्सम रूप से निकल कर विकृत रूप में प्रचलित हो।
अपमर्दन (सं.) [सं-पु.] 1. बुरी तरह से रौंदना या कुचलना 2. बुरी तरह अपमानित करना।
अपमान (सं.) [सं-पु.] 1. निरादर; बेइज़्ज़ती; तौहीन; मानभंग 2. तिरस्कार; दुत्कार; ज़िल्लत 3. अवमानना; (इंसल्ट)।
अपमानकारी (सं.) [वि.] 1. जिससे अपमान हो; अपमानजनक 2. अपमान करने वाला।
अपमानजनक (सं.) [वि.] जिससे अपमान का बोध होता हो; जिस कृत्य से किसी का अपमान होता हो; (इनसल्टिंग)।
अपमानित (सं.) [वि.] 1. जिसका अपमान हुआ हो; निरादृत 2. तिरस्कृत; ज़लील; (इनसल्टेड)।
अपमानी (सं.) [वि.] 1. अपमान करने वाला 2. तिरस्कार करने वाला; तिरस्कारी।
अपमार्ग (सं.) [सं-पु.] कुमार्ग; कुपथ; बुरा मार्ग।
अपमार्गी (सं.) [वि.] अनुचित मार्ग पर चलने वाला; कुमार्गी।
अपमार्जक (सं.) [वि.] 1. शुद्धि, सफ़ाई या संशोधन करने वाला 2. रद्द करने वाला; मिटा देने वाला; उन्मूलनकर्ता।
अपमार्जन (सं.) [सं-पु.] 1. शुद्धि; सफ़ाई या संशोधन करने की क्रिया या भाव 2. रद्द करने या मिटा देने की क्रिया या भाव; उन्मूलन।
अपमिश्रण (सं.) [सं-पु.] किसी शुद्ध चीज़ में किसी ख़राब चीज़ की मिलावट; (अडल्टरेशन)।
अपमृत्यु (सं.) [सं-पु.] 1. आकस्मिक या असामयिक मृत्यु; अकाल मौत या मृत्यु 2. किसी दुर्घटना आदि से होने वाली मृत्यु।
अपयश (सं.) [सं-पु.] अपकीर्ति; बदनामी; रुसवाई।
अपयोग (सं.) [सं-पु.] 1. अनिष्टकारी योग 2. अनुचित समय।
अपयोजन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी के धन या संपत्ति का अनुचित उपयोग करना 2. गलत जोड़ना; (मिसअप्रोप्रिएशन)।
अपरंपार [वि.] 1. जिसका पारावार न हो; अपार 2. जिसका ओर-छोर न हो असीम 3. बहुत अधिक; बेहद।
अपर (सं.) [वि.] 1. अन्य; दूसरा 2. निकृष्ट 3. पिछला 4. दूसरे का 5. दूरवर्ती 6. जिसकी बराबरी करने वाला या जिससे बढ़ कर कोई न हो।
अपरदन (सं.) [सं-पु.] 1. क्षय; नाश 2. क्षीणता।
अपरदन चक्र (सं.) [सं-पु.] विनाश चक्र; विनाश का दौर या सिलसिला।
अपर न्यायाधीश (सं.) [सं-पु.] अतिरिक्त न्यायाधीश।
अपरव (सं.) [सं-पु.] 1. झगड़ा; कलह 2. ज़मीन-जायदाद को लेकर होने वाला विवाद।
अपरस (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी ने छुआ न हो 2. अस्पृश्य 3. अनासक्त; अलिप्त।
अपरांत (सं.) [सं-पु.] 1. पश्चिम का देश या प्रांत 2. पश्चिमी सीमांत।
अपरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अध्यात्म विद्या को छोड़ कर शेष सारी विद्याएँ; पदार्थ विद्या; लौकिक विद्या 2. पश्चिम दिशा 3. ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की एकादशी।
अपराग (सं.) [सं-पु.] 1. प्रेम या राग का विरोधी भाव 2. शत्रुता; वैर 3. अरुचि 4. अपरक्ति।
