उदूल (अ.) [सं-पु.] अवज्ञा; उल्लंघन; अवहेलना; नाफ़रमानी; आज्ञा न मानना।
उदूलहुक्मी (अ.) [सं-स्त्री.] आदेश की अवहेलना; आज्ञा का उल्लंघन; नाफ़रमानी।
उद्गत (सं.) [वि.] 1. निकला हुआ; उद्भूत; निर्गत; उत्पन्न 2. प्रकट 3. ऊपर आया हुआ; फैला हुआ 4. प्राप्त 5. वमन किया हुआ।
उद्गम (सं.) [सं-पु.] 1. उत्पत्ति; उत्पत्ति स्थान; स्रोत; जन्म; वह स्थान जहाँ से कोई नदी निकलती हो 2. उठना 3. ऊपर आना 4. निकास 5. आविर्भाव 6. अँखुआ; अंकुर 7. दृष्टि।
उद्गमन (सं.) [सं-पु.] 1. आविर्भाव; मूलस्रोत; उद्भव; उत्पत्ति 2. ऊपर चढ़ने या जाने की क्रिया।
उद्गम-स्थल (सं.) [सं-पु.] उत्पत्ति-स्थान; जन्म-स्थान; उद्भव-स्थली; वह स्थान जहाँ से कोई नदी निकलती हो।
उद्गाढ़ (सं.) [वि.] 1. गहरा 2. तीव्र; प्रचंड 3. बहुत अधिक; अतिशय।
उद्गाता (सं.) [सं-पु.] गायन करने वाला; सामवेद का गान करने वाला ऋत्विज।
उद्गार (सं.) [सं-पु.] 1. भले विचार या भाव; भाव-विह्वलता में अभिव्यक्त बात; आंतरिक भावों की अभिव्यक्ति 2. आधिक्य; बाढ़।
उद्गीर्ण (सं.) [वि.] 1. उगला हुआ; बाहर निकला हुआ 2. उद्गार के रूप में कहा हुआ 3. प्रतिबिंबित।
उद्ग्रंथ (सं.) [सं-पु.] 1. अध्याय 2. धारा। [वि.] खुला हुआ; मुक्त।
उद्ग्रहण (सं.) [सं-पु.] कर, ऋण आदि वसूल करने की क्रिया या भाव; ऋण वसूलना; ऋण उगाहना।
उद्ग्रहणीय (सं.) [वि.] जिसका उद्ग्रहण होने को हो; उद्ग्रहणयोग्य।
उद्ग्राह (सं.) [सं-पु.] 1. ऊपर उठाना या लाना 2. वसूली; उगाही 3. उत्तर आदि के संबंध में किया जाने वाला तर्क 4. डकार।
उद्ग्रीव (सं.) [वि.] 1. जो गला ऊपर की तरफ़ उठाए हो 2. जिसकी गरदन ऊपर उठी हो। [क्रि.वि.] गरदन ऊपर उठाए हुए।
उद्घट्टन (सं.) [सं-पु.] 1. खोलना 2. उन्मोचन 3. रगड़ 4. खंड; टुकड़ा।
उद्घाट (सं.) [सं-पु.] माल खोलकर दिखाने का स्थान; चुंगी चौकी।
उद्घाटक (सं.) [वि.] किसी कार्य विशेष को करने वाला। [सं-पु.] 1. कुएँ से पानी खींचने की चरखी 2. चाबी; कुंजी।
उद्घाटन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी सम्मेलन, संस्था आदि के कार्य की किसी विशेष व्यक्ति द्वारा की जाने वाली औपचारिक शुरुआत 2. आवरण या परदा हटाना; खोलना; प्रकट करना।
उद्घाटनकर्ता (सं.) [वि.] उद्घाटन करने वाला; कार्यक्रम को औपचारिक रूप से प्रारंभ करने वाला।
उद्घाटित (सं.) [वि.] 1. अनावरित; आरंभ किया हुआ 2. उघाड़ा या खोला हुआ 3. ऊपर उठाया हुआ।
उद्घात (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; धक्का 2. आरंभ 3. पुस्तक का अध्याय।
उद्घातक (सं.) [वि.] धक्का मारने वाला। [सं-पु.] नाटक में प्रस्तावना का वह प्रकार जिसमें सूत्रधार और नटी की कोई बात सुनकर कोई पात्र उसका कुछ दूसरा ही अर्थ समझकर नेपथ्य से उसका उत्तर देता है अथवा रंगमंच पर आकर अभिनय आरंभ करता है।
उद्घोष (सं.) [सं-पु.] 1. घोषणा 2. तेज़ आवाज़ में की गई पुकार 3. ऊँची आवाज़ में कुछ कहना 4. जनता में प्रसारित बात; मुनादी; डोंड़ी; डुग्गी।
