Hin Dict_K17 - हिंदी शब्दकोश - क17

कतरब्योंत [सं-स्त्री.] 1. अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी चीज़ में काट-छाँट करने की क्रिया या भाव 2. हेरफेर; उलटफेर 3. सोच-विचार; उधेड़बुन 4. जोड़-तोड़; युक्ति।
कतरवाँ [वि.] 1. जो कतरकर या काटकर बनाया गया हो 2. घुमाव-फिराव वाला; तिरछा।
कतरवाना [क्रि-स.] किसी को कोई चीज़ काटने में प्रवृत्त करना।
कतरा (अ.) [सं-पु.] किसी भी तरल अर्थात द्रव पदार्थ की बूँद, जैसे- ख़ून का क़तरा, पानी का क़तरा।
क़तरा (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कतरा)।
कतराना [क्रि-अ.] 1. किसी कार्य को करने से बचना 2. किसी की निगाह बचाकर चुपके से निकल जाना।
कतला [सं-पु.] किसी खाद्य पदार्थ का कटा हुआ तिकोन या चौकोर टुकड़ा, जैसे- बरफ़ी का कतला।
कतली [सं-स्त्री.] 1. चीनी की चाशनी में खोआ, गरी के बुरादे, खरबूजे के बीज, बादाम आदि डालकर जमाई हुई मिठाई; बरफ़ी 2. उक्त प्रकार से निर्मित मिठाई या पकवान का कटा हुआ चौकोर टुकड़ा।
कतवार (सं.) [सं-पु.] 1. घर से निकलने वाला कूड़ा-करकट 2. {ला-अ.} अनुपयोगी या व्यर्थ वस्तुओं का जमघट।
कता (अ.) [सं-स्त्री.] 1. किसी वस्तु के बनने-बनाने का ढंग; तर्ज़; बनावट; आकार; शैली; तराश; काट 2. पहनने के कपड़ों की कतर-ब्योंत; काट-छाँट 3. अरबी, फ़ारसी या उर्दू का कोई छोटा पद्य अथवा उसका चरण।
कताई [सं-स्त्री.] 1. कातने की क्रिया, ढंग या भाव 2. कातने का पारिश्रमिक या मज़दूरी 3. सूत्रकर्म।

कतान (फ़ा.) [सं-पु.] 1. उच्च कोटि का रेशमी कपड़ा जिससे साड़ियाँ या दुपट्टे आदि बनाए जाते हैं 2. प्राचीन काल में अलसी के रेशे या छाल से बनाया जाने वाला एक प्रकार का मुलायम कपड़ा।
कतार (अ.) [सं-स्त्री.] 1. पंक्ति; श्रेणी; पाँत 2. शृंखला; क्रम; सिलसिला 3. समूह; झुंड।
क़तार (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कतार)।
कतारा (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार का लंबा एवं मोटा गन्ना जो लाल रंग का होता है 2. इमली की फली।
कतिधा (सं.) [वि.] अनेक प्रकार का; भाँति-भाँति का; कई क़िस्म का। [क्रि.वि.] कई तरह से; अनेक प्रकार से; भाँति-भाँति से।
कतिपय (सं.) [वि.] कुछ; थोड़े से; जिनकी संख्या कम हो।
कतीरा (अ.) [सं-पु.] गूल नामक वृक्ष की गोंद जो औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है।
कत्ता (सं.) [सं-पु.] 1. एक औज़ार जिससे लोग बाँस वगैरह काटते या चीरते हैं; बाँका; बाँक 2. छोटी टेढ़ी तलवार 3. पासा।
कत्ती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छोटे आकार की तलवार; कटार 2. चाकू; छुरी 3. सुनारों की कतरनी 4. बत्ती की तरह बटकर अर्थात लपेटकर बाँधी जाने वाली एक प्रकार की पगड़ी।
कत्थई (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का रंग। [वि.] कत्थे अथवा खैर के रंग का; खैरा।
कत्थक (सं.) [सं-स्त्री.] उत्तर भारत की एक शास्त्रीय नृत्यशैली; कथक।
कत्था (सं.) [सं-पु.] 1. खैर की लकड़ियों को उबालकर निकाला हुआ गाढ़ा और सुखाया गया अर्क या सार जो पान में खाया जाता है 2. खैर का वृक्ष।
कत्ल (अ.) [सं-पु.] हत्या; वध।

क़त्ल (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कत्ल)।
कत्लगाह (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] वधस्थल; कसाईख़ाना; बूचड़ख़ाना।
कत्लेआम (अ.) [सं-पु.] जनसंहार; सार्वजनिक हत्या; जनसाधारण की हत्या; बड़े पैमाने पर किया जाने वाला जुनूनी कत्ल।
क़त्लेआम (अ.) [सं-पु.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कत्लेआम)।
कथक (सं.) [सं-पु.] 1. उत्तर भारत का एक प्रकार का शास्त्रीय नृत्य; कत्थक 2. किस्से-कहानियाँ सुनाने का काम करने वाला व्यक्ति; किस्सागो 3. रंगमंच का वह पात्र जो नाटक के आरंभ में उसकी पूरी कथा का वर्णन करता है; कथा उद्घोषक या सूत्रधार।
कथकली (मल.) [सं-पु.] दक्षिण भारत की एक नृत्यशैली; केरल का एक लोकनृत्य।
कथन (सं.) [सं-पु.] 1. कोई बात कहने की क्रिया या भाव; कहना; बोलना 2. वह जो कहा गया हो; कही गई बात; उक्ति; वचन; वाक्य 3. वर्णन 4. उपन्यास का एक भेद।
कथनी (सं.) [सं-स्त्री.] कोई बात, कथन या उक्ति; कहने की क्रिया या भाव।
कथनीय (सं.) [वि.] 1. कहे जाने योग्य 2. वर्णन किए जाने योग्य; वर्णनीय।
कथरी (सं.) [सं-स्त्री.] पुराने चिथड़े कपड़ों को जोड़कर तथा सिलकर बनाया गया बिछावन; गुदड़ी।
कथा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कहानी; बीते हुए जीवन की घटनाओं का क्रम; वर्णन; किस्सा 2. वह जो कही जाए, जैसे- धर्मविषयक आख्यान, किसी घटना की चर्चा 3. हाल; ख़बर।
कथांतर (सं.) [सं-पु.] किसी कथा के अंतर्गत की गई अन्य गौण कथा।

कथांश (सं.) [सं-पु.] कथा का अंश, खंड या भाग।