Hin Dict_a44 - हिंदी शब्दकोश - अ44
अषाढ़ (सं.) [सं-पु.] दे. आषाढ़।
अष्ट (सं.) [वि.] सात से एक अधिक या नौ से एक कम; आठ। [सं-पु.] आठ की संख्या।
अष्टक (सं.) [सं-पु.] 1. आठ चीज़ों, वर्गों, अवधारणाओं, गुणों-अवगुणों आदि का समूह या योग 2. आठ अवगुणों का समूह- पिशुनता, साहस, द्रोह, ईर्ष्या, असूया, अर्थदूषण, वाग्दंड और पारुष्य 3. आठ ऋषियों का एक गण 4. विश्वामित्र का एक पुत्र 5. आठ श्लोकों के समूह का एक काव्य-रूप।
अष्टकोणीय (सं.) [वि.] आठ कोणों वाला; अठकोना; अठपहलू।
अष्टछाप (सं.) [सं-पु.] गोसाईं विट्ठलनाथ द्वारा स्थापित आठ कवियों का दल, जिसमें शामिल हैं- सूरदास, कुंभनदास, परमानंददास, कृष्णदास, छीतस्वामी, गोविंदस्वामी, चतुर्भुजदास और नंददास।
अष्टधातु (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आठ धातुएँ- सोना, चाँदी, सीसा, ताँबा, राँगा, जस्ता, लोहा और पारा 2. इन आठों धातुओं का मिश्रित धातुरूप।
अष्टपदी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आठ पदों वाला एक छंद 2. एक प्रकार का गीत 3. चमेली की एक किस्म 4. बेले का फूल और पौधा।
अष्टपाद (सं.) [वि.] आठ पैरोंवाला। [सं-पु.] आठ पैरों वाला जंतु या कीट; शरभ; मकड़ा।
अष्टभुज (सं.) [सं-पु.] आठ भुजाओं वाली आकृति या क्षेत्र। [वि.] आठ भुजाओं वाला।
अष्टभुजीय (सं.) [वि.] अष्टभुजा वाला।
अष्टम (सं.) [वि.] आठवाँ; क्रमिक रूप से आठवें स्थान वाला।
अष्टमी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. शुक्ल या कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि 2. क्षीरकाकोली; वनौषधि काकोली का एक भेद जो अष्टवर्ग के अंतर्गत है।
अष्टयाम (सं.) [सं-पु.] हिंदी का एक निजी काव्य-रूप, जिसमें कथा-प्रबंध नहीं होता बल्कि उसमें अवतरित भगवान या नायक-नायिका की दैनंदिन चर्या का वर्णन होता है। आचार्य शुक्ल ने इसे वर्णनात्मक प्रबंध कहा है।
अष्टवर्ग (सं.) [सं-पु.] 1. आठ औषधियाँ 2. शुभाशुभ जानने का एक चक्र 3. नीतिशास्त्र के अनुसार राज्य के आठ अंग।
अष्टसखा (सं.) [सं-पु.] कृष्ण की बाल एवं किशोर लीला के आठ आत्मीय संगी- कृष्ण, तोक, अर्जुन, ऋषभ, सुबल, श्रीदामा, विशाल और भोज।
अष्टसखी (सं.) [सं-स्त्री.] राधा की आठ परम श्रेष्ठ सखियाँ- ललिता, विशाखा, चंपकलता, रंगदेवी, चित्रा, सुदेवी, तुंगविद्या, और इंदुलेखा। अंतिम चार के स्थान पर क्रमशः सुमित्रा, सुंदरी, तुंगदेवी और इंदुरेखा नाम भी मिलते हैं।
अष्टसिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] आठ प्रकार की सिद्धियाँ- अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
अष्टांग (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर के आठ अंग जिनसे साष्टांग प्रणाम किया जाता है- घुटना, हाथ, पाँव, छाती, सिर, वचन, दृष्टि और बुद्धि 2. अर्घ्य, जो इन आठ पदार्थों से युक्त होता है- जल, दूध, घृत, मधु, दही, रक्त, चंदन, कनेर और कुशा।
अष्टांग मार्ग (सं.) [सं-पु.] बुद्ध ने दुख-निवृत्ति के जिस आठ अंगों वाले मार्ग का उपदेश दिया- सम्यग्दृष्टि, सम्यक्संकल्प, सम्यग्वाक्, सम्यक्कर्म, सम्यगाजीव, सम्यग्व्यायाम, सम्यक्स्मृति और सम्यक्समाधि।
अष्टांग योग (सं.) [सं-पु.] योग-साधना के आठ अंग- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि।
अष्टाक्षर (सं.) [वि.] आठ अक्षरोंवाला। [सं-पु.] 'ओम् नमो नारायणाय' का मंत्र।
