Hin Dict_K19 - हिंदी शब्दकोश - क19

कदाचारी (सं.) [वि.] 1. जिसे बुरा आचरण करने के लिए अपराधी माना गया हो; बुरा आचरण करने वाला; दुराचारी; अपराधी; दुर्जन 2. घोटालेबाज़; भ्रष्टाचारी 3. पापी 4. लंपट।
कदाचित (सं.) [अव्य.] 1. संभवतः; शायद; कभी 2. किसी कार्य या बात की संभावना को अनिश्चित रूप से सूचित करने वाला एक अव्यय।
कदापि (सं.) [क्रि.वि.] किसी कार्य के संबंध में निषेध के रूप में प्रयुक्त; कभी (नहीं); हरगिज़; किसी भी अवस्था में।
कदाशय [वि.] अनुचित आशयवाला; अनुचित उद्देश्यवाला; बुरे इरादेवाला।
कदाशयता [सं-स्त्री.] कदाशय होने की अवस्था या भाव; बुरा आशय, उद्देश्य या इरादा।
कदाहार (सं.) [सं-पु.] 1. दूषित या निकृष्ट भोजन 2. अनियमित समय का भोजन; जब-तब किया गया भोजन।
कदीम (अ.) [वि.] 1. जो आदि से हो; अनादि 2. पुरातन; प्राचीन; पुराना।
क़दीम (अ.) [वि.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कदीम)।
कदीमी (अ.) [वि.] पुराना; प्राचीन; पारंपरिक; पुरातन; पुराने समय का; कदीम।
कदीर (अ.) [सं-पु.] 1. मज़बूत; ताकतवर; शक्तिशाली; बलवान 2. सर्वशक्तिमान; ईश्वर 3. समर्थ।
कदुष्ण (सं.) [वि.] इतना गरम कि जिसको छूने से त्वचा न जले; थोड़ा गरम; कुनकुना।
कदूरत (अ.) [सं-स्त्री.] 1. मैलापन; गंदापन 2. दुर्भाव; वैमनस्य; मनमुटाव।

कद्दावर (हिं.+फ़ा.) [वि.] लंबे-चौड़े आकारवाला; बड़े डील-डौल का; विशालकाय।
कद्दू (फ़ा.) [सं-पु.] लौकी की तरह का प्रसिद्ध गोल फल जिसकी सब्ज़ी बनती है।
कद्दूकश (फ़ा.) [सं-पु.] 1. एक उपकरण जिससे कद्दू आदि के छोटे-छोटे लच्छे बनाते हैं 2. कद्दू कसने, घिसने का एक उपकरण।
कद्र (अ.) [सं-स्त्री.] 1. गुण की परख; आदर 2. कीमत; मूल्य 3. आदर-सत्कार 4. इज़्ज़त; प्रतिष्ठा; सम्मान 5. महत्व।
क़द्र (अ.) [सं-स्त्री.] उर्दू उच्चारणानुसार वर्तनी (दे. कद्र)।
कद्रदाँ (अ.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] कद्र या मान बढ़ाने वाला; इज़्ज़त करने वाला; गुणग्राहक।
कन [सं-पु.] 1. कान का संक्षिप्त रूप जो कुछ यौगिक शब्दों के आरंभ में लगता है, जैसे- कनकटा, कनफटा 2. अनाज के दाने का छोटा टुकड़ा।
कनक (सं.) [सं-पु.] 1. स्वर्ण; सोना 2. धतूरा 3. टेसू 4. पलाश; ढाक 5. नागकेसर 6. खजूर 7. गेहूँ का आटा 8. अनाज।
कनकना [वि.] 1. हलके आघात से भी टूट जाने वाला 2. चुनचुनाने वाला; हलकी खुजली उत्पन्न करने वाला 3. तुनकमिज़ाज; चिड़चिड़ा।
कनकनाना [क्रि-अ.] 1. किसी पदार्थ विशेष के स्पर्श से शरीर में खुजली या चुनचुनाहट होना 2. अरुचिकर या अप्रिय लगना; नागवार लगना 3. चौकन्ना या सतर्क होना 4. रोमांचित होना।
कनका (सं.) [सं-पु.] 1. कोई छोटा कण; कनकी 2. किसी अनाज के दाने का छोटा टुकड़ा।

कनकी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. चावलों के टूटे हुए छोटे-छोटे टुकड़े 2. छोटा कण।
कनकूत (सं.) [सं-पु.] 1. आँकने या अनुमान करने की क्रिया या भाव 2. खेत में खड़ी फ़सल को देखकर उपज के विषय में किया जाने वाला अनुमान।
कनकौआ [सं-पु.] 1. कागज़ की बड़ी पतंग; गुड्डी 2. एक प्रकार की घास जो बारिश के मौसम में होती है।
कनखजूरा [सं-पु.] 1. एक ज़हरीला कीड़ा जिसके अनेक पैर होते हैं 2. रेंगकर चलने वाला एक जीव; गोजर।
कनखा (सं.) [सं-पु.] 1. कोंपल 2. छोटी शाखा; टहनी 3. डाल।
कनखियाना [क्रि-स.] 1. कनखियों से देखना; तिरछी नज़र से देखना 2. आँख से इशारा करना; कनखी मारना।
कनखी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आँख की कोर 2. दूसरों की निगाह बचाकर किया जाने वाला संकेत 3. तिरछी निगाह से देखने की क्रिया 4. आँख का इशारा। [मु.] -मारना : आँख से इशारा करना।
कनखोदनी [सं-स्त्री.] कान का मैल साफ़ करने के लिए प्रयुक्त एक छोटा और तार के जैसा पतला उपकरण।
कनछेदन [सं-पु.] हिंदुओं के सोलह संस्कारों में से एक जिसमें बालक के कान में छेद किया जाता है; कर्णवेध।
कनटोप [सं-पु.] एक ऐसी टोपी जिससे सिर के साथ-साथ दोनों कान भी पूरी तरह ढक जाते हैं।
कनपटी [सं-स्त्री.] 1. मनुष्य के शरीर का वह अंग जो माथे के छोर पर कान के आगे स्थित है; कान और आँख के बीच का स्थान 2. गंडस्थल।
कनपेड़ा [सं-पु.] एक रोग जिसमें कान के नीचे सूजन होती है तथा गिल्टियाँ निकल आती हैं; गलसुआ।

कनफटा [सं-पु.] गोरखपंथी साधु जिनके कान बिल्लौर के बाले पहनने के लिए फाड़े जाते हैं।