Hin Dict_a33 - हिंदी शब्दकोश - अ33
अपाकरण (सं.) [सं-पु.] 1. दूर करने, हटाने का भाव 2. देनदारी, ऋण आदि चुकता करना।
अपाकृत (सं.) [वि.] 1. दूर किया हुआ; हटाया हुआ 2. ऋण आदि चुकाया हुआ; चुकता किया हुआ।
अपाच्य (सं.) [वि.] 1. जो पचने योग्य न हो; जो हज़म होने लायक़ न हो 2. जो पकाया न जा सके।
अपाठ्य (सं.) [वि.] 1. जो पढ़ने में न आए; जिसका पाठ संभव न हो 2. जो पढ़ने लायक न हो; जिसका पठन वर्जित हो।
अपात्र (सं.) [वि.] 1. कुपात्र; निकम्मा 2. अयोग्य 3. मूर्ख; जाहिल 4. अनधिकारी। [सं-पु.] 1. कुपात्र 2. अयोग्य व्यक्ति।
अपात्रता (सं.) [सं-स्त्री.] अपात्र होने की अवस्था या भाव; अयोग्यता; पात्रता का अभाव।
अपादान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी चीज़ से कुछ निकालना या हटाना 2. अलगाव; दूर करना 3. व्याकरण में एक कारक।
अपान (सं.) [सं-पु.] 1. पाँच प्राणों में से एक 2. गुदा के ऊपरी भाग की वायु जो मल-मूत्र निकालती है 3. गुदा मार्ग से बाहर निकलने वाली वायु; पाद; (फ़ार्ट)।
अपानन (सं.) [सं-पु.] 1. साँस खींचना 2. मल-मूत्र का त्याग; स्राव।
अपान वायु (सं.) [सं-स्त्री.] गुदा मार्ग से बाहर आने वाली वायु; पाद।
अपामार्ग (सं.) [सं-पु.] 1. लटजीरा 2. एक रोगनाशक पौधा; चिचड़ा नामक पौधा।
अपाय (सं.) [सं-पु.] 1. दूर या पीछे हटना; अपगमन 2. पार्थक्य; अलगाव 3. नीति के विरुद्ध आचरण 4. नाश; अंत 5. उत्पात; उपद्रव 6. लोप।
अपार (सं.) [वि.] 1. जिसका पार न हो; अनंत; असीम 2. अथाह; बहुत अधिक; असंख्य; अतिशय। [सं-पु.] 1. समुद्र; सागर 2. नदी का सामने वाला किनारा 3. अपान से बचने पर एक प्रकार का मानसिक संतोष।
अपारग (सं.) [वि.] 1. जो पार न जा सकता हो 2. असमर्थ; अयोग्य।
अपारदर्शक (सं.) [वि.] जिसके पार न देखा जा सकता हो; जो पारदर्शी न हो; धुँधला; (ओपेक)।
अपारदर्शिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पारदर्शी न होने का गुण 2. {ला-अ.} पाक-साफ़ न होने का दोष; बेईमानी।
अपारदर्शी (सं.) [वि.] 1. जिसके आर-पार न देखा जा सके; जो पारदर्शी न हो 2. {ला-अ.} जो अपने काम या आचरण में पारदर्शी या पाक-साफ़ न हो।
अपारिभाषिक (सं.) [वि.] जो पारिभाषिक न हो।
अपार्टमेंट (इं.) [सं-पु.] 1. कमरा; फ़्लैट 2. भवन; मकान।
अपार्थ (सं.) [वि.] 1. दूषित अर्थ वाला 2. अर्थ से रहित या हीन 3. व्यर्थ; निरर्थक 4. जिसका कोई प्रभाव या फल न हो; निष्फल।
अपार्थिव (सं.) [वि.] 1. जो पार्थिक या लौकिक न हो; अलौकिक; लोकोत्तर 2. अनश्वर।
अपावन (सं.) [वि.] 1. जो पावन या पवित्र न हो; अपवित्र 2. मैला; गंदा।
अपावृत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पीछे हटा लेने या लौटा लेने की क्रिया 2. तिरस्कारपूर्ण अस्वीकृति।
अपासन (सं.) [सं-पु.] 1. अपने सामने आई हुई प्रार्थना, कथन आदि की अस्वीकृति 2. नामंज़ूरी; (रिजेक्शन)।
