Hin Dict_a36 - हिंदी शब्दकोश - अ36
अभुक्त (सं.) [वि.] 1. जो खाया न गया हो 2. जो प्रयोग या व्यवहार में न लाया गया हो।
अभूत (सं.) [वि.] 1. जो अस्तित्व में न आया हो 2. जो हुआ न हो 3. विलक्षण; अपूर्व 4. वर्तमान।
अभूतपूर्व (सं.) [वि.] 1. जो पहले कभी न हुआ हो 2. अद्भुत; अनोखा; विलक्षण।
अभूषित (सं.) [वि.] 1. जिसे सजाया या भूषित न किया गया हो; अनलंकृत 2. जिसके पास भूषण या गहने न हों।
अभेद (सं.) [सं-पु.] 1. भेद का अभाव; एकता; अभिन्नता 2. एकरूपता; समानता; अनुरूपता 3. (काव्यशास्त्र) रूपक अलंकार का एक भेद जिसमें उपमेय में उपमान का ज्यों-का-त्यों आरोप किया जाता है। [वि.] 1. भेदरहित; अभिन्न 2. अविभाजित 3. अनुरूप; एकरूप; समान 4. जिसका रहस्य न जाना गया हो।
अभेदक (सं.) [वि.] 1. भेद न करने वाला; भेद न मानने वाला 2. विभाजन न करने वाला; खंडित न करने वाला 3. न अलगाने वाला 4. न भेदने वाला।
अभेदनीय (सं.) [वि.] 1. जो भेद करने योग्य न हो 2. जो भेदा न जा सके; अभेद्य 3. जो विभाजित न किया जा सके।
अभेदमूलक (सं.) [वि.] 1. अभेद या एकता स्थापित करने वाला 2. समान भाव से रहने वाला।
अभेदरूपक (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) रूपकालंकार का एक भेद जिसमें उपमेय और उपमान की एकता दर्शायी जाती है।
अभेदवादी (सं.) [वि.] जीवात्मा और परमात्मा में कोई भेद न मानने वाला; अद्वैतवादी।
अभेदात्मक (सं.) [वि.] अभेद संबंधी; अभेदपरक; अभेदमूलक।
अभेद्य (सं.) [वि.] 1. जिसे भेदा न जा सके; जिसे बेधा न जा सके 2. जो टूट न सके। [सं-पु.] हीरा।
अभेद्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अभेद्य, अबेध्य या अविभाज्य होने का गुण 2. भेदन, बेधन, छेदन या विभाजन की वर्जना 3. अटूटपन।
अभोग (सं.) [वि.] 1. बिना भोगा हुआ; जिसे भोगा न गया हो 2. अछूता 3. जिसे भोगना उचित न हो।
अभोगी (सं.) [वि.] 1. भोग या उपभोग न करने वाला 2. व्यवहार या प्रयोग में न लाने वाला 3. जो भोग न करे; विरक्त; उदासीन।
अभोग्य (सं.) [वि.] 1. जो भोगने योग्य न हो 2. जिसका भोगना वर्जित हो।
अभोज्य (सं.) [वि.] 1. जो खाने के उपयुक्त या योग्य न हो 2. जिसका खाना वर्जित हो।
अभ्यंग (सं.) [सं-पु.] 1. लेपन; पोतना 2. मालिश।
अभ्यंजन (सं.) [सं-पु.] 1. अंगों को सजाने-सँवारने का काम 2. अंगों को सजाने-सँवारने की सामग्री; प्रसाधन सामग्री 3. मालिश करने की क्रिया।
अभ्यंतर (सं.) [वि.] 1. भीतरी; आंतरिक 2. जिसके साथ घनिष्ठ संबंध हो; अंतरंग; परिचित। [क्रि.वि.] भीतर; अंदर। [सं-पु.] 1. अंतःकरण 2. अंदर का भाग 3. बीच का भाग।
अभ्यंतरक (सं.) [सं-पु.] घनिष्ठ या अंतरंग मित्र; करीबी दोस्त।
