Hin Dict_a45 - हिंदी शब्दकोश - अ45
अस्थमा (इं.) [सं-पु.] दमा की बीमारी।
अस्थानपदता (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का शब्द-दोष, जहाँ वाक्य में किसी पद का अपने उचित स्थान पर प्रयोग न होकर अन्यत्र होता है।
अस्थानांतरणीय (सं.) [वि.] 1. जिसका स्थानांतरण न होता हो (पद); स्थायी 2. (वस्तु) जिसे एक जगह से दूसरी जगह हटाया न जा सके।
अस्थायित्व (सं.) [सं-पु.] स्थिरता या टिकाऊपन का अभाव।
अस्थायी (सं.) [वि.] 1. जो सदा या अधिक समय तक क़ायम रहने वाला न हो; परिवर्तनशील 2. क्षणिक 3. अस्थिर 4. थोड़े समय के लिए ही नियुक्त (व्यक्ति)।
अस्थि (सं.) [सं-स्त्री.] हड्डी।
अस्थिचिकित्सा (सं.) [सं-स्त्री.] हड्डियों के रोग का इलाज।
अस्थिपंजर (सं.) [सं-पु.] हड्डियों का ढाँचा; कंकाल।
अस्थिभंग (सं.) [सं-पु.] हड्डी का टूट जाना।
अस्थिर (सं.) [वि.] 1. जो स्थिर न हो; डाँवाडोल; चंचल 2. अनिश्चित।
अस्थिरचित्त (सं.) [वि.] 1. जिसका मन चंचल हो 2. डाँवाडोल मनःस्थिति वाला 3. असमंजस में पड़ा हुआ; दुविधाग्रस्त; संशयग्रस्त।
अस्थिरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अस्थिर होने की अवस्था या भाव; परिवर्तनशीलता 2. अव्यवस्था; अराजकता।
अस्थिरमना (सं.) [वि.] 1 अस्थिर चित्त वाला; ढुलमुल; डाँवाडोल; चंचल; दुविधाग्रस्त; अनिश्चय का शिकार 2. जो भरोसा करने लायक न हो।
अस्थिरोग (सं.) [सं-पु.] हड्डियों की बीमारी।
अस्थिसंचय (सं.) [सं-पु.] 1. शवदाह के बाद गंगा या किसी अन्य पवित्र मानी जाने वाली नदी में प्रवाहित करने के लिए हड्डियाँ या राख एकत्र करना। 2. हड्डियों का ढेर।
अस्थिसंरचना (सं.) [सं-स्त्री.] हड्डियों की बनावट या ढाँचा।
अस्थूल (सं.) [वि.] जो स्थूल या मोटा न हो; सूक्ष्म।
अस्थैर्य (सं.) [सं-पु.] अस्थिरता; स्थिरता का अभाव।
अस्पताल (इं.) [सं-पु.] वह स्थान जहाँ रोगियों का इलाज किया जाता है; चिकित्सालय।
अस्पष्ट (सं.) [वि.] 1. जो साफ़ दिखाई न दे या समझ में न आए; धुँधला 2. उलझा हुआ; जटिल; दुरूह 3. गोलमोल; गड्डमड्ड।
अस्पृश्य (सं.) [वि.] 1. अछूत; जो छूने या स्पर्श करने के योग्य न हो 2. जिसका स्पर्श संभव न हो।
अस्पृश्यता (सं.) [सं-स्त्री.] छुआछूत; अछूतपन।
अस्पृष्ट (सं.) [वि.] अछूता; जो छुआ न गया हो।
अस्पृह (सं.) [वि.] 1. जिसे कोई कामना न हो; निष्काम 2. जिसे लोभ-लालच न हो; निर्लोभी।
अस्फुट (सं.) [वि.] 1. अस्पष्ट 2. अप्रकट 3. जो खिला न हो।
अस्फुट व्यंग्य (सं.) [सं-पु.] गुणीभूत व्यंग्य का एक भेद, जिसमें सहृदय जन भी व्यंग्यार्थ को आसानी से नहीं समझ पाते।
अस्मत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. निष्पाप और निष्कलुष बने रहने की स्थिति और प्रवृत्ति 2. स्त्री की इज़्ज़त 3. पतिव्रत; सतीत्व।
