उरग (सं.) [सं-पु.] साँप; सर्प; नाग; जो उर अर्थात छाती के बल चलता हो।
उरगारि (सं.) [सं-पु.] 1. साँपों का शत्रु; गरुड़ 2. एक अत्यंत सुंदर बड़ा पक्षी जिसकी पंखनुमा पूँछ लंबी होती है; मोर।
उरण (सं.) [सं-पु.] 1. भेड़ा; मेढ़ा 2. सौर मंडल का एक ग्रह; वरुण; (यूरेनस)।
उरद (सं.) [सं-पु.] 1. एक प्रकार की दाल; माष; माँह 2. वह पौधा जिसकी फलियों के दाने से यह दाल बनती है।
उरला [वि.] 1. इस तरफ़ का; इधर का 2. पीछे का; पिछला 3. 'परला' (उस तरफ़) का विलोम।
उरस्त्राण (सं.) [सं-पु.] युद्ध में छाती की रक्षा करने के लिए उस पर बाँधा जाने वाला कवच; बख़्तर।
उरा (सं.) [सं-स्त्री.] सौर जगत का वह ग्रह जिसपर हम लोग निवास करते हैं; पृथ्वी; धरती।
उरु (सं.) [सं-पु.] कमर के नीचे और घुटनों के ऊपर का अंग; जंघा; जाँघ। [वि.] 1. लंबा-चौड़ा; विस्तृत 2. विशाल; बड़ा।
उरूज (अ.) [सं-पु.] 1. उन्नति; उत्थान 2. ऊपर उठना; चढ़ना 3. शीर्ष बिंदु, जैसे- उसकी तकदीर का सितारा अभी उरूज पर है 4. वृद्धि; बढ़ती।
उरेब (फ़ा.) [ वि.] 1. टेढ़ा; तिरछा 2. धूर्तता और कपटपूर्ण।
उरेहना [क्रि-स.] 1. तस्वीर बनाना; चित्र आँकना 2. आलेखन।
उरोज (सं.) [सं-पु.] स्त्री की छाती; स्तन; वक्ष; कुच; पयोधर।
उरोस्थि (सं.) [सं-स्त्री.] उरोज या वक्ष के पास की हड्डी जो पसलियों को परस्पर जोड़ती है; (स्टर्नम)।
उर्दू (तु.) [सं-स्त्री.] भाषा; ऐसी हिंदी जिसमें अरबी-फ़ारसी भाषा के शब्द अधिक मात्रा में होते हैं और जो फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। [सं-पु.] 1. लश्कर या छावनी का बाज़ार; बाज़ार 2. सेनावास 3. फ़ौज़ी छावनी या पड़ाव।
उर्दूए-मु-अल्ला (तु.+अ.) [सं-स्त्री.] 1. परिष्कृत-परिनिष्ठित उर्दू भाषा; टकसाली उर्दू 2. दरबार या कचहरी की भाषा।
उर्फ (अ.) [सं-पु.] 1. पुकारने का नाम; उपनाम 2. मुख्य नाम के अतिरिक्त दूसरा छोटा या चलतू नाम; उपाख्य, जैसे- 'दिनकर', ' निराला', 'उग्र' आदि।
उर्मि (सं.) [सं-स्त्री.] छोटी लहर; तरंग।
उर्मिल (सं.) [वि.] 1. जिस जल में छोटी-छोटी लहरें उठ रही हों 2. लहरदार; चुन्नटदार (वस्त्र)।
उर्मिला (सं.) [सं-स्त्री.] (रामायण) राजा जनक की पुत्री जिसका विवाह लक्ष्मण के साथ हुआ था।
उर्वर (सं.) [वि.] 1. उपजाऊ (भूमि); अधिक उत्पादन-शक्तिवाली (ज़मीन); (फ़र्टाइल) 2. {ला-अ.} जिस दिमाग में नए-नए और उपयोगी विचार आते हैं।
उर्वरक (सं.) [सं-पु.] 1. खाद जो खेतों की उपज बढ़ाती है 2. वे प्रकृतिदत्त वस्तुएँ जो खाद का काम करती हैं, जैसे- गोबर, सड़े पत्ते आदि।
उर्वरता (सं.) [सं-स्त्री.] उर्वर होने की अवस्था; उपजाऊपन।
उर्वरा (सं.) [वि.] उर्वर; उपजाऊ [सं-स्त्री.] 1. उर्वर भूमि; उपजाऊ भूमि 2. पृथ्वी; भूमि; ज़मीन 3. एक अप्सरा का नाम।
उर्वरीकरण (सं.) [सं-पु.] बंजर भूमि को उर्वर बनाने की प्रक्रिया।
उर्वशी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. (पुराण) इंद्रलोक की एक अप्सरा जिसका विवाह राजा पुरूरवा से हुआ था 2. एक प्राचीन तीर्थ।
उर्वी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. पृथ्वी; धरती; भूमि; ज़मीन 3. विस्तृत तल या क्षेत्र। [वि.] 1. विस्तृत; विशाल 2. सपाट।
उर्वीजा (सं.) [सं-स्त्री.] सीता; जानकी। [वि.] {अ-अ.} पृथ्वी से उत्पन्न; जिसका जन्म पृथ्वी से हुआ हो (केवल स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के साथ)।
उर्वीश (सं.) [सं-पु.] पृथ्वी का स्वामी; राजा।
उर्स (अ.) [सं-पु.] 1. मुसलमानों में किसी संत की निधन-तिथि पर होने वाला समारोह; मुसलमान पीर का वार्षिकोत्सव 2. निधन की मजलिस या शादी वगैरह के मौकों पर दिया जाने वाला भोज।
