ऊँघ (सं.) [सं-स्त्री.] उँघाई; नींद आने जैसी तंद्रायुक्त अवस्था (ऊँघने की क्रिया) में होना; झपकी।
ऊँघना [क्रि-अ.] 1. झपकी लेना; उनींदा होना; नींद में झूमना 2. {ला-अ.} ढिलाई से काम करना।
ऊँच-नीच (सं.) [सं-पु.] भला-बुरा; उचित-अनुचित, जैसे- सँभलकर रहो, कहीं कुछ ऊँच-नीच न हो जाए, या पिता ने पुत्र को व्यापार का सारा ऊँच-नीच समझा दिया।
ऊँचा (सं.) [वि.] 1. सामान्य से उन्नत; ऊपर उठा हुआ; वह जो दूर तक ऊपर की ओर गया हो 2. उठा हुआ; उन्नत 3. बुलंद 4. लंबा 5. पद, अधिकार, मान आदि के विचार से औरों से बढ़ा हुआ 6. उत्तम; श्रेष्ठ 7. उदात्त 8. ज़ोर का या तीव्र स्वर 9. संपन्न और प्रतिष्ठित।
ऊँचाई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उच्चता; बुलंदी 2. {ला-अ.} बड़ाई; बड़प्पन 3. {ला-अ.} गौरव।
ऊँचा-नीचा [वि.] 1. जो समतल न हो बल्कि कहीं ऊँचा और कहीं नीचा हो; ऊबड़-खाबड़ 2. हानि-लाभ या भले-बुरे से युक्त; ऊँच-नीच 3. खरा-खोटा।
ऊँचे [क्रि.वि.] ऊँचाई पर; ऊपर की ओर। [मु.] -नीचे पैर पड़ना : गलत काम में पड़ना; भ्रष्ट होना।
ऊँछना [क्रि-स.] बाल सुलझाना; बालों में कंघी करना; बाल सँवारना; ओंछना।
ऊँट (सं.) [सं-पु.] 1. उष्ट्र; रेगिस्तान में बहुतायत से पाया जाने वाला जानवर जो वहाँ आसानी से दौड़ सकता है 2. रेगिस्तान में सवारी करने या बोझा ढोने के काम में लिया जाने वाला पशु; रेगिस्तानी जहाज़; शुतुर।
ऊँटनी [सं-स्त्री.] मादा ऊँट।
ऊँटवान [वि.] वह व्यक्ति जो ऊँट चलाता हो।
ऊँहूँ [क्रि.वि.] दे. उहूँ।
ऊकारांत [वि.] जिस शब्द के अंत में 'ऊ' ध्वनि हो, जैसे- भालू, चाकू आदि।
ऊख (सं.) [सं-पु.] घास या सरकंडे की प्रजाति का एक पौधा जिसके रस से गुड़ और चीनी बनाई जाती है; ईख; गन्ना।
ऊखल (सं.) [सं-पु.] पत्थर, काठ आदि का बना एक पात्र जिसमें धान आदि मूसल से कूटते हैं; ओखली; उलूखल। [मु.] -में सिर देना : जानबूझकर किसी परेशानी या जोखिम के काम में पड़ना।
ऊजड़ [वि.] वीरान; निर्जन; उजड़ा हुआ।
ऊटपटाँग [वि.] 1. असंगत; बेतुका 2. अटपटा; टेढ़ा-मेढ़ा; बेढंगा; बेमेल 3. उलटा-पुलटा; अनाप-शनाप; ऊल-जलूल 4. निरर्थक; व्यर्थ का 5. क्रमहीन 6. बे सिर-पैर का।
ऊड़ी [सं-स्त्री.] 1. पनडुब्बी नामक चिड़िया 2. एक प्रकार की चरखी; तकुआ जो सूत कातने के काम आता है।
ऊढ़ (सं.) [वि.] जिसका विवाह हुआ हो।
ऊढ़ा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विवाहित स्त्री; विवाहिता 2. (साहित्य) वह नायिका जो पर-पुरुष से प्रेम करती है; परकीया नायिका।
ऊत (सं.) [वि.] 1. संतानहीन; पुत्रहीन 2. मूढ़; उजड्ड; मूर्ख।
ऊतक (सं.) [सं-पु.] (जीवविज्ञान) वनस्पतियों या जंतुओं के शरीर में एक ही प्रकार की संरचना और कार्य करने वाली कोशिकाओं का समूह; (टिशू)।