अस्मिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपने होने का भाव; अहंभाव 2. हस्ती; हैसियत; अपनी सत्ता की पहचान (पहली बार अज्ञेय द्वारा 'आइडेंटिटी' के लिए हिंदी शब्द 'अस्मिता' प्रयुक्त) 3. अहंता; अहंकार; अस्तित्व; विद्यमानता; मौजूदगी 4. (योगशास्त्र) पाँच प्रकार के क्लेशों में से एक।
अस्मितावादी (सं.) [वि.] पृथक एवं विशिष्ट सत्ता संबंधी सिद्धांत को मानने वाला; अस्मितावाद का समर्थक।
अस्वच्छ (सं.) [वि.] 1. जो स्वच्छ न हो; गंदा; दूषित 2. अपवित्र; प्रदूषित।
अस्वतंत्र (सं.) [वि.] जो स्वतंत्र न हो; परतंत्र; परवश; पराधीन।
अस्वस्थ (सं.) [वि.] 1. बीमार; रोगी 2. {ला-अ.} अनमना; असहज; अप्रकृतिस्थ जैसे- अस्वस्थ मानसिकता।
अस्वस्थता (सं.) [सं-स्त्री.] रुग्ण या अस्वस्थ होने की अवस्था; आरोग्य का अभाव; अनारोग्यता; रोगग्रस्तता।
अस्वाधीन (सं.) [वि.] जो स्वाधीन न हो; जो दूसरों के वश में हो; जिसपर स्वयं का नियंत्रण न हो।
अस्वाध्याय (सं.) [सं-पु.] वेदों की आवृत्ति के अंदर पड़ने वाला अवकाश या व्यवधान। [वि.] 1. जिसने वेदों की आवृत्ति न की हो 2. जिसने वेदों की आवृत्ति शुरु न की हो।
अस्वाभाविक (सं.) [वि.] 1. जो स्वाभाविक न हो; प्रकृति या स्वभाव के विरुद्ध 2. बनावटी; नकली।
अस्वामिक (सं.) [वि.] जिसका कोई स्वामी न हो; लावारिस; बिना मालिक का।
अस्वामिकता (सं.) [सं-स्त्री.] ऐसी स्थिति जिसमें कोई वस्तु मिलने पर उसका कोई स्वामी दिखाई नहीं दे।
अस्वामी (सं.) [वि.] 1. स्वामीहीन; स्वत्वहीन; जिसपर किसी का कोई अधिकार न हो 2. जिसपर किसी का दावा न हो।
अस्वास्थ्य (सं.) [सं-पु.] 1. अस्वस्थ होने की स्थिति 2. रोग; बीमारी।
अस्वास्थ्यप्रद (सं.) [वि.] स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने वाला; बीमार करने वाला।
अस्वीकरण (सं.) [सं-पु.] किसी वस्तु, बात आदि को स्वीकार न करने की क्रिया; अस्वीकार; इनकार।
अस्वीकार (सं.) [सं-पु.] 1. अस्वीकृति; इनकार; न मानना 2. न लेना।
अस्वीकार्य (सं.) [वि.] जो स्वीकार करने या ग्रहण करने योग्य न हो; अमान्य; अग्राह्य।
अस्वीकृत (सं.) [वि.] अस्वीकार किया हुआ; नामंजूर; ठुकराया हुआ।
अस्वेद (सं.) [सं-पु.] अस्वेदन।
अस्वेदन (सं.) [सं-पु.] पसीने का न निकलना; पसीना का न निकलने की समस्या (रोग)।
अस्सलाम (अ.) [सं-पु.] ख़ुदा आपको सलामत रखे- ऐसी दुआ; सलाम; नमस्कार; बंदगी।
अस्सी [वि.] संख्या '80' का सूचक।
अहं (सं.) [सर्व.] मैं। [सं-पु.] 1. स्वयं की सत्ता 2. औरों से भिन्न अपनी पृथक सत्ता का भान 3. अहंकार; घमंड; अहम्मन्यता।
अहंकार (सं.) [सं-पु.] 1. गर्व; घमंड; अकड़ 2. सांख्य दर्शन का एक तत्व 3. (वेदांत) अंतःकरण की पाँच वृत्तियों में से एक।
अहंकारग्रस्त (सं.) [वि.] अहम्मन्यता से भरा हुआ; घमंडी; अहंकारी।
अहंकारवश (सं.) [क्रि.वि.] अहंकार के चलते; अहंकार के वशीभूत होकर।