अष्टाध्यायी (सं.) [सं-पु.] पाणिनी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध व्याकरण ग्रंथ। [वि.] आठ अध्यायोंवाला।
अष्टावक्र (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध ऋषि जिनके आठ अंग टेढ़े थे जो बहुत ही कुरूप थे 2. टेढ़े-मेढ़े अंगों वाला मनुष्य।
अष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सोलह वर्णों का एक वृत्त; सोलह मात्राओं का एक छंद 2. बीज।
अष्ठीला (सं.) [सं-पु.] 1. नाभि के नीचे शोथ हो जाने वाला एक रोग, इसमें पुरस्थ ग्रंथि के बढ़ जाने से पेशाब में रुकावट होती है 2. गिरी 3. बीज 4. गुर्दे की बीमारी 5. पत्थर की गोली।
असंकलित (सं.) [वि.] जिसका संकलन न हुआ हो; बिखरा हुआ।
असंकुचित (सं.) [वि.] 1. जिसमें कोई संकोच न हो; जिसे घटाया या सिकोड़ा न गया हो 2. निर्द्वंद्व; दुविधारहित 3. असंकोची; जो दीन-हीन न हो।
असंकुल (सं.) [वि.] 1. जहाँ भीड़-भाड़ न हो 2. खुला हुआ 3. चौड़ा 4. विस्तीर्ण।
असंक्रांत (सं.) [वि.] 1. जिसका अन्यत्र संक्रमण न हुआ हो 2. जिसमें किसी और का संक्रमण न हुआ हो। [सं-पु.] अधिकमास; मलमास।
असंख्य (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई संख्या न हो; अनगिनत 2. बेशुमार; बेहिसाब 3. काफ़ी तादाद वाला।
असंख्यक (सं.) [वि.] असंख्य; अनगिनत।
असंगठित (सं.) [वि.] 1. जो संगठित न हो 2. ढीला-ढाला 3. बिना तालमेल का; बेतरतीब।
असंगत (सं.) [वि.] 1. अनुचित; अयुक्त; नामुनासिब 2. बेमेल; प्रसंगविरुद्ध; अप्रासंगिक 3. असंबद्ध; अलग।
असंगतता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. संगत न होने का भाव; अयुक्तता; अनौचित्य 2. अप्रासंगिकता 3. असंबद्धता।
असंगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बेमेल होना 2. अनौचित्य 3. अर्थालंकार का एक भेद, जिसमें कार्य-कारण या देश-काल संबंधी असंगतियाँ मौजूद होती हैं।
असंतुलन (सं.) [सं-पु.] 1. संतुलन का अभाव; संतुलन का न होना 2. अनुपातहीनता; बेमेलपन; बेडौलपन 3. अस्थिरता।
असंतुलित (सं.) [वि.] 1. जिसमें संतुलन न हो; अस्थिर; लड़खड़ाया हुआ 2. जिसका ख़ुद पर नियंत्रण न हो 3. अनुपातहीन; बेडौल; बेमेल।
असंतुष्ट (सं.) [वि.] 1. जो संतुष्ट न हो 2. रुष्ट; नाराज़; अप्रसन्न 3. क्षुब्ध।
असंतृप्त (सं.) [वि.] 1. जो पूरी तरह तृप्त न हो 2. (ऐसा घोल या विलयन) जिसमें घुलाने की क्षमता अभी बाक़ी हो 3. असंतुष्ट।
असंतोष (सं.) [सं-पु.] 1. नाख़ुशी; नाराज़गी; अप्रसन्नता 2. अतृप्ति 3. लोभ 4. बेसब्री।
असंतोषजनक (सं.) [वि.] 1. असंतोष या विक्षोभ पैदा करने वाला 2. नाख़ुश या नाराज़ करने वाला 3. अधीर या बेसब्र बनाने वाला।
असंतोषपूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] असंतोष या नाख़ुशी के साथ; शिकवा-शिकायत करते हुए।
असंदिग्ध (सं.) [वि.] 1. संदेहरहित; निर्विवाद; यकीनी; शक-शुबहा से परे 2. निश्चित; पक्का।
असंपूर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंपूर्ण होने की अवस्था या भाव; अपूर्ण; असमाप्ति 2. अधूरापन।
असंपृक्त (सं.) [वि.] 1. असंबद्ध; जो किसी के साथ मिला या जुड़ा न हो 2. अलग; पृथक 3. कोई सरोकार न रखने वाला; उदासीन।
असंप्रेषणीय (सं.) [वि.] जिसे संप्रेषित न किया जा सके; जो संप्रेषण के योग्य न माना जाए।
