आत्मकथा (सं.) [सं-स्त्री.] अपने जीवन की इतिवृत्तात्मक कहानी; स्वलिखित जीवनचरित।
आत्मकथात्मक (सं.) [वि.] 1. आत्मकथा की शैली में लिखा हुआ; आत्मचरितात्मक 2. आत्मपरक; आपबीती संबंधित।
आत्मकथ्य (सं.) [सं-पु.] 1. अपने संबंध में कही गई बात 2. वह बात जो स्वयं के अनुभव पर आधारित हो।
आत्मकेंद्रित (सं.) [वि.] जो अपने को सर्वोपरि महत्व दे; जो हर बात में अपने को ही केंद्र में रखे।
आत्मगत (सं.) [वि.] मन के भीतर का; स्वगत; अपने से संबंधित; अपने आप में होने वाला; अपने मन में उत्पन्न।
आत्मगौरव (सं.) [सं-पु.] अपनी प्रतिष्ठा या सम्मान का ख़याल रखने का भाव; आत्मसम्मान; स्वाभिमान।
आत्मग्रस्त (सं.) [वि.] स्वयं द्वारा ग्रसित; स्वयं के भाव में जकड़ा हुआ; स्वयं से आक्रांत।
आत्मग्लानि (सं.) [सं-स्त्री.] किसी अनुचित कार्य को करने के बाद स्वयं पर होने वाला पश्चाताप; पछतावा; खेद।
आत्मघातक (सं.) [वि.] आत्मघात या आत्महत्या करने वाला।
आत्मघाती (सं.) [वि.] 1. किसी निश्चित उद्देश्य की पूर्ति हेतु अपनी हत्या का संकल्प करने वाला 2. स्वयं की क्षति (हानि) का उपक्रम करने वाला।
आत्मचरित (सं.) [सं-पु.] स्वलिखित जीवन चरित्र; आत्म-वृत्त; आत्मकथा; (ऑटोबायोग्राफ़ी)।
आत्मचर्चा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ख़ुद की चर्चा; ख़ुद का उल्लेख 2. आत्मप्रशंसा।
आत्मचिंतन (सं.) [सं-पु.] अपने बारे में या अपनी भूमिका के बारे में सोचना; बाहरी दुनिया से कट कर मन और आत्मा के बारे में चिंतन।
आत्मचेतना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. दर्शन और मनोविज्ञान की एक साझा अवधारणा 2. आत्मानुभूति से संबंध रखने वाला ज्ञान।
आत्मज (सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा; लड़का 2. कामदेव। [वि.] 1. अपने से उत्पन्न 2. अपने द्वारा उत्पन्न किया हुआ।
आत्मज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान 2. ब्रह्मज्ञान 3. अपने बारे में या अपनी आत्मा का ज्ञान।
आत्मज्ञानी (सं.) [वि.] आत्मा-परमात्मा संबंधी ज्ञान रखने वाला। [सं-पु.] वह व्यक्ति जिसे आत्मज्ञान या आत्मसाक्षात्कार हुआ हो; ब्रह्मज्ञानी।
आत्मतुष्टि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वतुष्टि; आत्मसंतुष्टि; आत्मसंतोष 2. मनचाहा कार्य होने पर प्राप्त संतोष।
आत्मतोष (सं.) [सं-पु.] आत्मसंतुष्टि; आत्मिक संतुष्टि।
आत्मत्याग (सं.) [सं-पु.] किसी अच्छे काम या पर-हित के लिए किया गया स्वार्थ-त्याग।
आत्मदमन (सं.) [सं-पु.] ख़ुद को कष्ट या पीड़ा देने की क्रिया; आत्मपीड़न।
आत्मदर्शी (सं.) [वि.] स्वयं को देखने और समझने वाला; आत्मसाक्षात्कार करने वाला।
आत्मदान (सं.) [सं-पु.] आत्मत्याग; दूसरों के हित के लिए अपना स्वार्थ त्यागना।
आत्मदाह (सं.) [सं-पु.] ख़ुद को जलाकर मार डालने की क्रिया।
आत्मनियंत्रण (सं.) [सं-पु.] अपनी इच्छाओं और व्यवहार पर नियंत्रण करना; आत्मानुशासन।
आत्मनिर्णय (सं.) [सं-पु.] स्वयं के द्वारा लिया गया निर्णय; अपना निर्णय; अपनी अंतरात्मा द्वारा लिया गया फ़ैसला।
आत्मनिर्भर (सं.) [वि.] स्वयं पर निर्भर (आधारित); अपने पैरों पर खड़े रहना; किसी दूसरे पर निर्भर न रहना।
आत्मनिर्भरता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आत्मावलंबन 2. आत्मविश्वास 3. अपने बूते पर जीवन-यापन करना।
आत्मनिष्ठ (सं.) [वि.] 1. आत्मनिर्भर 2. आत्मविश्वासी 3. स्वयं में निष्ठा रखने वाला।
आत्मनिष्ठा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. स्वयं में निष्ठा 2. आत्मविश्वास 3. आत्मनिर्भरता।
आत्मपरक (सं.) [वि.] 1. स्वयं पर केंद्रित; आत्मकेंद्रित 2. स्वयं के अनुकूल।
आत्मपीड़न (सं.) [सं-पु.] अपने को कष्ट देना; ख़ुद को पीड़ा पहुँचा कर संतुष्ट होना; आत्मदमन।
आत्मपोषण (सं.) [सं-पु.] 1. अपना हित-साधन; दूसरों की परवाह न करते हुए ख़ुद का भला करना 2. ख़ुद का खयाल रखना।
आत्मप्रदर्शन (सं.) [सं-पु.] 1. अपने गुणों और कर्मों का प्रदर्शन करने की क्रिया 2. स्वयं को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना।
आत्मप्रधान (सं.) [वि.] जो आत्मा से संबंध रखता हो।
आत्मप्रशंसा (सं.) [सं-स्त्री.] अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करना; आत्मश्लाघा।
आत्मबल (सं.) [सं-पु.] आत्मा या मन का बल; आत्मिक शक्ति।
आत्मबलि [सं-स्त्री.] महान उद्देश्य के लिए अपने प्राण दे देना।
आत्मबलिदान (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं का बलिदान; आत्मोत्सर्ग 2. किसी महान उद्देश्य की प्राप्ति हेतु अपने प्राण दे देना।
आत्मबोध (सं.) [सं-पु.] 1. अपना ज्ञान; निजत्व की जानकारी 2. आत्मा और परमात्मा का ज्ञान; ब्रह्म का ज्ञान।
आत्मभू (सं.) [सं-पु.] 1. पुत्र; बेटा 2. कामदेव। [वि.] 1. अपने शरीर से उत्पन्न होने वाला 2. जो स्वतः उपन्न हो; स्वयंभू।
आत्ममंथन (सं.) [सं-पु.] स्व-विश्लेषण; अंतःकरण में अनेक वृत्तियों तथा भावों का एक साथ मंथन; किसी विषय पर गहनता से विचार।
आत्ममुग्ध (सं.) [वि.] जो अपनी ही सुंदरता या गुणों से अभिभूत हो; ख़ुद पर इतराने वाला।