ऊबड़-खाबड़ [वि.] 1. ऊँचा-नीचा; जो समतल न हो; असमान 2. अटपटा।
ऊबना (सं.) [क्रि-अ.] 1. उकताना; बोर होना 2. मन न लगना।
ऊभ-चूभ [सं-स्त्री.] 1. जल में डूबना-उतराना 2. {ला-अ.} आशा और निराशा की अवस्था या भाव।
ऊभासाँसी [सं-स्त्री.] 1. ठीक प्रकार से साँस न आने की अवस्था या भाव; दम घुटना 2. घबराहट; बेचैनी; विकलता।
ऊरुवा (सं.) [सं-पु.] उल्लू की जाति की एक प्रकार की चिड़िया; रुरुआ।
ऊर्जमान (सं.) [सं-पु.] ऊर्जा नापने का मानक; (वोल्टेज)।
ऊर्जस्वित (सं.) [वि.] 1. ऊर्जा से युक्त या संपन्न; ऊर्जस्वल; ऊर्जावान 2. तेजस्वी।
ऊर्जस्वी (सं.) [वि.] 1. तेजस्वी; शक्तिशाली 2. श्रेष्ठ 3. जिसमें यथेष्ट ऊर्जा हो 4. प्रतापी।
ऊर्जा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह शक्ति जो किसी प्राणी या वस्तु को संचलन की क्षमता देती है 2. प्राणियों की वह शक्ति जो किसी भी प्रकार का काम करने में व्यय होती है 3. सूर्य, जल, परमाणु विखंडन आदि अनेक स्रोतों से प्राप्त वह शक्ति जो घरेलू उपकरणों से लेकर बड़े-बड़े कल-कारखानों को चलाती है; (एनर्जी) 4. बल; जोश 5. {ला-अ.} प्रेरक शक्ति।
ऊर्जायुक्त (सं.) [वि.] 1. जिसमें ऊर्जा हो; ऊर्जस्वी 2. शक्ति या बल से युक्त 3. सामर्थ्यवान; सक्षम।
ऊर्ण (सं.) [सं-पु.] 1. ऊन 2. ऊनी वस्त्र।
ऊर्णनाभ (सं.) [सं-पु.] मकड़ा।
ऊर्णा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊन 2. भौंहों के मध्य बालों की भौंरी।
ऊर्ध्व (सं.) [सं-पु.] ऊपर की ओर गया हुआ। [सं-स्त्री.] 1. ठीक सिर के ऊपर की दिशा 2. संगीत में एक प्रकार की ताल। [वि.] 1. सीधा ऊपर की ओर गया हुआ; उदग्र; (वर्टिकल) 2. ऊँचा। [अव्य.] ऊपर की ओर; ऊपर।
ऊर्ध्वग (सं.) [वि.] 1. ऊपर की ओर जाने वाला; ऊर्ध्वगामी 2. {ला-अ.} उत्थानशील 3. {व्यं-अ.} स्वर्ग जाने वाला।
ऊर्ध्वगति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. जो गति ऊपर की ओर ले जाती हो 2. {ला-अ.} वृद्धि की ओर जाना 3. {ला-अ.} मुक्ति; मोक्ष।
ऊर्ध्वगामी (सं.) [वि.] 1. ऊपर की ओर जाने वाला; ऊर्ध्वग 2. जिसने आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति की हो 3. जो मुक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा हो 4. {ला-अ.} विकासोन्मुख; उत्थानशील।
ऊर्ध्वरेता (सं.) [वि.] 1. कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला; निष्ठावान ब्रह्मचारी 2. वीर्यपात न होने देने वाला। [सं-पु.] योगी।
ऊर्ध्वलोक (सं.) [सं-पु.] 1. धरती के ऊपर स्थित लोक 2. आकाश; नभ; गगन।
ऊर्ध्वश्वास (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर की ओर चढ़ने वाली साँस; उलटी साँस 2. मरने या दम फूलने के समय श्वास की वह गति जो अधिकतर ऊपर की ओर होती है।
ऊर्ध्वांग (सं.) [सं-पु.] 1. शरीर का ऊपरी भाग या अंग 2. किसी भी वस्तु या प्राणी का ऊपरी भाग या अंग 3. मस्तक; सिर।
ऊर्ध्वायन (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर की ओर जाना; उड़ना 2. परलोक या स्वर्ग की ओर गमन।
ऊर्ध्वारोहण (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर चढ़ना 2. {ला-अ.} मरने के बाद स्वर्ग जाना; मृत्यु।
ऊर्मि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तरंग; हलकी लहर 2. प्रवाह 3. वेग 4. प्रकाश की रश्मि।
ऊर्मिल (सं.) [वि.] 1. लहरों से युक्त 2. जिसमें छोटी-छोटी तरंगें या लहरें उठती हों; तरंगित।
ऊर्विका (सं.) [सं-स्त्री.] (शरीर रचना विज्ञान) जाँघ की मोटी और चौड़ी हड्डी; (फ़ीमर)।
ऊल-जलूल [ वि.] 1. अंडबंड; बे सिर-पैर का; वाहियात; मूर्खतापूर्ण; बेहूदा 2. असंबद्ध।
ऊषा (सं.) [सं-स्त्री.] सूर्य निकलने के पहले का समय जब सूर्य की लाली दिखाई देती है; प्रभात; तड़का; पौ फटने का समय।
ऊषाकाल (सं.) [सं-पु.] प्रभात; भोर।
ऊष्म (सं.) [वि.] गरम। [सं-पु.] 1. गरमी; ग्रीष्म ऋतु 2. वाष्प; भाप।
ऊष्मवर्ण (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) 'श', 'ष', 'स' तथा 'ह' के प्रतीक लिपि चिह्न या वर्ण।
ऊष्मा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊष्म या गरम होने की अवस्था; तपन; गरमी 2. ताप; ऊर्जा 3. गरमी का मौसम; गरमी के दिन 4. भाप।
ऊष्मासह (सं.) [वि.] जिस पदार्थ पर ताप या ऊष्मा का कोई प्रभाव न पड़ता हो; (हीटप्रूफ़)।
ऊसर (सं.) [सं-पु.] 1. बंजर; जो ज़मीन उपजाऊ न हो 2. रेह अर्थात क्षार मिली हुई मिट्टी की मात्रा अधिक रहने के कारण जिस भूमि में पेड़-पौधे नहीं उगते। [वि.] ऐसी भूमि या क्षेत्र जिसमें कुछ पैदा या उत्पन्न न हो, जैसे- ऊसर खेत।
ऊह (सं.) [विस्म.] ओह, आह या उफ़ की तरह कष्ट या पीड़ासूचक शब्द। [सं-पु.] 1. (तर्कशास्त्र) तर्क या अनुमान का एक प्रकार 2. समझ; युक्ति।
ऊहन (सं.) [सं-पु.] 1. तर्क-वितर्क करना; ऊह करना 2. परिवर्तित करना; बदलना 3. सुधार या परिष्कार करना।
ऊहा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. तर्क-वितर्क 2. कल्पना; अनुमान 3. काव्य में विरह का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन।
ऊहापोह (सं.) [सं-पु.] 1. आंतरिक तर्क-वितर्क 2. द्वंद्व की स्थिति; असमंजस; दुविधा; अनिश्चतता की दशा में मन में होने वाली हलचल।