Hin Dict_a38 - हिंदी शब्दकोश - अ38


अय (सं.) [सं-पु.] 1. लोहा 2. अग्नि 3. हथियार 4. सोना। [अव्य.] संबोधन के लिए प्रयुक्त शब्द; ऐ; हे।
अयथार्थ (सं.) [वि.] 1. जो यथार्थ न हो; काल्पनिक; निराधार; तथ्यहीन 2. अवास्तविक 3. मिथ्या; असत्य 4. मायावी; छद्म; बेबुनियाद; ख़याली; वायवी 5. झूठा; कागज़ी।
अयन (सं.) [सं-पु.] 1. मार्ग; रास्ता 2. गमन; गति; चाल; संचलन 3. आश्रय 4. आश्रम 5. घर; वास; स्थान 6. काल; समय 7. वर्ष का आधा भाग 8. सूर्य और चंद्रमा की उत्तर और दक्षिण की ओर गति या प्रवृत्ति जिन्हें क्रमशः उत्तरायण और दक्षिणायण कहा जाता है 9. बारह राशियों के चक्र का आधा 10. राशि चक्र।
अयनकाल (सं.) [सं-पु.] सूर्य के उत्तरायण या दक्षिणायन रहने का काल जो छह महीनों का होता है।
अयनांत (सं.) [सं-पु.] 1. किसी अयन या गति का अंत 2. (ज्योतिष) दो अयनों के बीच का संधिकाल; संक्रांति 3. अयन सीमा।
अयश (सं.) [सं-पु.] 1. यश का अभाव; गुमनामी 2. अपयश; बदनामी 3. लांछन।
अयस (सं.) [सं-पु.] 1. खनिज 2. इस्पात 3. धातु 4. लोहा।
अयस्क (सं.) [सं-पु.] 1. बिना शुद्ध की हुई कच्ची धातु; (ओर) 2. वह शिलाखंड जिसमें अपरिष्कृत या कच्ची धातुएँ निकलती हैं 3. बिना साफ़ की हुई धातु।
अयाचक (सं.) [वि.] 1. न माँगने वाला; याचना न करने वाला; जो किसी से याचना न करता हो; अयाची 2. जिसे किसी काम या बात की कामना रह गई हो; कुछ माँगने की ज़रूरत न रह गई हो 3. संतुष्ट।
अयाचित (सं.) [वि.] बिना माँगा हुआ; जिसके लिए याचना या प्रार्थना न की गई हो।
अयाल (फ़ा.) [सं-पु.] 1. सिंह और घोड़े की गरदन के बाल; शरीर रोम 2. केसर।
अयास (सं.) [वि.] अनायास; बिना कोशिश के; स्वतः; अपने आप।
अयुक्त (सं.) [वि.] 1. अनुचित; अयोग्य; गलत; तर्कहीन 2. अलग; असंयुक्त 3. असंबद्ध; अंडबंड 4. आपदाग्रस्त 5. अनमना।
अयुक्ति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. युक्ति का अभाव; कुतर्क 2. गड़बड़ी; असंबद्धता; पार्थक्य 3. एकरूपता का अभाव 4. अप्रवृत्ति।
अयुक्तियुक्त (सं.) [वि.] 1. जो युक्तियुक्त या तर्कपूर्ण न हो 2. अतर्कसंगत।
अयुग (सं.) [वि.] 1. जो सम न हो; विषम; अलग 2. जो जोड़ा न गया हो; अकेला।
अयुग्म (सं.) [सं-पु.] 1. जिसका कोई युग्म या जोड़ा न हो; अकेला 2. जो सम न हो; विषम।
अयुज (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई साथी या दोस्त न हो; अकेला; एकाकी 2. जो किसी के साथ जुड़ा, लगा या मिला न हो।
अयुत (सं.) [वि.] 1. जो मिला हुआ न हो; अलग; पृथक 2. अक्षुब्ध।
अयुध्य (सं.) [वि.] 1. जो युद्ध करने लायक या योग्य न हो 2. जिससे युद्ध न किया जा सकता हो।