अपासित (सं.) [वि.] 1. जो माना न गया हो 2. अस्वीकृत; नामंज़ूर; (रिजेक्टेड)।
अपाहिज [वि.] अपंग; विकलांग; पंगु।
अपिंडी (सं.) [वि.] 1. पिंडरहित; अशरीरी 2. अमूर्त।
अपितु (सं.) [अव्य.] 1. बल्कि 2. किंतु।
अपितृक (सं.) [वि.] 1. जिसके पिता जीवित न हों; पितृहीन 2. अपैतृक; जो बपौती न हो।
अपिधान (सं.) [सं-पु.] 1. ढकने की वस्तु; ढक्कन 2. ढकने की क्रिया या भाव; आवरण; आच्छादन 3. छिपाव।
अपिहित (सं.) [वि.] आच्छादित; ढका हुआ; आवृत्त।
अपीड़न (सं.) [सं-पु.] 1. पीड़ा न देना; उत्पीड़ित न करना 2. दया; अनुकंपा।
अपील (इं.) [सं-स्त्री.] 1. निवेदन; याचना; अर्ज़; दरख़्वास्त 2. छोटी अदालत के निर्णय के विरुद्ध पुनर्विचार के लिए उच्च अदालत में किया जाने वाला आवेदन; याचिका; फ़रियाद 3. स्वीकृति, न्याय या सहायता आदि के लिए की जाने वाली सार्वजनिक प्रार्थना; गुहार 4. स्वीकार्य भाव, प्रभाव या धारणा।
अपीलकर्ता (इं.+सं.) [सं-पु.] 1. अपील करने वाला; साग्रह अनुरोध करने वाला 2. किसी अदालती फ़ैसले को बदलवाने या उस पर पुनर्विचार करने के लिए दरख़्वास्त देने वाला; फ़रियादी।
अपीलिंग (इं) [वि.] 1. जो आकर्षक या मोहक हो 2. जो मन में प्रभाव छोड़े 3. जो संवेदना जगाए।
अपीलीय (इं.) [वि.] 1. अपील संबंधी 2. जिसके विरुद्ध अपील की जा सके।
अपुण्य (सं.) [वि.] 1. अपवित्र; अपावन 2. बुरा; कलुषित। [सं-पु.] पुण्य का अभाव; पाप।
अपुष्ट (सं.) [वि.] 1. जिसका पोषण और रख-रखाव ठीक न हुआ हो 2. कमज़ोर; दुर्बल 3. मंद (स्वर) 4. जिसकी पुष्टि या तसदीक न हुई हो, जैसे- अपुष्ट समाचार 5. (काव्यशास्त्र) एक अर्थ-दोष।
अपुष्टीकृत (सं.) [वि.] 1. जो पुष्ट न किया गया हो; जिसका परीक्षण न किया गया हो 2. जिसका पोषण ठीक ढंग से न हुआ हो।
अपूज्य (सं.) [वि.] अपूजनीय; जो पूजा या श्रद्धा का पात्र न हो; असम्माननीय।
अपूरित (सं.) [वि.] 1. जो भरा न हो 2. जो अधिक या पूरा न हो।
अपूर्ण (सं.) [वि.] 1. जो पूर्ण या पूरा न हो; नामुकम्मल 2. अधूरा 3. अधकचरा 4. न्यून; कम; रिक्त; खाली; (इनकंपलीट)।
अपूर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] अपूर्ण होने की अवस्था या भाव; पूरा न होने का भाव; अधूरापन; अधकचरापन।
अपूर्व (सं.) [वि.] जैसा या जो पहले न हुआ हो; अनोखा; अद्भुत; अनूठा; बेजोड़; अद्वितीय; विलक्षण।
अपूर्वता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपूर्व होने की अवस्था; गुण या भाव 2. नवीनता 3. अनोखापन; विलक्षणता।
अपूर्वानुमेय (सं.) [वि.] जिसका पूर्वानुमान न हो सके; जिसका पहले से अंदाज़ा न लगाया जा सके; अप्रत्याशित।
अपृक्त (सं.) [वि.] 1. जिसका संपर्क या संबंध न हो; असंयुक्त; असंबद्ध 2. जिसमें कोई मिलावट न हो; विशुद्ध; खाँटी।
अपृथक (सं.) [वि.] जो पृथक न हो; संयुक्त; मिला हुआ; मिश्रित।
अपृथकता (सं.) [सं-स्त्री.] पृथक न होने का भाव; समानता; अभिन्नता।
अपेंडिसाइटिस (इं.) [सं-पु.] आंत्रशोथ; आँत बढ़ने की बीमारी।
