उपबाहु (सं.) [सं-पु.] कलाई से कुहनी तक का भाग।
उपबोधक (सं.) [सं-पु.] सहायक व्यक्ति; सलाह देने वाला व्यक्ति।
उपबोधन (सं.) [सं-पु.] 1. सहायता देना 2. सलाह देना 3. ज्ञान देना; समझाना।
उपभाग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बड़े भाग के अंतर्गत आने वाला छोटा भाग; गौण भाग; (सब-डिवीज़न)।
उपभाषा (सं.) [सं-स्त्री.] किसी भाषा का वह विशेष रूप जिसे एक क्षेत्र विशेष के लोग प्रयोग करते हैं; बोली, जैसे- मारवाड़ी, अंगिका, वज्जिका, खोरठा आदि।
उपभुक्त (सं.) [वि.] 1. जो काम में लाया जा चुका हो 2. जिसका उपभोग हुआ हो 3. जूठा; उच्छिष्ट 4. पुराना; प्रयुक्त।
उपभेद (सं.) [सं-पु.] 1. गौण भेद 2. उपविभाग।
उपभोक्ता (सं.) [सं-पु.] उपयोग या उपभोग करने वाला; काम में लाने वाला; ग्राहक; काबिज; (कंज़्यूमर)।
उपभोक्तावाद (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसी सामाजिक व्यवस्था जिसमें उपभोग करने की वरीयता दी जाती है; (कंज़्यूमरिज़म) 2. उक्त व्यवस्था पर आधारित एक आधुनिक सिद्धांत।
उपभोक्तावादी (सं.) [वि.] उपभोक्तावाद को मानने वाला, उपभोक्तावाद का समर्थक।
उपभोग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का इस्तेमाल या व्यवहार 2. इस्तेमाल या व्यवहार का सुख; विषय-सुख 3. (अर्थशास्त्र) किसी वस्तु का ऐसा प्रयोग करना कि धीरे-धीरे उसकी उपयोगिता समाप्त होती जाए; (कंजंप्शन)।
उपभोग्य (सं.) [सं-पु.] भोग की वस्तु। [वि.] 1. जिसका उपभोग होने को हो या हो सकता हो 2. उपभोग के योग्य; आहार्य; उपयोगी; प्रयोग्य।
उपभोज्य (सं.) [सं-पु.] भोजन; आहार। [वि.] 1. खाने या भोजन के योग्य 2. व्यवहार में लाने के योग्य।
उपमंडल (सं.) [सं-पु.] 1. किसी मंडल का छोटा भाग 2. किसी जिले आदि का छोटा भाग या खंड, तहसील आदि।
उपमंत्रण (सं.) [सं-पु.] 1. आमंत्रण; न्योता 2. अनुरोध या आग्रह करना।
उपमंत्री (सं.) [सं-पु.] वह मंत्री जो प्रधान या बड़े मंत्री के नीचे हो; सहायक मंत्री।
उपमन्यु (सं.) [सं-पु.] एक गोत्र प्रवर्तक ऋषि। [वि.] 1. बुद्धिमान; मेधावी; तीक्ष्ण बुद्धिवाला 2. उत्साही; उद्यमी।
उपमर्दन (सं.) [सं-पु.] 1. दबाना; कुचलना; मसलना; रौंदना 2. उपेक्षा या तिरस्कार करना; अपमान करना 3. बरबाद करना 4. निंदा; खंडन।
उपमहाद्वीप (सं.) [सं-पु.] किसी महाद्वीप का एक बड़ा भाग जिसकी अपनी विशेषता हो।
उपमहापौर (सं.) [सं-पु.] महापौर अथवा मेयर के नीचे का अधिकारी; (डिप्टी मेयर)।
उपमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (काव्यशास्त्र) अर्थालंकार का एक भेद जिसमें दो वस्तुओ में भेद होते हुए भी धर्मगत समानता दिखाई जाए; साधर्म्य 2. समता; तुलना।
उपमाता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सौतेली माता; विमाता 2. धाय; दाई 3. माता के समान आदरणीय स्त्री, जैसे- मौसी, चाची, ताई आदि।
उपमान (सं.) [सं-पु.] 1. वह वस्तु या व्यक्ति जिससे किसी की तुलना की जाए 2. वह जिसके समान कोई दूसरी वस्तु बतलाई जाए 3. (काव्यशास्त्र) उपमा अलंकार के चार तत्वों (अंगों) में एक।
उपमार्ग (सं.) [सं-पु.] किसी बड़े मार्ग से निकला हुआ या जुड़ा हुआ छोटा मार्ग; छोटा रास्ता; गौण मार्ग।
उपमित (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) उपमावाचक कर्मधारय समास का एक भेद। [वि.] जिसकी किसी अन्य वस्तु से उपमा दी गई हो।
उपमिति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपमा; सादृश्य 2. समानता; तुलना 3. सादृश्य या उपमा से होने वाला ज्ञान।
उपमुख्यमंत्री (सं.) [सं-पु.] मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री से नीचे का पद; वह मंत्री जो मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उनके कुछ कर्तव्यों का निर्वाह कर सकता है।