अयोग (सं.) [सं-पु.] 1. अलगाव; बिलगाव; वियोग 2. अयुक्तता; पार्थक्य 3. अनुपयुक्तता; अनौचित्य 4. अप्राप्ति 5. अक्षमता 6. संकट 7. कुयोग; दुर्योग 8. जिसका अर्थ कठिनाई से बैठाया जा सके; कूट 9. हथौड़ा 10. (ज्योतिष) बुरे ग्रह-नक्षत्र आदि से युक्त समय।
अयोगात्मक (सं.) [वि.] 1. आकृति के आधार पर भाषाओं का एक वर्ग 2. (भाषा) जिसमें विभक्तियाँ न हों।
अयोग्य (सं.) [वि.] 1. जो योग्य न हो; नाकाबिल; अकुशल; अक्षम 2. अनुपयुक्त 3. निकम्मा; नालायक; अपात्र 4. अनधिकारी 5. अनुचित; नामुनासिब 6. बेकाम; बेकार; निखद।
अयोग्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अयोग्य होने की अवस्था या भाव 2. निकम्मापन 3. अपात्रता 4. अनौचित्य।
अयोजित (सं.) [सं-पु.] 1. अनियोजित; जिसकी योजना न की गई हो 2. अनिश्चित; अप्रत्याशित 3. उद्देश्यहीन 4. क्रमहीन; अव्यवस्थित 5. बेतरतीब।
अयोध्या (सं.) [सं-पु.] 1. पूर्वी उत्तरप्रदेश का एक प्राचीन शहर 2. अवधपुरी; कोशल; साकेत 3. (रामायण) सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी।
अयोनि (सं.) [वि.] 1. जो योनि से उत्पन्न न हुआ हो; जो गर्भ से पैदा न हुआ हो; अजन्मा 2. नित्य। [सं-पु.] (पुराण) ब्रह्मा; शिव।
अयौक्तिक (सं.) [वि.] असंगत; युक्तिविहीन।
अयौगिक (सं.) [सं-पु.] 1. अनियमित रूप से व्युत्पन्न; रूढ़ 2. जिसका योग से संबंध न हो 3. जो यौगिक न हो; तत्व या मिश्रण (पदार्थ)।
अय्यार [सं-पु.] ऐयार; जासूस; भेष बदल कर पता लगाने वाला; माया रचने वाला।
अय्याश (अ.) [वि.] विलासी; लंपट; कामुक; व्यभिचारी।
अय्याशी (अ.) [सं-स्त्री.] 1. विलासिता; कामुकता; लंपटता 2. व्यभिचार; अश्लीलता।
अर (सं.) [सं-पु.] 1. पहिए में लगने वाली आड़ी लकड़ी; आरी; (रेडियस) 2. तीली 3. कोना; कोण।
अरइल [सं-पु.] एक प्रकार का वृक्ष।
अरई (सं.) [सं-स्त्री.] बैल, भैंसा आदि हाँकने की लकड़ी की छड़ी जिसमें लोहे की नुकीली नोक लगी होती है।
अरक1 (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. आक या मदार का पौधा।
अरक2 (अ.) [सं-पु.] 1. किसी पदार्थ का सत्व या सार जो भभके से खींचकर निकाला जाता है; अर्क 2. मद्य; आसव; ताड़ी 3. रस; इत्र 4. पसीना; स्वेद। [मु.] -निकालना : सार या तत्व निकालना; (व्यक्ति को) बेदम कर देना।
अरकाटी [सं-पु.] गिरमिटिया कुलियों-मज़दूरों को भरती करने वाला व्यक्ति; ठेकेदार जो विदेशों में कुलियों-मज़दूरों को भेजने का काम करता हो।
अरकान (अ.) [सं-पु.] 1. वह कर्मचारी जिसपर किसी कार्य का दारोमदार या पूरा दायित्व हो 2. स्तंभ 3. राज्य का प्रमुख अधिकारी; मंत्री 4. कारिंदा; गुमाश्ता 5. उर्दू छंदों के मात्रा-रूप अक्षर 6. वैभव; संपत्ति।।