ऊतकविज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. (जीवविज्ञान) कोशिकाओं और ऊतकों की सूक्ष्म रचना, कार्य तथा प्रकार आदि का अध्ययन करने वाला विज्ञान; औतिकी; (हिस्टोलॉजी)।
ऊति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बुनाई; सिलाई; सीने-पिरोने का काम 2. सिलाई का पारिश्रमिक 3. बुनावट 4. सहायता 5. अभिलाषा; इच्छा 6. रक्षा; हिफ़ाज़त 7. उन्नति 8. आनंद।
ऊद (अ.) [सं-पु.] 1. अगर नामक वृक्ष 2. उक्त वृक्ष की सुगंधित लकड़ी 2. एक वाद्य जिसे बरबत भी कहते हैं।
ऊदबिलाव (सं.) [सं-पु.] 1. जल में रहने वाला बिल्ली के आकार का एक प्राणी, यह नदी, झील और समुद्र के किनारे पर छोटी-सी माँद बनाकर रहता है; जलमार्जार 2. {ला-अ.} बुद्धू; मूर्ख।
ऊदल [सं-पु.] 1. आल्हाखंड के अनुसार महोबा राज्य के राजा परमाल का एक वीर सेनापति जो वीर आल्हा का छोटा भाई था; उदय सिंह का लोकप्रिय नाम 2. एक प्रकार का पहाड़ी वृक्ष।
ऊदा (सं.) [सं-पु.] 1. बैंगनी रंग 2. बैंगनी रंग का घोड़ा। [वि.] ललाई लिए हुए बैंगनी या काले रंग का; जामुनी (जामुन के रंग जैसा)।
ऊधम (सं.) [सं-पु.] 1. हो-हल्ला; शोरगुल; धूम 2. बच्चों का उत्पात; उपद्रव 3. शरारत; हुल्लड़।
ऊधो (सं.) [सं-पु.] उद्धव; कृष्ण के एक सखा जो गोपियों को निर्गुण ब्रह्म का ज्ञान देने के लिए मथुरा से गोकुल भेजे गए थे।
ऊन (सं.) [सं-पु.] 1. भेड़ व अन्य जानवरों के कोमल बालों से तैयार एक प्रकार का धागा, जिससे गरम कपड़े तैयार किए जाते हैं 2. पशुओं के शरीर के नरम बाल; रोम। [वि.] 1. न्यून; छोटा 2. घटिया; कमतर; बुरा।
ऊनता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. न्यूनता; कमी; त्रुटि 2. घाटा 3. अभाव।
ऊना [वि.] 1. कम; थोड़ा; न्यून 2. अपूर्ण; अधूरा 3. हीन; तुच्छ।
ऊनी [वि.] 1. ऊन से बना हुआ, जैसे- ऊनी कंबल 2. ऊन के धागे का बुना हुआ, जैसे- ऊनी स्वेटर।
ऊपर (सं.) [क्रि.वि.] 1. आकाश की ओर; ऊर्ध्व दिशा में 2. ऊँचे स्थान पर; ऊँचाई पर 3. पद, मर्यादा आदि के विचार से उच्च स्थिति 4. अधिक; ज़्यादा, जैसे- इस वस्तु का पाँच रुपए से ऊपर एक पैसा नहीं मिलेगा। 5. अतिरिक्त; सिवा, जैसे- सौ के ऊपर ग्यारह रुपए और दो 6. स्थान या स्थिति, जैसे- मेज़ के ऊपर रखी किताब 7. उत्तरदायित्व के रूप में, जैसे- तुम्हारे ऊपर पढ़ाई का दबाव है 8. वस्तु या व्यक्ति का बाहरी रूप, जैसे- ऊपर से सब अच्छे लगते हैं। [मु.] -उठना : विकास या तरक्की करना। -चढ़ाना : उन्नति कराना; सम्मान देना; झूठी बड़ाई करके किसी को मूर्ख बनाना। -लेना : जिम्मेदारी लेना। -होना : पद या अधिकार में बड़ा होना।
ऊपर-नीचे [क्रि.वि.] 1. परस्पर ऊपर और नीचे की स्थिति 2. आगे-पीछे पैदा हुए 3. ऊपर-तले; एक के पीछे एक।
ऊपरी [वि.] 1. ऊपर का 2. बाहर का; बाहरी 3. औपचारिक; दिखावे का, जैसे- ऊपरी शिष्टाचार 4. सतही; अगंभीर। [मु.] -माल या आमदनी : मासिक वेतन के अलावा अतिरिक्त आय; बेईमानी या रिश्वत से अर्जित की गई आय।