Hin Dict_a42 - हिंदी शब्दकोश - अ42
अवयव (सं.) [सं-पु.] 1. अंश; हिस्सा; भाग; अंग 2. अभिन्न अंग 3. शरीर का अंग।
अवयवी (सं.) [सं-पु.] देह; शरीर। [वि.] 1. जिसके कई अवयव या अंग हो 2. कुल; समूचा।
अवयस्क (सं.) [सं-पु.] जो वयस्क या बालिग न हो; नाबालिग।
अवयस्कता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वयस्क न होने की अवस्था या उम्र; नाबालिगपन 2. अनुभवहीनता; बात-व्यवहार में कच्चापन।
अवयान (सं.) [सं-पु.] 1. किसी को ख़ुश करने के लिए झुकना; तुष्टीकरण 2. प्रायश्चित।
अवर (सं.) [वि.] 1. जो श्रेष्ठ न हो; कनिष्ठ; छोटा 2. कम; न्यून 3. निचला 4. बाद का; अनुवर्ती। [सं-पु.] 1. अतीत 2. हाथी के पीछे का हिस्सा। [क्रि.वि.] अन्य; दूसरा।
अवरत (सं.) [वि.] 1. अलग 2. रुका हुआ 3. निवृत्त 4. विरामयुक्त। [सं-पु.] पानी का भँवर।
अवरति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विश्राम; ठहराव 2. निवृत्ति; छुटकारा 3. पृथकता।
अवर सदन (सं.) [सं-पु.] संसद या विधानमंडल का एक सदन- लोकसभा, विधानसभा, प्रतिनिधिसभा आदि; (लोअर हाउस)।
अवरागार (सं.) [सं-पु.] संसद या विधानमंडल का निम्नसदन; दूसरा सदन; अवर सदन; (लोअर हाउस)।
अवराधन (सं.) [सं-पु.] आराधान; उपासना; पूजा; सेवा।
अवरार्ध (सं.) [सं-पु.] पीछे या नीचे का आधा भाग। [वि.] उत्तरार्द्ध।
अवरावर (सं.) [वि.] 1. सबसे ख़राब; निकृष्टतम 2. छोटे से छोटा।
अवरुद्ध (सं.) [वि.] 1. बाधित; रोका हुआ या रुका हुआ 2. बंद; घिरा हुआ 3. प्रच्छन्न; गुप्त; छिपा हुआ या छिपाया हुआ 4. ढँका हुआ।
अवरूप (सं.) [वि.] 1. विकृत रूपवाला 2. जिसका नाश या पतन हो गया हो।
अवरेब (सं.) [सं-पु.] 1. वक्र गति; तिरछी चाल 2. कपड़े की तिरछी काट 3. व्यंग्य 4. बिगाड़; ख़राबी 5. झगड़ा; विवाद; खींचातानी 6. वक्रोक्ति।
अवरेबी (सं.) [वि.] 1. तिरछी काट वाला; अवरेबदार 2. जिसमें पेच लगा या जड़ा हो; पेचदार; पेचवाला 3. व्यंग्यपूर्ण।
अवरोक्त (सं.) [वि.] 1. अंत में उल्लिखित 2. जिसे बाद में कहा गया हो।
अवरोध (सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; रोक; अटकाव; अड़चन 2. घेरा 3. ढक्कन; आवरण 4. महल 5. अंतःपुर 6. बाड़ा 7. प्रहरी 8. (राजा के लिए) रानियों का समूह।
अवरोधक (सं.) [सं-पु.] 1 अवरोध या बाधा उत्पन्न करने वाला; बाधक 2. रोकने वाला 3. घेरा डालने वाला।
अवरोधन (सं.) [सं-पु.] 1. रोक; घेरा; बाधा 2. अंतःपुर; ज़नानख़ाना 3. किसी वस्तु का भीतरी भाग 4. निजी या व्यक्तिगत स्थान।
अवरोधित (सं.) [वि.] 1. बाधित; अवरुद्ध 2. रोका हुआ; रुका हुआ 3. घिरा हुआ; बंद 4. प्रच्छन्न।
अवरोधी (सं.) [वि.] अवरोध करने वाला; रोकने वाला; अवरोधक।
अवरोप (सं.) [सं-पु.] 1. उन्मूलन; उन्मोचन 2. किसी आरोप या अभियोग से मुक्त करना या हटाना।