अरक्षित (सं.) [वि.] जिसकी रक्षा न की जाती हो; असुरक्षित; असहाय।
अरगजा [सं-पु.] केसर, चंदन तथा कपूर आदि को मिला कर बनाया जाने वाला एक सुगंधित लेप।
अरगज़ी [वि.] 1. अरगज़ा से संबंधित 2. अरगज़ा की तरह का; अरगज़ा के समान रंग या सुगंधवाला।
अरघा [सं-पु.] 1. अर्घ देने का एक लंबोतरा पात्र 2. अर्घपात्र की तरह की एक आकृति जिसमें शिवलिंग स्थापित किया जाता है; जलघरी; जलहरी 3. कुएँ की जगत पर पानी निकालने के लिए बनी अर्घपात्र के आकार की नाली।
अरघान (सं.) [सं-स्त्री.] ख़ुशबू; सुगंध; महक।
अरचित (सं.) [वि.] 1. जो रचा न गया हो; जिसकी अभी रचना न हुई हो 2. अकल्पित; अगठित 3. अनिर्मित 4. प्राकृतिक; असृष्ट।
अरज़ी (अ.) [सं-स्त्री.] प्रार्थना-पत्र; दरख़्वास्त।
अरजेंट (इं.) [वि.] 1. अत्यावश्यक 2. जिसकी तत्काल और प्राथमिकता के साथ ज़रूरत हो।
अरणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. आग जलाने वाली लकड़ी; अग्निकाष्ठ 2. पीपल 3. वैजयंती 4. सूर्य; अग्नि।
अरण्य (सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. संन्यासियों का एक भेद 3. कायफल।
अरण्यक (सं.) [सं-पु.] 1. वन; जंगल 2. जंगल का समाज; जंगल की सभा 3. एक पौधा।
अरण्यगान (सं.) [सं-पु.] 1. एकांत वन में गाया जाने वाला गीत 2. सामवेद का वन में गाया जाने वाला गान 3. {ला-अ.} वह अच्छा काम जिसे देखने-सुनने-समझने वाला कोई न हो।
अरण्यचंद्रिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन-प्रांतर की चाँदनी 2. ऐसा साज-शृंगार जिसे देखने-सराहने वाला कोई न हो।
अरण्यता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन-प्रांतर सरीखा एकांत 2. निरापदता; निश्चिंतता; शांति।
अरण्यदमन (सं.) [सं-पु.] दोन नामक एक जंगली पौधा।
अरण्यनिनाद (सं.) [सं-पु.] 1. जंगल में होने वाला शोर 2. ऐसा शोरगुल या आपत्ति-प्रतिरोध की ऐसी आवाज़ जिसपर कोई ध्यान देने वाला न हो।
अरण्यपंडित (सं.) [सं-पु.] ऐसा पंडित या विद्वान जिसके ज्ञान और विद्वत्ता को कोई सुनने-समझने या परखने वाला न हो।
अरण्यपति (सं.) [सं-पु.] 1. जंगल का राजा 2. सिंह; अरण्यराज।
अरण्यप्रदेश (सं.) [सं-पु.] वन क्षेत्र; जंगली इलाका।
अरण्ययान (सं.) [सं-पु.] 1. जंगल की ओर प्रस्थान करना 2. वानप्रस्थ आश्रम में प्रवेश।
अरण्यराज (सं.) [सं-पु.] सिंह; शेर।
अरण्यरोदन (सं.) [सं-पु.] 1. ऐसा रोदन जिसे कोई सुनने वाला न हो 2. {ला-अ.} ऐसा कथन या बात जिसपर कोई ध्यान न दे 3. निरर्थक प्रार्थना; एकांत में व्यथा निवेदन।
अरण्यवास (सं.) [सं-पु.] 1. वनवास; वानप्रस्थ आश्रम 2. वन या जंगल में जाकर रहना।
अरण्यश्वान (सं.) [सं-पु.] गीदड़; भेड़िया।