उलंघना [क्रि-स.] 1. लाँघना 2. किसी आदेश या आज्ञा का उल्लंघन करना या उसके प्रतिकूल व्यवहार करना।
उलझन [सं-स्त्री.] 1. किन्हीं दो या अधिक वस्तुओं, एक वस्तु के विभिन्न अंगों या धागे जैसी एक वस्तु के विभिन्न हिस्सों के परस्पर लिपटने और फँसने से बनी गुत्थी या गाँठें; अटकाव 2. उलझने की क्रिया या भाव 3. झगड़े-झंझट की स्थिति 4. किसी निष्कर्ष पर न पहुँचने का भाव; असमंजस; दुविधा की स्थिति 5. बाधा; समस्या; कठिनाई 6. चिंता; फ़िक्र।
उलझना [क्रि-अ.] 1. अनावश्यक ही किसी घटना या विवाद में लिप्त होने की क्रिया; 'सुलझना' का विलोम 2. फँस जाना 3. अटक जाना 4. आसक्त होना; लीन होना।
उलझाना [क्रि-स.] 1. फँसाना; लगाए रखना, जैसे- बातों में उलझाना 2. लोगों को आपस में लड़ाना, जैसे- उसे लोगों को उलझाने में बड़ा मज़ा आता है।
उलझाव [सं-पु.] 1. बखेड़ा 2. उलझन।
उलझौंहाँ [वि.] 1. जिसकी प्रवृत्ति उलझने या उलझाने की हो 2. फँसाने वाला 3. लुभाने वाला 4. लड़ाई-झगड़ा करने या कराने वाला; झगड़ालू।
उलटना [क्रि-अ.] 1. ऊपर का नीचे, नीचे का ऊपर होना; औंधा होना 2. ऊपर नीचे होना; घूमना; पलटना 3. पीछे की ओर पलटना; मुड़ना 4. लुढ़कना 5. स्थिति विपरीत होना।
उलटना-पुलटना [क्रि-स.] 1. किसी वस्तु या वस्तुओं को ऊपर-नीचे या इधर-उधर करना 2. अस्त-व्यस्त करना 3. गड़बड़ करना 4. परिवर्तन करना 5. पुस्तक आदि के पृष्ठों को आगे-पीछे करना।
उलट-पलट [सं-स्त्री.] निश्चत स्थान या क्रम से इधर-उधर कर देने की क्रिया; अव्यवस्थित होना।
उलटफेर [सं-पु.] परिवर्तन; बदलाव; क्रांति।
उलटबाँसी [सं-स्त्री.] सीधी बात को टेढ़े ढंग से कहना; जिस कथन में असंभवता या अंतर्विरोध प्रतीत हो किंतु वास्तव में कोई गहरा अर्थ छिपा हो, जैसे- 'बरसै कंबल, भीजै पानी' (कबीरदास)।
उलटा [वि.] 1. जो सीधा न हो 2. औंधा 3. क्रम-विरुद्ध; इधर का उधर 4. विरुद्ध; विपरीत 5. विलोम; विपर्यय 5. अनुचित; अयुक्त। [क्रि.वि.] 1. विरुद्ध क्रम से 2. व्यवस्था के विपरीत।
उलटाना [क्रि-स.] 1. पलटाना; लौटाना 2. उलट देना; औंधा करना 3. लुढ़काना 4. पीछे फेरना।
उलटा-पुलटा [वि.] 1. बेसिर-पैर का; क्रमविहीन 2. इधर का उधर; अंडबंड।
उलटा-पुलटी [सं-स्त्री.] उलट-पलट।
उलटाव [सं-पु.] 1. उलटने की क्रिया या भाव 2. पीछे की ओर पलटने या लौटने की क्रिया या स्थिति 3. फेर; बदलाव।
उलटी [सं-स्त्री.] 1. वमन; कै 2. पलटी; कलाबाज़ी [वि.] उलटा का स्त्रीलिंग रूप। [मु.] -साँस चलना : मरणासन्न होना। -गंगा बहना : अनहोनी होना। -माला फेरना : किसी का अहित करना। -सीधी सुनाना : भला-बुरा कहना।
उलटे [अव्य.] 1. विपरीत दिशा या स्थिति में 2. विपरीत व्यवस्था से; विरुद्ध न्याय से, जैसे- उसे मदद करनी चाहिए थी, उलटे उसने धोखा दिया 3. जैसा होना चाहिए उसका विपरीत; क्रम, नियम, प्रथा आदि के विपरीत।
उलथा [सं-पु.] 1. नृत्य में ताल के साथ उछल-उछल कर घूमने की क्रिया 2. कलाबाज़ी 3. करवट।
उलफ़त (अ.) [सं-स्त्री.] प्यार; मुहब्बत; स्नेह; प्रेम।
उलमा (अ.) [सं-पु.] (आलिम का बहुवचन) विद्वान जन।
उलाँघना [क्रि-स.] 1. आज्ञा का उल्लंघन करना; न मानना 2. लाँघना, जैसे- हनुमान समुद्र लाँघ गए।
उलार [सं-पु.] बोझ के कारण पीछे की ओर होने वाला झुकाव। [वि.] असंतुलित बोझ से पीछे की ओर झुका हुआ, जैसे- पीछे ज़्यादा लोगों के चढ़ जाने से ताँगा उलार हो गया।
उलाहना [सं-पु.] उपालंभ; प्यार भरी शिकायत। [क्रि-स.] शिकवा करना; दोष देना।
उलिंद (सं.) [सं-पु.] 1. शिव 2. एक प्राचीन देश का नाम।