अहंकारी (सं.) [वि.] अहंकारग्रस्त; घमंडी; मगरूर; दंभी; अभिमानी।
अहंता (सं.) [सं-स्त्री.] गर्व, घमंड या अहंकार की दशा या भावना; स्वयं को औरों से अधिक योग्य या बढ़कर समझने का भाव; अकड़।
अहंमन्य (सं.) [वि.] स्वयं को अन्य से अधिक योग्य या बढ़कर समझने का भाव; घमंड; अकड़; अहंकृति।
अहंमन्यता (सं.) [सं-स्त्री.] अहंमन्य होने की अवस्था; घमंड का भाव; अहंता।
अहंवाद (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं को दूसरों से श्रेष्ठ समझने की भावना; घमंडीपन 2. व्यक्ति के अहं को ही सर्वोपरि मानने वाला सिद्धांत।
अहंवादी (सं.) [वि.] स्वयं को दूसरों से बदकर समझने वाला; अहंमन्य; घमंडी।
अहंस्फीत (सं.) [वि.] अपने स्वर को बढ़ाना या मोटा करना; स्वर हलका ऊँचा करना।
अहत (सं.) [वि.] 1. जो हत न हुआ हो; अनाहत; अक्षत 2. जो पीटा न गया हो 3. बिना धुला हुआ (कपड़ा); कोरा 4. स्वच्छ; बेदाग। [सं-पु.] पूर्णतः नया कपड़ा।
अहदनामा (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] इकरारनामा; प्रतिज्ञापत्र; शपथ-पत्र।
अहदी (अ.) [वि.] 1. जिसमें तत्परता न हो; आलसी; काहिल; ढीला 2. जो कोई काम न करे। [सं-पु.] 1. वह सैनिक जिससे असाधारण मौके पर ही काम लिया जाए 2. अकबर की सेना की एक श्रेणी 3. अकबरकालीन एक प्रकार के सिपाही जो ज़्यादा समय निठल्ले ही बैठे रहते थे।
अहम (अ.) [वि.] महत्वपूर्ण; बहुत ज़रूरी; मुख्य; जिसका कुछ विशेष महत्व हो; जिसकी उपयोगिता आदि मान्य हो; मुख्य।
अहमक (अ.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसमें बुद्धि न हो या कम हो; मूर्ख या बेवकूफ़ व्यक्ति। [वि.] जिसमें बुद्धि न हो या बहुत कम हो; नासमझ; नादान; अनाड़ी; मूर्ख; बेअक्ल।
अहमकाना (अ.) [वि.] मूर्खतापूर्ण; बेवकूफ़ी का।
अहमद (अ.) [वि.] 1. काबिले-तारीफ़; बहुत अधिक प्रशंसनीय 2. पुरअज़ीज़। [सं-पु.] हज़रत मुहम्मद का नाम।
अहमदी (अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमान; हज़रत मुहम्मद का अनुयायी 2. मुसलमानों में एक संप्रदाय।
अहमियत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. महत्व 2. गंभीरता; वजनदारी।
अहम्मन्य (सं.) [वि.] स्वयं को अन्य से अधिक योग्य या बढ़कर समझने वाला; घमंडी; अकड़वाला।
अहरणीय (सं.) [वि.] 1. जो हटाया न जा सके; जिसका हरण न हो सके 2. स्थिर; दृढ़।
अहरना (सं.) [क्रि-स.] लकड़ी को छील कर तथा रंदा मार कर सुडौल बनाना।
अहरा [सं-पु.] 1. आग जलाने के लिए गोबर से बने उपले या कंडे 2. कंडे की आग 3. प्याऊ 4. लोगों के ठहरने की जगह।
अहरिमन [सं-पु.] 1. पारसी जाति वालों में पाप और अंधकार का देवता 2. शैतान।
अहरी [सं-स्त्री.] 1. हौज 2. गड्ढा 3. प्याऊ 4. चरही।
अहर्निश (सं.) [क्रि.वि.] 1. हर एक पल; हर समय 2. लगातार; दिन-रात; आठों पहर 3. सदा; नित्य।