अरण्या (सं.) [सं-स्त्री.] 1. वन में होने वाली औषधि 2. वन की देवी; अरण्यानी।
अरत (सं.) [वि.] 1. विरत; उदासीन 2. विरक्त; अप्रवृत्त 3. अनासक्त 4. सुस्त 5. असंतुष्ट।
अरति (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रति, अनुराग, प्रवृत्ति या वासना आदि का न होना 2. उदासीनता; विरक्ति; अरुचि 3. असंतोष 4. सुस्ती; आलस्य 5. व्यथा।
अरथी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बाँस या डंडों से बनाई गई वह आयताकार सीढ़ी या तख़्ती जिसपर शव को अंत्येष्टि क्रिया के लिए श्मशान ले जाया जाता है; टिकठी; शवयान 2. अंतशय्या; रत्थी; रक्षी।
अरदावा (सं.) [सं-पु.] 1. दला या कूटा हुआ अन्न 2. कुचला हुआ या नष्ट-भ्रष्ट रूप 3. भरता; चोखा।
अरदास (फ़ा) [सं-स्त्री.] 1. प्रार्थना; पूजा; भगवान को भेंट 2. मंगल कामना 3. निवेदन के साथ भेंट; नज़र 4. नानकपंथियों के ख़ास व्यवहार का शब्द।
अरना [सं-पु.] जंगली भैंसा; वन्य पशु।
अरब1 (सं.) [वि.] सौ करोड़ की सूचक (संख्या)।
अरब2 (अ.) [सं-पु.] 1. पश्चिमी एशिया का एक भूक्षेत्र जिसमें ईराक, कुवैत, मिस्र आदि कई देश स्थित हैं 2. उक्त क्षेत्र का निवासी।
अरबपति (सं.) [सं-पु.] 1. जिसके पास अरबों की धनसंपत्ति हो 2. {ला-अ.} जो बहुत धनवान हो; धनकुबेर।
अरबराना [क्रि-अ.] 1. व्याकुल होना; घबराना 2. चलने में लड़खड़ाना 3. तड़पना 4. प्रेममग्न या विह्वल होना।
अरबी (अ.) [सं-स्त्री.] अरब देश की भाषा। [सं-पु.] 1. अरबी घोड़ा; इराकी 2. अरबी ऊँट; घोड़ा 3. अरबी बाजा; ताशा। [वि.] 1. अरब में उत्पन्न 2. अरब से संबंधित।
अरमान (तु.) [सं-पु.] 1. इच्छा; लालसा; कामना 2. महत्वाकांक्षा 3. हौसला। [मु.] -कलना : मनोकामना या इच्छा की पूर्ति होना। -रह जाना : कामना या इच्छा अधूरी रह जाना।
अरराना [क्रि-अ.] 1. अरर शब्द करते हुए टूटना या गिरना 2. घोर आवाज़ करना 3. अचानक गिरना; भहराना।
अरविंद (सं.) [सं-पु.] 1. कमल 2. सारस पक्षी 3. ताँबा।
अरविंदाक्ष (सं.) [वि.] कमल के समान आँखोंवाला। [सं-पु.] (पुराण) विष्णु का एक नाम।
अरवी (सं.) [सं-स्त्री.] एक प्रकार का कंद जिसकी सब्ज़ी बनाते हैं; अरुई; घुइयाँ।
अरस (सं.) [वि.] 1. जिसमें रस न हो; रसहीन 2. फीका; स्वादहीन।
अरसा (अ.) [सं-पु.] 1. समय; काल 2. अवधि 3. लंबी अवधि 4. देर; विलंब 5. मैदान 6. शतरंज की बिसात।
अरसिक (सं.) [वि.] 1. (काव्य, संगीत आदि कलाओं में) जिसे रस न मिलता हो; अरसज्ञ 2. नीरस; रूखे स्वभाववाला 3. प्रेम-रोमांस आदि में रुचि न लेने वाला 4. गंभीर।
अरस्तू (ग्री.) [सं-पु.] यूनान का प्रसिद्ध दार्शनिक एवं विद्वान; (ऐरिस्टॉटल)।