असंबद्ध (सं.) [वि.] 1. जो संबद्ध या जुड़ा हुआ न हो; पृथक 2. बेमेल; तारतम्यहीन 3. अप्रासंगिक; असंगत।
असंबद्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंबद्ध होने की अवस्था या भाव; जुड़ाव या लगाव का न होने की अवस्था 2. असंगति; अप्रासंगिकता 3. अलगाव; पृथकता 4. तारतम्यहीनता।
असंभव (सं.) [वि.] जो संभव न हो; जो कभी घटित न हो सकता हो; नामुमकिन। [सं-पु.] 1. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें यह दर्शाया जाता है कि जो बात हो गई उसका होना असंभव था 2. असाधारण घटना 3. अनस्तित्व 4. असंभावना।
असंभवता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असंभव या नामुमकिन होने की अवस्था या भाव 2. जिसके होने की संभावना न हो; असंभावना 3. अस्तित्वहीनता 4. असाधारणता।
असंभावना (सं.) [सं-स्त्री.] संभावना का अभाव; हो सकने की आशा नहीं होना; असंभवता; अनहोनी।
असंभावित (सं.) [वि.] जिसकी संभावना न हो; जिसकी उम्मीद या आशा न हो।
असंभावी (सं.) [वि.] असंभावित।
असंभाव्य (सं.) [वि.] 1. जो संभव न हो; असंभव; अनहोनी; असंभावित; नामुमकिन 2. जो घटित नहीं हो सकता हो।
असंयत (सं.) [वि.] 1. संयमरहित 2. बंधनहीन; निरंकुश 3. अनियंत्रित; बेक़ाबू; उग्र 4. अव्यवस्थित।
असंयम (सं.) [सं-पु.] चित्त की वासना को अनुचित या बुरे मार्गों पर जाने देने की क्रिया या भाव; संयम का अभाव; बदपरहेज़ी; मनमानी।
असंयुक्त (सं.) [वि.] 1. जो मिला हुआ न हो; जो शामिल न हो; असम्मिलित; असमाविष्ट 2. जो जुड़ा हुआ न हो; असंबद्ध।
असंलक्ष्यक्रम ध्वनि (सं.) [सं-स्त्री.] ध्वनि का एक भेद, जहाँ वाच्यार्थ से व्यंग्यार्थ की प्रतीति का कोई क्रम लक्षित नहीं होता।
असंवेदनशील (सं.) [वि.] 1. जिसमें संवेदना या सहृदयता का अभाव हो 2. रूखे स्वभाववाला; सहानुभूतिहीन 3. गैरज़िम्मेदार; मामले की नज़ाकत या गंभीरता पर ध्यान न देने वाला।
असंवैधानिक (सं.) [वि.] संविधान के प्रावधानों की अवहेलना करने वाला (काम या गतिविधियाँ); संविधानविरोधी; जो संविधानविहित न हो; गैरकानूनी।
असंश्लिष्ट (सं.) [वि.] 1. जो संश्लिष्ट न हो; जो जोड़ा-मिलाया गया न हो 2. (काव्यशास्त्र) जिसमें कई अर्थों का संश्लेष न हो; असंयुक्त।
असंसदीय (सं.) [वि.] जो संसद की गरिमा के अनुकूल न हो; (अनपार्लियामेंटरी)।
असंस्कृत (सं.) [वि.] 1. जो परिष्कृत न हो; जिसका परिष्कार न किया गया हो; अपरिष्कृत; अमार्जित 2. जो सभ्य न हो; असभ्य; अशिष्ट; गँवार; संस्कारहीन।
असंस्थान (सं.) [सं-पु.] 1. संबंध न होना; उत्तम स्थिति का न होना; अव्यवस्था 2. क्रमबद्धता का अभाव।
अस [वि.] 1. ऐसा; इस प्रकार का 2. तुल्य; समान; इस जैसा।
असक्त (सं.) [वि.] 1. आसक्तिरहित; अनासक्त; विरक्त; उदासीन; बेलगाव 2. शक्तिरहित; अशक्त; दुर्बल।
असगंध (सं.) [सं-पु.] एक झाड़ी जिसकी जड़ दवा के काम में आती है; अश्वगंधा।
असगर (अ.) [वि.] 1. बहुत छोटा 2. अत्यंत साधारण।
असत (सं.) [वि.] 1. जिसका अस्तित्व न हो; जो मौजूद न हो; अविद्यमान 2. अनुचित; बुरा 3. मिथ्या। [सं-पु.] 1. अनस्तित्व 2. मिथ्यात्व; झूठ; असत्य 3. अनौचित्य 4. अहित।
असतत (सं.) [वि.] 1. जिसमें सतता या निरंतरता का अभाव हो; अनियमित 2. {ला-अ.} परिवर्तनशील।
असत्य (सं.) [वि.] 1. मिथ्या; झूठ 2. गलत। [सं-पु.] 1. गलत बात 2. झुठाई; मिथ्यात्व।
असद (अ.) [सं-पु.] 1. सिंह; शेर 2. (ज्योतिष) सिंह राशि।
