आत्मरति (सं.) [सं-स्त्री.] अपने में रमना; स्वयं से अतिशय लगाव; आत्मानंद; आत्मप्रेम।
आत्मलीन (सं.) [वि.] 1. अपने में मग्न; अपने में खोए रहना 2. आत्मकेंद्रित।
आत्मलोप (सं.) [सं-पु.] 1. स्वयं का अस्तित्व किसी और में विलीन कर देना 2. ब्रह्म जिज्ञासा में स्वयं (अहं) का ध्यान न होना 3. अहंकारहीन।
आत्मवंचना (सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं को छलना; स्वयं के साथ ठगी या धोखा; स्वयं को भ्रम में रखना।
आत्मवत्ता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अपनी सत्ता 2. अपनी सत्ता की अनुभूति 3. अपनी सत्ता का इज़हार।
आत्मवाद (सं.) [सं-पु.] वह विचारधारा या मत जो आत्मा के अस्तित्व को मानता है; अध्यात्मवाद।
आत्मविकास (सं.) [सं-पु.] स्वयं का विकास; स्वयं के गुणों का विकास।
आत्मविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] ब्रह्मविद्या; अध्यात्मविद्या; आत्मा और परमात्मा का ज्ञान कराने वाली विद्या।
आत्मविभोर (सं.) [वि.] जो अपनी ही सुंदरता या गुणों से अभिभूत हो; आत्ममुग्ध।
आत्मविश्लेषण (सं.) [सं-पु.] अपने विषय में सभी पक्षों पर चिंतन; अपने चरित्र की स्वयं जाँच करना; आत्म निरीक्षण।
आत्मविश्वास (सं.) [सं-पु.] 1. ख़ुद पर भरोसा; अपना मनोबल 2. अपनी ताकत और काबिलियत पर विश्वास; आत्मनिष्ठा।
आत्मविश्वासी (सं.) [वि.] ख़ुद पर भरोसा करने वाला; मनोबल का पक्का।
आत्मविस्तार (सं.) [सं-पु.] 1. अपनी सोच-समझ और संवेदना का विस्तार 2. ख़ुद के हितों से उबर कर पर-हित के बारे में सोचना।
आत्मविस्मृत (सं.) [वि.] 1. ख़ुद को भूला हुआ 2. ज़रूरी कामों में खोया हुआ।
आत्मविस्मृति (सं.) [सं-स्त्री.] अपने को भूल जाना; किसी फँसाव के चलते ख़ुद का ध्यान न रखना; बेख़ुदी।
आत्मवेदना (सं.) [सं-स्त्री.] मन की पीड़ा; मन की कसक; अंदरूनी कचोट।
आत्मव्यंग्य (सं.) [सं-पु.] स्वयं पर व्यंग्य; ख़ुद पर कटाक्ष; स्वयं को केंद्र में रख कर किया गया व्यंग्य।
आत्मशक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] आत्मबल; आत्मिक बल।
आत्मशुद्धि (सं.) [सं-स्त्री.] आत्मसंस्कार; स्वयं के द्वारा किया जाने वाला संस्कार या सुधार।
आत्मश्लाघा (सं.) [सं-स्त्री.] आत्मप्रशंसा; अपनी प्रशंसा ख़ुद करना।
आत्मसंतुष्ट (सं.) [वि.] 1. अपने काम, व्यवहार या उपलब्धियों से संतुष्ट 2. दूसरों की बातों की परवाह न करते हुए अपनी नज़र में सफल।
आत्मसंतोष (सं.) [सं-पु.] आत्मतृप्ति; आत्मसंतुष्टि।
आत्मसंतोषी (सं.) [सं-पु.] 1. अपने काम, व्यवहार या उपलब्धियों से संतुष्ट; आत्मसंतुष्ट 2. दूसरों की बातों की परवाह न करते हुए अपनी नज़र में सफल।
आत्मसंयम (सं.) [सं-पु.] अपनी इच्छाओं या आकांक्षाओं पर नियंत्रण करने की क्रिया; आत्मनियंत्रण; आत्मानुशासन।
आत्मसजगता (सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं जागरूक रहने का भाव; स्वयं के प्रति सावधान होने का भाव।
आत्मसमर्पण (सं.) [सं-पु.] 1. ईश्वर की भक्ति में अपने को समर्पित कर देना 2. किसी अपराधी का अपने को कानून के हवाले कर देना।
आत्मसमीक्षा (सं.) [सं-स्त्री.] अपनी समीक्षा; स्वयं के गुण-दोषों का आकलन; आत्मालोचना।
आत्मसम्मान (सं.) [सं-पु.] स्वाभिमान; आत्माभिमान; आत्मगौरव; निजी सम्मान; अपने प्रति सम्मान।
आत्मसात (सं.) [वि.] अपने अधिकार में लिया गया; अपने में लीन या समाहित किया हुआ।
आत्मसापेक्ष (सं.) [वि.] अपने से संबद्ध; स्वयं के विचार से संबद्ध।
आत्मसुख (सं.) [सं-पु.] किसी काम को करने से ख़ुद को मिलने वाला सुख; आत्मतृप्ति।
आत्मस्थ (सं.) [वि.] आत्मा में स्थित; स्वयं के मन में स्थित (विचार)।
आत्मस्वरूप (सं.) [सं-पु.] आत्मा का वास्तविक रूप।
आत्महंता (सं.) [वि.] अपनी हत्या करने वाला; आत्मघाती। [सं-पु.] अपनी हत्या करने वाला व्यक्ति।
आत्महत्या (सं.) [सं-स्त्री.] स्वयं के द्वारा जीवन समाप्त कर देने का कार्य; ख़ुदकुशी; आत्मघात।