अभ्यक्त (सं.) [वि.] 1. तेल आदि लगाया हुआ 2. जिसपर तेल आदि की मालिश की गई हो।
अभ्यधीन (सं.) [वि.] 1. जो किसी नियम, प्रतिबंध आदि से बँधा हुआ हो 2. नियम आदि के अधीन।
अभ्यर्थन (सं.) [सं-पु.] 1. निवेदन; प्रार्थना 2. किसी से अपना धन या वस्तु माँगना; (डिमांड)।
अभ्यर्थना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विनती; प्रार्थना; अनुरोध; दरख़्वास्त 2. स्वागत; अगवानी।
अभ्यर्थनीय (सं.) [वि.] 1. अभ्यर्थना या प्रार्थना करने योग्य 2. आगे बढ़ कर लेने या स्वागत करने योग्य 3. याचना करने या माँगने योग्य 4. आवेदन करने योग्य।
अभ्यर्थी (सं.) [सं-पु.] 1. अभ्यर्थन या प्रार्थना करने वाला 2. आवेदनकर्ता; उम्मीदवार; (कैंडीडेट)।
अभ्यर्पक (सं.) [वि.] 1. अभ्यर्पण अथवा अपना अधिकार या स्वामित्व किसी को सौंपने या देने वाला 2. समर्पण करने वाला।
अभ्यर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. अपना अधिकार या स्वामित्व किसी को सौंपने या देने की क्रिया या भाव 2. समर्पण; (सरेंडर)।
अभ्यर्पित (सं.) [वि.] (अधिकार या स्वामित्व) जो किसी को सौंपा या दिया गया हो; (असाइंड)।
अभ्यस्त (सं.) [वि.] सतत अभ्यास के द्वारा किसी कार्य को करने में कुशल; दक्ष; निपुण; आदी; अच्छी तरह सीखा हुआ।
अभ्यस्तता (सं.) [सं-स्त्री.] अभ्यस्त होना; आदी होना; दक्षता; निपुणता।
अभ्यागत (सं.) [सं-पु.] 1. अतिथि; मेहमान 2. साधु-संन्यासी। [वि.] 1. सामने या निकट आया हुआ; पहुँचा हुआ 2. अतिथि के रूप में पधारा हुआ।
अभ्यागम (सं.) [सं-पु.] 1. पास आना; सामने आना; अगवानी 2. मुकाबला; सामना 3. समीपता; पड़ोस।
अभ्यास (सं.) [सं-पु.] 1. पारंगत या निपुण होने के लिए किसी काम को बार-बार करना; प्रशिक्षण; (प्रैक्टिस) 2. आदत 3. सैनिक अनुशासन का नियमित कार्य 4. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का काव्यालंकार जिसमें किसी कठिन तथ्य को सिद्ध करने वाले कार्य का उल्लेख किया जाता है।
अभ्यासकला (सं.) [सं-स्त्री.] अन्य विविध योगांगों के मेल से बनी योग की चार कलाओं में से एक; आसन और प्राणायाम का मेल।
अभ्यासयोग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी विषय का बार-बार चिंतन और मनन करना 2. योग के अंतर्गत किसी आत्मा या देवता का बार-बार चिंतन या अभ्यास।
अभ्यासरत (सं.) [वि.] 1. अभ्यास में लगा हुआ 2. अभ्यास करने में व्यस्त।
अभ्यासवश (सं.) [क्रि.वि.] अभ्यास के कारण; आदतन।
अभ्यासिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी पाठ या पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार प्रश्नोत्तरों का अभ्यास करने वाली पुस्तिका 2. अभ्यास-पुस्तिका; (कॉपी)।
