Hin Dict_a43 - हिंदी शब्दकोश - अ43


अवाँ (सं.) [सं-पु.] मिट्टी के बरतन पकाने का भट्टा; आँवाँ।
अवांछनीय (सं.) [वि.] 1. जो वांछित न हो; अपात्र 2. अनभिलषणीय 3. अप्रिय 4. अनपेक्षित।
अवांछनीय तत्व [सं-पु.] जो आवश्यक न हो; अनपेक्षित तत्व।
अवांछित (सं.) [वि.] 1. जिसे पसंद नहीं किया जाए; जिसकी इच्छा न की गई हो 2. अनामंत्रित; अनपेक्षित।
अवांतर (सं.) [वि.] 1. बीच का; मध्य में होने वाला; अंतर्वर्ती 2. गौण 3. अंतर्गत।
अवांतर दिशा (सं.) [सं-स्त्री.] दो दिशाओं के मध्य की दिशा; मध्यवर्ती दिशा।
अवांतर भेद (सं.) [सं-पु.] किसी भेद के अंतर्गत आने वाले भेद या विभाग।
अवाई [सं-स्त्री.] 1. किसी के कहीं से आकर पहुँचने की क्रिया या भाव; आगमन; आना; आवक 2. खेत की गहरी जुताई।
अवाक (सं.) [वि.] 1. विस्मित; स्तब्ध; चकित 2. मौन; चुप। [क्रि.वि.] 1. नीचे 2. दक्षिण की ओर। [सं-पु.] ब्रह्म। [मु.] -रह जाना : चकित या हक्का-बक्का हो जाना।
अवाचक (सं.) [वि.] 1. उच्चारण या वाचन न करने वाला 2. न बताने वाला; न कहने वाला 3. अस्पष्ट।
अवाची (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दक्षिण दिशा 2. निम्न देश।
अवाच्य (सं.) [सं-पु.] 1. निंदा या कलंक की बात 2. जो बात कहने योग्य न हो 3. अपशब्द। [वि.] जिससे बात करना उचित न हो।
अवाप्त (सं.) [वि.] जो सुलभ या प्राप्त हो; लब्ध; अधिगत।
अवाप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. प्राप्ति 2. भूमि या संपत्ति का मूल्य देकर अधिग्रहण; (ऐक्वीज़ीशन)
अवाप्य (सं.) [वि.] 1. न काटने योग्य 2. प्राप्त या अर्जन करने योग्य; प्राप्य; अर्जनीय।
अवाम (सं.) [सं-पु.] आमलोग; जनता।
अवामी (सं.) [वि.] 1. अवाम का; अवाम से संबधित 2. प्रजा या जनता के लिए 3. सामान्य 4. सार्वजनिक।
अवायड (इं.) [सं-पु.] उपेक्षा (करना); अवहेलना (करना)।
अवार (सं.) [सं-पु.] 1. नदी या जलाशय का किनारा; तट; तीर 2. सिरेवाला पक्ष।
अवारजा (फ़ा.) [सं-पु.] 1. वह बही जिसमें प्रत्येक असामी की जोत आदि का विवरण लिखा जाता है 2. जमाख़र्च की बही 3. वह बही जिसमें याददाश्त के लिए नोट किया जाए 4. खतियौनी; संक्षिप्त लेखा।
अवारी1 (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु का वह भाग जहाँ उसकी लंबाई या चौड़ाई समाप्त होती है; किनारा; सिरा 2. वह स्थान जहाँ से कोई वस्तु मुड़ती है; मोड़ 3. विवर; छेद।
अवारी2 (सं.) [सं-स्त्री.] घोड़े के मुँह में लगाया जाने वाला वह ढाँचा जिसके दोनों ओर रस्से या चमड़े के तस्मे बँधे रहते हैं; लगाम; बागडोर; रास।
अवार्ड (इं.) [सं-पु.] 1. पुरस्कार; सम्मान 2. अधिनिर्णय।
अवास्तविक (सं.) [वि.] 1. जो वास्तविक न हो; अयथार्थ 2. मिथ्या; झूठा।
अवि (सं.) [सं-पु.] 1. रक्षक 2. स्वामी 3. सूर्य 4. दीवार; घेरा 5. कंबल 6. ऊन 7. बकरा। [सं-स्त्री.] 1. लज्जा 2. भेड़।
अविकच (सं.) [वि.] जो खिला हुआ न हो या बिना खिला हुआ; अपुष्पित; अनखिला; अविकसित; बंद।
अविकल (सं.) [वि.] 1. पूरा का पूरा; ज्यों का त्यों; जिसे घटाया-बढ़ाया न गया हो; बिना उलटफेर के 2. व्यवस्थित 3. जो बेचैन न हो; शांत।
अविकलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यथातथ्य और मूल रूप बरक़रार रखने का भाव 2. बेचैनी और व्याकुलता का अभाव; शांति 3. निश्चिंतता; इतमीनान।
अविकल्प (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई विकल्प न हो; विकल्परहित 2. अपरिवर्तनीय; मौलिक 3. निश्चित; नियत। [सं-पु.] विकल्प का अभाव।
अविकसित (सं.) [वि.] 1. जो विकसित न हो; जो खिला न हो; अप्रस्फुटित 2. जिसका विकास न हुआ हो; पिछड़ा हुआ।
अविकार (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई विकार न उत्पन्न होता हो; विकाररहित 2. जिसके रूप-आकार में कोई परिवर्तन न होता हो; अपरिवर्तनीय। [सं-पु.] विकार का अभाव।
अविकारी (सं.) [वि.] 1. दे. अविकार 2. अविकृत। [सं-पु.] ब्रह्म; ईश्वर।
अविकृत (सं.) [वि.] 1. जो विकृत न हो; जिसका रूप बिगड़ा न हो 2. जिसके अंदर कोई विकृति या बुराई न आ पाई हो।
अविक्षिप्त (सं.) [वि.] 1. जो पागल या विक्षिप्त न हो; संतुलित दिमाग़ वाला 2. जो घबराया हुआ न हो; शांत; धीर 3. जिसे क्षिप्त या फेंका न गया हो।
अविगत (सं.) [वि.] 1. जो विगत न हो; जो जाना न जाए; अव्यतीत; अगत 2. अज्ञात; अनजान; अनजाना 3. जो नष्ट न हो; नित्य 4. ईश्वर 5. अज्ञेय; अविनाशी।
अविग्रह (सं.) [वि.] 1. निराकार; अशरीरी 2. जिसका विग्रह न हो 3. अज्ञात 4. नित्यसमास (व्याकरण)।
अविचल (सं.) [वि.] 1. जो विचलित न हो; अचल 2. स्थिर; अडिग 3. स्थिरचित्त।
अविचलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अविचल होने की अवस्था या भाव 2. दृढ़ता; अटलता; अडिगपन 2. स्थिरचित्तता; निश्चिंतता 3. स्थिरता।
अविचलित (सं.) [वि.] 1. जो विचलित न हो; अडिग; अटल 2. स्थिरचित; जो भटका न हो 3. अप्रभावित; दृढ़।
अविचार (सं.) [सं-पु.] 1. विवेक का अभाव या सोचने समझने की शक्ति का अभाव; अविवेक; नासमझी 2. जिसमें विचार का अभाव हो; विचारहीनता। [वि.] अविवेकी; नासमझ।
अविचारित (सं.) [वि.] 1. जिसपर विचार न किया गया हो; बिना सोचा समझा; अचिंतित; अचीता 2. बिना जाने या समझे किया हुआ।
अविचारी (सं.) [सं-पु.] 1. वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो; मूर्ख; बेवकूफ़ 2. अज्ञान; अविवेक। [वि.] 1. जो विवेकी न हो या जिसे भले-बुरे का ज्ञान न हो; अविवेकी; नासमझ 2. उचित-अनुचित का ज्ञान न रखने वाला।
अविच्छिन्न (सं.) [सं-पु.] 1. अटूट; अखंडित; अविभक्त 2. लगातार; निरंतर।
अविच्छिन्नता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अटूटपन; अविभाज्यता 2. अनवरत जारी रहने का भाव।
अविच्छेद (सं.) [सं-पु.] जो विभक्त न हो। [वि.] बिना विराम के या बिना रुके या बिना क्रम-भंग के; लगातार; अनवरत।
अविच्छेद्य (सं.) [वि.] 1. अटूट; अविभाज्य 2. जो विलगाने या अलग करने योग्य न हो।
अविच्युत (सं.) [वि.] 1. जो अपने स्थान से भ्रष्ट न हुआ हो 2. नित्य; शाश्वत।
अविजित (सं.) [वि.] जिसे जीता न गया हो; जो पराजित न किया जा सका हो; अपराजित।
अविजेय (सं.) [वि.] जिसे जीता न जा सके; जिसपर विजय हासिल करना नामुमकिन हो; अजेय; अपराजेय।
अविजेयता (सं.) [सं-स्त्री.] अविजेय होने की दशा या स्थिति; पराजित न होने की स्थिति; अजेयता; अपराजेयता।
अविज्ञ (सं.) [वि.] जो प्रवीण न हो; अनाड़ी; अनजान।