अरहन (सं.) [सं-पु.] वह आटा या बेसन जो सब्ज़ी आदि पकाते समय उसमें मिलाया जाता है, आलन।
अरहर [सं-स्त्री.] प्रसिद्ध पौधा जिसके दानों से दाल बनती है; एक दलहन; तुअर।
अराजक (सं.) [वि.] 1. शासक या शासनहीन (राज्य) 2. अव्यवस्था उत्पन्न करने वाला; (ऐनार्किस्ट)।
अराजकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अराजक होने की स्थिति या भाव 2. राजशून्यता; समाज में विधि, शासन या व्यवस्था न रह जाने की स्थिति; (ऐनार्की) 3. किसी देश में शासक या राजा का न होना 4. उथल-पुथल; उपद्रवग्रस्तता; बदअमली 5. अनुशासनहीनता 6. अव्यवस्था; दुर्व्यवस्था; बदइंतज़ामी।
अराजकतावाद (सं.) [सं-पु.] राज्यहीन समाज व्यवस्था का प्रतिपादन करने वाला सिद्धांत; (ऐनार्किज़म)।
अराजकतावादी (सं.) [वि.] अराजकतावाद के सिद्धांत को मानने वाला; अराजकता का अनुयायी या समर्थक; (ऐनार्किस्ट)।
अराजनीतिक (सं.) [वि.] जिसका संबंध राजनीति या राजनीतिक दलों से न हो; गैरराजनीतिक।
अराजपत्रित (सं.) [वि.] जो राजपत्रित न हो; जो भारत सरकार के गजट में शामिल न हुआ हो।
अराड़ (सं.) [सं-पु.] 1. राशि; ढेर 2. वह स्थान जहाँ जलाने की लकड़ी बिकती हो; टाल।
अरारोट (इं.) [सं-पु.] एक पौधा जिसके कंद से रोगियों के आहार के लिए पौष्टिक आटा बनता है; तीखुर; अरारूट।
अराल (सं.) [सं-पु.] 1. सिर के बाल; केश 2. मतवाला या मस्त हाथी। [वि.] वक्र; कुटिल; टेढ़ा।
अरावली (सं.) [सं-पु.] राजस्थान की एक पर्वत शृंखला; एक प्रसिद्ध पहाड़ी।
अरि (सं.) [सं-पु.] 1. शत्रु; विरोधी; वैरी 2. शरीर के लिए अहितकर विकार।
अरिथमेटिक (इं.) [सं-पु.] अंकगणित।
अरिदमन (सं.) [वि.] 1. शत्रुओं का नाश करने वाला; शत्रुघ्न; अरिमर्दन 2. दूसरे राज्य को जीतने वाला।
अरिबेलस [सं-पु.] प्राचीन यूनानी लोगों द्वारा तेल, मरहम आदि रखने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वह अलंकृत पात्र जिसकी गरदन छोटी और उसके नीचे का भाग गोल होता था।
अरिमर्दन (सं.) [वि.] शत्रुओं का मर्दन या नाश करने वाला; शत्रुघ्न; अरिदमन।
अरिराज (सं.) [सं-पु.] अरि अर्थात शत्रुओं का राजा।
अरिल्ल (सं.) [सं-पु.] (काव्यशास्त्र) सोलह मात्राओं का एक छंद।
अरिष्ट (सं.) [सं-पु.] 1. आपत्ति; विपत्ति 2. अशुभ या अमंगलकारी लक्षण 3. दुर्भाग्य 4. कष्ट 5. अनिष्ट ग्रह या ग्रहयोग 6. भूकंप आदि प्राकृतिक उत्पात 7. औषधियों के मादक अर्क। [वि.] 1. अविनाशी 2. निरापद 3. अशुभ।
अरिष्टक (सं.) [सं-पु.] रीठा; निर्मली।
अरिहा (सं.) [वि.] शत्रु का नाश करने वाला; शत्रुनाशक। [सं-पु.] शत्रुघ्न।
अरी [अव्य.] स्त्रियों के लिए संबोधनसूचक शब्द।
अरीत [सं-स्त्री.] 1. रीति, नियम या परंपरा के विरुद्ध होने वाला आचरण 2. अनुचित या बुरा कार्य।