अहर्य (सं.) [वि.] 1. पूजनीय; आदरणीय 2. प्रशंसनीय 3. योग्य 4. अधिकारी; पात्र।
अहर्षित (सं.) [वि.] जो हर्षित न हो; अप्रसन्न; नाख़ुश।
अहल (अ.) [सं-पु.] 1. व्यक्ति; आदमी 2. मालिक 3. परिवार के लोग। [वि.] 1. मुख्य 2. लायक; योग्य।
अहलकार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] 1. कचहरी या कार्यालय आदि का कर्मचारी; कारिंदा; कार्यकर्ता 2. राजकर्मचारी।
अहलकारी (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] अहलकार का काम; कारिंदागिरी।
अहसान (अ.) [सं-पु.] 1. कृतज्ञता; निहोरा 2. भलाई या नेकी में किया गया उपकार 3. आभार।
अहसान-फ़रामोश (अ.+फ़ा.) [वि.] कृतघ्न; नमकहराम; किए गए उपकार को न मानने वाला; अहसान न मानने वाला।
अहसानमंद (अ.+फ़ा.) [वि.] 1. अपने पर किए गए उपकार या अहसान को मानने वाला 2. कृतज्ञ; आभारी।
अहसास (अ.) [सं-पु.] 1. अनुभव; प्रतीति; संवेदन 2. ध्यान; ख़याल।
अहस्त (सं.) [वि.] जिसका हाथ कट गया हो; बिना हाथवाला; हस्तरहित।
अहस्तक्षेप-नीति (सं.) [सं-स्त्री.] देश के आर्थिक मामलों में राज्य को बिलकुल हस्तक्षेप न करने देने का अर्थशास्त्रीय सिद्धांत; निजीकरण की बाज़ार-नीति; (लैसा-फ़ेयर)।
अहस्तांतरकरणीय (सं.) [वि.] जिसका मालिकाना न बदला जा सके; जिसके अधिकार का हस्तांतरण न किया जा सके; अहरणीय; (इनएलायइनेबल)।
अहस्तांतरणीय (सं.) [वि.] जिसका हस्तांतरण संभव न हो; जो हस्तांतरित न किया जा सके; (नॉन-ट्रांसफ़रेबल)।
अहस्पति (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य; दिवसपति 2. मदार।
अहा (सं.) [अव्य.] 1. हर्ष और विस्मय सूचक उद्गार 2. प्रसन्नता, आह्लाद आदि का सूचक शब्द।
अहाता (अ.) [सं-पु.] 1. दीवार आदि से घिरा हुआ स्थान; घेरा; बाड़ा 2. रक्षा के लिए चारों ओर बनाई हुई दीवार; परकोटा; चारदीवारी।
अहार्य (सं.) [वि.] 1. जिसका हरण न हो सके; जो चुराया न जा सके 2. जिसे चकमा देकर या धन आदि का लालच देकर वश में न किया जा सके 3. जो ढुलमुल न हो; दृढ़।
अहिंसक (सं.) [वि.] 1. जो हिंसा न करता हो; जो हिंसा में विश्वास न करता हो 2. करुणामय; दयालु।
अहिंसा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी भी प्राणी को किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट न देना 2. (योगशास्त्र) पाँच प्रकार के यमों में पहला 3. जैन तथा बौद्ध धर्मों में आचार तथा धर्म संबंधी प्रमुख सिद्धांत।
अहिंसावादी (सं.) [वि.] 1. अहिंसा में विश्वास करने वाला 2. मन-वचन-कर्म से किसी को दुख न पहुँचाने वाला।
अहिका (सं.) [सं-स्त्री.] सेमल; शाल्मली; सेमल का वृक्ष।
अहित (सं.) [सं-पु.] 1. बुराई; अपकार 2. हानि; क्षति; नुक़सान।
अहितकारी (सं.) [वि.] हानि या नुकसान करने वाला; हानिकारक; अनिष्टकारी।
अहिनाथ (सं.) [सं-पु.] सर्पराज; शेषनाग।
