Hin Dict_u6 - हिंदी शब्दकोश - उ6

उत्तट (सं.) [वि.] किनारे से छलकता हुआ; तट का अतिक्रमण कर बहने वाला।
उत्तप्त (सं.) [सं-पु.] 1. तपा हुआ; तपाया हुआ 2. {ला-अ.} सताया हुआ; संतप्त; कुपित।
उत्तम (सं.) [वि.] जो गुण, विशेषता आदि में सबसे बढ़कर हो; बेहतर; श्रेष्ठ।
उत्तमतया (सं.) [क्रि.वि.] अच्छी-तरह से; भली-भाँति।
उत्तमता (सं.) [सं-स्त्री.] उत्तम होने की अवस्था या भाव; उत्कृष्ठता; श्रेष्ठता; ख़ूबी; भलाई।
उत्तम पुरुष (सं.) [सं-पु.] 1. सबसे अच्छा व्यक्ति 2. वह सर्वनाम जो बोलने वाले पुरुष का सूचक होता है, प्रथम पुरुष, जैसे- 'मैं' या 'हम'; (फ़र्स्ट परसन)।

उत्तमर्ण (सं.) [सं-पु.] वह व्यक्ति जो ऋण देता है; महाजन; (क्रेडिटर)।
उत्तमा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. नेक तथा श्रेष्ठ स्त्री 2. दुग्धिका नामक पौधा; दूधी नामक जड़ी; शतमूली नामक झाड़दार बेल जिसकी जड़ और बीज औषधि के काम आते हैं; शतावरी।
उत्तमांग (सं.) [सं-पु.] सर्वश्रेष्ठ अंग; सिर।
उत्तमार्ध (सं.) [सं-पु.] उत्तम अर्थात श्रेष्ठ अर्धांश; उत्तरार्ध।
उत्तमोत्तम (सं.) [वि.] सर्वोत्तम; अच्छे से अच्छा।
उत्तमौजा [सं-पु.] 1. एक राजा (उत्तमानुज पांचाल नरेश द्रुपद का पुत्र और धृष्टद्युम्न तथा द्रौपदी का भाई) जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों का साथ दिया था 2. मनु के एक पुत्र का नाम। [वि.] जो तेज और बल में दूसरों से बढ़कर हो।
उत्तर (सं.) [सं-पु.] 1. दक्षिण दिशा के सामने की दिशा, उदीची 3. किसी प्रश्न या बात को सुनकर उसके समाधान के रूप में कही गई बात, जवाब 4. किसी के कार्य या व्यवहार के बदले किया गया कार्य या व्यवहार 5. प्रतिकार, बदला 6. गणित आदि में हल किया गया अंतिम परिणाम, फल 6. (काव्यशास्त्र) एक प्रकार का अलंकार जिसे सुनते ही प्रश्न का अनुमान किया जा सके 7. राजा विराट का पुत्र।
उत्तरकल्प (सं.) [सं-पु.] (भू-विज्ञान) ऐसा दूसरा कल्प (आदि कल्प, उत्तर कल्प, मध्य कल्प और नवकल्प) जिसमें पृथ्वी पर पर्वतों, खनिज पदार्थों की सृष्टि हुई थी, अनुमानतः यह कल्प आज से लगभग सवा अरब वर्ष पहले हुआ था।
उत्तरकाल (सं.) [सं-पु.] 1. बाद का समय 2. भविष्यकाल।
उत्तरकालीन (सं.) [वि.] उत्तरकाल का; बाद के समय का; भविष्यकालीन।