अवरोपण (सं.) [सं-पु.] 1. उन्मूलन 2. नीचे उतारना; उखाड़ना या हटाना।
अवरोपित (सं.) [वि.] 1. उखाड़ा या हटाया हुआ; उन्मूलित 2. जो अभियोग या आरोप से मुक्त किया गया हो।
अवरोह (सं.) [सं-पु.] 1. उतार 2. अवनति; पतन 3. संगीत में स्वरों का उतार 4. अर्थालंकार का एक भेद जहाँ वस्तु के रूप-गुण का क्रमशः घटना दर्शाया जाए 5. बेल या लता का वृक्ष के चारों ओर लिपटना।
अवरोहक (सं.) [वि.] 1. नीचे की ओर आने या उतरने वाला 2. नीचे गिरने वाला। [सं-पु.] अश्वगंधा नामक वनस्पति।
अवरोहण (सं.) [सं-पु.] 1. उतरने की क्रिया और सिलसिला 2. अवनति; पतन; गिरावट 3. नीचे की ओर आना।
अवरोही (सं.) [वि.] उतरने वाला; नीचे आने वाला। [सं-पु.] 1. वटवृक्ष 2. ऊपर से नीचे आने वाला स्वर।
अवर्ग (सं.) [सं-पु.] स्वर वर्ण। [वि.] जो किसी वर्ग में न हो या जिसका कोई वर्ग न हो; श्रेणीरहित।
अवर्गीकृत (सं.) [वि.] जिसका वर्ग न बनाया गया हो; बिना वर्गीकरण का।
अवर्ण (सं.) [वि.] 1. वर्ण-रंगहीन 2. वर्ण-धर्म-रहित 3. बदरंग 4. बुरा। [सं-पु.] निंदा; अपवाद।
अवर्णनीय (सं.) [वि.] जिसका वर्णन या बखान न किया जा सके; अवर्ण्य। [सं-पु.] उपमान; जो वर्ण्य या उपमेय न हो।
अवर्णित (सं.) [वि.] जिसका वर्णन न किया गया हो; जिसके बारे में बताया न गया हो।
अवर्ण्य (सं.) [वि.] 1. जिसका वर्णन नहीं हो सकता हो; वर्णनातीत 2. जो उपमेय या वर्ण्य न हो; उपमान।
अवर्तन (सं.) [सं-पु.] 1. जीविका या वृत्ति का न होना 2. अस्तित्व का मिट जाना। [वि.] जीविकाहीन।
अवर्तमान (सं.) [सं-पु.] वर्तमान न होने की अवस्था। [वि.] 1. जो वर्तमान न हो 2. अनुपस्थित 3. अप्रस्तुत 4. भूत या भविष्य।
अवर्धमान (सं.) [वि.] न बढ़ने वाला; जिसमें आगे बढ़ने के लक्षण न हों।
अवर्शीष (सं.) [वि.] 1. जिसका सिर नीचे की ओर झुक गया हो 2. नतमस्तक 3. औंधा। [सं-पु.] एक प्रकार का नेत्र रोग।
अवर्ष (सं.) [सं-पु.] वृष्टि का अभाव; वर्षा का न होना; अवग्रहण; अनावृष्टि; सूखा; अवर्षण।
अवर्षण (सं.) [सं-पु.] वृष्टि का अभाव; वर्षा का न होना; अनावृष्टि; सूखा।
अवलंब (सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय; सहारा 2. भरोसा 3. शरण 4. पड़ाव 5. लंब (रैखिक)।
अवलंबन (सं.) [सं-पु.] 1. सहारा 2. अवलंब; छड़ी 3. ओट 4. अंगीकार करना; अपनाना; ग्रहण।
अवलंबित (सं.) [वि.] 1. आश्रित; सहारे पर स्थित; टिका हुआ 2. मुनहसिर 3. लटकाया हुआ 4. शीघ्र; सत्वर।
अवलंबी (सं.) [वि.] अवलंबन करने वाला।
अवलग्न (सं.) [वि.] 1. लगा हुआ 2. सटाकर रखा हुआ।
अवलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; पाँति 2. समूह; झुंड 3. वह अन्न की डाँठ जो नवान्न करने के लिए खेत से पहले पहल काटी जाती है।
