उन्मत्तक (सं.) [वि.] वह जो नशे में चूर हो; मतवाला; पागल।
उन्मथन (सं.) [सं-पु.] 1. मथना; बिलोना; हिलाना 2. फेंकना 3. क्षुब्ध करना 4. मारण।
उन्मथित (सं.) [वि.] 1. जिसे मथा या बिलोया गया हो; हिलाया हुआ 2. मिलाया हुआ; मिश्रित 3. क्षुब्ध किया हुआ 4. मर्दित।
उन्मद (सं.) [वि.] 1. जिसकी बुद्धि या मति में कोई विकार हो गया हो; पागल; बावला 2. जो आपे में न हो; बेसुध 3. मादक पदार्थ के सेवन से जिसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया हो 4. जो किसी प्रकार के आवेश से उक्त स्थिति में पहुँच गया हो।
उन्मदिष्णु (सं.) [वि.] 1. जिसका मद बह या निकल रहा हो; (हाथी) 2. मतवाला; उन्मत्त।
उन्मन (सं.) [सं-पु.] (हठयोग) मन की वह अवस्था जो उसकी उन्मनी मुद्रा के साधन के समय प्राप्त होती है। [वि.] अनमना; अन्यमनस्क; उद्विग्न।
उन्मनस्क (सं.) [वि.] 1. व्यग्र; उत्कंठित 2. शोकांवित।
उन्मनी (सं.) [सं-स्त्री.] (हठयोग) एक मुद्रा जिसमें भौहों को ऊपर चढ़ाकर नाक की नोक पर दृष्टि जमाई जाती है; हठयोग की पाँच मुद्राओं में से एक।
उन्मर्दन (सं.) [सं-पु.] 1. मलना; रगड़ना 2. वह तरल पदार्थ जो शरीर पर मला जाए 3. मलने का सुगंधित द्रव्य 4. वायु शुद्ध करने की क्रिया या भाव।
उन्माद (सं.) [सं-पु.] 1. अत्यधिक प्रेम (अनुराग) 2. पागलपन; सनक 3. एक संचारी भाव।
उन्मादक (सं.) [वि.] 1. उन्माद उत्पन्न करने वाला 2. पागल करने वाला 3. चित्त भ्रमित करने वाला 4. नशा करने वाला।
उन्मादन (सं.) [सं-पु.] 1. उन्माद उत्पन्न करना; उन्मत्त करना 2. (पुराण) कामदेव के पाँच बाणों में से एक।
उन्मादी (सं.) [वि.] जिसपर जुनून चढ़ा हो; सनकी; पागल।
उन्मान (सं.) [सं-पु.] 1. नापने या तौलने की क्रिया; नाप-तौल; माप 2. मूल्य।
उन्मार्ग (सं.) [सं-पु.] 1. कुमार्ग; उलटा या गलत रास्ता 2. कुचाल; ख़राब चाल-चलन।
उन्मार्गी (सं.) [वि.] कुमार्गी; पथभ्रष्ट।
उन्मार्जन (सं.) [सं-पु.] 1. रगड़कर साफ़ करना 2. मलना या मिटाना।
उन्मार्जित (सं.) [वि.] मलकर साफ़ किया हुआ; चमकाया हुआ।
उन्मित (सं.) [वि.] जिसकी नाप हो गई हो; नपा हुआ; तौला हुआ।
उन्मिष (सं.) [वि.] 1. खिला हुआ 2. खुला हुआ।
उन्मीलन (सं.) [सं-पु.] 1. आँख आदि का खुलना 2. फूल आदि का खिलना; विकसित होना।
उन्मीलित (सं.) [वि.] 1. खुला हुआ 2. विकसित; खिला हुआ 3. व्यक्त; जो प्रकट किया गया हो। [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद।
उन्मुक्त (सं.) [वि.] जो बँधा न हो; मुक्त; स्वतंत्र; खुला।
उन्मुक्तता (सं.) [सं-स्त्री.] खुलापन; स्वतंत्रता; आज़ादी।
उन्मुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] छुटकारा; बंधनहीनता।