उद्घोषक (सं.) [वि.] 1. किसी सूचना की घोषणा करने वाला; (अनाउंसर) 2. पुकारने वाला।
उद्घोषणा (सं.) [सं-स्त्री.] सार्वजनिक जानकारी के लिए दी जाने वाली सूचना; सरकारी तौर पर की जाने वाली घोषणा।
उद्घोषित (सं.) [वि.] 1. जिसके बारे में उद्घोषणा की गई हो 2. की गई घोषणा।
उद्दंड (सं.) [वि.] 1. जो अनुचित या मनमाना आचरण करता हो; स्वेच्छाचारी 2. जिसे दंड का भय न हो 3. अक्खड़ 4. दुस्साहसी 5. दुष्ट; उद्धत।
उद्दंडता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनमानी करने का भाव; अक्खड़पन 2. दुस्साहस 3. किसी से न दबने वाला भाव 4. दुष्टता।
उद्दंडतापूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] 1. अक्खड़ता या अड़ियलपन के साथ 2. स्वच्छंदता पूर्वक 3. दुष्टता से।
उद्दम (सं.) [सं-पु.] 1. पराभव; दमन 2. वश में करना; किसी को दबाना।
उद्दाम (सं.) [वि.] 1. प्रचंड; उग्र; असाधारण; असीम; विस्तृत 2. भयंकर 3. विशाल 4. निरंकुश; निर्बंध। [सं-पु.] 1. वरुण 2. (काव्यशास्त्र) दंडक वृत्त (छंद) का एक भेद जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण और तेरह रगण होते हैं।
उद्घात (सं.) [सं-पु.] 1. आघात; धक्का 2. आरंभ 3. पुस्तक का अध्याय।
उद्घातक (सं.) [वि.] धक्का मारने वाला। [सं-पु.] नाटक में प्रस्तावना का वह प्रकार जिसमें सूत्रधार और नटी की कोई बात सुनकर कोई पात्र उसका कुछ दूसरा ही अर्थ समझकर नेपथ्य से उसका उत्तर देता है अथवा रंगमंच पर आकर अभिनय आरंभ करता है।
उद्घोष (सं.) [सं-पु.] 1. घोषणा 2. तेज़ आवाज़ में की गई पुकार 3. ऊँची आवाज़ में कुछ कहना 4. जनता में प्रसारित बात; मुनादी; डोंड़ी; डुग्गी।
उद्घोषक (सं.) [वि.] 1. किसी सूचना की घोषणा करने वाला; (अनाउंसर) 2. पुकारने वाला।
उद्घोषणा (सं.) [सं-स्त्री.] सार्वजनिक जानकारी के लिए दी जाने वाली सूचना; सरकारी तौर पर की जाने वाली घोषणा।
उद्घोषित (सं.) [वि.] 1. जिसके बारे में उद्घोषणा की गई हो 2. की गई घोषणा।
उद्दंड (सं.) [वि.] 1. जो अनुचित या मनमाना आचरण करता हो; स्वेच्छाचारी 2. जिसे दंड का भय न हो 3. अक्खड़ 4. दुस्साहसी 5. दुष्ट; उद्धत।
उद्दंडता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. मनमानी करने का भाव; अक्खड़पन 2. दुस्साहस 3. किसी से न दबने वाला भाव 4. दुष्टता।
उद्दंडतापूर्वक (सं.) [क्रि.वि.] 1. अक्खड़ता या अड़ियलपन के साथ 2. स्वच्छंदता पूर्वक 3. दुष्टता से।
उद्दम (सं.) [सं-पु.] 1. पराभव; दमन 2. वश में करना; किसी को दबाना।
उद्दाम (सं.) [वि.] 1. प्रचंड; उग्र; असाधारण; असीम; विस्तृत 2. भयंकर 3. विशाल 4. निरंकुश; निर्बंध। [सं-पु.] 1. वरुण 2. (काव्यशास्त्र) दंडक वृत्त (छंद) का एक भेद जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण और तेरह रगण होते हैं।
उद्दालक (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रसिद्ध ऋषि 2. एक प्रकार का व्रत जो ऐसे व्यक्ति को करना पड़ता है जिसे सोलह वर्ष की अवस्था हो जाने पर भी गायत्री की दीक्षा न मिली हो 3. वनकोदो।