अभ्यासी (सं.) [सं-पु.] 1. अभ्यास करने वाला 2. रटने या याद करने वाला 3. साधक।
अभ्याहत (सं.) [वि.] 1. जिसे आघात लगा हो; आहत; ताड़ित; घायल 2. बाधित।
अभ्याहार (सं.) [सं-पु.] 1. समीप या पास लाने की क्रिया या भाव; निकट लाना 2. अपहरण; चोरी।
अभ्युत्थान (सं.) [सं-पु.] 1. उत्थान, उदय, अभ्युदय 2. किसी के स्वागत के लिए उठ खड़ा होना 3. ऊँचे पद या सत्ता की प्राप्ति 4. बढ़त; उत्कर्ष; उन्नति; समृद्धि 5. सत्ता परिवर्तन के लिए होने वाला विद्रोह।
अभ्युत्थित (सं.) [वि.] 1. उठा हुआ 2. स्वागत में उठ खड़ा हुआ 3. उन्नत 4. उदित 5. विद्रोही।
अभ्युदय (सं.) [सं-पु.] 1. उन्नति; उत्थान 2. उत्तरोत्तर वृद्धि या लाभ 3. आरंभ 4. कल्याण 5. मनोरथ की प्राप्ति या सिद्धि; इष्ट लाभ।
अभ्युन्नति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उन्नति 2. वृद्धि।
अभ्युपगम (सं.) [सं-पु.] 1. सामने आना; उपस्थित होना 2. स्वीकृत करना या स्वीकृति देना 3. तर्क में पहले कोई बात सिद्ध या असिद्ध मानकर तब उसकी सत्यता की जाँच करना और उससे कोई परिणाम या निष्कर्ष निकालना।
अभ्रंकष (सं.) [वि.] 1. बहुत ऊँचा 2. गगनचुंबी। [सं-पु.] 1. पहाड़ 2. हवा।
अभ्र (सं.) [सं-पु.] 1. बादल 2. अभ्रक 3. सोना 4. कपूर 5. नागरमोथा।
अभ्रक (सं.) [सं-पु.] एक खनिज पदार्थ।
अभ्रभेदी (सं.) [वि.] अभ्र या आकाश को छूता हुआ प्रतीत होने वाला; गगनचुंबी; बहुत ऊँचा।
अभ्रांत (सं.) [वि.] 1. जिसे किसी प्रकार की भ्रांति न हो 2. भ्रमरहित; भ्रांतिशून्य 3. स्थिर।
अमंगल (सं.) [वि.] 1. जो मगंलकारक न हो; अशुभ 2. जो कल्याणकारी न हो; अकल्याणकर 3. भाग्यहीन। [सं-पु.] 1. अकल्याण 2. अनिष्ट; अनर्थ 3. दुर्भाग्य; दुख।
अमंगलकारी (सं.) [वि.] 1. अकल्याणकारी 2. अनिष्टकारी; अनर्थकारी 3. दुर्भाग्यपूर्ण।
अमंत्र (सं.) [वि.] 1. जो वैदिक मंत्रों का ज्ञाता न हो; जो वैदिक मंत्रों के उच्चारण का अधिकारी न हो 2. वैदिक मंत्रों की उपेक्षा करने वाला 3. ऐसी पूजा-अर्चना जिसमें मंत्र की आवश्यकता न हो।
अमंद (सं.) [वि.] 1. जो मंद, धीमा या सुस्त न हो 2. श्रेष्ठ; उत्तम 3. चुस्त; फ़ुरतीला 4. बुद्धिमान 5. प्रयत्नशील; उद्योगी।
अमचूर [सं-पु.] 1. कच्चे आम के टुकड़ों को सुखाकर और पीसकर बनाया हुआ चूर्ण 2. उक्त चूर्ण दाल और सब्ज़ी आदि में डाला जाता है।
अमत (सं.) [वि.] 1. जिसका अनुभव न हो सके; अननुभूत 2. अस्वीकृत; अमान्य। [सं-पु.] 1. अनुकूल मत का अभाव 2. असम्मति 3. मृत्यु 4. रोग।
अमत्त (सं.) [वि.] 1. जो मत्त अथवा नशे में न हो 2. मद-रहित 3. जिसे घमंड या मद न हो।
अमत्सर (सं.) [सं-पु.] मात्सर्य या ईर्ष्या का अभाव। [वि.] जो मात्सर्य या ईर्ष्या से रहित हो।
