Hin Dict_K16 - हिंदी शब्दकोश - क16

कड़वी [सं-स्त्री.] पशुओं का एक प्रकार का चारा; ज्वार के पौधे या डंठल जो पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं।
कड़वी रोटी [सं-स्त्री.] (प्रथा) मृत व्यक्ति के परिजनों या कुटुंबियों के लिए उनके निकट संबंधियों द्वारा भेजा जाने वाला खाना।
कड़हन [सं-स्त्री.] 1. एक तरह का मोटा धान 2. उक्त धान का चावल।
कड़ा (सं.) [सं-पु.] 1. हाथ या पैर में पहनने का एक वृत्ताकार आभूषण 2. कड़ाही, कंडाल (लोहे, पीतल आदि से बना बड़ा गहरा पात्र) आदि को उठाने और पकड़ने के लिए उसमें लगा हुआ छल्ला 3. एक प्रकार का कबूतर। [वि.] 1. सख़्त; मज़बूत 2. जिसमें नमी या लचीलापन न हो 3. जो नरम न हो, जैसे- कड़ा आटा। [मु.] -पड़ना : कठोरता बरतना या अपनाना।
कड़ाई [सं-स्त्री.] 1. कड़ा होने की अवस्था, गुण या भाव 2. सख़्ती; कड़ापन; कठोरता।
कड़ाका [सं-पु.] 1. किसी कठोर चीज़ के टूटने से उत्पन्न होने वाला तीव्र शब्द 2. उपवास; फ़ाका।
कड़ाकेदार (हिं.+फ़ा.) [वि.] बहुत ही बढ़िया या अच्छा; ज़बरदस्त।
कड़ापन [सं-स्त्री.] 1. कड़ा होने की अवस्था, गुण या भाव; सख़्ती; कठोरता; ठोसपन 2. किसी वस्तु के अधिक सूखकर कठोर हो जाने की स्थिति।
कड़ाह (सं.) [सं-पु.] गोल आकार तथा चौड़े खुले मुँह वाला लोहे, पीतल आदि का बना एक बड़ा पात्र, जो अधिक मात्रा में भोज्य सामग्री पकाने या तलने के काम आता है; लोहे की बनी हुई बड़ी कड़ाही; कड़ाहा।
कड़ाहा (सं.) [सं-पु.] दे. कड़ाह।
कड़ाही (सं.) [सं-स्त्री.] लोहे, पीतल आदि धातु का छोटे आकार का कड़ाहा।

कड़ियल [वि.] 1. कड़ा; हट्टा-कट्टा 2. साहसी; कठोर।
कड़ी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ज़ंजीर या करधनी की लड़ी का एक छल्ला 2. छोटा छल्ला जो किसी वस्तु को लटकाने के काम आता है 3. छत में लगने वाली लकड़ी जिसे आधार बनाकर छप्पर अथवा खप्पर की छत बनाई जाती है 4. {ला-अ.} क्रम से घटित कुछ घटनाओं में से प्रत्येक 5. {ला-अ.} जोड़ने वाली बात।
कड़ुआ [सं-पु.] कड़वा।
कढ़ना [क्रि-अ.] 1. बाहर निकलना 2. उदय होना 3. अन्य की अपेक्षा आगे निकल जाना; बढ़ जाना 4. दूध आदि तरल पदार्थों का खौलकर गाढ़ा होना।
कढ़ाई [सं-स्त्री.] 1. कपड़े पर बेल-बूटे (कसीदा) काढ़ने की क्रिया, ढंग या भाव 2. काढ़ने की मज़दूरी।
कढ़ाव [सं-पु.] कशीदे या बेलबूटे का काम; कपड़े पर कढ़े हुए बेल-बूटों का उभार।
कढ़ी [सं-स्त्री.] बेसन, दही, पानी आदि को उबालकर बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध हलका गाढ़ा व्यंजन।
कढ़ुआ [सं-पु.] बड़े तथा गहरे पात्रों में से चीज़ें निकालने के लिए प्रयुक्त बरतन। [वि.] 1. काढ़ा या निकाला हुआ 2. कढ़ा या औटाया हुआ 3. जिसपर बेल-बूटे आदि काढ़े या बनाए गए हों।
कढ़ुई [सं-स्त्री.] किसी बड़े तथा गहरे पात्र में से चीज़ें निकालने के लिए प्रयुक्त मिट्टी का छोटा पात्र; पुरवा।
कण (सं.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का अंश या दाना 2. प्राणी शरीर में किसी जैविक संरचना का सूक्ष्म अंश, जैसे- रक्तकण 3. अनाज़ का छोटा दाना।

कणाद (सं.) [सं-पु.] वैशेषिक दर्शन के प्रणेता उलूक मुनि (कणाद के नामकरण के विषय में यह मान्यता है कि वे खेत से अन्न कणों को चुनकर जीवन निर्वाह करते थे इसीलिए इन्हें कणाद या कणभुक कहते हैं)।
कणाद सूत्र (सं.) [सं-पु.] वैशेषिक दर्शन का आधार ग्रंथ ('वैशेषिक सूत्र' को ही कणाद सूत्र कहते हैं)।
कणिक (सं.) [सं-पु.] 1. कण 2. गेहूँ का आटा 3. अनाज की बाली।
कणिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बहुत छोटा कण; कनी 2. रक्त में प्रसरणशील छोटे कण जो लाल और सफ़ेद रंग के होते हैं।
कणिकामय (सं.) [वि.] कणमय; दानेदार।
कणिकायित (सं.) [वि.] कण से युक्त।
कणिश (सं.) [सं-पु.] अनाज (जैसे- जौ, गेहूँ आदि) की बाल।
कण्व (सं.) [सं-पु.] 1. ऋग्वेद के आठवें मंडल में उल्लिखित तथा शुक्ल यजुर्वेद की एक शाखा के प्रवर्तक वैदिक ऋषि 2. शकुंतला के धर्मपिता।
कत (सं.) [सं-पु.] 1. रीठे या निर्मली का पेड़ 2. सरकंडे की कलम का वह भाग जो लिखने के लिए तिरछा काटा जाता है।
कतई (अ.) [क्रि.वि.] बिलकुल; कदापि; हरगिज़।
कतना [क्रि-अ.] सूत आदि का काता जाना। [क्रि-स.] कातना।
कतरन [सं-स्त्री.] 1. कागज़, कपड़े आदि को काटने के उपरांत शेष बचे अनुपयोगी टुकड़े; धज्जियाँ।
कतरना (सं.) [क्रि-स.] कैंची या सरौते आदि से किसी चीज़ को काटना; काट-छाँट करना।

कतरनी (सं.) [सं-स्त्री.] कतरने का औज़ार; कैंची।