अविज्ञात (सं.) [वि.] 1. जिसे अच्छी तरह जाना न गया हो; अनजाना 2. अस्पष्ट; संदिग्ध।
अविज्ञापित (सं.) [वि.] 1. जो सूचित न किया गया हो; जिसका ज्ञापन न हुआ हो 2. जो प्रचारित न हो; अप्रचारित।
अविज्ञेय (सं.) [वि.] 1. जो पहचाना या जाना न जा सके 2. जिसे जानना उचित न हो।
अवित्त (सं.) [वि.] 1. वित्तरहित; धनहीन; गरीब 2. अप्रसिद्ध; अविख्यात 3. अज्ञात; अपरिचित।
अवित्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वित्त या धन न होने की अवस्था या भाव; निर्धनता; गरीबी 2. अप्राप्ति 3. बुद्धिहीनता; मूर्खता। [वि.] 1. मूर्ख 2. जिसे प्राप्त न हुआ हो।
अविदग्ध (सं.) [वि.] 1. जो अच्छी तरह पका न हो 2. जो पचा न हो 3. अशिक्षित 4. अनुभवहीन; नौसिखिया 5. अधकचरा 6. गँवार 7. अधजला 8. मूर्ख; पागल। [सं-पु.] भेड़ का दूध।
अविद्यमान (सं.) [वि.] 1. जो विद्यमान या उपस्थित न हो; अनुपस्थित 2. असत; झूठ; मिथ्या 3. जिसका अस्तित्व स्थायी न हो।
अविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विद्या का अभाव; अज्ञान 2. विपरीत या मिथ्या ज्ञान 3. भ्रांति 4. माया 5. कर्मकांड 6. (सांख्य दर्शन) प्रकृति; जड़ पदार्थ।
अविधिक (सं.) [सं-पु.] विधान या विधि का अभाव; अविधान; अविधि। [वि.] जो विधान या विधि के अनुसार ठीक न हो; विधिविरुद्ध; निषिद्ध।
अविधेय (सं.) [वि.] 1. जो वैधानिक न हो; अवैधानिक 2. अकरणीय; अकर्तव्य।
अविनय (सं.) [सं-पु.] 1. विनय या नम्रता का अभाव; अशिष्टता 2. ढिठाई; उद्दंडता 3. धृष्टता; गुस्ताख़ी 4. उजड्डपन 5. घमंड।
अविनश्वर (सं.) [सं-पु.] धर्मग्रंथों द्वारा मान्य वह सर्वोच्च सत्ता जो सृष्टि की स्वामिनी है; ईश्वर; भगवान। [वि.] सदा रहने वाला; शाश्वत; नित्य; अविनाशी।
अविनाश (सं.) [सं-पु.] 1. अक्षय रहने की स्थिति 2. नित्यता; शाश्वता।
अविनाशी (सं.) [वि.] 1. नाशरहित; अक्षय 2. नित्य; शाश्वत। [सं-पु.] ईश्वर।
अविभाजित (सं.) [वि.] 1. जिसे बाँटा न गया हो; जिसका विभाजन न किया गया हो 2. अखंड; मुकम्मिल; पूर्ण।
अविभाज्य (सं.) [वि.] जो विभाजित न किया जा सके; जिसे बाँटा न जा सके। [सं-पु.] वह राशि जिसे किसी भाजक से भाग न दिया जा सके।
अविभाज्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विभाजित न हो सकने का गुण-धर्म; अविच्छेद्यता 2. किसी राशि की वह ख़ासियत जिसके चलते स्वयं के अतिरिक्त किसी अन्य भाजक से उसका भाग न हो सके, जैसे- 3, 7, 11, 13 की संख्या।
अविरत (सं.) [सं-पु.] विराम का अभाव; नैरंतर्य; निरंतरता। [वि.] 1. विरामरहित; निरंतर; लगातार 2. अनिवृत्त; लगा हुआ। [अव्य.] हमेशा; सदा।
अविरति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विराम का अभाव 2. आसक्ति; लीनता 3. अशांति 4. व्यभिचार 5. ऐसा आचरण जो धर्मशास्त्रों के अनुकूल न हो।
अविरल (सं.) [वि.] 1. अविच्छिन्न; लगातार; अविरत 2. मिला या सटा हुआ 3. घना; सघन।
अविराम (सं.) [क्रि.वि.] बिना रुके हुए; निरंतर; लगातार। [वि.] विरामहीन।
अविरोध (सं.) [सं-पु.] 1. विरोध का अभाव 2. सामंजस्य।
अविलंब (सं.) [क्रि.वि.] बिना विलंब के; तुरंत; शीघ्र; झटपट; फटाफट। [वि.] विलंबरहित। [सं-पु.] विलंब का अभाव।
अविलेय (सं.) [वि.] 1. जो विलीन न किया जा सके 2. जो घुलाया न जा सके; अघुलनशील।