अपराजित (सं.) [वि.] जिसे पराजित न किया जा सकता हो; अजेय; अविजित; जो जीता न गया हो।
अपराजिता (सं.) [वि.] जो जीती न गई हो; अजेय। [सं-स्त्री.] विष्णुक्रांता नामक लता।
अपराजेय (सं.) [वि.] जिसकी पराजय न हो; जिसे पराजित न किया जा सके; अजेय।
अपराध (सं.) [सं-पु.] 1. विधि विरुद्ध या दंड पाने योग्य काम; गुनाह; कानून विरोधी कार्य; जुर्म; (क्राइम) 2. दोष; कसूर 3. पाप; दुष्कर्म; अनैतिक कार्य; करतूत 4. गलती।
अपराधजनक (सं.) [वि.] अपराध को जन्म देने वाला; जिससे आपराधिक कार्यों को बढ़ावा मिलता हो।
अपराधबोध (सं.) [सं-पु.] अपराध करने के बाद गलती का अहसास; गलती का अनुभव; अफ़सोस; पश्चाताप।
अपराधमुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जुर्म या अपराध से मुक्त हो जाना 2. अदालती अभियोग से बरी कर दिया जाना 3. पाप-निवारण।
अपराधलोक (सं.) [सं-पु.] 1. अपराधकर्मियों की दुनिया 2. नशाखोरी; नशीले पदार्थों का अवैध व्यवसाय 3. जुआ या हत्या आदि जुर्म में लिप्त माफ़ियाओं का अंतर्जाल; (अंडरवर्ल्ड)।
अपराधविज्ञान (सं.) [सं-पु.] अपराध के कारणों का विवेचन-विश्लेषण करने और आपराधिक प्रवृत्तियों के उन्मूलन-नियंत्रण के संबंध में अध्ययन करने वाला विज्ञान; (क्रिमिनॉलॉजी)।
अपराधिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपराध करने वाली स्त्री 2. अपराधी का स्त्रीलिंग रूप।
अपराधी (सं.) [वि.] 1. जो अपराध करता हो; जिसने अपराध किया हो; जुर्म करने वाला; (क्रिमिनल) 2. दोषी; गुनाहगार 3. पापी।
अपरावर्तनीय (सं.) [वि.] 1. जो किरणों के परावर्तन के योग्य न हो (सतह); पारभासी 2. जो लौटाया जाने लायक न हो।
अपरावर्ती (सं.) [वि.] 1. किसी काम से पीछे न हटने वाला 2. वापस न लौटने वाला।
अपराह्न (सं.) [सं-पु.] दोपहर के बाद का समय; तीसरा पहर।
अपरिकलित (सं.) [वि.] 1. जिसका परिकलन या आकलन न किया जा सके; जो गिना न जा सके 2. {ला-अ.} अदृष्ट; अज्ञात।
अपरिगृहीत (सं.) [वि.] 1. जिसका परिग्रहण न हुआ हो 2. जो अस्वीकृत हो गया हो 3. त्यक्त।
अपरिग्रह (सं.) [सं-पु.] 1. किसी से कुछ ग्रहण न करना 2. दान का अस्वीकार 3. त्याग 4. जीवन-निर्वाह के लिए न्यूनतम ज़रूरतों से ज़्यादा कुछ भी न लेना 5. योग-दर्शन में बताए गए नियमों में से एक।
अपरिचय (सं.) [सं-पु.] जानकारी न होना; परिचय का अभाव; अनजानापन; अजनबीपन।
अपरिचित (सं.) [वि.] 1. जिसकी जानकारी न हो 2. जिससे परिचय न हो; अजनबी 4. जिसे जानकारी न हो; नावाकिफ़।
अपरिच्छन्न (सं.) [वि.] 1. जो ढका न हो; आवरणहीन 2. व्यापक; असीम 3. मिला हुआ।
अपरिणामी (सं.) [वि.] 1. जिसमें परिणाम या विकार न हो; परिणामरहित 2. एक रूप; एकरस।
अपरिणीत (सं.) [वि.] जिसका विवाह न हुआ हो; अविवाहित।