अपेक्षणीय (सं.) [वि.] 1. अपेक्षा करने योग्य; उम्मीद करने लायक 2. वांछनीय; चाहा हुआ।
अपेक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आशा; उम्मीद 2. अभिलाषा; आकांक्षा; इच्छा; चाहत 3. भरोसा 4. आवश्यकता; ज़रूरत 5. कार्य-कारण का अन्योन्य संबंध। [क्रि.वि.] तुलना में।
अपेक्षाकृत (सं.) [अव्य.] तुलना में; मुकाबले में।
अपेक्षाधिक (सं.) [वि.] अपेक्षा से अधिक; उम्मीद से ज़्यादा।
अपेक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसकी अपेक्षा या आशा की गई हो; इच्छित; जिसे चाहा गया हो 2. प्रत्याशित; प्रतीक्षित।
अपेक्षी (सं.) [वि.] अपेक्षा करने वाला; जिसे किसी से किसी बात की अपेक्षा हो; इच्छुक; प्रतीक्षारत।
अपेक्ष्य (सं.) [वि.] जिसकी अपेक्षा करना उचित हो; अपेक्षित; चाहा हुआ; वांछनीय।
अपेय (सं.) [वि.] 1. जिसे पीना ठीक न हो; जिसे पीना उचित न हो 2. न पीने योग्य; जो पिया न जा सकता हो।
अपैतृक (सं.) [वि.] 1. जो पैतृक न हो 2. जो विरासत में न मिला हो।
अपोज़िट (इं.) [वि.] 1. विरोधी; विलोम 2. प्रतिद्वंद्वी।
अपोज़िशन (इं.) [सं-पु.] 1. विरोधी पक्ष; विरोधी दल; प्रतिपक्ष 2. विरोध।
अपोलो (इं.) [सं-पु.] 1. एक ग्रीक देवता जो संगीत, काव्य और पुरुष सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है 2. अत्यंत सुंदर युवक।
अपोह (सं.) [सं-पु.] 1. हटाना; दूर करना 2. ऊहापोह 3. तर्क द्वारा शंका-निवारण।
अपोहन (सं.) [सं-पु.] 1. भ्रम का नष्ट हो जाना; शंका या संदेह का निराकरण 2. तर्क-वितर्क।
अपौतिक (सं.) [वि.] 1. जिसमें सड़न न हुई हो 2. जिसमें अभी विषाक्त कीटाणुओं का प्रवेश न हुआ हो।
अपौरुष (सं.) [सं-पु.] 1. पुरुषार्थहीनता; कापुरुषत्व 2. नपुंसकता 3. साहसहीनता; कायरता; भीरुता। [वि.] 1. अपुरुषोचित; अलौकिक; ईश्वरीय 2. कायर; भीरु 3. पुरुषार्थहीन।
अपौरुषेय (सं.) [वि.] 1. जो पौरुषेय अर्थात मनुष्य द्वारा न बनाया गया हो 2. जो मनुष्य की शक्ति के बाहर हो 3. अमानुषिक; अलौकिक 4. ईश्वर या देवताओं का बनाया हुआ।
अपौष्टिक (सं.) [वि.] जो पोषण या पुष्टिदायक न हो; अस्वास्थ्यकर; जिसमें पर्याप्त पौष्टिक तत्व न हों।
अप्रकट (सं.) [वि.] 1. जो प्रकट न हो; गुप्त; छिपा हुआ 2. अप्रकाशित; प्रच्छन्न।
अप्रकटता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रकट न होने की अवस्था या भाव; गुप्त या गोपनीय रहने की स्थिति 2. प्रच्छन्नता 3. अस्पष्टता।
अप्रकाशनीय (सं.) [वि.] 1. जो प्रकाशन के योग्य न हो 2. नैतिकता की दृष्टि से अवांछनीय (सूचना या जानकारी) 3. जो अंधेरे में ही रहने योग्य हो।
अप्रकाशित (सं.) [वि.] 1. जिसका प्रकाशन न हुआ हो; जो छपा न हो 2. जो प्रकट न हुआ हो; छिपा हुआ; अव्यक्त 3. जिसमें उजाला न हो; अंधेरा।
अप्रकाश्य (सं.) [वि.] 1. जो प्रकट या प्रकाशित करने के योग्य न हो; वर्जित 2. गोपनीय।