अवलिप्त (सं.) [वि.] 1. लगाव रखने वाला 2. घमंडी 3. चुपड़ा हुआ।
अवली (सं.) [सं-स्त्री.] दे. अवलि।
अवलीक (सं.) [वि.] 1. पापरहित; निष्पाप 2. निर्दोष; दोषरहित।
अवलीढ (सं.) [वि.] 1. चाटा हुआ 2. खाया हुआ।
अवलीला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रीड़ा; खेल 2. तिरस्कार; अनादर।
अवलुंचन (सं.) [सं-पु.] 1. उखाड़ना 2. काटना 3. खोलना 4. हटाना; नोचना।
अवलुंचित (सं.) [वि.] 1. खुला हुआ 2. काटा हुआ 3. नोचा हुआ।
अवलुंठन (सं.) [सं-पु.] 1. लोटना 2. लूटना; लूट।
अवलुंठित (सं.) [वि.] 1. लुढ़का हुआ 2. जिसका सब कुछ लुट गया हो 3. लोटा हुआ।
अवलेखन (सं.) [सं-पु.] 1. खुरचना; खोदना 2. लकीर खींचना 3. कंघी करना; बाल झाड़ना।
अवलेखनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह वस्तु जिससे कुछ अंकित किया जाए (कलम आदि) 2. कंघी 3. ब्रश।
अवलेप (सं.) [सं-पु.] 1. उबटन; लेप 2. घमंड़; गर्व 3. आभूषण 4. मलहम 5. संग; मिलन; संबंध 6. आक्रमण; हिंसा 7. अपमान।
अवलेपक (सं.) [वि.] 1. लेप लगाने वाला 2. अपने आप में किसी बात का झूठा अवलेप करने वाला।
अवलेपन (सं.) [सं-पु.] 1. लगाना; पोतना 2. वह वस्तु जो लगाई जाए; लेप; उबटन 3. घमंड़; अभिमान; अहंकार 4. संबंध; लगाव।
अवलेह (सं.) [सं-पु.] 1. लेई जो न अधिक गाढ़ी और न अधिक पतली हो और जिसे चाटा जाए; चटनी; माजून 2. औषधि जिसे चाटा जाए।
अवलेहन (सं.) [सं-पु.] 1. चटनी 2. चाटने की क्रिया।
अवलोक (सं.) [सं-पु.] दे. अवलोकन।
अवलोकक (सं.) [वि.] 1. देखने की इच्छा रखने वाला 2. निरीक्षण करने वाला।
अवलोकन (सं.) [सं-पु.] 1. ध्यानपूर्वक देखना 2. निरीक्षण 3. दृष्टि 4. दृष्टिपात 5. अनुसंधान।
अवलोकनीय (सं.) [वि.] अवलोकन करने योग्य; देखने योग्य।
अवलोकित (सं.) [वि.] 1. दृष्ट; देखा हुआ 2. जिसका निरीक्षण हुआ हो; जिसे गौर से देखा गया हो 3. जिसका अनुसंधान किया गया हो।
अवलोप (सं.) [सं-पु.] 1. काटकर हटाना; नष्ट करना 2. आक्रमण करना 3. दाँत से काटना।
अवलोम (सं.) [वि.] 1. अनुकूल 2. उपयुक्त।
अवश (सं.) [वि.] 1. जो वश में न हो 2. किसी के दबाव में न आने वाला।
अवशंसा (सं.) [सं-स्त्री.] दोषी या अपराधी ठहराने की क्रिया।
अवशिष्ट (सं.) [वि.] 1. शेष; बचा हुआ; अवशेष 2. फ़ाज़िल; अतिरिक्त।
अवशेष (सं.) [वि.] बचा हुआ; बाकी। [सं-पु.] शेष भाग।
अवशोषक (सं.) [सं-पु.] 1. अवशोषण करने वाला 2. सोखने वाला; सोख्ता 3. अपने में समा लेने वाला; संविलयक।
अवशोषण (सं.) [सं-पु.] 1. सोखना 2. अपने में समा लेना या समाहित कर लेना; संविलयन।
अवशोषित (सं.) [वि.] 1. सोखा हुआ 2. समाया हुआ; समाहित; संविलयित।
अवश्यंभावी (सं.) [वि.] 1. जिसका होना निश्चित हो; जिसके होने की पूरी संभावना हो 2. जो टले नहीं; अटल 3. जिसे टाला न जा सके; अनिवार्य।