उत्तरकाशी (सं.) [सं-पु.] उत्तराखंड राज्य का प्रसिद्ध शहर; एक स्थान जो हरिद्वार के दक्षिण में है।
उत्तरजात (सं.) [वि.] 1. बाद में उत्पन्न 2. पिता की मृत्यु के बाद उत्पन्न होने वाली (संतान)।
उत्तरजीवी (सं.) [वि.] वह जो दूसरे के संहार के बाद बचा हो; जिसमें उत्तरजीविता हो; किसी के मरने के बाद बचा रहने वाला।
उत्तरण (सं.) [सं-पु.] 1. पार उतरने की क्रिया या भाव 2. यान आदि से पृथ्वी पर उतरना; (लैंडिग) 3. जलाशय पार करना।
उत्तरदान [सं-पु.] वसीयत; उत्तराधिकार।
उत्तरदायित्व (सं.) [सं-पु.] जवाबदेही; ज़िम्मेदारी; किसी कार्य या बात के प्रति उत्तरदायी होने की स्थिति या भाव।
उत्तरदायिनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वह जिसे काम बनने या बिगड़ने का फल भोगना पड़े 2. कार्यभार युक्त स्त्री; ज़िम्मेदार स्त्री।
उत्तरदायी (सं.) [वि.] 1. जिसपर किसी कार्य का उत्तरदायित्व हो; ज़िम्मेदार 2. उत्तर देने के लिए जो बाध्य हो; जवाबदेह।
उत्तरपद (सं.) [सं-पु.] 1. समस्त या यौगिक शब्द का अंतिम शब्द; समास का अंतिम पद 2. 'पूर्वपद' का विलोम।
उत्तरवर्ती (सं.) [वि.] बाद का।
उत्तरा (सं.) [सं-स्त्री.] (महाभारत) अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की पत्नी जिससे परीक्षित का जन्म हुआ था।
उत्तराधिकार (सं.) [सं-पु.] विरासत; किसी की मृत्यु के बाद संपत्ति प्राप्ति का अधिकार।
उत्तराधिकारिणी (सं.) [सं-स्त्री.] वह स्त्री, जो किसी के मरने या हटने पर उसकी संपत्ति, अधिकार आदि की स्वामिनी हो; उत्तराधिकार प्राप्त स्त्री।

उत्तराधिकारी (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तराधिकार पाने वाला व्यक्ति 2. वह व्यक्ति जो कानून के अनुसार किसी की धन-संपत्ति आदि को पाने का अधिकारी हो; वारिस 3. किसी के हट जाने या न रहने पर उसके पद या स्थान का अधिकारी व्यक्ति; (सक्सेसर)।
उत्तरापथ (सं.) [सं-पु.] विंध्य के उत्तर में स्थित देश; भारत के प्राचीन ग्रंथों में जंबूद्वीप के उत्तरी भाग का नाम; पहले उत्तरापथ को उत्तरी राजपथ कहते थे जो पूर्व में ताम्रलिप्तिका (तामलुक) से लेकर पश्चिम में तक्षशिला और उसके आगे मध्य एशिया के बल्ख़ तक जाता था और अत्यधिक महत्व वाला व्यापारिक मार्ग था।
उत्तरापेक्षी (सं.) [सं-पु.] वह जिसे उत्तर की अपेक्षा हो; उत्तराकांक्षी।
उत्तराभास (सं.) [सं-पु.] ऐसा उत्तर जिसमें वास्तविकता या सत्यता न हो, उसका आभास मात्र हो; ऊपर से सत्य लगने वाला उत्तर; झूठा या मिथ्या उत्तर।
उत्तराभासी (सं.) [सं-पु.] उत्तर का आभास कराने वाला। [वि.] (प्रश्न) जिसमें उसके उत्तर का भी कुछ आभास हो।
उत्तराभिमुख (सं.) [वि.] जिसका मुँह उत्तर दिशा की ओर हो।
उत्तरायण (सं.) [सं-पु.] 1. मकर रेखा से उत्तर और कर्क रेखा की ओर होने वाली सूर्य की गति; वह छह महीने का समय जब सूर्य की गति बराबर उत्तर की ओर होती है।
उत्तरार्ध (सं.) [सं-पु.] 1. पिछला आधा; बाद का अर्ध भाग 2. ऊपरी ओर का आधा भाग।
उत्तरावस्था (सं.) [सं-स्त्री.] बाद की अवस्था या दशा।
उत्तरित (सं.) [वि.] जिसका उत्तर दिया जा चुका हो; (रिप्लाइड)।