अप्रकृत (सं.) [वि.] 1. जो प्रकृत अथवा स्वाभाविक न हो 2. जो अपने उचित मान से घटा या बढ़ा हुआ हो 3. जो अपने ठिकाने पर न हो 4. गढ़ा या बनाया हुआ; नकली 5. अप्रधान 6. आकस्मिक।
अप्रकृतिस्थ (सं.) [वि.] 1. जो सामान्य या प्राकृतिक स्थिति में न हो; असामान्य 2. अस्वस्थ 3. बेचैन; व्याकुल।
अप्रकृष्ट (सं.) [वि.] बुरा; नीच।
अप्रखर (सं.) [वि.] 1. जो प्रखर या तेज़ न हो; अतीक्ष्ण 2. अप्रगल्भ; जो चतुर न हो 3. सुस्त 4. कोमल।
अप्रगल्भ (सं.) [वि.] 1. जो प्रगल्भ न हो 2. शीलवान; विनीत 3. शरमीला; लजीला 4. अपरिपक्व; अप्रौढ़ 5. सुस्त; उत्साहहीन।
अप्रगुण (सं.) [वि.] 1. व्यस्त 2. व्याकुल।
अप्रचलन (सं.) [सं-पु.] 1. चलन, व्यवहार या प्रयोग से बाहर होने की स्थिति; अप्रसिद्धि।
अप्रचलित (सं.) [वि.] 1. जिसका चलन या व्यवहार न हो; जिसका प्रयोग न होता हो 2. जो मशहूर न हो 3. जो फ़ैशन के अनुरूप न हो।
अप्रच्छन्न (सं.) [वि.] जो अप्रकट या छुपा हुआ न हो; अनावृत; खुला हुआ; स्पष्ट; उजागर।
अप्रज (सं.) [वि.] 1. जिसे संतान न हो; निस्संतान; बाँझ 2. निर्जन; उजाड़; जहाँ कोई वास न करता हो 3. न जन्मा हुआ; अजात।
अप्रतिकर (सं.) [वि.] 1. जो विश्वस्त हो; विश्वासपात्र 2. विश्रंभी।
अप्रतिबंध (सं.) [सं-पु.] 1. जिसपर प्रतिबंध या रोक न लगी हो; प्रतिबंध रहित 2. स्वच्छंद; स्वतंत्र; उन्मुक्त 3. पूर्ण।
अप्रतिबद्ध (सं.) [वि.] 1. जो प्रतिबद्ध न हो 2. जो उसूल का पक्का न हो; बेगैरत 3. गैरजिम्मेदार 4. जिसपर रोक-टोक न हो; मनमाना; स्वच्छंद।
अप्रतिभ (सं.) [वि.] 1. जिसमें प्रतिभा न हो; प्रतिभाशून्य 2. उदास; चेष्टाहीन 3. सुस्त; मंद; स्फूर्तिरहित 4. निर्बुद्धि; मतिमंद।
अप्रतिम (सं.) [वि.] 1. अनुपम; बेजोड़; अद्वितीय 2. जिसकी तुलना न की जा सके; जिसकी बराबरी का दूसरा न हो।
अप्रतिमान (सं.) [सं-पु.] अप्रतिम।
अप्रतिरूप (सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई प्रतिरूप न हो; अनन्य; बेजोड़ रूप वाला; अद्वितीय 2. जो अनुरूप या सटीक न हो; अननुरूप।
अप्रतिरोधक (सं.) [वि.] 1. जो प्रतिरोध न करे 2. जिसमें प्रतिरोधकता न हो 3. जो बदला न ले सकता हो 4. पलायनवादी।
अप्रतिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतिष्ठा या सम्मान का न होना; बेइज़्ज़ती; अनादर; अपमान 2. अमर्यादा 3. अपकीर्ति; अपयश।
अप्रतिहत (सं.) [वि.] 1. बिना रुकावट; निर्विघ्न; जिसे कोई रोकने-टोकने वाला न हो; निर्बाध 2. जिसमें बाधा उपस्थित न हुई हो; अक्षुण्ण 3. जो हारा न हो; अपराजित।
अप्रतीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रतीति का न होना; भान न होना 2. अस्पष्टता 3. अविश्वास 4. असमान।
अप्रतीयमान (सं.) [वि.] 1. अनाभासी; जिसकी प्रतीति न हो 2. अनिश्चित।
अप्रत्यक्ष (सं.) [वि.] 1. परोक्ष; जो प्रत्यक्ष न हो 2. जो दिखाई न दे; अगोचर; अदृश्य 3. गैरहाज़िर; गैरमौज़ूद; अनुपस्थित 4. अप्रकट; गुप्त।