अविवाहित (सं.) [वि.] जिसकी शादी न हुई हो; बिना ब्याहा; कुवाँरा।
अविवाहिता (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री जिसका विवाह न हुआ हो; गैरशादीशुदा।
अविविक्त (सं.) [वि.] 1. अविवेचित 2. विवेकरहित 3. सार्वजनिक 4. भेदरहित।
अविवेक (सं.) [सं-पु.] 1. विवेक का अभाव; अविचार 2. अज्ञान; नादानी 3. अन्याय 4. (न्यायदर्शन) विशेष ज्ञान का अभाव 5. (सांख्यदर्शन) मिथ्याज्ञान।
अविवेकपूर्ण (सं.) [वि.] 1. विवेकरहित; बिना विचारे किया गया 2. नासमझी से भरा; मूर्खतापूर्ण।
अविवेकी (सं.) [वि.] विवेकहीन; जो विचारवान न हो; नासमझ।
अविश्रांत (सं.) [वि.] 1. जो थकने वाला न हो 2. अविराम 3. जो क्षतिग्रस्त न हो। [क्रि.वि.] लगातार।
अविश्वसनीय (सं.) [वि.] 1. जिसपर विश्वास या भरोसा न किया जा सके; गैरभरोसेमंद 2. आश्चर्य में डालने वाला; विस्मय पैदा करने वाला।
अविश्वसनीयता (सं.) [सं-स्त्री.] विश्वसनीय या भरोसेमंद न होने का अवगुण या कमज़ोरी; विश्वास के लिए अपात्रता।
अविश्वस्त (सं.) [वि.] 1. जिसपर विश्वास न किया जा सके या जिसपर विश्वास न हो 2. संदिग्ध।
अविश्वास (सं.) [सं-पु.] 1. विश्वास न होने का भाव; बेएतिबारी 2. शंका; संदेह।
अविश्वास्य (सं.) [वि.] अविश्वसनीय; विश्वास न करने योग्य; जो भरोसे के क़ाबिल न हो।
अविसर्गी (सं.) [वि.] न हटने वाला; न छोड़ने वाला; लगातार बने रहने वाला (ज्वर आदि)।
अविस्मरणीय (सं.) [वि.] 1. जो भूलने योग्य न हो 2. अमिट साख और सम्मान वाला (व्यक्ति) 3. अमिट छाप वाली (घटना-परिघटना)।
अविहित (सं.) [सं-पु.] 1. जो विहित या उचित न हो; अनुचित 2. अकर्तव्य 3. निषिद्ध 4. शास्त्रविरुद्ध।
अवृत्त (सं.) [वि.] 1. जिसे रोका न गया हो या जिसमें कोई रुकावट न हो 2. बिना चुना हुआ 3. अरक्षित 4. जो किसी के अधीन न हो।
अवृत्ति (सं.) [वि.] 1. अस्तित्वहीन; स्थितिविहीन 2. आजीविकाविहीन। [सं-स्त्री.] 1. स्थिति का अभाव 2. जीविका का अभाव।
अवृथा (सं.) [क्रि.वि.] 1. सफलतापूर्वक 2. व्यर्थ न होने का भाव। [वि.] जो व्यर्थ न हो।
अवृद्धिक (सं.) [वि.] 1. बिना वृद्धि या ब्याज का (धन) 2. न बढ़ने वाला। [सं-पु.] मूल धन।
अवृष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] वर्षा का अभाव; अवर्षण; सूखा।
अवेक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. अवलोकन; देखना 2. निरीक्षण 3. जाँच-पड़ताल। [वि.] देखभाल करने वाला।
अवेक्षणीय (सं.) [वि.] 1. दर्शन करने या देखने योग्य 2. जाँच के लायक; परीक्षा योग्य 3. जिसपर कानून के अनुरूप अधिकारियों का ध्यान देना आवश्यक हो।
अवेक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अधिकारी द्वारा उचित कार्रवाई करने के उद्देश्य से किसी अपराध या दोष की ओर ध्यान देने की क्रिया 2. अच्छी तरह जाँच करने के लिए देखने की क्रिया 3. किसी चीज़ या कार्य की देख-रेख करते हुए उसे बनाए रखने और अच्छी तरह चलाए रखने की क्रिया या भाव।
अवेद्य (सं.) [वि.] 1. जो जाना न जा सके; अज्ञेय 2. जो प्राप्त न हो सके; अलभ्य। [सं-पु.] बछड़ा।
अवेस्ता (फ़ा.) [सं-स्त्री.] पारसियों का मूल धर्मग्रंथ।
अवैज्ञानिक (सं.) [वि.] 1. जो वैज्ञानिक न हो 2. अतार्किक; असंगत 3. सिर्फ़ परंपरा या धारणावश अपनाया हुआ।
