Hin Dict_a4 - हिंदी शब्दकोश - अ4


अंग (सं.) [सं-पु.] शरीर का कोई भाग, जैसे- हाथ, पैर आदि 2. साधन; हिस्सा 3. कार्य का भाग या अंश, जैसे-आँकड़े जुटाना शोधकार्य का एक आवश्यक अंग है 4. अवयव 5. किसी संस्था या संगठन का विभाग, जैसे- भाषा-केंद्र, पुस्तकालय आदि विश्वविद्यालय के ही अंग हैं 6. पक्ष; आयाम; पार्श्व; तरफ़ 7. नाटक की पाँच संधियों में से एक। [मु.] -उभरना : यौवन प्रारंभ होना; जवानी के लक्षण प्रकट होना। -टूटना : शरीर में पीड़ा होना; बहुत थकान होना। -लगना : शरीर से छू जाना; आलिंगन करना। -लगाना : गले लगाना; पास बुलाना। -न समाना : पुलकित या बहुत ख़ुश होना; हुलसना। -अंग खिलना : पूरे शरीर या हाव-भाव से प्रसन्नता व्यक्त होना। -अंग टूटना : शरीर के सभी जोड़ों में दर्द होना। -ढकना : गुप्तांग छिपाना। -तोड़ मेहनत करना : बहुत मेहनत करना।
अंगघात (सं.) [सं-पु.] एक जटिल रोग जिसमें शरीर का दायाँ या बायाँ हिस्सा निष्क्रिय या सुन्न हो जाता है; पक्षाघात; लकवा; फ़ालिज; (पैरालिसिस)।
अंगचालन (सं.) [सं-पु.] शरीर को चलाना; हाथ-पैर हिलाना-डुलाना।
अंगच्छेद (सं.) [सं-पु.] शरीर के किसी अंग को काटने की क्रिया या भाव; विच्छेदन; अंगच्छेदन।
अंगज (सं.) [वि.] 1. देह से उत्पन्न, अंगजात 2. वैध (संतान)। [सं-पु.] 1. बेटा; पुत्र 2. कामवासना, क्रोध आदि मानसिक विकार 3. रोम 4. रक्त 5. पसीना 6. कामदेव 7. (साहित्य) नायिका के सात्विक विकारों में से तीन- हाव, भाव और हेला।
अंगजा (सं.) [सं-स्त्री.] बेटी; पुत्री। [वि.] जो शरीर से उत्पन्न हुई हो।
अंगड़-खंगड़ [वि.] 1. टूटा-फूटा; बचा-खुचा 2. बेकार; निरर्थक; रद्दी; अनुपयोगी (सामान) 3. बिखरा और अस्त-व्यस्त 4. विकृत।
अंग-तरंग (सं.) [वि.] 1. जिससे मिलकर ख़ुशी मिलती हो 2. घनिष्ठ; आत्मीय।
अंगत्राण (सं.) [सं-पु.] 1. अंग की रक्षा करने वाला आवरण; बख़्तर; कवच; वर्म 2. वस्त्र।
अंगद (सं.) [सं-पु.] 1. (रामायण) राजा बालि का एक वीर पुत्र; राम की सेना का सेनापति 2. बाज़ूबंद नामक आभूषण।
अंगदान (सं.) [सं-पु.] जीवित रहते हुए अथवा मरने के बाद उपयोग में आने लायक नेत्र या गुर्दा आदि अंगों का दूसरे ज़रूरतमंदों को किया जाने वाला दान।
अंगदेश (सं.) [सं-पु.] आधुनिक बिहार राज्य के एक क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन जनपद।
अंगद्वार (सं.) [सं-पु.] शरीर के नौ छिद्र- मुँह, दो नासिका, दो कान, दो नेत्र, गुदा और लिंग या योनि।
अंगद्वीप (सं.) [सं-पु.] (पुराण) छह द्वीपों में से एक।
अंगना [सं-स्त्री.] 1. सुंदर अंगों वाली स्त्री; रूपवती युवती 3. प्रायः शब्दों में उत्तरपद के रूप में प्रयुक्त होने वाला शब्द, जैसे- वीरांगना, नृत्यांगना आदि।
अंगनाई [सं-स्त्री.] मकान के भीतर का जनानख़ाने वाला आँगन; चौक।
अंगन्यास (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर या अंगों को विशेष स्थिति में रखना; शरीर मुद्रा 2. पूजा-अर्चना अथवा मंत्रोच्चारण करते हुए विभिन्न अंगों को पवित्र करने की धारणा से किया जाने वाला स्पर्श।