अवश्य (सं.) [अव्य.] 1. ज़रूर 2. निश्चित रूप से 3. बिना किसी अंतर के। [वि.] 1. अनिवार्य 2. जिसे वश में न किया जा सके।
अवश्यमेव (सं.) [क्रि.वि.] 1. अवश्य ही; निश्चय ही 2. निश्चयपूर्वक 3. निस्संदेह; यकीनन।
अवष्टंभ (सं.) [सं-पु.] 1. आश्रय; सहारा 2. खंभा 3. घमंड 4. बाधा 5. पक्षाघात 6. स्तब्धता 7. जड़ीभूत होना।
अवष्टब्ध (सं.) [वि.] 1. जिसने कोई सहारा लिया हो; आश्रित 2. रोका हुआ; बाधित 3. रक्षित 4. निकटवर्ती 5. आवृत्त 6. पराभूत।
अवसंजन (सं.) [सं-पु.] आलिंगन; गले लगाना।
अवसक्त (सं.) [वि.] सटा या लगा हुआ; संलग्न; नत्थी।
अवसन्न (सं.) [वि.] 1. दुखी; विषादग्रस्त 2. सुस्त; बेदम 3. उदास 4. खिन्न 5. निरुत्साह 6. हारा-थका 7. अपना काम करने में असमर्थ 8. समाप्त।
अवसर (सं.) [सं-पु.] 1. मौका 2. समय; सुयोग 3. अवकाश 4. भूमिका 5. वत्सर 6. गुप्त परामर्श 7. वर्षा 8. अर्थालंकार का एक भेद। [मु.] -चूकना : मौका हाथ से खो देना; मौके का फायदा न उठा पाना।
अवसरवश (सं.) [क्रि.वि.] 1. इत्तफ़ाक से या संयोग से 2. मौके के मुताबिक।
अवसरवाद (सं.) [सं-पु.] 1. पाश्चात्य दार्शनिक मेलब्रांश तथा ज्यूलोक का सिद्धांत 2. अवसर के अनुरूप कार्य कर अपना मतलब साधने का सिद्धांत।
अवसरवादिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मौके का फ़ायदा उठाने की प्रवृत्ति; मौकापरस्ती 2. अवसर के अनुकूल बरतने की प्रवृत्ति।
अवसरवादी (सं.) [वि.] जो किसी नीति का अनुसरण न करके हर उपयुक्त अवसर का पूरा-पूरा फ़ायदा उठाने की कोशिश करे; मौकापरस्त।
अवसरानुकूल (सं.) [वि.] अवसर के अनुकूल; अवसरोचित; मौके के मुताबिक।
अवसरोचित (सं.) [वि.] अवसर के अनुकूल; मौके के मुताबिक।
अवसर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. मुक्ति; छोड़ देना; छुटकारा; स्वतंत्र करना 2. शिथिल करना 3. दंड में कमी करना 4. रोक न लगाना।
अवसर्जन (सं.) [सं-पु.] 1. मुक्त या आज़ाद करना 2. छोड़ना; त्यागना।
अवसर्प (सं.) [सं-पु.] जासूस; भेदिया।
अवसर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. नीचे उतरना 2. अधोगमन।
अवसर्पिणी (सं.) [सं-स्त्री.] जैन मतानुसार उतार का समय जिसमें रूपादि का क्रमशः ह्रास होता है; विरोह; अवरोह; विवर्त्त।
अवसाद (सं.) [सं-पु.] 1. सुस्ती; शिथिलता 2. उदासी 3. विषाद; अवसन्नता 4. खेद 5. नाश।
अवसादक (सं.) [वि.] सुस्ती लाने वाला; अवसादकारक।
अवसादग्रस्त (सं.) [वि.] अवसाद पीड़ित; अवसादित।
अवसादन (सं.) [सं-पु.] 1. नाश 2. पतन 3. कार्य करने की अक्षमता 4. उत्पीड़न 5. समाप्त करना।
अवसादी (सं.) [वि.] अवसाद से भरा हुआ; अवसादयुक्त।