अपरिपक्व (सं.) [वि.] 1. जो परिपक्व न हो; अधकचरा 2. अनुभव में कच्चा 3. अकुशल।
अपरिमाण (सं.) [वि.] जिसका परिमाण या आकलन माप से बाहर हो; अपरिमित। [सं-पु.] परिमाण का अभाव।
अपरिमार्जित (सं.) [वि.] जिसका परिमार्जन न हुआ हो; जो मँजा न हो; गंदा।
अपरिमित (सं.) [वि.] 1. बेहद; बेहिसाब; अत्यधिक 2. जिसकी कोई सीमा न हो।
अपरिमेय (सं.) [वि.] 1. जिसका परिमाण जाना न जा सके 2. जिसकी नाप-जोख न हो सके 3. अकूत; बहुत ज़्यादा।
अपरिर्वतनीय (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई बदलाव न किया जा सके 2. अटल; दृढ़; जो बिलकुल लचीला न हो 3. जिसकी दूसरी वस्तु से अदला-बदली संभव न हो 4. जो सदा एक-सा रहता हो; नित्य।
अपरिवृत्त (सं.) [वि.] 1. जो घिरा हुआ न हो; खुला (मैदान, खेत) 2. अपरिच्छन्न।
अपरिष्कार (सं.) [सं-पु.] 1. परिष्कार या संस्कार का अभाव 2. भद्दापन; बेडौलपन; अनगढ़पन 3. गंदगी; मैला-कुचैलापन 4. उच्छृंखलता।
अपरिष्कृत (सं.) [वि.] 1. जिसका संस्कार या परिष्करण न हुआ हो; असंस्कृत 2. जो ठीक या साफ़ न किया गया हो; गंदा 3. बेडौल; अनगढ़।
अपरिसर (सं.) [वि.] 1. जो निकट न हो; दूर 2. अप्रशस्त 3. विस्तारहीन।
अपरिहार्य (सं.) [वि.] 1. जिसका परिहार न हो सकता हो; अनिवार्य; जिसके बिना काम न चले 2. अवश्यंभावी 3. अत्याज्य।
अपरीक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसकी परीक्षा न हुई हो; जिसे जाँचा-परखा न गया हो 2. जो आजमाया न गया हो 3. अप्रमाणित।
अपरुष (सं.) [वि.] 1. जिसमें परुषता या कठोरता न हो; सहृद्य 2. कोमल; मृदुल 3. क्रोध-रहित।
अपरूप (सं.) [वि.] बदशक्ल; भद्दा; कुरूप।
अपरोक्ष (सं.) [वि.] 1. जो परोक्ष न हो; प्रत्यक्ष 2. जो आसपास ही हो; दूर न हो 3. इंद्रियगोचर।
अपर्ण (सं.) [वि.] पत्रविहीन; जिसमें पर्ण या पत्ते न हों।
अपर्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) पार्वती जिन्होंने शिव के लिए तपस्या करते हुए पत्ते तक खाना छोड़ दिया था 2. दुर्गा।
अपर्याप्त (सं.) [वि.] 1. जो पर्याप्त या पूरा न हो; जो पूरा न पड़ता हो; नाकाफ़ी 2. जो यथेष्ट न हो 3. अयोग्य 4. अधूरा।
अपर्याय (सं.) [वि.] क्रमहीन; जिसमें या जिसका कोई क्रम न हो; बेतरतीब। [सं-पु.] क्रमहीनता; बेतरतीबी।
अपलक (सं.) [वि.] जिसकी पलकें न गिरे; निर्निमेष। [क्रि.वि.] बिना पलक गिराए या झपकाए; एकटक।
अपलक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. दोष; कुलक्षण 2. अशुभ या बुरा लक्षण 3. (साहित्य) किसी चीज़ में बताया जाने वाला ऐसा लक्षण जिसमें अतिव्याप्ति या अव्याप्ति दोष हो।
अपलाप (सं.) [सं-पु.] 1. व्यर्थ की बकवाद; बकबक 2. इधर-उधर की बातें कहना; बातें बनाना 3. बात का छिपाव; दुराव; टालमटोल करना।