अंग-प्रत्यंग (सं.) [सं-पु.] शरीर का हर एक अंग।
अंगबद्ध (सं.) [वि.] 1. अपने प्रिय के साथ आलिंगन में बँधा हुआ; आलिंगनबद्ध 2. किसी संगठन या संस्था के साथ जुड़ा हुआ; संबद्ध; (अफ़िलिएटेड)।
अंगभंग (सं.) [सं-पु.] दंड देने के लिए या क्रोधावेश में शरीर के किसी अंग को भंग या खंडित किया जाना; किसी अंग को काट दिया जाना।
अंगभंगिमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अंग संचालन द्वारा भावों की अभिव्यक्ति; हाव-भाव; अंग-भंगी; अदा 2. किसी को आकर्षित करने के लिए विभिन्न अंगों की मोहक चेष्टाएँ।
अंगभंगी (सं.) [सं-स्त्री.] स्त्री या पुरुष की मनोहर आंगिक चेष्टाएँ; अदा; नाज़-नखरा।
अंगभू (सं.) [सं-पु.] 1. कामदेव 2. पुत्र। [वि.] शरीर या देह से उत्पन्न।
अंगभूत (सं.) [वि.] 1. अंतर्गत; समाविष्ट; समाहित 2. अंगस्वरूप 3. आधिकारिक या प्रशासनिक रूप से जुड़ा हुआ; संबद्ध।
अंगमर्दक (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर की मालिश करने वाला 2. शरीर दबाने वाला।
अंगमर्दन (सं.) [सं-पु.] शरीर के अंगों को मलने या दबाने की क्रिया; मालिश; (मसाज)।
अंगमर्ष (सं.) [सं-पु.] गठिया रोग।
अंगयष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] सुघड़ आकृति।
अंगरक्षक (सं.) [सं-पु.] पदासीन राजनेताओं, बड़े ओहदेदारों या संपन्न-प्रभावशाली लोगों की रक्षा पर तैनात व्यक्ति या सिपाही; (बॉडीगार्ड)।
अंगराग (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर पर लगाने का उबटन, सुगंधित लेप; अंगलेप 2. शरीर को सजाने की सामग्री; प्रसाधन 3. पराग।
अंगराज (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) अंगदेश का राजा कर्ण।
अंगविक्षेप (सं.) [सं-पु.] 1. अंगों को हिलाने-डुलाने की क्रिया; शारीरिक चेष्टा 2. बोलने, गाने जैसी क्रियाओं के दौरान हाथ-सिर आदि अंगों का हिलाना; अंग मटकाना; नृत्य; नाच 3. कलाबाज़ी।
अंगविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शरीर के अंगों की रचना तथा हथेली आदि देखकर जीवन की शुभाशुभ घटनाओं को जानने की विद्या; प्रश्नकर्ता की अंगभंगिमा को देखकर शुभाशुभ विचारने वाली विद्या 2. सामुद्रिक विद्या; सामुद्रिक शास्त्र।
अंगविभ्रम (सं.) [सं-पु.] अंगभ्रांति; एक ख़ास तरह का रोग जिसमें शरीर के किसी अंग के संबंध में कोई और अंग होने का भ्रम होता है।
अंगसंग (सं.) [सं-पु.] संभोग; मैथुन; रतिक्रीड़ा।
अंगसेवक (सं.) [सं-पु.] निजी सेवा-टहल में लगा हुआ नौकर; चाकर।
अंगहीन (सं.) [वि.] 1. किसी ख़ास अंग से रहित; विकलांग; लँगड़ा; लूला 2. साधनहीन। [सं.पु.] अनंग; कामदेव।
अंगा [सं-पु.] अँगरखा; चपकन।
अंगांगिभाव [सं-पु.] 1. अंग (शरीर) और उसके उपांगों का संबंध 2. मुख्य और गौण का संबंध 3. पूर्ण और उसके किसी हिस्से का संबंध।
अंगाकड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] अंगारों पर सेक कर बनाई जाने वाली बाटी या लिट्टी।
अंगाधिप (सं.) [सं-पु.] 1. अंगदेश का राजा; अंगाधीश; अंगराज 2. राजा कर्ण 3. जो ग्रह किसी लग्न का स्वामी होता है।