उन्मुख (सं.) [वि.] 1. ऊपर की ओर मुख या दृष्टिवाला 2. उत्सुक; उत्कंठित; उद्यत 3. किसी विशेष दिशा या स्थिति की ओर जाता हुआ, जैसे- विकासोन्मुख, पतनोन्मुख आदि।
उन्मुखर (सं.) [वि.] 1. बहुत बोलने वाला 2. अधिक शोरगुल करने वाला।
उन्मुग्ध (सं.) [वि.] 1. जो किसी पर मुग्ध या मोहित हो; अत्यंत आसक्त 2. मूर्ख; जड़।
उन्मुद्र (सं.) [वि.] 1. जिसमें मुहर न लगी हो; बिना मुहर का 2. खुला या खिला हुआ।
उन्मूल (सं.) [वि.] जड़ से उखाड़ा हुआ; उन्मूलित।
उन्मूलक (सं.) [वि.] उन्मूलन करने वाला; जड़ से उखाड़ने वाला।
उन्मूलन (सं.) [सं-पु.] 1. जड़ से उखाड़ना; समूल नष्ट करना; मटियामेट करना; ध्वस्त करना 2. अंत; समाप्ति।
उन्मूलित (सं.) [वि.] 1. जिसका उन्मूलन हुआ हो; पूरी तरह से नष्ट या बरबाद; उखाड़ा या मिटाया हुआ 2. जिसके अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया हो; (एबॉलिश्ड)।
उन्मेष (सं.) [सं-पु.] 1. (फूल का) खिलना; (आँख का) खुलना 2. मंद या हलका प्रकाश।
उन्मोचन (सं.) [सं-पु.] 1. मुक्त करना; ढीला करना; खोलना 2. कष्ट, संकट आदि से मुक्त करना या छुड़ाना।
उन्वान (अ.) [सं-पु.] शीर्षक।
उप (सं.) [पूर्वप्रत्य.] 1. एक प्रत्यय जो संज्ञा और क्रिया के पहले लगकर उनमें अर्थों की विशेषता या परिवर्तन उत्पन्न करता है, जैसे- उपकार, उपवास आदि 2. पद, रूप आदि के समान होने पर भी उससे कुछ छोटा या निम्न कोटि का, जैसे- उपकुलपति, उपधातु आदि 3. निकट; पास।
उपकंठ (सं.) [सं-पु.] 1. गाँव की सीमा का स्थान 2. सामीप्य। [वि.] जो समीप या नज़दीक हो; निकट।
उपकथा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मुख्य कथा के बीच में आने वाली गौणकथा; प्रासंगिक कथा 2. लघु आख्यायिका; छोटी कहानी।
उपकर (सं.) [सं-पु.] 1. विशेष परिस्थिति में वस्तुओं के ऊपर लगाया जाने वाला छोटा कर।
उपकरण (सं.) [सं-पु.] 1. साधन; औज़ार 2. प्रयोगशाला में काम आने वाले यंत्र।
उपकरणिका (सं.) [सं-स्त्री.] सूक्ष्म कलापूर्ण या वैज्ञानिक कार्यों में प्रयोग होने वाला उपकरण।
उपकर्ता (सं.) [सं-पु.] वह जो दूसरों का उपकार या भलाई करता है; उपकार के काम करने वाला व्यक्ति।
उपकर्षण (सं.) [सं-पु.] 1. अपनी ओर खींचना 2. अपने पास खींचकर लाना।
उपकला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार की बहुत चिकनी और महीन झिल्ली, जो शरीर के सभी भीतरी अंगों पर ऊपर से लिपटी रहती है; (एपिथीलियम) 2. जरायु।
उपकल्प (सं.) [सं-पु.] 1. धन-संपत्ति 2. सामान; सामग्री 3. आवश्यक वस्तुएँ।
उपकल्पन (सं.) [सं-पु.] किसी कार्य की तैयारी करना या योजना बनाना; पूर्व तैयारी; (प्रिपरेशन)।