असन्निधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असन्नद्धता; तैयार न होने का भाव 2. अनुपस्थिति; दूर होने की स्थिति; वियोग; अभाव।
असफल (सं. [वि.] जो सफल न हो; विफल; नाकामयाब।
असफलता (सं.) [सं-स्त्री.] सफल न होने की अवस्था या भाव; विफलता; नाकामयाबी; पराजय; हार।
असबाब (अ.) [सं-पु.] 1. सामान; सामग्री 2. चीज़; वस्तु 3. मुसाफ़िर के साथ का सामान।
असभ्य (सं.) [वि.] 1. जिसमें सभ्यता न हो; अशिष्ट 2. गँवार 3. जंगली 4. सामाजिक अवस्था में पिछड़ा हुआ 5. सभा के अयोग्य।
असभ्यता (सं.) [सं-स्त्री.] असभ्य होने की अवस्था या भाव; गँवारपन; अशिष्टता।
असम1 [सं-पु.] भारत के एक राज्य का नाम।
असम2 (सं.) [वि.] 1. जो सम या बराबर न हो; विषम 2. असदृश 3. बेजोड़; बेमेल 4. ऊँचा-नीचा; नाहमवार 5. असमतल।
असमंजस (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दुविधा; द्वंद्व; अनिश्चय; आगा-पीछा 2. कठिनाई; अड़चन 3. अनौचित्य।
असमता (सं.) [सं-स्त्री.] असमानता; विषमता; असाम्य।
असमय (सं.) [वि.] 1. जिसका उपयुक्त समय न हो 2. समय से पहले का। [सं-पु.] 1. कुसमय 2. अनुपयुक्त समय [क्रि.वि.] बेवक्त; बेमौके।
असमर्थ (सं.) [वि.] 1. अक्षम; अशक्त; दुर्बल 2. अपेक्षित शक्ति या योग्यता न रखने वाला 3. अभीष्ट अर्थ या भाव न बताने वाला, जैसे- असमर्थ पद।
असमर्थता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समर्थता का अभाव; अयोग्यता 2. अक्षमता; दुर्बलता 3. अयुक्तता; अनुपयुक्तता 4. अस्वीकार्यता।
असमान (सं.) [वि.] 1. विषम; गैरबराबर 2. भेदभाव वाला 3. असदृश, असमरूप।
असमानता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान या बराबर न होने का भाव; गैरबराबरी 2. एक तरह के न होने का भाव; असादृश्य।
असमापिका (सं.) [सं-स्त्री.] जिससे कार्य के असमाप्त रहने या जारी रहने की सूचना मिले, जैसे- जा कर; खा कर आदि क्रियाएँ।
असमाप्त (सं.) [वि.] 1. जो समाप्त न हआ हो; जिसका अंत न हुआ हो; अशेष 2. जारी 3. बचा हुआ (भाग)।
असमिया [सं-स्त्री.] असम की भाषा या लिपि। [सं-पु.] असम का निवासी। [वि.] 1. असम का; असम संबंधी 2. असम में उत्पन्न।
असमी [वि.] 1. असम प्रांत का रहने वाला 2. असम संबंधी 3. असम की भाषा; असमिया।
असमीचीन (सं.) [वि.] जो प्रासंगिक या समीचीन न हो; अनुचित; अयुक्त।
असम्मत (सं.) [वि.] 1. मतभेद रखने वाला; विरुद्ध; असहमत 2. अस्वीकृत; नामंजूर 3. अनादृत। [सं-पु.] 1. विरोध करने वाला; विरोधी 2. शत्रु; दुश्मन।
असम्मति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बात, कार्य आदि पर सहमत न होने की क्रिया या भाव 2. मतभेद; असहमति 3. अलग राय; अनुचित सम्मति 4. अस्वीकृति।
असम्मान (सं.) [सं-पु.] निरादर; अनादर; अपमान।
असम्यक (सं.) [वि.] अप्रासंगिक; अनुचित; बुरा; अपर्याप्त; जिसमें न्याय न हो; अनैतिक।
असर (अ.) [सं-पु.] 1. प्रभाव; छाप 2. दबाव 3. फल 4. गुण; तासीर।
असरकारी (अ.) [वि.] जिससे लाभ हो या जो लाभ देने वाला हो; गुणकारी।
असरदार (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. प्रभावशाली 2. छाप डालने वाला 3. गुणकारी।
असल1 (सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. अस्त्र 3. अस्त्र चलाते वक्त पढ़ा जाने वाला एक मंत्र।