अंगाधीश (सं.) [सं-पु.] 1. अंग देश का राजा; अंगराज।
अंगार (सं.) [सं-पु.] 1. दहकता हुआ कोयला या लकड़ी का टुकड़ा; अंगारा 2. लाल रंग। [वि.] 1 जलते कोयले के समान लाल रंग का 2. लाल; रक्तिम। [मु.] -उगलना : अत्यंत क्रुद्ध होकर अपशब्द कहना। -बरसना : अत्यंत तेज़ गरमी होना।
अंगारक (सं.) [सं-पु.] 1. जलता हुआ कोयला आदि 2. मंगल ग्रह; मंगलवार 3. भृंगराज; भांगरा; कटसरैया नामक पेड़ 4. कार्बन नामक रासायनिक तत्व।
अंगारपुष्प (सं.) [सं-पु.] अंगारों की तरह लाल रंग के पुष्प वाला हिंगोष्ठ का पेड़; इंगुदी।
अंगारमंजरी (सं.) [सं-स्त्री.] लाल पुष्प वाला पौधा; करौंदा।
अंगारमणि (सं.) [सं-पु.] लाल या रक्तिम वर्ण का रत्न; मूँगा; विद्रुम।
अंगारमती (सं.) [सं-स्त्री.] हाथ की उँगलियों में होने वाला गलका रोग।
अंगारा [सं-पु.] 1. लकड़ी या कोयले का जलता, दहकता हुआ टुकड़ा 2. अग्निखंड; आग 3. शोला; शरारा। [वि.] तपा या दहकता हुआ; तप्त; गरम। [मु.]अंगारों पर चलना : बहुत जोखिम का काम करना। अंगारों से खेलना : दुस्साहस या जोखिम भरे काम करना। अंगारों पर लोटना : बहुत कष्ट उठाना। अंगारे बरसाना : बहुत गुस्सा होना।
अंगाराश्म (सं.) [सं-पु.] कड़े पत्थर का कोयला; (ऐंथ्रासाइट)।
अंगारिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगीठी; सिगड़ी 2. ईख की पत्तियाँ 3. किंशुक या पलाश की कली।
अंगारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अँगीठी; सिगड़ी 2. संध्याकाल में सूर्य की लालिमा से युक्त दिशा।
अंगारित (सं.) [वि.] अंगारों पर दग्ध किया हुआ; भूना हुआ; जलाया हुआ। [सं-पु.] किंशुक या पलाश की कली।
अंगारी [सं-स्त्री.] 1. चिनगारी; छोटा अंगारा 2. अँगीठी 3. अंगारों पर तैयार की जाने वाली बाटी; लिट्टी। [वि.] तपाया हुआ; तप्त।
अंगिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों के पहनने की अँगिया; कंचुकी; चोली; (ब्लाउज़) 2. बिहार के एक क्षेत्र विशेष की बोली।
अंगिरस (सं.) [सं-पु.] (पुराण) परशुराम के अवतार में विष्णु का एक शत्रु।
अंगिरा (सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋषि जो ब्रह्मा के दस मानसपुत्रों में से एक माने जाते हैं, सप्तर्षियों में से एक ऋषि; अंगिर 2. बृहस्पति 3. अंगिरस 4. अथर्ववेद के प्रणेता।
अंगी (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर; देह 2 नाटक आदि का प्रधान पात्र या नायक 3. नाटक या काव्य का प्रधान रस। [वि.] 1. शरीरधारी; देहयुक्त; अंगोंवाला; अवयवयुक्त 2. प्रमुख या प्रधान 3. अंशी।
अंगीकरण (सं.) [सं-पु.] 1. अपने ऊपर लेने की क्रिया या भाव; अंगीकार या स्वीकार करना; अपनाना 2. स्वीकृति; आदान; मंज़ूरी; राज़ी होना 3. संबद्धता 4. प्रतिज्ञा; वादा।
अंगीकार (सं.) [सं-पु.] 1. स्वीकृति; मंजूरी; ग्रहण करना 3. अपने ऊपर लेना 4. ज़िम्मेदारी उठाना।
अंगीकार्य (सं.) [वि.] 1. अंगीकार या स्वीकार करने योग्य 2. जो स्वीकार होने वाला हो 3. न्यायसंगत; उचित; वाजिब।