उत्तरी (सं.) [सं-स्त्री.] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। [वि.] 1. उत्तर दिशा में होने वाला 2. उत्तर दिशा से संबंधित; उत्तर का।
उत्तरीय (सं.) [सं-पु.] 1. कंधे पर रखा जाने वाला वस्त्र जिसका एक सिरा कंधे के एक ओर से होकर सामने से कमर के हिस्से तक जाता है तो दूसरा सिरा पीठ की ओर से होते हुए कंधे के दूसरी ओर से निकलकर सामने की ओर लटका रहता है, जिसे पुराने समय में राजा-महाराजा ओढ़ा करते थे 2. ओढ़नी; चादर 3. दुपट्टा। [वि.] 1. उत्तर दिशा का; उत्तरी 2. ऊपर का; ऊपरवाला।
उत्तरोत्तर (सं.) [क्रि.वि.] आगे-आगे; क्रमशः आगे की ओर; अधिकाधिक; लगातार।
उत्तरोत्तरता (सं.) [सं-स्त्री.] एक के बाद एक होने की क्रिया या भाव; (सक्सेशन)।
उत्तल (सं.) [वि.] 1. जिसके तल के बीच का भाग कुछ ऊपर उठा हो; उन्नतोदर 2. जिसका आकार उलटे कटोरे की तरह हो, जैसे- चश्मे आदि का शीशा; (कॉनवेक्स)।
उत्तान (सं.) [वि.] 1. पीठ के बल लेटा हुआ; सीधा; चित्त 2. फैला या फैलाया हुआ 3. जिसका मुँह ऊपर की ओर हो 4. खुला हुआ; अनावृत; नग्न 5. स्पष्ट वक्ता।
उत्ताप (सं.) [सं-पु.] 1. सामान्य से अधिक गरमी 2. मन में होने वाला बहुत अधिक कष्ट या वेदना।
उत्तापन (सं.) [सं-पु.] 1. अति गरम करने की क्रिया; अत्यधिक गरम करना 2. अति कष्ट (दुख) पहुँचाना।
उत्तापित (सं.) [वि.] खूब गरम किया हुआ; तपाया हुआ; तप्त।
उत्तापी (सं.) [वि.] 1. अति दुखदायी 2. अत्यधिक कष्ट देने वाला।
उत्तारक [सं-पु.] शिव। [वि.] उद्धार करने या उबारने वाला।

उत्तारण (सं.) [सं-पु.] 1. पार उतारना 2. किसी वस्तु का एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाना; (ट्रांसपोर्टेशन) 3. संकट या मुसीबत में फँसे हुए व्यक्ति का उद्धार करना; (रेसक्यूइंग)।
उत्तार्य (सं.) [वि.] 1. नाव आदि से पार उतारने योग्य 2. कै, वमन करने योग्य।
उत्ताल (सं.) [वि.] 1. ऊँची लहर 2. बहुत अधिक ऊँचा 3. प्रबल; भयानक; महाकाय 4. अति आविष्ट 5. कठिन; विकराल।
उत्तावतल (सं.) [वि.] एक ओर उभरा तथा दूसरी ओर दबा हुआ।
उत्तीर्ण (सं.) [वि.] 1. किसी परीक्षा में सफ़ल; कृतकार्य 2. पार गया हुआ; पारित 3. पारंगत 4. मुक्त।
उत्तुंग (सं.) [वि.] 1. बहुत ऊँचा 2. यथेष्ट उन्नत।
उत्तू (फ़ा.) [सं-पु.] 1. कपड़े पर चुन्नट डालने या बेल-बूटे काढ़ने का एक औज़ार या उपकरण 2. उक्त उपकरण से कपड़े पर बनाए हुए बेल-बूटे या डाली हुई चुन्नट।
उत्तेजक (सं.) [वि.] 1. भड़काने वाला; उत्तेजित करने वाला 2. मनोवेग को उद्दीप्त करने वाला।
उत्तेजना (सं.) [सं-स्त्री.] 1. क्रोध, काम आदि भावों के तीव्र आवेग की वह स्थिति जिसके कारण प्राणी संयत न रह पाए 2. रोष; क्रोध 3. प्रेरणा 4. एक प्रकार का भावावेग 5. शरीर के किसी अंग विशेष में होने वाली असाधारण क्रियाशीलता; (एक्साइटमेंट)।
उत्तेजनात्मक (सं.) [वि.] अति उत्साह भरने वाला; जोशीला; भड़कीला।
उत्तेजित (सं.) [वि.] 1. आवेश में आया हुआ; उत्तेजना से भरा हुआ 2. प्रेरित; प्रोत्साहित 3. क्षुब्ध 4. भड़का हुआ।
उत्तेजित हमला (सं.+अ.) [सं-पु.] आवेश में आकर किसी व्यक्ति को मारने के उद्देश्य से घातक हथियार द्वारा किया गया आक्रमण; उग्राक्रमण।