अपवचन (सं.) [सं-पु.] 1. निंदा 2. गाली; अपशब्द 3. कटूक्ति।
अपवरण (सं.) [सं-पु.] परदा हटाना; अनावृत्त करना; आवरण दूर करना।
अपवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. सब तरह के दुखों से छुटकारा 2. त्याग 3. दान 4. मोक्ष 5. कर्मफल; कार्यसिद्धि 6. विशेष नियम या अपवाद।
अपवर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. त्यागना; छोड़ना; मुक्त करना 2. कर्ज़ वगैरह चुकाना 3. दान।
अपवर्जित (सं.) [वि.] 1. त्याग किया हुआ; छोड़ा हुआ 2. दिया हुआ।
अपवर्तक (सं.) [सं-पु.] (गणित) वह राशियाँ जिनसे किसी बड़ी राशि को भाग देने पर शेष न बचता हो; सामान्य विभाजक; (फ़ैक्टर), जैसे- 2, 3, 4 और 6 सभी 12 के अपवर्तक हैं। [वि.] अपवर्तन या अलग करने वाला।
अपवर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. परिवर्तन; पलटाव; अपने मूल स्थान की ओर लौटना; पीछे आना 2. किसी में से कुछ ले लेना या निकालना 3. अलग या दूर करना 4. ज़ब्त होना।
अपवर्तित (सं.) [वि.] 1. परिवर्तित 2. पृथक किया हुआ 3. पीछे लौटा हुआ 2. ज़ब्त किया हुआ 3. अंदर की ओर घूमा या मुड़ा हुआ; पलटा हुआ।
अपवर्त्य (सं.) [सं-पु.] (गणित) वह राशि जो किसी एक संख्या को दूसरी संख्या से गुणा करने पर प्राप्त होती है; गुणज; (मल्टिपल), जैसे- 8x8=64, अतः 8 का 64 अपवर्त्य है। [वि.] जिसका अपवर्तन हो सकता है; (मल्टिपल)।
अपवहन (सं.) [सं-पु.] किसी भेजी हुई वस्तु का अपने नियत जगह से इधर-उधर पहुँच जाने की क्रिया; भटकाव।
अपवहित (सं.) [वि.] 1. जो भटक गया हो 2. हटाया हुआ 3. स्थानांतरित।
अपवाद (सं.) [सं-पु.] 1. सामान्य नियम से भिन्न या विरुद्ध कोई नियम या बात; वह नियम जो किसी विशेष या व्यापक नियम के विरुद्ध हो 2. असामान्यता; छूट।
अपवादक (सं.) [वि.] 1. वह जो दूसरों की बदनामी या अपवाद करता हो 2. परनिंदक 3. जो कलंक लगाता हो 4. विरोधी।
अपवादस्वरूप (सं.) [अव्य.] 1. सामान्य नियम या चलन के विरोध के रूप में 2. नियम-विरोधी उदाहरण सरीखा; अपवाद के रूप में; (एक्सेप्शनल)।
अपवादहीन (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई अपवाद न हो 2. पूरी तरह नियम-सम्मत 3. परंपरा या प्रथा-सम्मत।
अपवादिक (सं.) [वि.] अपवाद संबंधी; सामान्य नियम के विपरीत अपवाद के रूप में होने वाला।
अपवादी (सं.) [वि.] 1. निंदा या बदनामी करने वाला; निंदक 2. खंडन करने वाला 3. बाधक 4. आरोप लगाने वाला।
अपवारण (सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; दूर करना 2. व्यवधान 3. छिपाना।
अपवारित (सं.) [वि.] दूर किया हुआ; अंतर्हित; छिपा हुआ।
अपवाहक (सं.) [वि.] 1. अपवाहन करने वाला 2. बहा ले जाने वाला 3. स्थानांतरित करने वाला।
अपवित्र (सं.) [वि.] 1. जो पवित्र न हो; अशुद्ध; दूषित 2. मलिन; गंदा।