असल2 (अ.) [वि.] प्राकृतिक; वास्तविक; जो बनावटी या कृत्रिम न हो। [सं-पु.] 1. मूल; जड़ 2. आधार; बुनियाद 3. मूलधन।
असलह (अ.) [सं-पु.] अस्त्र; हथियार।
असलहख़ाना (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] अस्त्र रखने का स्थान; शस्त्रागार।
असलहा (अ.) [सं-पु.] अस्त्र-शस्त्र; हथियार।
असलियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. असल होने की अवस्था या भाव; वास्तविकता; सच्चाई; खरापन 2. मौलिकता; यथार्थ; यथार्थता।
असली (अ.) [वि.] 1. असल; मूल; मौलिक 2. वास्तविक 3. स्वाभाविक; प्राकृतिक 4. सच्चा; खरा 5. ख़ालिस। [मु.] -चेहरा दिखाई देना : वास्तविक रूप देखने में आना।
असवर्णता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. समान वर्ण का न होना 2. सवर्ण न होना।
असह (सं.) [वि.] 1. असहिष्णु; असहनशील 2. असह्य 3. अधीर। [सं-पु.] सीने का मध्य भाग।
असहज (सं.) [वि.] 1. जो सहज न हो; असामान्य; अस्वाभाविक 2. विचलित 3. उद्वेलित; चिंतित।
असहजता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहज न होने की अवस्था या भाव; असामान्यता; अस्वाभाविकता; अटपटापन 2. विचलन 3. उद्वेलन।
असहनीय (सं.) [वि.] 1. सहन न कर पाने योग्य; असह्य 2. अत्यंत उग्र; विकट; प्रचंड।
असहमत (सं.) [वि.] जो सहमत न हो; मतभेद रखने वाला; जिसकी राय न मिलती हो।
असहमति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रज़ामंदी न होने का भाव; नाइत्तफ़ाकी 2. राय न मिलना 3. असम्मति; आपत्ति।
असहयोग (सं.) [सं-पु.] 1. सहयोग न करने का भाव 2. साथ न देना; साथ मिलकर काम न करना 3. सरकारी कानून या शासन में सहयोग न करना; राजद्रोह 4. गाँधी जी द्वारा चलाया गया 1921 का असहयोग आंदोलन।
असहयोगी (सं.) [वि.] 1. सहयोग न करने वाला; मिलकर काम न करने वाला 2. विरोध करने वाला; काम में अड़ंगा डालने वाला 3. सत्ता का साथ न देने वाला।
असहाय (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सहायता करने वाला न हो; मजबूर 2. निराश्रय 3. अनाथ।
असहिष्णु (सं.) [वि.] 1. असहनशील; बर्दाश्त न करने वाला 2. झगड़ालू 3. क्रोधी; गुस्सैल; चिड़चिड़ा।
असहिष्णुता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सहिष्णु न होने की अवस्था; असहनशीलता; बर्दाश्त न करना 2. चिड़चिड़ापन 3. झगड़ालू मिज़ाज 4. क्रोध; ग़ुस्सा 5. सख़्त विरोध।
असह्य (सं.) [वि.] सहनशक्ति के बाहर; असहनीय; नागवार; बर्दाश्त के बाहर।
असांप्रदायिक (सं.) [वि.] 1. जो किसी संप्रदाय विशेष से संबंधित न हो 2. विचार और आचरण में जो सांप्रदायिक विद्वेष की भावना से मुक्त हो।
असाइनमेंट (इं.) [सं-पु.] किसी विशेष घटना या समाचार से संबंधित समाचार के संकलन हेतु संवाददाता को सौंपी गई जिम्मेदारी।
असाढ़ [सं-पु.] आषाढ़।
असाढ़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह फ़सल जो आषाढ़ में बोई जाए; खरीफ़ 2. आषाढ़ की पूर्णिमा। [वि.] आषाढ़ का।
असाधारण (सं.) [वि.] 1. जो साधारण न हो; असामान्य; गैरमामूली 2. ख़ास; विशिष्ट 3. महान 4. उल्लेखनीय; अभूतपूर्व; दुर्लभ।
असाधारणीकरण (सं.) [सं-पु.] असाधारण बनाने की क्रिया या भाव; विशिष्टीकरण।
असाधित (सं.) [वि.] जो साधा न गया हो; जिसकी साधना नहीं की गई हो; असिद्ध।
असाधु (सं.) [वि.] 1. असदाचारी 2. खल; दुष्ट 3. असंस्कृत; कुसंस्कारी 4. खोटा 5. अप्रामाणिक। [सं-पु.] बुरा आदमी।
