कंजर (सं.) [सं-पु.] 1. हाथी 2. सूर्य 3. ब्रह्मा।
कंजल (सं.) [सं-पु.] एक प्रकार का पक्षी।
कंजा (सं.) [सं-पु.] एक कँटीली झाड़ी जिसकी फली से औषधि बनाई जाती है। [वि.] 1. जिसकी आँखें कंजी हों 2. ख़ाकी रंग का, कंजे की फली के रंग का 3. गहरा ख़ाकी।
कंजाभ (सं.) [सं-पु.] कमल जैसी आभा। [वि.] कमल के समान कांति वाला।
कंजावलि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक वर्णिक छंद 2. पंकजवाटिका 3. एकावली।
कंजिका (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का पौधा जिसकी पत्तियाँ दवा बनाने में प्रयुक्त होती हैं; भारंगी।
कंजियाना [क्रि-अ.] 1. कंजई रंग का होना; कुछ नीलापन लिए काला हो जाना 2. अंगारों का बुझ जाना; झँवाना 3. मुरझाना 4. ठंडा होना।
कंजी (सं.) [वि.] गहरे ख़ाकी रंग का।
कंजूस (सं.) [वि.] 1. धन होने पर भी ज़रूरत के समय ख़र्च न करने वाला व्यक्ति 2. जो हीन अवस्था में रहकर धन का संचय करता हो 3. कृपण 4. सूम 5. ख़सीस |
कंजूसी [सं-स्त्री.] 1. कृपणता 2. कंजूस होने का गुण, भाव या अवस्था।
कंज़्यूमर कल्चर (इं.) [सं-पु.] उपभोक्ता संस्कृति; सुख-सुविधाओं की वस्तुओं का अधिकाधिक उपभोग करने की प्रवृत्ति या संस्कृति।
कंज़्यूमरिज़म (इं.) [सं-पु.] उपभोक्तावाद।
कंट (सं.) [सं-पु.] काँटा। [वि.] कँटीला।
कंटक (सं.) [सं-पु.] 1. काँटा 2. नुकीला तार; सुई 3. {ला-अ.} बाधा; विघ्न उत्पन्न करने वाली वस्तु या बात; त्रासद चीज़ 4. दुश्मन 5. मछली पकड़ने का काँटा।
कंटक द्रुम (सं.) [सं-पु.] काँटेदार वृक्ष, जैसे- सेमल वृक्ष।
कंटक फल (सं.) [सं-पु.] काँटेदार फल, जैसे- गोखरू, कटहल, धतूरा, सिंघाड़ा आदि।
कंटकाकीर्ण (सं.) [वि.] 1. काँटों से भरा हुआ (मार्ग); कँटीला 2. {ला-अ.} बाधाओं से युक्त; मुश्किल।
कंटकी (सं.) [सं-पु.] 1. काँटेदार वनस्पति 2. खैर का पेड़ 3. बेर का पेड़ 4. बाँस 5. गोखरू 6. एक प्रकार की छोटी मछली। [वि.] 1. कँटीला 2. काँटेदार; काँटों से युक्त 3. {ला-अ.} कष्टप्रद।
कंटर (इं.) [सं-पु.] काँच की बनी हुई सुराही जिसमें शरबत, शराब या गुलाबजल रखा जाता है; कनस्तर।
कंटल (सं.) [सं-पु.] बबूल वृक्ष।
कंटाप [सं-पु.] ऐसी चीज़ जिसका ऊपरी या सामने वाला सिरा भारी हो।
कंटालु (सं.) [सं-पु.] 1. कँटीला बाँस 2. कीकर 3. बबूल 4. भटकटैया।
कंटिका (सं.) [सं-स्त्री.] स्टील का नुकीला तार जिसका एक सिरा घुंडीदार या गोलाई में मुड़ा होता है और जो कागज़ या कपड़े में लगाया जाता है; (आलपीन)।
कंटिकाधार (सं.) [सं-पु.] लकड़ी आदि का बना वह गद्दीदार या स्पंजी ढाँचा जिसमें कंटिका या आलपीन खोंसकर रखी जाती है; पिनगद्दा; शूकधानी; (पिनकुशन)।
कंटेंट (इं.) [सं-पु.] 1. अंतर्वस्तु अंश 2. सारांश 3. अवयव 4. तत्व। [सं-स्त्री.] 1. विषयवस्तु 2. परितृप्ति 3. संतुष्टता।
कंटेंपरेरी (इं.) [वि.] समकालीन; समसामयिक।
कंटोप [सं-पु.] ऐसी टोपी जिससे सिर और दोनों कान ढके रहते हैं।
कंट्रेक्चुअल (इं.) [वि.] संविदात्मक; संविदा संबंधी।
कंट्रैक्टर (इं.) [सं-पु.] ठेके पर कार्य करवाने वाला; ठेकेदार।
कंट्रोल (इं.) [सं-पु.] अंकुश; नियंत्रण; निर्बंध; प्रभुत्व; अधिकार; शासन; संयम।
कंठ (सं.) [सं-पु.] 1. गला; गरदन; गले का भीतरी हिस्सा; टेंटुआ 2. गले की वे नलियाँ जिससे आवाज़ निकलती है तथा भोजन निगला जाता है 3. गले से निकली आवाज़ अथवा स्वर। [मु.] -फूटना : मुँह से शब्द निकलना।
कंठगत (सं.) [वि.] 1. गले में आया हुआ 2. गले में स्थित या अटका हुआ।
कंठद्वार (सं.) [सं-पु.] मुख में स्वर रज्जुओं के बीच का स्थान।
कंठमणि (सं.) [सं-पु.] 1. गले में पहना गया रत्न 2. घोड़े की एक भँवरी जो कंठ के पास होती है 3. अत्यंत प्रिय वस्तु 4. टेंटुआ।