अहिपति (सं.) [सं-पु.] 1. सर्पराज; वासुकि 2. कोई बड़ा साँप।
अहिफेन (सं.) [सं-पु.] 1. साँप की लार; नागझाग; सर्पफेण 2. पोस्त के डोडे का गोंद जो कड़वा, मादक और विषाक्त होता है; अफ़ीम।
अहिम (सं.) [वि.] जो ठंडा (हिम) न हो; गरम।
अहिमांशु (सं.) [सं-पु.] जिसकी किरण शीतल न हो; सूर्य।
अहिमान [सं-पु.] चाक का वह गड्ढा जिसके सहारे चाक कील पर रखा जाता है।
अहिल्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक मिथकीय चरित्र जो गौतम ऋषि की पत्नी थी और उन्हीं के शाप से पत्थर बन गई थी। [वि.] अहल्या; कठिनाई से जोती जाने वाली भूमि; वह भूमि जिसमें हल न चल सके या जो जोती न जा सके।
अहिवर [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) दोहे का एक भेद जिसमें पाँच गुरु तथा अड़तीस लघु मात्राएँ होती हैं।
अहिवात [सं-पु.] सुहाग; सधवा होने का भाव; सौभाग्यवती।
अहिवातिन [सं-स्त्री.] अहिवाती; सुहागन; सधवा।
अहिवाती [वि.] सधवा; सुहागन; सौभाग्यवती।
अहीक (सं.) [सं-पु.] (बौद्ध धर्म) दस प्रकार के क्लेशों में से एक।
अहीन (सं.) [सं-पु.] 1. वासुकि 2. बहुत बड़ा साँप 3. बहुत दिनों तक चलने वाला विशेष यज्ञ। [वि.] 1. समग्र; समूचा 2. लंबे समय तक टिकने वाला; अक्षुण्ण 3. जो हीन या नीच न हो; श्रेष्ठ।
अहीर (सं.) [सं-पु.] ग्वाला; आभीर; घोष; गोप।
अहीरिन (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ग्वालन; अहीर जाति की स्त्री 2. दूध-दही बेचने वाली स्त्री।
अहीरी [सं-स्त्री.] 1. (संगीत) एक रागिनी; आभीरी 2. ग्वालिन। [वि.] अहीरों जैसा; अहीर संबंधी।
अहीश (सं.) [सं-पु.] 1. लक्ष्मण 2. बलराम 3. सर्पराज।
अहुत (सं.) [सं-पु.] वेदाध्ययन; ध्यान; स्तुति। [वि.] 1. जिसकी आहुति न की गई हो 2. जिसे नैवेद्य न मिला हो।
अहुरमज़्द (पह.) [सं-पु.] पारसी मतानुसार धर्म, नेकी और प्रकाश का देवता।
अहेतु (सं.) [सं-पु.] 1. अर्थालंकार का एक भेद, जहाँ कारणों के विद्यमान होने के बावजूद कार्य संपन्न नहीं होता 2. हेतु का अभाव। [वि.] हेतु रहित।
अहेतुक (सं.) [वि.] अकारण; हेतुरहित।
अहेर (सं.) [सं-पु.] आखेट; शिकार; मृगया।
अहेरिया [सं-पु.] बहेलिया; शिकारी।
अहेरी (सं.) [सं-पु.] आखेटक; शिकार करने वाला। [वि.] शिकारी।
अहोई [सं-स्त्री.] 1. पुत्रवती स्त्रियों द्वारा अपने पुत्रों के सुख-स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाने वाला व्रत 2. यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को किया जाता है।
अहोक [सं-पु.] असम राज्य की एक प्राचीन जाति।
अहोभाव (सं.) [सं-पु.] आश्चर्य बोधक भाव।
अहोरात्र (सं.) [क्रि.वि.] हर एक पल; हर समय; हमेशा; सदा; नित्य। [सं-पु.] दिन और रात।
अहोरा-बहोरा [सं-पु.] शादी या गौने में दुल्हन का ससुराल जाकर उसी रोज़ वापस आना। [अव्य.] बार-बार।
अहोरिन [सं-स्त्री.] एक प्रकार की चिड़िया।