अरीतिक (सं.) [वि.] 1. जो नियम, रीति आदि के अनुसार न हो 2. शिष्टाचार रहित; अनौपचारिक; (इनफॉरमल)।
अरुंतुद (सं.) [वि.] 1. मर्म स्थान पर आघात करने वाला 2. मन को दुखाने वाला 3. जो घाव या कष्ट दे। [सं-पु.] वैरी; शत्रु; दुश्मन।
अरुंधती (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) वशिष्ठ ऋषि की पत्नी 2. (पुराण) दक्ष की कन्या जो धर्म से ब्याही थी 3. सप्तर्षि मंडल के पास का एक छोटा तारा 4. जीभ।
अरुआ [सं-पु.] 1. पान के आकार के बड़े-बड़े पत्तों वाला एक कंद जिसकी सब्ज़ी बनती है; कंदा 2. एक पेड़ जिसकी लकड़ी ढोल, तलवार की म्यान आदि बनाने के काम आती है 3. उल्लू; घुग्घू।
अरुई (सं.) [सं-स्त्री.] 1. एक प्रकार का कंद जो सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है, अरवी 2. उक्त पौधे के बड़े-बड़े पत्ते जो सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
अरुचि (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अनिच्छा; उपेक्षा 2. अश्रद्धा 3. विरक्ति; अराग 4. घृणा 5. नापसंदगी 6. मंदाग्नि रोग; भूख न लगने की अवस्था 7. जी मिचलाना।
अरुचिकर (सं.) [वि.] 1. न रुचने वाला; जो पसंद न आए; अरोचक 2. अप्रिय; नापसंद 3. कुढ़न पैदा करने वाला।
अरुचिर (सं.) [वि.] जो अच्छा न लगे, नापसंद।
अरुज (सं.) [वि.] तंदरुस्त; निरोग। [सं-पु.] 1. अमलतास 2. केसर 3. सिंदूर।
अरुण (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. सूर्य का सारथी 3. उगते हुए सूर्य का रंग 4. सांध्य की लालिमा 5. माघ महीने का सूर्य 6. सिंदूर 7. गहरा लाल रंग 8. कुंकुम। [वि.] 1. लाल 2. उषा या सिंदूर के रंग का।
अरुणाई (सं.) [सं-स्त्री.] ललाई; लालिमा; लाली।
अरुणाग्रज (सं.) [सं-पु.] गरुड़ नामक पक्षी।
अरुणात्मज (सं.) [सं-पु.] अरुण के पुत्र- सुग्रीव, कर्ण, जटायु, यम, शनि आदि।
अरुणात्मजा (सं.) [सं-स्त्री.] 1. सूर्य की पुत्री; यमुना 2. ताप्ती नदी।
अरुणाभ (सं.) [वि.] लालिमा लिए हुए; लाल रंग की आभा से युक्त।
अरुणाश्व (सं.) [सं-पु.] मरुत; वायु।
अरुणित (सं.) [वि.] 1. जिसे लाल किया गया हो; लाल रंग में रँगा हुआ 2. जिसमें लाली आ गई हो।
अरुणिमा (सं.) [सं-स्त्री.] लालिमा; लाली; सुर्ख़ी।
अरुणी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊषा 2. लाल गाय।
अरुणोदक (सं.) [सं-पु.] 1. जैन मत के अनुसार एक समुद्र जो पृथ्वी को आवेष्टित किए हुए है 2. लाल सागर।
अरुणोदय (सं.) [सं-पु.] सूर्योदय के पहले का समय जब आसमान में लाली छा जाती है; उषाकाल; भोर; तड़का।
अरुवा (सं.) [सं-पु.] दे. अरुआ।