अवैतनिक (सं.) [वि.] 1. बिना वेतन के; वेतनहीन 2. मानद।
अवैदिक (सं.) [वि.] 1. वेदविरुद्ध 2. जो वेदोक्त न हो।
अवैध (सं.) [वि.] 1. विधिविरुद्ध; जो वैध न हो; गैरकानूनी 2. अनाधिकार; अनधिकृत 3. समाज या मानवताविरोधी।
अवैधता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विधिविरुद्धता 2. अनाधिकृति 3. मर्यादाविहीनता।
अवैधाचरण (सं.) [सं-पु.] 1. विधिविरुद्ध आचरण 2. अमर्यादित व्यवहार।
अवैधानिक (सं.) [वि.] विधिविरुद्ध; कानून के ख़िलाफ़।
अवैमत्य (सं.) [सं-पु.] मतभेद का अभाव; ऐकमत्य। [वि.] 1. जिसमें वैमत्य या मतभेद न हों 2. सर्वसम्मत।
अवैयक्तिक (सं.) [वि.] 1. जो व्यक्तिगत न हो 2. जो किसी का निजी न हो; सार्वजनिक; सामान्य।
अव्यक्त (सं.) [वि.] 1. जो व्यक्त न हो; अकथित; अकह 2. अप्रकट; अदृश्य 3. अज्ञात 4. अज्ञेय 5. अनाविर्भूत 6. अनिश्चित। [सं-पु.] 1. ब्रह्म 2. आत्मा 3. शिव 4. विष्णु 5. कामदेव 6. सूक्ष्म शरीर 7. मूल प्रकृति 8. अविद्या।
अव्यपेत यमक (सं.) [सं-पु.] यमक अलंकार का एक भेद; जब यमक में आवृत्त होने वाले पद या वर्ण एक-दूसरे के समीप होते हैं।
अव्यय (सं.) [वि.] 1. अविकारी; एकरस रहने वाला 2. आदि-अंत से रहित; अक्षय 3. नित्य; सदा-सर्वदा बने रहने वाला। [सं-पु.] 1. व्याकरण की एक कोटि 2. (पुराण) ब्रह्मा, शिव एवं विष्णु।
अव्ययशील (सं.) [वि.] 1. हमेशा एक-सा बना रहने वाला 2. नित्य; अक्षय।
अव्ययीभाव (सं.) [सं-पु.] 1. समास का एक भेद, जहाँ पूर्वपद अव्यय होता है, जैसे- यथाशक्ति 2. व्यय का अभाव 3. व्यय या ख़र्च न करने का स्वभाव; कंजूसी।
अव्यर्थ (सं.) [वि.] 1. न चूकने वाला; अचूक 2. जो लाभ, यश आदि की दृष्टि से ठीक हो या सही उपयोग में हो; सार्थक; सफल।
अव्यवस्था (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्यवस्था का अभाव; व्यवस्थाहीनता 2. बदइंतज़ामी 3. अनुशासनहीनता 4. अराजकता।
अव्यवस्थित (सं.) [वि.] 1. व्यवस्थाविहीन; विशृंखल 2. असहज 3. जो ठीक क्रम से न हो; बेतरतीब।
अव्यवहार्य (सं.) [वि.] 1. जो व्यवहार या काम में लाने योग्य न हो 2. जो व्यवहार में न लाया जा सके 3. पतित; जाति से बाहर किया हुआ।
अव्यवहृत (सं.) [वि.] जो व्यवहार या अमल में न लाया गया हो।
अव्याख्य (सं.) [वि.] व्याख्या के अयोग्य या जिसकी व्याख्या या स्पष्टीकरण न हो सकती हो।
अव्याख्येय (सं.) [वि.] 1. जिसकी व्याख्या न की जा सके; जिसे स्पष्ट न किया जा सके 2. जो समझ में आने योग्य न हो।
अव्यापी (सं.) [वि.] 1. जो सर्वत्र व्याप्त न हो 2. परिच्छिन्न; सीमित 3. जो सामान्य न हो; विशेष।
अव्याप्त (सं.) [वि.] 1. जो सर्वत्र व्याप्त न हो 2. परिच्छिन्न।
अव्याप्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. व्याप्ति का न होना 2. अधूरी व्याप्ति 3. लक्षणों का लक्ष्य पर पूरी तरह घटित न होना।
अव्यावहारिक (सं.) [वि.] 1. जो व्यावहारिक न हो 2. जो व्यवहार या अमल में लाने योग्य न हो 3. यथार्थ से जी चुराने वाला; आदर्शवादी 4. फ़ितूरी 5. पतित।
अव्यावहारिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अव्यवहार्यता; व्यवहार में न लाए जा सकने की स्थिति 2. व्यावहारिक न होने की प्रकृति या स्वभाव 3. फ़ितूरियत 4. आदर्शवादिता।