असाध्य (सं.) [वि.] 1. जो साधा न जा सके; जिसकी सिद्धि संभव न हो 2. जिसका निवारण या हल संभव न हो 3. दुष्कर; दुरूह 4. लाइलाज।
असाध्य साधन (सं.) [सं-पु.] ऐसा कार्य करना जो सामान्यतः साध्य न हो।
असामंजस्य (सं.) [सं-पु.] 1. सामंजस्य का अभाव; तालमेल न बिठा पाने की स्थिति 2. अनौचित्य 3. असंगति; प्रतिकूलता 4. बेमेलपन; एकरसता का अभाव।
असामयिक (सं.) [वि.] 1. बेवक़्त; बेमौका; जो नियत समय पर न हो 2. समय की मौजूदा धारा के विरुद्ध; असमकालीन; असमय; अप्रासंगिक; गैरमौज़ूँ।
असामर्थ्य (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामर्थ्यविहीनता; क्षमताविहीनता; अक्षमता 2. अयोग्यता; अपात्रता 3. अकुशलता।
असामाजिक (सं.) [वि.] 1. जो सामाजिक क्रियाकलापों के प्रति उदासीन हो; जो मिलनसार न हो 2. जो सामाजिक व्यवस्था का विरोधी हो; तोड़-फोड़ करने वाला; अराजक 3. जिसका आचरण समाज विरुद्ध हो; बदमाश; अपराधी।
असामाजिकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामाजिक आचार-व्यवहार का अभाव; अव्यावहारिकता 2. समाज से कटे रहने या समाज की सत्ता को कमतर मानने का भाव; वैयक्तिकता; व्यक्तिकेंद्रिकता 3. समाजविरोधी आचरण।
असामान्य (सं.) [वि.] 1. जो सामान्य न हो; असाधारण; गैरमामूली 2. भिन्न; विचित्र; विक्षिप्त; (ऐबनॉर्मल)।
असामान्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सामान्य न होने की अवस्था; असाधारणता 2. विशिष्ट गुणों से युक्त होने की अवस्था।
असामान्यीकरण (सं.) [सं-पु.] असामान्य करने की क्रिया; साधारणता या औसतपन से उबारने का काम; ख़ास या विशिष्ट बनाने की प्रक्रिया।
असामी (अ.) [सं-पु.] 1. वह जिसने लगान पर जोतने के लिए ज़मींदार से खेत लिया हो; रैयत; काश्तकार 2. जिससे किसी प्रकार का लेन-देन हो 3. मुद्दलेह; देनदार।
असाम्य (सं.) [सं-पु.] 1. गैरबराबरी; असमानता 2. अननुकूलता 3. अंतर; भिन्नता।
असार (सं.) [वि.] 1. सारहीन; निस्सार; अर्थहीन; व्यर्थ 2. मिथ्या 3. माया सरीखा; मायावी।
असार्वजनिक (सं.) [वि.] 1. जो सार्वजनिक न हो; समाज या शासन का जिसपर प्राधिकार न हो; निजी 2. जो सबके सामने उजागर न हो; गुप्त; प्रच्छन्न।
असावधान (सं.) [वि.] 1. सावधानी न बरतने वाला; लापरवाह 2. जो सजग, सतर्क या चौकन्ना न हो; बेख़बर; गाफ़िल।
असावधानता (सं.) [सं-स्त्री.] असावधान रहने की अवस्था या भाव; लापरवाही; बेपरवाही; गफ़लत; चित्तविक्षेप।
असावधानी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. असतर्कता; लापरवाही; चूक 2. गफ़लत; बेख़बरी।
असि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. खड्ग; तलवार 2. कृपाण; भुजाली।
असित (सं.) [सं-पु.] 1. एक ऋषि 2. इक्ष्वाकु वंश के एक प्रसिद्ध राजा जो राम के पूर्वज थे एवं सगर के पिता थे 3. हठयोग और तंत्र के अनुसार शरीर की तीन प्रधान नाड़ियों में से एक; सूर्यनाड़ी; पिंगला 4. शनि 5. काला या नीला रंग 6. धौ नामक पेड़ 7. कृष्ण पक्ष। [वि.] जो सित या श्वेत न हो।
असिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. यमुना 2. नीली नामक पौधा। [वि.] 1. काली 2. बुरी 3. टेढ़ी; कुटिल।
असिद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिष्पत्ति 2. अप्राप्ति 3. कच्चापन 4. अपूर्णता।
असिधारा (सं.) [सं-स्त्री.] तलवार की धार।
असिपत्र (सं.) [सं-पु.] 1. ईख 2. तलवार की म्यान।