अमन (अ.) [सं-पु.] शांति; सुकून; इतमीनान; सुख-चैन।
अमनचैन (अ.) [सं-पु.] 1. शांति-सुकून की स्थिति 2. वैयक्तिक जीवन में सुख-शांति 3. बचाव; सुरक्षा।
अमनपसंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. शांतिप्रिय 2. चैन-सुकून की ज़िंदगी पसंद करने वाला।
अमनस्क (सं.) [वि.] 1. अनमना; अचंचल 2. उदासीन 3. अन्यमनस्क।
अमनैक (सं.) [सं-पु.] 1. नायक; सरदार 2. हकदार; अधिकारी 3. साहसी; ढीठ 4. वह जो मनमाने ढंग से काम करता हो।
अमर (सं.) [वि.] 1. न मरने वाला; अविनाशी; सदा जीवित रहने वाला; शाश्वत; (इमॉर्टल) 2. चिरस्थायी।
अमरकंटक (सं.) [सं-पु.] विंध्य पर्वतश्रेणी का एक भाग जहाँ से नर्मदा और सोन नदियाँ निकलती हैं।
अमरकोश (सं.) [सं-पु.] विक्रमादित्य के दरबार के एक नवरत्न अमर सिंह का बनाया हुआ प्रसिद्ध कोश।
अमरज (सं.) [सं-पु.] 1. अमर होने का भाव; अमरता 2. मृत्यु का न होना 3. खैर का वृक्ष। [वि.] अमर।
अमरतरु (सं.) [सं-पु.] कल्पतरु; कल्पवृक्ष; वह (मिथकीय या कल्पित) वृक्ष जिसके नीचे पहुँचने पर सारी कामनाएँ पूरी हो जाती हैं।
अमरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कभी भी मृत्यु न होने का भाव; चिरजीवन का भाव 2. देवत्व 3. आत्मा का शाश्वत अस्तित्व 4. स्थायित्व; अक्षुण्णता।
अमरत्व (सं.) [सं-पु.] 1. अमरता; अमरणशीलता 2. देवत्व; देवभाव 3. शाश्वतता।
अमरपक्षी (सं.) [सं-पु.] जलकर अपनी ही राख से फिर-फिर जी उठने वाली कल्पित मिथकीय चिड़िया; कुकनुस; (फिनिक्स)।
अमरपति (सं.) [सं-पु.] देवों का राजा; इंद्र।
अमरपद (सं.) [सं-पु.] 1. देवपद 2. मोक्ष; मुक्ति।
अमरबेल (सं.) [सं-स्त्री.] आकाशबेल; पीली लता या बौर जिसमें जड़ और पत्तियाँ नहीं होती; आकाशबौर।
अमरलोक (सं.) [सं-पु.] 1. देवलोक 2. स्वर्ग।
अमरवाणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दिव्यवाणी; ईश्वरीय वाणी 2. धर्मग्रंथों और महापुरुषों की सूक्तियाँ।
अमरस [सं-पु.] 1. आम का रस 2. आम और दूध को मिला कर बनाया गया पेय; (मैंगोशेक)।
अमराई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आम का बगीचा 2. उद्यान; सुरकानन।
अमरावती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. इंद्रपुरी; स्वर्ग 2. महाराष्ट्र प्रांत का एक नगर।
अमरी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देव की पत्नी 2. देवकन्या 3. एक प्रकार का वृक्ष।
अमरीका (इं.) [सं-पु.] 1. पश्चिमी गोलार्ध का एकमात्र उपमहाद्वीप जो उत्तरी और दक्षिणी दो भागों में बँटा है 2. उत्तरी अमरीका का वह देश जो युनाइटेड स्टेट्स ऑव अमरीका के नाम से जाना जाता है।