अप्रत्याशित (सं.) [वि.] 1. जिसकी पहले से आशा न की गई हो; अचानक घटित होने वाला 2. असंभावित।
अप्रदत्त (सं.) [वि.] जो दिया न गया हो; जो प्रदान न किया गया हो।
अप्रदूषित (सं.) [वि.] जो प्रदूषित न हो; स्वच्छ; निर्मल।
अप्रभावकारी (सं.) [वि.] 1. प्रभाव या असर न डालने वाला; अप्रभावी; निष्प्रभावी 2. अप्रभावशाली; जिसका कोई रुतबा या शोहरत न हो; मामूली।
अप्रभावित (सं.) [वि.] 1. जो किसी के प्रभाव या असर में न हो 2. स्वायत्त; स्वतंत्र।
अप्रभावी (सं.) [वि.] अप्रभावकारी; निष्प्रभावी।
अप्रभुत्व (सं.) [सं-पु.] 1. प्रभुत्व या स्वामित्व का न होना; स्वामित्वविहीनता 2. असमर्थता; अयोग्यता।
अप्रमत्त (सं.) [वि.] 1. जो प्रमत्त या पागल न हो 2. जागरूक; सावधान।
अप्रमाद (सं.) [सं-पु.] प्रमादहीनता; जागरूकता; होशोहवास। [वि.] प्रमादरहित।
अप्रमित (सं.) [वि.] 1. जो मापा न गया हो 2. जो सिद्ध या प्रमाणित न किया जा सके 3. अनंत; असीम।
अप्रमेय (सं.) [सं-पु.] 1. जिसकी माप न हो सके 2. बेहद; बेहिसाब 3. अनंत; अपार; असीम 4. जो सिद्ध या प्रमाणित न किया जा सके।
अप्रमोद (सं.) [सं-पु.] 1. आमोद-प्रमोद का अभाव; प्रसन्नता या मनोरंजन का न होना 2. कष्ट-निवारण की अक्षमता।
अप्रयुक्त (सं.) [वि.] 1. जिसका प्रयोग न हुआ हो; जो काम में न लाया गया हो 2. अव्यवहृत; अप्रचलित।
अप्रवर्तक (सं.) [वि.] 1. किसी काम में दूसरों को संलग्न करने में अक्षम; जिसमें नेतृत्व क्षमता न हो 2. निष्क्रिय; निरुत्साह 3. अविच्छिन्न।
अप्रवर्तनीय (सं.) [वि.] प्रवर्तन न करने योग्य; ठानने या संकल्प करने में अयोग्य (कार्य); निहायत गैरज़रूरी।
अप्रवीण (सं.) [वि.] 1. अपटु; जो पारंगत न हो; अकुशल 2. अक्षम; अयोग्य 3. जो निपुण न हो।
अप्रशंसनीय (सं.) [वि.] 1. जो प्रशंसा के योग्य न हो; नाक़ाबिलेतारीफ़ 2. प्रशंसा या तारीफ़ की सीमा से ऊपर उठा हुआ; जिसके लिए तारीफ़ के लफ़्ज़ कम पड़ते हों।
अप्रशंसा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रशंसा का अभाव 2. अमान्यता; उदासीनता; उपेक्षा।
अप्रशिक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसे प्रशिक्षण न मिला हो 2. अनाड़ी।
अप्रसन्न (सं.) [वि.] 1. जो प्रसन्न न हो; नाख़ुश; दुखी 2. रुष्ट; नाराज़।
अप्रसन्नता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नाख़ुशी; नाराज़गी 2. विरक्ति।
अप्रसिद्ध (सं.) [वि.] जो प्रसिद्ध या मशहूर न हो; जिसकी ख्याति न हो; जिसे कम लोग जानते हों।
अप्रस्तुत (सं.) [वि.] 1. जो प्रस्तुत या सामने न हो; अनुपस्थित 2. जो वर्तमान से संबंधित न हो; असंबद्ध; अप्रासंगिक 3. गौण 4. जिसका वर्णन न किया गया हो 5. अनुद्यत।
अप्रस्तुत प्रशंसा (सं.) [सं-स्त्री.] (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें प्रस्तुत के अर्थ में अप्रस्तुत का वर्णन किया जाता है।