असिस्टेंट (इं.) [सं-पु.] 1. सहायक 2. सहायक कर्मचारी।
असी (सं.) [सं-स्त्री.] एक नदी-विशेष जो काशी के दक्षिण में गंगा से मिलती है।
असीम (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सीमा न हो; असीमित; निस्सीम 2. अपार; अमित; बेहद 3. अनंत; परम 4. बेहिसाब।
असीमित (सं.) [वि.] 1. जिसकी हद या सीमा न हो; असीम 2. अपरिमित; अनंत।
असुंदर (सं.) [वि.] 1. कुरूप; भद्दा; जो सुंदर न हो 2. अप्रशस्त 3. अशोभन।
असु (सं.) [सं-पु.] 1. मन; चित्त 2. प्राणवायु; प्राणशक्ति 3. विचार 4. पल का छठा भाग।
असुर (सं.) [सं-पु.] 1. दानव; दैत्य; राक्षस 2. दुष्ट व्यक्ति; खल 3. असभ्य व्यक्ति। [वि.] दानवी; अत्याचारी।
असुरक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] जहाँ सुरक्षा न हो; सुरक्षा का अभाव।
असुरक्षित (सं.) [वि.] 1. जिसकी कोई सुरक्षा न हो 2. अनारक्षित; असहाय 3. जोखिमपूर्ण; संकटग्रस्त 4. {ला-अ.} डरा हुआ; भयभीत।
असुराई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. राक्षसपन 2. निर्दयता; क्रूरता।
असुरारि (सं.) [सं-पु.] 1. विष्णु 2. देवता।
असुविधा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कठिनाई; परेशानी 2. सुविधाविहीनता; ज़हमत; दिक्कत।
असुविधाजनक (सं.) [वि.] 1. जिसके लिए कोई सुविधा या सुभीता न हो 2. दिक्कततलब; परेशानी पैदा करने वाला 3. अड़चन या बाधा खड़ी करने वाला।
असूझ (सं.) [वि.]. 1. अंधकारमय 2. जिसके आर-पार दिखाई न दे; अपार 3. विकट। [सं-स्त्री.] अदूरदर्शिता।
असूतिका (सं.) [सं-स्त्री.] जो बच्चा जनने के काबिल न हो; वंध्या; बाँझ।
असूया (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जलन; ईर्ष्या 2. रोष 3. एक संचारी भाव 4. दूसरे के गुणों में खोट निकालना 5. दूसरे की सुख-समृद्धि और ख़ूबियों को सहन न कर सकना।
असूर्यपश्या (सं.) [वि.] 1. परदे में रहने वाली; परदानशीन 2. {ला-अ.} जिसने सूर्य को भी न देखा हो।
असूल (अ.) [सं-पु.] उसूल।
असृक (सं.) [सं-पु.] 1. रक्त; रुधिर; लोहू 2. केसर 3. मंगल ग्रह।
असेंबली (इं.) [सं-स्त्री.] विधानसभा; सभा।
असेव्य (सं.) [वि.] जिसका सेवन न किया जा सके; अनुपभोग्य; अनाहार्य।
असेसर (इं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो जज को फ़ौजदारी के मुकद्दमे में राय देने के लिए चुना जाता है; न्यायालय या अन्य संस्था को परामर्श देने वाला विशेषज्ञ; विधि परामर्शदाता।
असेस्मेंट (इं.) [सं-पु.] 1. कर आदि का निर्धारण 2. निर्धारित कर या मूल्य 3. मूल्यांकन; संपत्ति का मूल्यांकन।
असैनिक (सं.) [सं-पु.] किसी देश का निवासी; नागरिक; देशवासी। [वि.] दीवानी न्यायालय से संबंधित।
असैन्यीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी स्थान या क्षेत्र विशेष से तैनात सैन्यबल को हटा लेना।
असोसिएशन (इं.) [सं-पु.] लोगों का औपचारिक दल या संगठन; सभा; परिषद; गोष्ठी; समिति।
असौंध (सं.) [सं-पु.] 1. गंध का अभाव 2. बदबू; दुर्गंध।
असौम्य (सं.) [वि.] 1. असुंदर; कुरूप; भद्दा 2. अप्रिय; अशोभन।
अस्खलित (सं.) [वि.] 1. जिसका स्खलन न हुआ हो 2. जो फिसलता या डगमगाता न हो; अच्युत; उचित मार्ग पर चलने वाला 3. उच्चारण आदि में गलती न करने वाला; शुद्ध।
अस्तंगत (सं.) [वि.] 1. डूबा हुआ; जो अस्त हो चुका 2. नष्ट 3. लुप्त; विलीन 4. अदृष्ट; ओझल।