अमरीकी (इं.) [वि.] अमरीका से संबंधित; अमरीका का। [सं-पु.] अमरीका का रहने वाला; अमरीकी नागरिक।
अमरू (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का बढ़िया रेशमी कपड़ा।
अमरूद [सं-पु.] गोल तथा पीले रंग का एक मशहूर मीठा फल और उसका पेड़; अमृत फल।
अमरेश (सं.) [सं-पु.] अमरपति; इंद्र।
अमरौली (सं.) [सं-स्त्री.] हठयोगियों की अमरी नामक क्रिया।
अमर्त्य (सं.) [वि.] 1. न मरने वाला; अमर 2. जो मर्त्य लोक का न हो; स्वर्गीय।
अमर्याद (सं.) [वि.] 1. मर्यादारहित; सीमारहित 2. प्रतिष्ठारहित 3. नियम या व्यवस्था से बाहर 4. सीमा का उल्लंघन करने वाला।
अमर्यादा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सीमा या मर्यादा का उल्लंघन 2. सीमा या मर्यादा का अभाव 3. बेइज़्ज़ती 4. आचरणहीनता 5. अप्रतिष्ठा।
अमर्यादित (सं.) [वि.] सीमा या मर्यादा से रहित।
अमर्ष (सं.) [सं-पु.] 1. क्रोध; कोप 2. अपने अपमान, तिरस्कार आदि से उत्पन्न क्षोभ 3. विरोधी या शत्रु का कोई अपकार न कर पाने से उत्पन्न द्वेष या दुख 4. असहिष्णुता 5. (काव्यशास्त्र) संचारी भावों में से एक भाव।
अमर्षी (सं.) [वि.] 1. मन में अमर्ष रखने वाला; क्रोधी 2. जल्दी बुरा मानने वाला 3. असहनशील।
अमल1 (सं.) [वि.] निर्मल; शुद्ध; पवित्र; साफ़; स्वच्छ।
अमल2 (अ.) [सं-पु.] 1. कार्य रूप में होना प्रयोग व्यवहार 2. कार्य 3. आचरण 4. शासन 5. अधिकार 6. नशीली वस्तु। [मु.] -में आना : कार्यरूप में परिवर्तित होना। -में होना : आज्ञा या आदेश का व्यवहार में आना।
अमलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. निर्मलता; स्वच्छता 2. निष्कलंकता 3. पावनता; पवित्रता 4. उज्ज्वलता।
अमलतास (सं.) [सं-पु.] एक वृक्ष जिसके फूल, फल और पत्तियाँ सभी दवा बनाने के काम आते हैं।
अमलतासी [सं-पु.] एक प्रकार का हलका पीला रंग। [वि.] अमलतास के फूलों जैसा (रंग)।
अमलदस्तूर (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] रीति-रिवाज।
अमलबेत (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का वृक्ष जिसके फल अत्यंत खट्टे होते हैं।
अमला (अ.) [सं-पु.] किसी दफ़्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों का दल या समूह; (स्टाफ़)।
अमलारा (अ.) [वि.] 1. अमल या नशा करने वाला 2. नशे में मस्त या चूर।
अमली (अ.) [वि.] अमल में आने वाला; व्यावहारिक। [सं-पु.] अमल या नशा करने वाला व्यक्ति; नशेबाज़।
अमलोनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की घास जिसका साग खाया जाता है 2. नोनी; नोनियाँ घास।
अमस (सं.) [वि.] जिसे कुछ भी ज्ञान न हो; अज्ञानी।
अमहर [सं-पु.] अमचूर; सूखी खटाई; आम की सूखी फाँकें।