अवसान (सं.) [सं-पु.] 1. समाप्ति; अंत 2. मृत्यु 3. पतन 4. विराम 5. घोड़े आदि से उतरने का स्थान।
अवसानक (सं.) [वि.] 1. जो समाप्त या नष्ट हो रहा हो 2. अंत या सीमा तक पहुँचने वाला।
अवसारण (सं.) [सं-पु.] 1. हटाना 2. चलाना 3. जाने के लिए प्रवृत्त करना।
अवसिक्त (सं.) [वि.] सिंचित; सींचा हुआ।
अवसित (सं.) [वि.] न बसा हुआ। [सं-पु.] परिवर्तित।
अवसेचन (सं.) [सं-पु.] 1. सींचना 2. सींचने के काम आने वाला पानी 3. छिड़कना 4. रग को काटकर या छेदकर रक्त निकालना 5. पसीना निकालने की क्रिया।
अवस्कर (सं.) [सं-पु.] 1. मलमूत्र; विष्ठा 2. मलमूत्रेंद्रिय 3. गोबर 4. कूड़ा-करकट 5. वह स्थान जहाँ मलमूत्र आदि फेंका जाता है।
अवस्तार (सं.) [सं-पु.] 1. परदा; यवनिका 2. चटाई 3. खेमे के चारों ओर की कपड़े की दीवार; कनात।
अवस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हालत; दशा 2. स्थिति 3. स्थिरता 4. उम्र; आयु 5. उम्र के मुताबिक देह आदि की अवस्था, जैसे- बचपन, जवानी, बुढ़ापा आदि 6. आकृति।
अवस्थांतर (सं.) [सं-पु.] 1. भिन्न या बदली हुई अवस्था 2. दो या कई अवस्थाओं में पारस्परिक अंतर।
अवस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. ठहरना 2. रहना; वास करना 3. रहने-ठहरने का स्थान; घर 4. रहने-ठहरने की अवधि 5. रेलवे स्टेशन 6. मौका।
अवस्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. स्थापित करना 2. रखना 3. रखने या स्थापित करने का स्थान।
अवस्थित (सं.) [वि.] 1. विद्यमान; मौजूद 2. दृढ़निश्चय।
अवस्थिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ठहरे-टिके होने की स्थिति 2. ठहरे-टिके होने की अवधि या काल 3. अवस्थान 4. मौजूदगी; विद्यमानता।
अवस्थी (सं.) [सं-पु.] ब्राह्मणों की एक उपजाति और उसकी उपाधि।
अवहट्ट [सं-स्त्री.] प्राचीन अपभ्रंश का एक रूप।
अवहरण (सं.) [सं-पु.] 1. चुरा लेना; लूट लेना 2. दूर हटाना 3. अन्यत्र ले जाना 4. युद्धविराम।
अवहस्त (सं.) [सं-पु.] उलटा हाथ; पट हाथ; हथेली की पीठ वाला भाग।
अवहित्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह व्यभिचारी भाव जिसमें लज्जा, भय आदि भावों को छिपाने की कोशिश होती है 2. भावगोपन।
अवहेलना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपेक्षा 2. अनादर; अवमानना 3. आदेश का उल्लंघन; अवज्ञा 4. तिरस्कार।
अवहेलनीय (सं.) [वि.] 1. उपेक्षा के योग्य; उपेक्षणीय 2. अनादरणीय; असम्मान्य 3. तिरस्कार के योग्य; तिरस्कार्य।
अवहेला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी की आज्ञा या बात न मानने की क्रिया या भाव; अवज्ञा; तिरस्कार 2. वह बात या कार्य जिससे किसी का मान या प्रतिष्ठा कम हो; अपमान; अनादर; बेइज़्ज़ती।
अवहेलित (सं.) [वि.] तिरस्कृत; अपमानित।