अव्याहत (सं.) [वि.] 1. व्याघातरहित; अबाधित 2. जिसका भंजन न हुआ हो या जो टूटा हुआ न हो; अभंजित; अक्षत 3. जिसमें अवरोध न हो या बिना अवरोध का; अवरोधहीन; अकंटक।
अव्वल (अ.) [वि.] 1. प्रथम; पहला 2. सर्वश्रेष्ठ; सर्वोत्तम 3. मुख्य; प्रधान।
अशक्त (सं.) [वि.] 1. कमज़ोर; शक्तिविहीन 2. अक्षम; असमर्थ 3. अयोग्य।
अशक्तता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असमर्थता 2. शक्तिहीनता; कमज़ोरी 3. अयोग्यता।
अशक्य (सं.) [वि.] 1. जो सध न सके; असाध्य 2. जो हो न सके; असंभव 3. जो क़ाबू में न किया जा सके 4. अशक्त।
अशक्यता (सं.) [सं-स्त्री.] क्षमताहीन या अक्षम होने की अवस्था या भाव; अक्षमता; असमर्थता।
अशन (सं.) [सं-पु.] 1. भोजन 2. भोज्य पदार्थ 3. भक्षण 4. प्रवेश; व्याप्ति 5. पहुँच।
अशनि (सं.) [सं-पु.] आकाश में सहसा क्षण भर के लिए दिखाई देने वाला वह प्रकाश जो बादलों में वातावरण की विद्युत शक्ति के संचार के कारण होता है; विद्युत; तड़ित; वज्र; चपला।
अशनिपात (सं.) [सं-पु.] आकाश में बिजली चमकने और बादल गरजने के बाद पृथ्वी पर बिजली का गिरना; वज्रपात; वज्राघात; विद्युत्पात; बिजली गिरना।
अशरण (सं.) [वि.] जिसका कोई सहारा न हो; असहाय; निस्सहाय; बेसहारा।
अशरणशरण (सं.) [सं-पु.] ईश्वर; भगवान। [वि.] अशरण को शरण देने वाला।
अशरफ़ (फ़ा.) [वि.] बहुत शरीफ़; उच्च; श्रेष्ठ।
अशरफ़ी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] सोने का सिक्का या मुहर।
अशांत (सं.) [वि.] 1. जो शांत न हो; अस्थिर; बेचैन 2. असहज 3. क्षुब्ध 4. असंतुष्ट।
अशांति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिरता; बेचैनी 2. क्षोभ; खलबली 3. उद्विग्नता 4. असंतोष।
अशासकीय (सं.) [वि.] 1. जो शासन या राज-काज से संबंधित न हो 2. गैरसरकारी।
अशास्त्रीय (सं.) [वि.] जो शास्त्र या शास्त्रों के विचार से उचित न हो; शास्त्रविरुद्ध; अविहित।
अशिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शिक्षा का अभाव; अशिक्षित या अनपढ़ होने की स्थिति 2. गँवारपन।
अशिक्षित (सं.) [वि.] अनपढ़; बिना पढ़ा-लिखा; जिसने शिक्षा न पाई हो।
अशित (सं.) [वि.] जिसे पहले किसी ने खा लिया हो; जूठा; भुक्त; भक्षित।
अशिर (सं.) [वि.] 1. सूर्य 2. अग्नि 3. वायु 4. हीरा 5. एक राक्षस।
अशिव (सं.) [वि.] 1. अकल्याणकारी 2. अमंगलसूचक 3. डरावना। [सं-पु.] 1. अहित; अकल्याण 2. दुर्भाग्य 3. अमंगल।
अशिष्ट (सं.) [वि.] 1. असभ्य 2. बेहूदा; उजड्ड 3. अविनीत 4. मगरूर; घमंडी।
अशिष्टता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अशिष्ट व्यवहार 2. असभ्यता; अभद्रता 3. अविनय; धृष्टता 4. उजड्डपन 5. मगरूरियत।
अशिष्टतापूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] 1. अभद्रतापूर्वक 2. धृष्टतापूर्वक 3. रुखाई से।
अशुचि (सं.) [वि.] 1. नापाक; अपवित्र 2. मैला-कुचैला; गंदा 3. काला। [सं-स्त्री.] 1. अपवित्रता 2. अपकर्ष।
अशुचिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपवित्रता 2. गंदगी; मैलापन 3. अपकर्ष 4. कालापन।