अपवित्रता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवित्र होने की अवस्था या भाव; मलिनता; गंदगी 2. अशुद्धि; नापाकीज़गी।
अपविद्ध (सं.) [वि.] 1. त्यागा हुआ; छोड़ा हुआ; त्यक्त 2. निकृष्ट; नीच; छुद्र 3. बेधा हुआ।
अपविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निषिद्ध विद्या 2. बुरी विद्या जिसका अध्ययन उचित न हो 3. माया; अविद्या।
अपवृत्त (सं.) [वि.] 1. क्रम या स्थिति के हिसाब से विपरीत 2. अंदर की ओर घुमाया हुआ; मोड़ा हुआ 3. औंधा 4. समाप्त किया हुआ।
अपवृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवृत्त या विपरीत होने की अवस्था या भाव 2. समाप्ति; अंत।
अपव्यय (सं.) [सं-पु.] 1. फ़िजूलख़र्ची; व्यर्थ का ख़र्चा 2. आवश्यकता से अधिक किया गया ख़र्च।
अपव्ययी (सं.) [वि.] 1. फ़िजूलख़र्ची या अपव्यय करने वाला 2. व्यर्थ कामों में ख़र्च करने वाला।
अपशकुन (सं.) [सं-पु.] किसी विशेष कार्य के आरंभ में दिखाई देने वाला अशुभ लक्षण या संकेत; अमंगल; अपशगुन।
अपशब्द (सं.) [सं-पु.] 1. अशोभनीय, असाधु, या अशुद्ध शब्द; दुर्वचन 2. गाली-गलौज 3. बिगड़ा हुआ शब्द 4. निंदित शब्द।
अपशिष्ट (सं.) [वि.] अशिष्ट; जिसमें शिष्टता न हो; अशालीन; अभद्र; असंस्कृत।
अपश्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] (व्याकरण) एक ही धातु से बने शब्दों में लक्षित वह विकार जो व्यंजनों के एक बने रहने पर भी स्वरों के बदलाव से उत्पन्न होता है, जैसे- बढ़ना से बढ़ाव और बढ़िया।
अपसंचय (सं.) [सं-पु.] जमाख़ोरी; कीमत बढ़ा कर बेचने के लिए माल का अनुचित भंडारण।
अपसंचयी (सं.) [वि.] 1. अपसंचय करने वाला 2. वस्तुओं का अनुचित संचय करने वाला; जमाख़ोर।
अपसंस्कृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऐसा आचार या पद्धति जो उच्च या श्रेष्ठ मूल्यों के विरुद्ध हो 2. अनुचित संस्कृति।
अपसरण (सं.) [सं-पु.] 1. पीछे हटना; दूर होना 2. दायित्व या कार्य आदि को छोड़कर अलग होना; भाग जाना 3. अपने उचित मार्ग से इधर-उधर होना 4. निकल भागने का रास्ता 5. दूर हटाया हुआ।
अपसर्जक (सं.) [वि.] 1. छोड़ देने वाला; त्यक्ता 2. ज़िम्मेदारी से भागने वाला; (डिज़र्टर)।
अपसर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. त्यागना; छोड़ना 2. ज़िम्मेदारी से पलायन; अपने आश्रित को इस प्रकार त्यागना कि फिर उसकी चिंता न रहे, जैसे- पिता द्वारा शिशु का अपसर्जन।
अपसर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. पीछे हटना; खिसकना 2. जासूसी करना 3. लौटना 4. भागना; पलायन करना।
अपसव्य (सं.) [वि.] 1. दाहिना; दाँया 2. विपरीत; उलटा 3. 'सव्य' का विलोम।