अप्राकृत (सं.) [वि.] 1. जो प्राकृत न हो 2. असाधारण 3. अस्वाभाविक।
अप्राकृतिक (सं.) [वि.] 1. जो प्रकृति के अनुरूप न हो; अस्वाभाविक 2. अलौकिक 3. जिसका कार्य से सीधा संबंध न हो।
अप्राण (सं.) [वि.] जिसमें प्राण या जीवनी शक्ति न हो; निर्जीव; निस्तेज; मृत; संज्ञाहीन।
अप्राप्त (सं.) [वि.] 1. जो प्राप्त न हुआ हो; जो हासिल न हो 2. जिसे कोई ख़ास चीज़ प्राप्त न हुई हो, जैसे- अप्राप्तयौवना, अप्राप्तवय 3. जो मौज़ूद या उपलब्ध न हो 4. दुर्लभ 5. अनागत 6. परोक्ष; अप्रस्तुत।
अप्राप्य (सं.) [वि.] 1. (पुस्तक आदि) जो अब प्राप्त न हो; जिसकी मुद्रित प्रतियाँ समाप्त हो चुकी हों; (आउट ऑव प्रिंट) 2. जो प्राप्त करने योग्य न हो 3. जो न मिल सका हो; बाकी।
अप्रामाणिक (सं.) [वि.] 1. जो प्रमाण से सिद्ध न हो 2. जो मानने योग्य न हो 3. ऊट-पटाँग 4. असत्यापित 5. तथ्यहीन 6. जिसका कोई प्रमाण न हो।
अप्रामाण्य (सं.) [वि.] अप्रामाणिक; जिसका कोई प्रमाण न हो।
अप्रायिक (सं.) [वि.] जो प्रायिक न हो; जो प्रायः या बहुधा न होने वाला हो।
अप्रायोगिक (सं.) [वि.] 1. जो प्रयोग से संबंधित न हो; जो प्रयोग के सिलसिले का न हो 2. जिसका प्रयोग न किया जा सके; जो प्रयोग से पुष्ट होने वाला न हो।
अप्रासंगिक (सं.) [वि.] 1. जिसका मौज़ूदा प्रसंग से कोई नाता न हो; गैरमौज़ूँ 2. विषय से असंबद्ध; असंगत 3. अर्थहीन।
अप्रासंगिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्रासंगिक न होने की स्थिति या भाव 2. असंबद्धता 3. क्रमविहीनता 4. प्रसंग-विरुद्ध या सिलसिला-बाहर होने की अवस्था।
अप्रिय (सं.) [वि.] 1. जो प्रिय न हो 2. जिसकी चाह न हो 3. अरुचिकर; नापसंद 4. दुखद।
अप्रीति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्नेहाभाव 2. वैर-विरोध; शत्रुता; दुश्मनी 3. अरुचि 4. दुर्भाव।
अप्रीतिकर (सं.) [वि.] 1. अरुचिकर 2. स्नेहरहित; प्रेमरहित 3. शत्रुतापूर्ण 4. दुर्भावनापूर्ण।
अप्रेंटिस (इं.) [सं-पु.] प्रशिक्षु; नौसिखिया।
अप्रेंटिसशिप (इं.) [सं-स्त्री.] प्रशिक्षण; प्रशिक्षुता; नौसिखियापन।
अप्रैल (इं.) [सं-पु.] 1. अँग्रेज़ी वर्ष का चौथा महीना 2. वित्तीय वर्ष का पहला महीना।
अप्रोच (इं.) [सं-पु.] 1. पहुँच 2. अभिगम; पास आना 3. संपर्क; संबंध।
अप्रौढ़ (सं.) [वि.] 1. अवयस्क; अपरिपक्व; कच्चा 2. अशक्त; कमज़ोर 3. अनुभवहीन 4. जो सुलझे हुए मस्तिष्क का न हो।
अप्रौढ़ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अवयस्कता; अपरिपक्वता 2. अशक्तता 3. अनुभवहीनता।
अप्लीकेशन (इं.) [सं-पु.] 1. आवेदन; प्रार्थना 2. आवेदनपत्र; प्रार्थनापत्र 3. क्रियान्वयन; लागू करना; अमल।
अप्वाइंटमेंट (इं.) [सं-पु.] 1. नियुक्ति 2. मिलने के लिए दिया हुआ समय या अवसर।
अप्सरा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परम सुंदरी स्त्री 2. परी 3. इंद्र की सभा में नाचने वाली देवांगना।