अंगीकृत (सं.) [वि.] 1. जिसको अंगीकार किया गया हो; अंगीभूत; अपनाया हुआ; गृहीत; स्वीकृत 2. संबद्ध।
अंगीभूत (सं.) [वि.] 1. स्वीकृति प्रदान किया हुआ; सम्मिलित, शामिल 2. अंगीकृत।
अंगीय (सं.) [वि.] 1. अंग संबंधी; शरीर संबंधी; दैहिक 2. अंगदेश संबंधी।
अंगुल (सं.) [सं-पु.] 1. हाथ या पैर की उँगली; अंगुलि 2. लंबाई की एक छोटी माप 3. आठ जौ की चौड़ाई के बराबर नाप 3. उँगली की चौड़ाई भर की दूरी; बित्ते का बारहवाँ भाग।
अंगुलांक (सं.) [सं-पु.] हाथ की उँगली या उँगलियों के निशान; (फ़िंगरप्रिंट)।
अंगुलास्थि (सं.) [सं-स्त्री.] हाथ या पैर की उँगलियों की हड्डी।
अंगुलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हाथ या पैर की उँगली; अंगुलिका 2. हाथी की सूँड़ का अग्रभाग।
अंगुलिका (सं.) [सं-स्त्री.] हाथ या पैर की उँगली; अंगुलि।
अंगुलिछाप [सं-स्त्री.] उँगलियों के अग्रभाग की छाप जो पहचान के लिए ली जाती है; अंगुलांक; (फ़िंगर प्रिंट)।
अंगुलितोरण (सं.) [सं-पु.] साधु-संतों द्वारा माथे पर बनाया जाने वाला चंदन का अर्धचंद्राकार चिह्न।
अंगुलित्र (सं.) [सं-पु.] 1. तार से बना हुआ एक छल्ला जिसे उँगली में पहन कर सितार, वीणा आदि वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं; मिज़राब 2. अंगुश्ताना; अँगुलित्राण।
अंगुलित्राण (सं.) [सं-पु.] 1. खास चमड़े से बना दस्ताना जो बाण चलाने में रगड़ से बचने के लिए उँगलियों में पहना जाता है 2. अंगुश्ताना; दस्ताना।
अंगुलिमाल (सं.) [सं-पु.] महात्मा बुद्धकालीन एक दस्यु जो लोगों को मारकर उनकी उँगलियों की माला बनाकर पहनता था तथा जिसने महात्मा बुद्ध के ज्ञान से प्रभावित होकर हिंसा छोड़कर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था।
अंगुलिमुद्रा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उँगली की छाप 2. नाम खुदी हुई अँगूठी 3. मुहर या सील का काम देने वाली अँगूठी।
अंगुली (सं.) [सं-स्त्री.] दे. उँगली।
अंगुश्त (फ़ा.) [सं-पु.] उँगली।
अंगुश्ताना (फ़ा.) [सं-पु.] 1. लोहे या पीतल की बनी हुई टोपी जो सिलाई के समय रगड़ से बचने के लिए उँगली में पहनी जाती है; अंगुलित्र 2. तीरंदाज़ी के समय उँगली पर पहनने के लिए हड्डी या सींग की बनी अँगूठी।
अंगुष्ठ (सं.) [सं-पु.] हाथ या पैर का अँगूठा।
अंगूर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक मीठा और पौष्टिक छोटे आकार का फल या उसकी लता; द्राक्षा; दाख 2. मधुरसा। [मु.] -खट्टे होना : मनचाही वस्तु के प्राप्त न होने पर अपनी कमी उजागर न करते हुए कोई और बहाना करना।
अंगूरी (फ़ा.) [वि.] 1. अंगूर से बना हुआ 2. अंगूर के रंग का 3. अंगूर की लता की तरह। [सं-स्त्री.] 1. अंगूर की तरह का हलका हरा रंग 2. शराब।
अंगेज़ (फ़ा.) [पर-प्रत्य.] 1. उत्पन्न या उत्तेजित करने वाला; भड़काने वाला 2. प्रेरणादायी 3. किसी स्थिति या भाव को उत्पन्न करने वाला या उभारने वाला, जैसे- हैरतअंगेज़।
अंगोच्छेदन (सं.) [सं-पु.] शल्यक्रिया द्वारा किसी अंग को काटकर निकालना; विच्छेदन; (ऐप्यूटैशन)।