अपसारण (सं.) [सं-पु.] 1. दूर करना 2. अंदर की तरफ़ से निकालकर बाहर करने की क्रिया; दूर हटाना 3. देश निकाला; (इक्सपल्शन)।
अपसारी (सं.) [वि.] 1. अपसारण करने वाला; दूर करने या हटाने वाला 2. अलग-अलग; भिन्न-भिन्न 3. परस्पर विरुद्ध।
अपसृत (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी पद या स्थान से हटा दिया गया हो 2. जिसने अपना दायित्व, पद आदि छोड़ दिया हो 3. जिसे किसी ने छोड़ दिया हो; परित्यक्त।
अपसेट (इं.) [वि.] 1. उदास; चिंतित 2. अस्त-व्यस्त; विकल; बेचैन 3. परेशान।
अपस्कर (सं.) [सं-पु.] 1. गाड़ी का कोई हिस्सा, जैसे- पहिया, धुरा आदि 2. मल; विष्ठा।
अपस्तुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निंदा; आलोचना 2. शिकायत 3. भर्त्सना।
अपस्फीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आर्थिक क्रियाकलापों में कमी जिससे वस्तुओं के दाम घटने, बेकारी बढ़ने तथा उत्पादन घटने लगता है 2. मुद्रास्फीति कम करने की क्रिया; अवस्फीति; विस्फीति; (डिफ़्लेशन)।
अपस्मार (सं.) [सं-पु.] 1. मिर्गी रोग 2. (काव्यशास्त्र) एक संचारी भाव।
अपस्वर (सं.) [सं-पु.] बुरा या गलत स्वर; बेसुरी आवाज़; कर्णकटु स्वर।
अपह (सं.) [वि.] नष्ट या नाश करने वाला; नाशक।
अपहत (सं.) [वि.] 1. मारा हुआ; नष्ट किया हुआ; मृत 2. हटाया या दूर किया हुआ।
अपहनन (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तेजित भीड़ के माध्यम से किसी का हनन करना 2. अनुचित तरीके से मार डालने की क्रिया।
अपहरण (सं.) [सं-पु.] 1. फिरौती आदि के लिए किसी को बंधक बनाने की क्रिया; (किडनैप) 2. बलपूर्वक छीन लेना या ले लेना 3. किसी को बलपूर्वक विवाह या बलात्कार की मंशा से अपने पास रोके रखना या भगा ले जाना; (ऐब्डक्शन)।
अपहर्ता (सं.) [वि.] 1. अपहरण करने वाला 2. बलपूर्वक छीनने वाला 3. फिरौती के लिए किसी को बंधक बनाने वाला 4. किसी स्त्री को बलात्कार करने या विवाह रचाने के विचार से भगाकर ले जाने वाला (व्यक्ति); (ऐब्डक्टर)।
अपहसित (सं.) [वि.] जिसका उपहास किया गया हो; जिसकी खिल्ली उड़ाई गई हो।
अपहस्त (सं.) [सं-पु.] 1. दूर फेंकना 2. लूटना 3. चुराना।
अपहार (सं.) [सं-पु.] 1. दूसरे की वस्तु छीनने की क्रिया; अपहरण 2. धोखा देकर किसी की संपत्ति का उपभोग करना 3. छिपाव; दुराव।
अपहास (सं.) [सं-पु.] 1. उपहास; मज़ाक उड़ाना; चिढ़ाना 2. बेमौक़ा या अकारण हँसी।
अपहृत (सं.) [वि.] 1. जिसका अपहरण किया गया हो 2. चुराया हुआ 3. छीना हुआ; लूटा हुआ।
अपह्नुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपह्नव; छिपाव; गोपन; वस्तुस्थिति को छिपाने की क्रिया 2. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें उपमेय का निषेध कर उपमान को स्थापित किया जाता है।