उपरि (सं.) [वि.] ऊपर का; ऊँचाई पर स्थित। [अव्य.] 1. ऊपर 2. उपरांत; बाद।
उपरुद्ध (सं.) [वि.] 1. रोका हुआ; बाधित 2. घेरा हुआ 3. कैद किया हुआ; 4. बंधन में डाला या पड़ा हुआ; बद्ध।
उपरूपक (सं.) [सं-पु.] (नाट्यशास्त्र) नाट्यविधा में एक प्रकार का छोटा नाटक या गौण रूपक जिसके अट्ठारह भेद होते हैं।
उपरोक्त (सं.) [वि.] दे. उपर्युक्त।
उपरोध (सं.) [सं-पु.] 1. बाधा; रुकावट; रोक; वह बात जो किसी होते हुए काम को रोक दे 2. घेरना 3. फूट; कलह।
उपरोधक (सं.) [वि.] रोकने वाला; बाधा डालने वाला। [सं-पु.] भीतर का कमरा।
उपरोधन (सं.) [सं-पु.] 1. रोकने या बाधा डालने की क्रिया 2. बाधा; रुकावट 3. घेरा।
उपर्युक्त (सं.) [वि.] जिसका उल्लेख या चर्चा ऊपर की जा चुकी हो; पूर्वोक्त; पूर्वोल्लिखित; (अफ़ोरसेड)।
उपलंभक (सं.) [वि.] 1. ज्ञान या अनुभव कराने वाला 2. प्राप्ति कराने वाला 3. लाभ कराने वाला।
उपल (सं.) [सं-पु.] 1. पत्थर 2. ओला 3. रत्न; जवाहर 4. बादल; मेघ।
उपलक्षक (सं.) [वि.] 1. अनुमान लगाने वाला; भाँपने वाला 2. निरीक्षण करने वाला; बोधक।
उपलक्षण (सं.) [सं-पु.] 1. ध्यान से देखना 2. किसी लक्षण के अंतर्गत आने वाला कोई गौण लक्षण 3. बोधक चिह्न।
उपलक्षित (सं.) [वि.] 1. अच्छी तरह देखा हुआ 2. अनुमानित; इशारे से जिसका संकेत मिला हो।
उपलक्ष्य (सं.) [सं-पु.] 1. उद्देश्य; निमित्त 2. वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा जाए या किया जाए 3. अनुमान; संकेत। [वि.] लक्ष्य करने योग्य; अनुमान करने योग्य।
उपलब्ध (सं.) [वि.] 1. सुलभ; जो मिल सकता हो, जैसे- यह दवा हर जगह उपलब्ध है 2. प्राप्त या हस्तगत किया हुआ; मिला हुआ 3. पाया हुआ; जाना हुआ।
उपलब्धता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपलब्ध होने की अवस्था या भाव; सुलभता 2. प्राप्ति।
उपलब्धि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उपलब्धता; प्राप्ति, जैसे-ज्ञान की उपलब्धि 2. महत्वपूर्ण सफलता, जैसे- ओलंपिक खेलों में अभिनव बिंद्रा की शानदार उपलब्धि 3. अनुभव; प्रत्यक्ष ज्ञान, जैसे- कठोर तपस्या से गौतम को यह उपलब्धि हुई कि ज्ञान ऐसे नहीं मिलता 4. माँग के अनुसार पूर्ति, जैसे- बाज़ार में गेहूँ की उपलब्धि 5. कार्य के बदले वेतन, सुविधा आदि; प्रतिफल।
उपलभ्य (सं.) [वि.] 1. जो उपलब्ध या प्राप्त हो सकता हो 2. आदर या प्रशंसा के योग्य।
उपला (सं.) [सं-पु.] गाय, भैंस आदि के गोबर का सूखा हुआ कंडा जो चूल्हे में जलाने के काम आता है; गोबर पाथकर बनाया गया कंडा; गोइठा; गोहरा।
उपलेप (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु से फ़र्श, दीवारें आदि लीपना या पोतना 2. लेप सामग्री; ऐसी वस्तु जिससे घर पोता या लीपा जाए।
उपवन (सं.) [सं-पु.] 1. बाग; बगीचा; उद्यान 2. छोटा वन।
उपवर्ग (सं.) [सं-पु.] किसी वर्ग के अंतर्गत किया गया छोटा वर्ग; गौण वर्ग।
उपवसथ (सं.) [सं-पु.] 1. जिस स्थान पर बस्ती हो 2. ग्राम 3. यज्ञ से ठीक पहले का दिन।
उपवसन (सं.) [सं-पु.] 1. निकट बसना या रहना 2. उपवास करना।
उपवसित (सं.) [वि.] 1. जिसने उपवास किया हो 2. जो उपवास किए बैठा हो।
उपवाक्य (सं.) [सं-पु.] (व्याकरण) 1. किसी संयुक्त (कंपाउंड) या मिश्र (कॉमप्लेक्स) वाक्य के अंतर्गत आने वाले स्वतंत्र और आश्रित वाक्य 2. संयुक्त या मिश्र वाक्य के वे भाग जिनमें उद्देश्य और विधेय हों; (क्लॉज़)।
उपवाणिज्यदूत (सं.) [सं-पु.] किसी देश के व्यापार-वाणिज्य संबंधी हितों की निगरानी के लिए अन्य देश में नियुक्त वाणिज्य दूत के अधीन काम करने वाला छोटा दूत जो प्रायः राजधानी के अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्रों में रहकर काम करता है।