उत्तोलक (सं.) [सं-पु.] एक यंत्र जिसकी सहायता से चीज़ें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाई जाती हैं; (क्रेन)। [वि.] 1. ऊपर उठाने वाला 2. उत्तोलन करने वाला।
उत्तोलन (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर उठाने या ले जाने की क्रिया या भाव 2. ऊँचा करना; तानना 3. तौलना; वजन करना।
उत्थान (सं.) [सं-पु.] 1. उन्नत या समृद्ध स्थिति 2. ऊपर की ओर उठना; ऊँचा होना 3. किसी निम्न या हीन स्थिति से निकलकर उच्च या उन्नत हुई अवस्था।
उत्थानक (सं.) [सं-पु.] 1. किसी बहुमंज़िली इमारत में नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे पहुँचाने वाला विद्युत यंत्र; (लिफ़्ट) 2. किसी व्यक्ति के अचानक ऊपरी पद पर पहुँचने की क्रिया। [वि.] 1. उठाने वाला; उत्थान करने वाला 2. किसी को उन्नत और समृद्ध करने वाला।
उत्थापक (सं.) [सं-पु.] 1. उत्थान करने या ऊपर उठाने वाला (यंत्र) 2. प्रेरित करने वाला; प्रेरक। [वि.] उठाने वाला।
उत्थापन (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर उठाना 2. जगाना 3. उत्तेजित करना 2. प्रेरित या उत्साहित करना।
उत्थापित (सं.) [वि.] 1. ऊपर उठाया हुआ 2. जगाया हुआ 3. उत्तेजित किया हुआ।
उत्थित (सं.) [वि.] 1. उठता (उठा) हुआ 2. उद्धार किया हुआ; बचाया हुआ 3. वृद्धिशील; ऊँचा; फैलाया हुआ 4. घटित होने वाला 5. जागा हुआ 6. समृद्ध।
उत्पतन (सं.) [सं-पु.] 1. उड़ने की क्रिया या भाव 2. ऊपर की ओर उठना 3. उछालना 4. उत्पन्न करना; जन्म देना।
उत्पत्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उत्पन्न होने की अवस्था, क्रिया या भाव 2. उद्भव; आविर्भाव 3. पैदाइश; जन्म 4. आरंभ; शुरू 5. उद्गम।
उत्पथ (सं.) [सं-पु.] कुपथ; बुरा रास्ता।

उत्पन्न (सं.) [वि.] 1. पैदा या जन्मा हुआ 2. उपजा हुआ 3. उद्भूत या घटित 4. निर्मित किया हुआ।
उत्परिवर्तन (सं.) [सं-पु.] पौधों तथा प्राणियों में होने वाला वह आकस्मिक परिवर्तन जिसमें उनमें अचानक ऐसे गुण उत्पन्न हो जाते हैं जिनका कोई संबंध उनके पूर्वजों से नहीं होता।
उत्पल (सं.) [सं-पु.] 1. कमल; नीरज; पंकज; अंबुज 2. पौधा। [वि.] जो बहुत दुबला-पतला हो; क्षीणकाय।

उत्पवन (सं.) [सं-पु.] 1. शुद्धीकरण; पवित्रीकरण; कुश से पूजन सामग्री पर जल तथा अग्नि में घी छिड़कना 2. जल छानने की क्रिया; स्वच्छ करने का यंत्र।