अरुष (सं.) [वि.] 1. अक्षत 2. चमकीला 3. अक्रुद्ध। [सं-पु.] 1. सूर्य 2. ज्वाला 3. (पुराण) अग्नि का लाल घोड़ा।
अरुषी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. उषा 2. ज्वाला 3. भृगु ऋषि की पत्नी।
अरूढ़ (सं.) [वि.] अप्रचलित; जो रूढ़ न हो।
अरूढ़िगत (सं.) [वि.] जो पारंपरिक न हो; अपारंपरिक।
अरूढ़िवादी (सं.) [सं-पु.] रूढ़ियों तथा रीतियों में विश्वास न करने वाला व्यक्ति; प्रगतिशील। [वि.] जो रूढ़ीवादी न हो।
अरूप (सं.) [वि.] 1. आकृतिविहीन; निराकार 2. असमान 3. कुरूप; बदशक्ल। [सं-पु.] 1. बदशक्ल व्यक्ति 2. भद्दी शक्ल।
अरूपक (सं.) [वि.] 1. जिसका कोई रूप या आकार न हो; आकृतहीन 2. अपार्थिव 3. रूपक अलंकार से रहित (शाब्दिक)।
अरूष (सं.) [सं-पु.] 1. सूर्य 2. एक सर्प।
अरे (सं.) [अव्य.] 1. आश्चर्य, दुख, क्षोभ आदि व्यक्त करने वाला उद्गार 2. विस्मयादि बोधक संबोधन।
अरेस्ट (इं.) [सं-पु.] गिरफ़्तारी; पकड़, बंदीकरण।
अरोक [वि.] 1. जिसे रोका न जा सके या जिसपर कोई नियंत्रण न हो; जो रुकता न हो 2. जिसे बाध्य न किया जा सके; अबाध्य 3. जिसमें छिद्र न हो 4. कांतिहीन; निष्प्रभ।
अरोग (सं.) [वि.] 1. स्वस्थ; निरोग; जो बीमार न हो 2. जिसकी चिकित्सा की गई हो।
अरोगी (सं.) [वि.] जो रोगी न हो; स्वस्थ; तंदुरुस्त।
अरोचक (सं.) [वि.] 1. जो रोचक या दिलचस्प न हो 2. अरुचिकर; अरुचिर 3. जो चमकीला न हो 4. भूख मंद करने वाला। [सं-पु.] 1. अरुचि 2. अग्निमांद्य नाम का एक रोग।
अरोचकता (सं.) [सं-स्त्री.] 1. रुचि या दिलचस्पी पैदा करने के गुण का अभाव 2. अप्रियता 3. अनाकर्षण।
अर्क1 (सं.) [सं-पु.] 1. ज्योति; प्रकाश 2. किरण 3. सूर्य 4. आक; मदार 5. अग्नि 6. आहार। [वि.] पूजा करने योग्य; पूजनीय।
अर्क2 (अ.) [सं-पु.] 1. रस 2. सत्व 3. पसीना।
अर्गल (सं.) [सं-पु.] 1. अंदर से किवाड़ बंद करने का लकड़ी का डंडा; अगड़ी; किल्ला; चिटकनी; साँकला 2. अवरोध; रुकावट; रोक 3. लहर।
अर्गला (सं.) [सं-स्त्री.] 1. अगड़ी 2. सिटकिनी 3. हाथी बाँधने के काम आने वाली ज़ंजीर 4. अवरोध; रुकावट; रोक 5. दुर्गा सप्तशती में एक स्तोत्र।
अर्गलित (सं.) [वि.] 1. अर्गल से बंद 2. जिसके आगे कोई अवरोध या रुकावट लगाई गई हो; अवरुद्ध।
अर्घ (सं.) [सं-पु.] 1. पूजा के सोलह उपचारों में से एक 2. पूजा में चढ़ाई जाने वाली दूध-फल आदि सामग्री 3. शहद; मधु 4. हाथ धोने के लिए दिया गया जल 5. अश्व; घोड़ा 6. दाम; मूल्य।
अर्घपतन (सं.) [सं-पु.] 1. किसी वस्तु का अर्घ (भाव या मूल्य) कम होना या घटना 2. भाव उतरना।
अर्घ्य (सं.) [सं-पु.] 1. जल, फल-फूल आदि सामग्री जो पूजा में चढ़ाई जाती है 2. इस चढ़ावे का उपक्रम। [वि.] 1. पूजा में चढ़ाने योग्य 2. बहुमूल्य 3. पूजनीय।