अशुद्ध (सं.) [वि.] 1. अपवित्र; नापाक 2. मिलावटी 3. अशोधित 4. लिखते व पढ़ते समय उच्चारण व वर्तनी संबंधी होने वाली गलती या भूल।
अशुद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] दे. अशुद्धि।
अशुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अशुद्धता 2. गंदगी 3. वर्तनी व उच्चारण संबंधी भूल या गलती 4. मिलावट।
अशुभ (सं.) [वि.] 1. अमंगलकारी 2. अकल्याणकारी 3. अनिष्टकारी 4. भाग्यहीन। [सं-पु.] 1. पाप 2. दुर्भाग्य 3. अमंगल 4. अनिष्ट।
अशुश्रूषा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. देखभाल, सेवा-टहल या परिचर्या में कमी 2. अभिभावक की अपेक्षाओं को पूरा न करने का अपराध।
अशेष (सं.) [वि.] 1. अनंत 2. पूरा; समूचा; मुकम्मल 3. अपार 4. असंख्य।
अशोक (सं.) [सं-पु.] 1. वर्ष भर हरा रहने वाला एक वृक्ष 2. कटुक 3. मौर्य वंश का एक प्रसिद्ध सम्राट। [वि.] शोकरहित।
अशोकचक्र (सं.) [सं-पु.] अशोकस्तंभ के ऊपर का चक्र जो भारत संघ का राष्ट्रीय प्रतीक है।
अशोकस्तंभ (सं.) [सं-पु.] सम्राट अशोक का राजकीय स्तंभ।
अशोधित (सं.) [वि.] जिसका शोधन न किया गया हो; जो साफ़ न किया हुआ हो।
अशोध्य (सं.) [वि.] 1. जिसका शोधन न हो सके; जो साफ़ न किया जा सके 2. जो (विषय) शोध करने लायक न हो।
अशोभन (सं.) [वि.] 1. असुंदर 2. अभद्र 3. अरुचिकर; अप्रिय 4. न फबने वाला; न जमने वाला।
अशोभनीय (सं.) [वि.] 1. जो शोभनीय न हो; असुंदर 2. अभद्र 3. भद्दा; गंदा; अनुचित; अवांछनीय; गर्हित।
अशौच (सं.) [सं-पु.] 1. हिंदू धर्मानुसार अपवित्र होने की अवस्था या भाव; अपवित्रता; अपावनता 2. हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार परिवार में किसी के जन्म लेने या मृत्यु होने पर परिवार वालों को लगने वाली अशुद्धि; सूतक 3. मलिन होने की अवस्था या भाव; मलिनता; गंदगी।
अश्म (सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. पत्थर 3. चकमक 4. पहाड़ 5. बादल।
अश्मज (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का काला रसीला खनिज पदार्थ जो नलों आदि के जोड़ों पर लगाया जाता है, ताकि जल न गिरे; (एस्फाल्ट) 2. काले रंग की एक धातु जिससे बरतन, हथियार, यंत्र आदि बनते हैं; लोहा 3. पहाड़ों की चट्टानों से निकलने वाली एक प्रसिद्ध पौष्टिक काली औषधि; शिलाजीत; अगज।
अश्मन (सं.) [सं-पु.] पत्थर हो जाने की क्रिया।
अश्ममूर्ति (सं.) [सं-स्त्री.] पत्थर से बने सिर और हाथ-पैर वाली प्रतिमा। यूनानी कला के इस मूर्ति प्रकार में ऊपरी तथा किनारे के भाग पत्थर के बने होते हैं और कबंध प्रायः काष्ठ-निर्मित।
अश्मरी (सं.) [सं-स्त्री.] एक रोग जिसमें गुर्दा, मूत्राशय आदि में पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े बन या जम जाते हैं; पथरी।
अश्रद्धा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. श्रद्धा का अभाव 2. अविनय 3. अविश्वास; अनास्था।
अश्राव्य (सं.) [वि.] जो सुनने योग्य न हो; जो सुना न जा सके। [सं-पु.] स्वगत कथन।
अश्रु (सं.) [सं-पु.] आँसू।
अश्रुगैस (सं.+इं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार की गैस जिससे आँखों से आँसू बहने लगते हैं और जिसका प्रयोग भीड़ को तितर-बितर करने के लिए किया जाता है; आँसू गैस।