उपकल्पना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. परिकल्पना 2. तैयार करना 3. निश्चय।
उपकल्पित (सं.) [वि.] 1. परिकल्पित 2. तैयार किया हुआ 3. निश्चित।
उपकार (सं.) [सं-पु.] 1. मदद; सहायता 2. भलाई 3. बंदनवार; तोरण 4. लाभ।
उपकारक (सं.) [वि.] 1. जो उपकार या भलाई करे; सहायक (व्यक्ति) 2. जिससे उपकार या भलाई होती हो (वस्तु)।
उपकारिता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपकारी होने की अवस्था या भाव 2. उपकार।
उपकारी (सं.) [वि.] उपकार या भलाई करने वाला; सहायक; अनुकूल।
उपकार्य (सं.) [वि.] जिसका उपकार किया जा सकता हो या किया जाना हो; उपकार किए जाने योग्य।
उपकिरण (सं.) [सं-पु.] 1. फैलाना; छितराना 2. गाड़ना 3. ढकना।
उपकीर्ण (सं.) [वि.] बिखेरा या छितराया हुआ।
उपकुल (सं.) [सं-पु.] किसी कुल के अंतर्गत उसका कोई छोटा विभाग; उपपरिवार; (सबफ़ैमिली)।
उपकुलपति (सं.) [सं-पु.] पूर्व में वाइस-चांसलर के लिए उपकुलपति शब्द का प्रयोग होता था।
उपकुल्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटी नहर 2. पिप्पली 3. खाई।
उपकूल (सं.) [सं-पु.] 1. तट; किनारा 2. नदी आदि के तट के समीप का स्थान; किनारे के समीप की भूमि। [अव्य.] किनारे के समीप; किनारे पर।
उपकृत (सं.) [वि.] जिसके साथ उपकार किया गया हो; कृतज्ञ; अहसानमंद।
उपकृति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भलाई; उपकार 2. सहायता; मदद।
उपकोषागार (सं.) [सं-पु.] किसी कोषागार के अंतर्गत उसकी शाखा के रूप में कार्य करने वाला कोई छोटा कोषागार; (सबट्रेज़री)।
उपक्रम (सं.) [सं-पु.] 1. पोषित प्रतिष्ठान; योजना 2. नियमित किए जाने वाले कार्य से संबंधित शुश्रूषा; चिकित्सा 3. धार्मिक; वेदारंभ पूर्व किया जाने वाला संस्कार; शास्त्र-विहित कर्म या अभीष्ट कार्य के लिए किसी देवता की आराधना या अनुष्ठान 4. लेख या भाषण की प्रस्तावना।
उपक्रमणिका (सं.) [सं-स्त्री.] अनुक्रमणिका; विषयसूची (पुस्तक)।
उपक्रांत (सं.) [वि.] 1. जो आरंभ किया जा चुका हो 2. तैयार 3. चिकित्सित 4. पूर्व कथित।
उपक्रोश (सं.) [सं-पु.] 1. बुराई; निंदा 2. अपवाद; तिरस्कार 3. गाली; दुर्वचन।
उपक्रोष्टा (सं.) [वि.] उपक्रोश करने वाला; निंदक।
उपक्षय (सं.) [सं-पु.] धीरे-धीरे होने वाला क्षय; ह्रास; हानि।
उपक्षेत्र (सं.) [सं-पु.] किसी बड़े क्षेत्र का छोटा भाग; छोटा क्षेत्र।
उपक्षेप (सं.) [सं-पु.] 1. किसी की ओर फेंकना; ले जाकर रखना या देना 2. किसी काम का ठेका पाने के लिए उसके व्यय के विवरण सहित दिया जाने वाला आवेदन-पत्र (टेंडर) 3. चर्चा; संकेत; आक्षेप (नाटक में) 4. अभिनय के आरंभ में कथावस्तु का संक्षेप में कथन।