उपमेय (सं.) [सं-पु.] वह वस्तु जिसकी किसी से तुलना की जाए; वर्ण्य। [वि.] 1. जिसकी उपमा दी जाए या तुलना की जाए 2. उपमा दिए जाने के योग्य।
उपयुक्त (सं.) [वि.] जैसा होना चाहिए वैसा; योग्य; उचित; मुनासिब; अनुकूल, जैसे- बैठने के लिए यह स्थान उपयुक्त है।
उपयुक्तता (सं.) [सं-स्त्री.] उपयुक्त होने का भाव; योग्यता; औचित्य।
उपयोग (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थान को इस्तेमाल में लाना; प्रयोग में लाना 2. आवश्यकता की पूर्ति या प्रयोजन सिद्धि कराने वाला कार्य।
उपयोगकर्ता (सं.) [वि.] 1. उपयोग करने वाला 2. प्रयोग या व्यवहार करने वाला; प्रयोजन में लाने वाला।
उपयोगिता (सं.) [सं-स्त्री.] उपयोगी होने की दशा या अवस्था; उपयोग में आने की योग्यता; किसी आवश्यकता को पूरा करने की क्षमता।
उपयोगितावाद (सं.) [सं-पु.] एक सिद्धांत या मत जिसमें प्रत्येक वस्तु का महत्व केवल उपयोगिता की दृष्टि से आँका जाता है चाहे वह नैतिक दृष्टि से सही न हो; उपभोक्तावाद; (यूटिलिटेरियनिज़म)।
उपयोगितावादी (सं.) [सं-पु.] उपयोगितावाद का समर्थक, अनुयायी या प्रतिपादक व्यक्ति; उपभोक्तावादी; (यूटिलिटेरियन)। [वि.] 1. उपयोगितावाद संबंधी, उपयोगिता की दृष्टि से, जैसे- उपयोगितावादी विचारधारा।
उपयोगी (सं.) [वि.] 1. लाभकारी; लाभयुक्त 2. काम का; अनुकूल, जैसे- कपड़े धोने की मशीन बहुत उपयोगी उपकरण है।
उपयोजन (सं.) [सं-पु.] 1. उपयोग या काम में लाना 2. किसी दूसरे व्यक्ति के धन आदि को अनुचित रूप से प्रयोग में लाना; विनियोग; (अप्रोप्रिएशन)।
उपरक्षक (सं.) [सं-पु.] पहरा देने वाला व्यक्ति; चौकीदार।
उपरक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. रक्षा करने का कार्य 2. पहरा; चौकीदारी।
उपरत (सं.) [वि.] 1. जो सांसारिकता में रत न हो; विरक्त; जिसका मन संसार और विषय-भोग से हट गया हो; रागरहित; उदासीन 2. जो किसी कार्य में न लगा हो।
उपरति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. विषय भोग से विरक्ति 2. संसार से उदासीनता 3. यज्ञादि विहित कर्मों का त्याग 4. मृत्यु।
उपरत्न (सं.) [सं-पु.] 1. सीप, मनके, शंख आदि सस्ती वस्तुएँ जिनसे मूल्यवान रत्नों की तरह ही आभूषण बनते हैं; गौण रत्न।
उपरना [सं-पु.] चुन्नी, दुपट्टा आदि वस्त्र जो शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़े जाते हैं।
उपरफट्टू [वि.] 1. अचानक ही आ टपकने वाला 2. बिलकुल व्यर्थ; बेकार या फालतू 3. निष्प्रयोजन, जैसे- उपरफट्टू बातें मत करो 4. बनावटी; दिखावटी।
उपरला [वि.] जो ऊपर की ओर हो; ऊपरी; ऊपरवाला, जैसे- आलमारी के उपरले खंड में किताबें हैं।
उपरांत (सं.) [अव्य.] बाद; अनंतर, जैसे- भोजन के उपरांत वह टहलने निकला।
उपराग (सं.) [सं-पु.] 1. रँगने वाली वस्तु; रंग 2. भोग-विलास में अनुरक्ति; विषयासक्ति 3. सूर्य या चंद्रमा का ग्रहण 3. समीप की वस्तु के प्रभाव से रंग-रूप में परिवर्तन।
उपराचढ़ी [सं-स्त्री.] परस्पर होड़; एक-दूसरे से आगे बढ़ जाने की कोशिश; प्रतिस्पर्धा।
उपराज (सं.) [सं-पु.] शासक या राजा का प्रतिनिधि जो किसी देश का राज-काज सँभाले; राजप्रतिनिधि; (वाइसरॉय)।
उपराजदूत (सं.) [सं-पु.] अन्य देशों में अपने राष्ट्र का कूटनीतिक प्रतिनिधित्व करने वाला वह राजनयिक जिसे अभी राजदूत का दर्जा प्राप्त न हुआ हो।
उपराजदूतावास (सं.) [सं-पु.] उपराजदूत के रहने का स्थान; (लिगेशन)।
उपराज्यपाल (सं.) [सं-पु.] भारत के किसी केंद्र शासित प्रदेश का संवैधानिक अध्यक्ष; (लेफ़्टिनेंट गवरनर)।
उपराम (सं.) [सं-पु.] 1. उपरति 2. विश्रांति।