अस्त (सं.) [वि.] 1. ओझल; अदृश्य 2. समाप्त 3. गत 4. डूबा हुआ 5. फेंका हुआ। [सं-पु.] 1. अंत; नाश 2. पतन; ह्रास 3. डूबना 4. वह जो ओझल या अदृश्य हो।
अस्तबल (अ.) [सं-पु.] घोड़ों के रहने की जगह; तबेला; घुड़साल; अश्वशाला।
अस्तमन (सं.) [सं-पु.] 1. समाप्ति; अंत होने की स्थिति 2. अस्त होने या डूबने की क्रिया या भाव; तिरोहण 3. बरबादी।
अस्तमित (सं.) [वि.] छिपा हुआ; तिरोहित; डूबा हुआ।
अस्तर (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिले हुए कपड़ों, जूतों आदि की भीतरी तह 2. इत्र बनाने का माध्यम; वह द्रव जिसमें अन्य सुगंधित द्रवों का मिश्रण तैयार किया जाता है 3. चित्र का आरंभिक प्रारूप तैयार करने का मसाला; नीचे का या आधारीय रंग।
अस्तरकारी (फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. दीवारों आदि पर पलस्तर करने की क्रिया 2. दीवारों पर चूने का लेप या सफ़ेदी करना।
अस्त-व्यस्त (सं.) [वि.] इधर-उधर बिखरा हुआ; क्रमहीन; तितर-बितर; बेतरतीब; अव्यवस्थित।
अस्ताचल (सं.) [सं-पु.] पश्चिम दिशा में स्थित वह कल्पित या मिथकीय पर्वत जिसके पीछे सूर्यास्त होना माना जाता है।
अस्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वर्तमान होने की अवस्था या भाव 2. सत्ता; विद्यमानता 3. 'नास्ति' का विलोम 4. (पुराण) जरासंध की पुत्री जिसका विवाह कंस से हुआ था।
अस्तित्व (सं.) [सं-पु.] 1. वजूद; होने का भाव 2. हस्ती; हैसियत 3. सत्ता; विद्यमानता; मौजूदगी; उपस्थिति। [मु.] -मिटा देना : नामोनिशान मिटा देना; न रहने देना; समाप्त कर देना।
अस्तित्ववाद (सं.) [सं-पु.] साहित्य-कला आदि में व्यवहृत एक विशेष दार्शनिक सिद्धांत जो मनुष्य के अस्तित्व को आकस्मिक उपज मानता है, क्षण को महत्व देता है और मृत्यु, संत्रास, कुंठा आदि के भीतर से ही उसके सही अर्थ की तलाश करता है।
अस्तित्वहीनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्तित्वहीन होने की अवस्था या भाव; अविद्यमानता; नामौजूदगी; सत्ताविहीनता 2. हस्ती या हैसियत में नगण्य।
अस्तु (सं.) [अव्य.] जो भी हो; ऐसा हो; ख़ैर।
अस्तुति (सं.) [सं-स्त्री.] स्तुति या प्रशंसा न करना।
अस्तेय (सं.) [सं-पु.] 1. चोरी न करने की क्रिया 2. योग के आठ अंगों में नियम नामक तीसरे अंग के अंतर्गत चोरी न करने का एक व्रत।
अस्तोदय (सं.) [सं-पु.] 1. उदय और अस्त होने की क्रिया 2. {ला-अ.} उत्थान-पतन; भाग्यचक्र।
अस्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. हथियार 2. फेंक कर चलाने वाला हथियार 3. धनुष-बाण 4. नश्तर।
अस्त्रधारी (सं.) [सं-पु.] अस्त्र धारण किया हुआ व्यक्ति; हथियारबंद; सैनिक। [वि.] जिसने अस्त्र धारण किया हो।
अस्त्रविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. हथियार चलाने या अस्त्र संचालन की विद्या 2. धनुर्विद्या।
अस्त्रवेद (सं.) [सं-पु.] धनुर्वेद।
अस्त्र-शस्त्र (सं.) [सं-पु.] 1. अस्त्र और शस्त्र दोनों 2. हरबा-हथियार।
अस्त्रशाला (सं.) [सं-स्त्री.] अस्त्र रखने का स्थान; अस्त्रागार।
अस्त्रशिक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] हथियार चलाने की शिक्षा।
अस्त्रागार (सं.) [सं-पु.] हथियार रखने का भंडार; अस्त्रशाला; अस्त्र-शस्त्रों का भंडार।
अस्त्रीकरण (सं.) [सं-पु.] अस्त्र-शस्त्र से युक्त करने की क्रिया या भाव।