अश्रुगोला (सं.) [सं-पु.] आँसू गैस का गोला।
अश्रुत (सं.) [वि.] 1. न सुना हुआ 2. अवैदिक।
अश्रुपात (सं.) [सं-पु.] रोने की क्रिया; रुलाई; रोना; रुदन।
अश्रुपूर्ण (सं.) [वि.] आँसुओं से भरा हुआ; आँसुओं से डबडबाया।
अश्लथ (सं.) [वि.] 1. जो शिथिल, सुस्त या ढीला न हो; जो थका न हो 2. जो बिखरा हुआ न हो; चुस्त-दुरुस्त।
अश्लिष्ट (सं.) [वि.] अश्लेष।
अश्लील (सं.) [वि.] 1. जो नैतिक व सामाजिक आदर्शों से परे हो 2. जिसमें शील न हो; फूहड़; भद्दा; अमर्यादित; गंदा 3. घृणास्पद 4. लज्जाप्रद।
अश्लीलता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अश्लील होने की अवस्था या भाव 2. फूहड़पन; भद्दापन 3. नैतिक व सामाजिक शिष्टता से परे कोई कार्य 4. (भारतीय काव्यशास्त्र) एक काव्यदोष, जिसके तीन भेद किए गए हैं- व्रीड़ाव्यंजक, जुगुप्साव्यंजक और अमंगलव्यंजक। यह शब्दगत और भावगत दोनों स्तरों पर होती है।
अश्लेष (सं.) [वि.] 1. श्लेषरहित; जो बहुलार्थी न हो 2. असंयुक्त।
अश्व (सं.) [सं-पु.] घोड़ा; तुरंग।
अश्वक (सं.) [सं-पु.] 1. छोटा घोड़ा 2. भाड़े का टट्टू 3. एक सामन्य का घोड़ा।
अश्वतर (सं.) [सं-पु.] 1. एक तरह का साँप 2. एक गंधर्व 3. गधे और घोड़ी के संयोग से उत्पन्न एक पशु; खच्चर।
अश्वत्थ (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध बड़ा वृक्ष जो हिंदुओं तथा बौद्धों में बहुत पवित्र माना जाता है; पीपल; क्षीरद्रुम; महाद्रुम 2. पीपल का गोदा 3. सूर्य का एक नाम 4. पीपल में फल आने का काल 5. अश्विनी नक्षत्र।
अश्वत्थामा (सं.) [सं-पु.] (महाभारत) कौरव पक्ष का एक महारथी; द्रोणाचार्य का पुत्र।
अश्वमेध (सं.) [सं-पु.] 1. वह यज्ञ जिसमें चक्रवर्ती सम्राट घोड़े के मस्तक पर जयपत्र बाँधकर भूमंडल भ्रमण के लिए छोड़ता था और घोड़े को रास्ते में रोकने वालों को युद्ध में पराजित कर विश्वविजय करते हुए अंततः उस घोड़े को मार कर उसकी चरबी से हवन करता था 2. (संगीत) एक ख़ास तान जिसमें षड्ज स्वर नहीं होता।
अश्वशाला (सं.) [सं-स्त्री.] घोड़ों के रहने का स्थान; अस्तबल; घुड़साल।
अश्वस्तन (सं.) [वि.] 1. आज का; आज से संबंधित 2. अगले दिन की चिंता न करने वाला।
अश्वायुर्वेद (सं.) [सं-पु.] वह शास्त्र जिसमें घोड़ों के रोगादि का वर्णन रहता है; शालिहोत्र।
अश्वारोह (सं.) [वि.] जो घोड़े पर सवार हो; अश्वारूढ़। [सं-पु.] 1. घोड़े की सवारी करने वाला; घुड़सवार 2. घुड़सवारी।
अश्वारोहण (सं.) [सं-पु.] घोड़े की सवारी करने की क्रिया; घुड़सवारी।
अश्वारोही (सं.) [वि.] घुड़सवार।
अश्विन (सं.) [सं-पु.] 1. वह माह जिसमें चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र के निकट होता है; क्वार 2. अश्विनीकुमार द्वारा अधिष्ठापित यज्ञ 3. एक प्राचीन वैदिक देवता का नाम।
अश्विनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. घोड़ी 2. सूर्य की पत्नी प्रभा जिसने घोड़ी का रूप धारण किया था 3. सत्ताईस नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र 4. एक सुगंधित वनस्पति; जटामासी।
अश्विनीकुमार (सं.) [सं-पु.] सूर्य के दो पुत्र जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं; देवचिकित्सक; यमज।