उपवास (सं.) [सं-पु.] 1. एक व्रत जिसमें व्यक्ति निराहार रहता है; अनशन 2. किसी कारण से भोजन का त्याग; भूखा रहना।
उपवासी (सं.) [वि.] 1. जो उपवास कर रहा हो 2. निराहार और भूखा।
उपविद्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी बड़ी विद्या या शास्त्र से संबद्ध अपेक्षाकृत गौण विद्या, जैसे- भाषा विज्ञान से संबंद्ध वाक्य विज्ञान 2. वेदों से ग्रहण की गई लौकिक विद्याएँ; उपवेद।
उपविधि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी विधि या कानून के अंतर्गत आने वाली उससे संबद्ध कोई गौण विधि; (बाइ लॉ) 2. ऐसा कानून, अध्यादेश आदि, जो कोई संगठन, निगम आदि अपने आंतरिक मामलों के व्यवहार के लिए बनाए।
उपविभाग (सं.) [सं-पु.] किसी विभाग के अंतर्गत उसका कोई गौण या छोटा विभाग।
उपविष (सं.) [सं-पु.] हलका ज़हर या विष जो अधिक घातक नहीं होता है, जैसे- आक, अफ़ीम, धतूरा आदि।
उपविष्ट (सं.) [वि.] बैठा हुआ; जमकर बैठा हुआ।
उपवीत (सं.) [सं-पु.] 1. जनेऊ; यज्ञसूत्र 2. उपनयन संस्कार; यज्ञोपवीत संस्कार।
उपवेद (सं.) [सं-पु.] 1. चार वेदों से ग्रहण की गई लौकिक कलाओं या विद्याओं का सामूहिक नाम, जिसमें ऋग्वेद से आयुर्वेद, यजुर्वेद से धनुर्वेद, सामवेद से गंधर्ववेद और अथर्ववेद से स्थापत्यवेद निकले हैं 2. लौकिक विद्या।
उपवेधक (सं.) [सं-पु.] लफंगा; मवाली; गुंडा; बदमाश।
उपवेश (सं.) [सं-पु.] 1. बैठना 2. सभा, समिति आदि की बैठक 3. किसी कार्य में जुट जाना 4. मल-त्याग।
उपवेशन (सं.) [सं-पु.] 1. सभा की बैठक जारी रहने की स्थिति 2. जमकर बैठ जाना।
उपवेष्टन (सं.) [सं-पु.] 1. लपेटने की क्रिया 2. चारों तरफ़ से लपेटना।
उपशम (सं.) [सं-पु.] 1. इंद्रियों या मनोविकारों को वश में रखने की क्रिया; इंद्रियनिग्रह 2. रोग, वेदना आदि की पीड़ा का शमन करना अर्थात घटाना 3. शांत होना; विश्रांति; शमन 4. उपद्रव आदि की शांति के लिए किया जाने वाला प्रयत्न।
उपशमन (सं.) [सं-पु.] 1. शांत करना; शमित करना 2. निवारण; दूर करना 3. दबाना; घटाना 4. तुष्टीकरण।
उपशमित (सं.) [वि.] 1. जिसका उपशमन कर दिया गया हो 2. दबाया हुआ; शांत किया हुआ 3. निवारित।
उपशाखा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वृक्ष की बड़ी शाखा से निकली कोई अन्य छोटी शाखा; शाखा की शाखा 2. किसी औद्योगिक प्रतिष्ठान, कंपनी, बैंक आदि के प्रमुख दफ़्तरों से भिन्न दूरस्थ क्षेत्रों में बने छोटे कार्यालय और उनकी शाखाएँ।
उपशामक (सं.) [वि.] जो उपशमन करे; शांत करे, जैसे- दर्द की उपशामक दवाएँ।
उपशाल (सं.) [सं-पु.] 1. घर के सामने की खुली जगह; दालान; सहन 2. मकान के पास उठने-बैठने का कमरा; बैठक।
उपशिक्षक (सं.) [सं-पु.] 1. सहायक शिक्षक 2. किसी विद्यालय आदि का सहयोगी अध्यापक।
उपशिष्य (सं.) [सं-पु.] शिष्य का शिष्य; चेले का चेला।
उपशीर्षक (सं.) [सं-पु.] 1. (पत्रकारिता) समाचार पत्र, पत्रिकाओं आदि में किसी बड़े शीर्षक के अंतर्गत आने वाला कोई छोटा शीर्षक; किसी बड़े समाचार या आलेख के बीच-बीच में दिए जाने वाले छोटे शीर्षक 2. एक रोग जिसमें सिर में छोटी-छोटी फुंसियाँ निकल आती हैं।
उपश्रुत (सं.) [वि.] 1. सुना हुआ 2. जाना हुआ 3. स्वीकृत।
उपश्रुति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सुनना; श्रवण करना 2. किसी ध्वनि के श्रवण की सीमा; वह हद जहाँ तक वह ध्वनि सुनाई दे 3. स्वीकृति।
उपश्लेष (सं.) [सं-पु.] 1. पास आकर देह से देह सटाना 2. आलिंगन।
उपसंक्षेप (सं.) [सं-पु.] किसी हिसाब, रपट, विवरण आदि का अति संक्षिप्त रूप; सार संक्षेप; (ऐब्स्ट्रैक्ट)।